‘राज्यपाल रमेश बैस जिस भाषा में बात कर रहे हैं, यह झारखंड और यहां की चुनी हुई सरकार के साथ खिलवाड़ है. हम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से वर्तमान राज्यपाल को झारखंड से वापस बुलाने की मांग करेंगे.’ – ये बात भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने विगत 5 नवंबर 2022 को रांची में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कही.
उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस मनाने की ओर बढ़ रहे झारखंड में केंद्र की सत्ता की शह पर राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश लोकतंत्र के हित में नहीं है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ ईडी की कार्रवाई के सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कानून अपना काम करे, लेकिन यह दलीय भेदभाव के साथ नहीं होना चाहिए.
उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में भाजपा नेताओं पर कार्रवाई नहीं किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि झारखंड, मध्यप्रदेश या गुजरात में भ्रष्टाचार में स्पष्ट संलिप्तता के बावजूद भाजपा नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
भूमि बैंक के लिए आदिवासी बहुल इलाकों में चलाए जा रहे भूमि सत्यापन की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुए भाकपा(माले) महासचिव ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें कारपोरेट बिचौलिया के रूप काम नहीं करे. उनकी पार्टी आदिवासियों की निजी, सामुदायिक एवं वन भूमि से उनकी बेदखली के खिलाफ है और उनके भूमि आंदोलन का हर स्तर पर समर्थन करती है.
उन्होंने मनरेगा न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि भुखमरी से पीड़ित झारखंड में मनरेगा को भ्रष्टाचार से मुक्त कर भूख और बेरोजगारी लगाम लगाने की कोशिश होनी चाहिए.