वर्ष - 31
अंक - 45
05-11-2022

खबरों के अनुसार, 12 साल की बच्ची दीपावली की पूर्व संध्या पर, 23 अक्टूबर 2022 को, कन्नौज के सरकारी गेस्ट हाउस के पास झाड़ियों में खून से लथपथ पड़ी मिली थी. सीसीटीवी फुटेज से पहचान हो जाने के बावजूद आरोपी पुलिस की पकड़ से आजाद हैं.

गौरतलब है कि कन्नौज के गुरसहायगंज में रहने वाले बतासा कारीगर की 12 साल की बेटी दीवाली से ठीक एक दिन पहले 23 अक्टूबर को गुल्लक लेने निकली थी. जब वह काफी देर बाद भी घर नहीं लौटी तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की. गुरसहायगंज कोतवाली से लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस के पीछे झाड़ियों में खून से लथपथ हालत में उसे बरामद किया गया.

इस घटना में इंसानियत को शर्मसार करने वाली बात यह थी कि बच्ची घायल अवस्था में तड़पते हुए मदद के लिए हाथ आगे बढ़ा रही थी, लेकिन तमाशबीन बने रहे लोग उसे अस्पताल पहुंचाने के बजाय उसका वीडियो बनाते रहे. बाद में पुलिस ने उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया.

परिजनों का आरोप है कि उनकी बच्ची के अगवा करके रेप की कोशिश की गई और फिर पहचान खुलने के डर से हत्या के इरादे से बच्ची के सिर पर ईंट से हमला किया गया. पीड़ित नाबालिग कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में भर्ती है और उसकी हालत में सुधार नहीं हो रहा है. इस मामले में गुरसहायगंज कोतवाली में रेप के प्रयास, पॉक्सो और हत्या की कोशिश में एफआईआर दर्ज हुई है. सीसीटीवी फुटेज से आरोपी की पहचान के बाद भी 29 नवंबर तक उसे गिरफ्तार न किये जाने पर पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पुलिस प्रशासन पहचान होने के बावजूद आरोपियों को क्यों बचाने में लगा है.

भाकपा(माले) ने उठाये सवाल

भाकपा(माले) ने कन्नौज की इस नाबालिग बच्ची के साथ हृदयविदारक घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है. पार्टी ने कहा कि बच्ची गरीब अल्पसंख्यक परिवार से है और उसकी जान बचाने के लिए सरकार को समुचित व मुफ्त इलाज की व्यवस्था करनी चाहिए.

भाकपा(माले) ने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा की स्थिति बेहद खराब हुई है. खासकर नाबालिगों के साथ हैवानियत और दलित-अल्पसंख्यक उत्पीड़न की घटनाएं चरम पर हैं. हाल ही में बहराइच जिले में एक दलित युवक को शौचालय की शीट की चोरी का आरोप लगाकर उसके चेहरे को कालिख से पोतकर और सिर मुड़ाकर घुमाया गया, मानो दलित होना ही जुर्म है. लेकिन प्रदेश सरकार खुद की पीठ थपथपाने और विज्ञापन करने में लगी है कि यूपी में सब कुछ चंगा है, जबकि हकीकत इसके ठीक विपरीत है.

धन संग्रह कर आर्थिक सहयोग किया

‘कन्नौज रेप पीड़िता को इंसाफ दो’ नारे के साथ भाकपा(माले) ने कानपुर में विरोध प्रदर्शन किया और जनता के बीच जाकर पीड़िता की मदद के लिए चंदा एकत्र करने का अभियान चलाया और एकत्र राशि को लड़की के पिता को दिया. जालौन में प्रदर्शन कर इस दरिंदगी भरी घटना को अंजाम देनेवालों को गिरफ्तार कर सख्त सजा दिलाने की मांग का ज्ञापन सौंपा गया.

भाकपा माले और ऐपवा के जांच दल पहुंचा

29 अक्टूबर 2022 को ऐपवा नेत्री और मिड डे मील वर्कर्स यूनियन की प्रदेश उपाध्यक्ष का. कमला गौतम और का. सरिता लखनऊ से कानपुर के लिए रवाना हुईं. का. कमला गौतम और का. आरपी सिंह के नेतृत्व में भाकपा(माले) व ऐपवा की 7 सदस्यीय टीम ने पीड़िता के परिजनों – उसके पिता, मामा व अन्य रिश्तेदारों से बात कर घटना की जानकारी ली. पीड़िता के पिता कन्नौज में ही चाट का ठेला लगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. परिजन कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में अपनी बच्ची का इलाज करा रहे है जो आईसीयू में एडमिट है. परिवार के सदस्यों ने बच्ची की खून से लथपथ शरीर और पैरों से रिसते खून के आधार पर बलात्कार की आशंका जताई है. इस मामले में पुलिस ने अभी तक एक व्यक्ति की गिरफ्तारी की है जबकि परिवारजनो के मुताबिक मुख्य आरोपी अभी भी फरार है. पीड़िता की हालत नाजुक बनी हुई है और परिवार आईसीयू का खर्च देने में असमर्थ है. अभी तक नागरिक समाज और सामाजिक संगठनों की मदद से ही मेडिकल खर्च वहन किया जा रहा है. पीड़िता या उसके परिजों को किसी भी तरह की कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. जांच दल ने तत्काल पहलकदमी लेते हुए स्थानीय जनता से धन संग्रह कर पीड़िता के परिवार को सौंपा.

जांच दल की मांग

जांच दल ने घटना की तीखी निंदा और नाबालिग पीड़िता के प्रति संवेदना जाहिर करते हुए कहा कि योगी सरकार में छोटी बच्चियां भी सुरक्षित नहीं रह गयी हैं. अपराधियों को कानून का कोई खौफ नहीं है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण और कानून के राज के दावें करें लेकिन ख़ुद एनसीआरबी के सरकारी आंकड़े भी बता रहे हैं कि महिला अपराध में यूपी शर्मनाक ढंग से देश में पहले पायदान पर है. पिछले कुछ माह में ही लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, मेरठ, मुरादाबाद, बंदायू, औरैया और अब कन्नौज में महिलाओं और नाबालिग बच्चियां के साथ बलात्कार, हत्या और यौन हिंसा की वीभत्स घटनाएं बता रही हैं कि योगीराज महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो चुका है. जिस प्रकार 15 अगस्त को विलकिस बानो के 11 बलात्कारियों को केंद्र सरकार की स्वीकृति के बाद रिहा किया गया, उससे पूरे देश-प्रदेश में गलत संदेश गया है और बलात्कारियों के मंसूबे बुलंद हुए हैं.

जांच दल ने मांग किया कि इस घटना की निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच करायी जाये, नाबालिग बच्ची के मेडिकल ट्रीटमेंट की पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन व राज्य सरकार ले और अब भी फरार चल रहे मुख्य आरोपी को तत्काल गिरफ्तार कर कड़ी सजा देने की गारंटी की जाये.

minor rape victim of Kannauj

 

Justice should be given to the minor rape victim