वर्ष - 32
अंक - 38
15-09-2023

05 सितंबर को हुए उपचुनावों के नतीजे आ चुके हैं. ऊपरी तौर पर कुल सीटों की तालिका में कोई बदलाव नहीं दिखता है: एनडीए को तीन सीटें मिली हैं और इंडिया को चार. लेकिन गहनता से देखने पर मालूम पड़ता है कि सतह के नीचे काफी कुछ बदल गया है. और सबसे बड़ा बदलाव तो उस उत्तर प्रदेश में हुआ है, जो राज्य लोकसभा में सबसे अधिक संख्या में सांसदों को भेजता है.

घोसी उपचुनाव किसी की मृत्यु की वजह से नहीं, बल्कि दलबदल की वजह से हुआ. तत्कालीन सपा विधायक दल बदल करके भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा के टिकट पर पुनः चुने जाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे थे. उनके पीछे मोदी-शाह-योगी की ‘डबल इंजन’ हुकूमत ने पूरी ताकत झोंकी हुई थी. अतः भाजपा को हरा कर घोसी के लोगों ने महाशक्तिशाली योगी हुकूमत को हराया है और हार का जबरदस्त अंतर बेहद ऊंचे और स्पष्ट स्वर में संदेश दे रहा है.

झारखंड के डुमरी में भी मुकाबला काफी कठिन था. 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता जगन्नाथ महतो आसानी से जीत गए क्योंकि तब भाजपा और अजासू दोनों चुनाव लड़े थे. इस समय अजासू को भाजपा का पूरा समर्थन प्राप्त था और भाजपा के पास बाबूलाल मरांडी के पूर्ववर्ती झारखंड विकास मोर्चा का समर्थन भी था. परिस्थिति की मांग पर गौर करते हुए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की गिरीडीह इकाई पूरी ऊर्जा के साथ झामुमो के समर्थन में चुनाव अभियान संचालन में लगी. इस तरह भाजपा-अजासू की हार झारखंड के पूरे इंडिया खेमे के लिए ऊर्जा प्रदान करने वाली उपलब्धि है.

आइये, पश्चिम बंगाल के धुपगुरी उपचुनाव के नतीजों पर भी गौर करते हैं, जहां टीएमसी ने नजदीकी मुकाबले में भाजपा को हराने में सफलता हासिल की है. 2021 में भाजपा ने उत्तरी बंगाल में जबरदस्त जीत हासिल की थी पर अब बाजी पलटती हुई लग रही है.

– दीपंकर भट्टाचार्य
महासचिव, भाकपा(माले)