वर्ष - 32
अंक - 32
05-08-2023

पिछले माह भर तक देशभर में ‘संगठित हो, हल्ला बोल’ अभियान के माध्यम से सघन संवाद व संपर्क अभियान चलाते हुए ‘मोदी जी, मुद्दा मत भटकाओ, रोजगार कहां है ये बतलाओ’ की गूंज लिए सैकड़ों नौजवानों ने विगत 1 अगस्त को दिल्ली पहुंच कर रोजगार के सवाल पर निर्णायक लड़ाई का ऐलान किया.  

यूथ पार्लियामेंट में अलग-अलग राज्यों से नौजवानों की आवाज लेकर दिल्ली पहुंचे आन्दोलन के नेताओं ने युवाओं की ज्वलंत समस्याओं को रखा. उत्तरप्रदेश से सुनील मौर्या, बिहार से शिवप्रकाश रंजन, असम से कुंती तांती, झारखंड से संदीप जयसवाल व दिव्या भगत, महाराष्ट्र से जीवन सुरुड़े, रेलवे ग्रुप डी बी2सी1 के चयनित अभ्यर्थी आन्दोलन के नेता रमण सिंह बदौलिया, कार्बी आंग्लोंग से जिबो फन्गचो, बिहार से रेलवे ग्रुप डी आन्दोलन के नेता तारिक अनवर, तमिलनाडु से सुन्दरराज, हरियाणा से गुरप्रीत रतिया, पंजाब से विंडर अलख ने नौजवानों की समस्याओं से सदन को अवगत कराया.

नौजवानों की समस्या सुनने के बाद यूथ पार्लियामेंट को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज देश के नौजवानों के सामने सबसे बड़ा सवाल रोजगार का है. यह कई सालों से यह मुद्दा बना हुआ है. अगर हम याद करें तो 2018 में भी बिलकुल ऐसा ही माहौल बना हुआ था देश के नौजवान रोजगार के सवाल पर सड़क पर थे और देश के किसान कर्ज मुक्ति के सवाल व फसल की कीमत की मांग को लेकर सड़क पर थे. ऐसे तमाम मुद्दे को लेकर देश के लोग सड़क पर थे. फिर हमने देखा कि 2019 का जो चुनाव हुआ उससे पहले पुलवामा कांड हुआ. मुद्दे को भटकाने का काम हुआ और माहौल बदल गया जिसका परिणाम हम सबके सामने है. इसलिए आज युवाओं ने सही चिन्हित किया है कि हमें मुद्दा भटकाने की उनकी कोशिशों पर भी सावधान रहना होगा. अभी रेलवे के साथी बता रहे थे उन्होंने नौकरी के लिए परीक्षा पास की, फिर भी उन्हें नियुक्ति नहीं मिल रही है और इसके लिए भी उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है. इसलिए रोजगार की लड़ाई भी अब हिंदुस्तान में लंबी लड़ाई बन गई है. इस लड़ाई में नौजवानों के सामने केंद्र की भाजपा सरकार तो है ही, उसकी कई राज्य सरकारें भी है. इनमें अलग-अलग पार्टियों की विपक्ष की सरकारें भी हैं और हम देख रहे हैं कि इस सवाल कहीं-कहीं नौजवानों के सामने कोई दूसरी सरकार भी खड़ी है. यह लड़ाई बड़ी है, व्यापक है और इसलिए यह सवाल भी है कि इस लड़ाई को हम आंख मूंद कर नहीं लड़ सकते. खुले दिमाग और खुली आंखों के साथ हमें इस लड़ाई को लड़ना होगा.

उन्होंने कहा कि देश की खेती चौपट हो गई लेकिन नफरत की खेती जोरों पर है, कल-कारखाने बंद हो गये है लेकिन यह कत्ल करने व हिंसा फैलाने के लिए बिल्कुल एक नई इंडस्ट्री खोल दी गयी है. जिन नौजवानों को खेती में, पढ़ाई में, स्कूल में, अस्पतालों में, थानों में और दफ्तरों में रोजगार नहीं मिल रहा है, उनको इन लोगों ने वैकल्पिक रोजगार दे दिया कि तुम हाथ में तलवारें व बंदूक उठाओ, रामनवमी के जुलूस में जाओ, वहां जाकर के नारे लगाओ और दंगा करो. यही तुम्हारा रोजगार है. इसलिए जो नफरत का कारोबार है, अगर हम उसको बंद नहीं कर पाएंगे तो हम जिस सम्मानजनक व सुरक्षित रोजगार और वेतन की बात कर रहे हैं, वह नहीं मिलने वाला है. इसीलिए नफरत के इस कारोबार और नफरत के रोजगार को बंद करना बिल्कुल जरूरी है और इसके लिए जरूरी यह भी है कि मुद्दा भटकाने का मौका इनको ना मिले.

अभी हमने उत्तरप्रदेश के बरेली में देखा कि वहां के एसपी ने कावड़ियों के उत्पात के खिलाफ कानून के हिसाब से कार्रवाई की तो उनका तबादला कर दिया गया. वहीँ दूसरी तरफ ट्रेन में आरपीएफ के एक जवान ने जिसकी जिम्मेदारी यात्रियों के सुरक्षा की गारंटी करना है, पहले अपने एक अधिकारी को गोली मारा और फिर ट्रेन के अलग-अलग कम्पार्टमेंट में जाकर मुसलमान यात्रियों को चुन-चुन कर मारा. वह यह भी बोल रहा था कि इस देश में अगर रहना है तो मोदी और योगी को ही वोट करना होगा. इस मामले को सरकार ने यह कह कर रफा-दफा करने की कोशिश की वह तनाव और डीप्रेशन में था.

उन्होंने कहा कि मणिपुर तीन महीने से जल रहा है. सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं और साठ हजार से ज्यादा लोग उन राहत शिविरों में रह रहे हैं जो जन सहयोग से ही चल रहे हैं. सरकार का उसमें कोई सहयोग नहीं है. ऐसे मसले पर सरकार संसद में बात करना नहीं चाह रही है. लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी जिन पर है वे लोकतंत्र को बर्बर बना रहे हैं. इसलिए हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. हमें सजग और सावधान रहना होगा.

उन्होंने यह उम्मीद जाहिर की कि नौजवान जब लौट कर अपने गांव-मोहल्ले में जायेंगे तो अपने आस-पास के नौजवानों को भी सतर्क करेंगे, अपनी गोलबंदी को बढ़ाएंगे और आगे आने वाले दिनों में जो भटके हुए नौजवान हैं उनको भी अपने साथ लाएंगे. उन्होंने आरक्षण और जाति जनगणना के सवाल को भी आगे ले जाने और उसपर संघर्ष छेड़ने की अपील की.

उन्होंने नौजवानों से लाल झंडे के साथ भगतसिंह-अम्बेडकर का नारे की मशाल जला कर आगे बढ़ने, देश पर पुलवामा थोपने की कोशिशों से सावधान रहने और भाजपा-आरएसएस जैसी ताकतों द्वारा रामनवमी व अन्य धार्मिक आयोजनों के नाम पर नौजवानों को भटकाकर देश के किसानों, महिलाओं व ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश को भी नाकाम करने की जोरदार अपील की.

का. दीपकर भट्टाचार्य ने नौजवान आन्दोलन की शुरुआत करने करने वाले चंद्रशेखर, जेल में बंद उमर खालिद व भीमा कोरेगांव के फर्जी मामले में बंद तमाम साथियों को लाल सलाम पेश करते हुए अपने वक्तव्य का समापन किया.

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राध्यापक और ड्यूटा की पूर्व अध्यक्ष प्रो. नंदिता नारायण ने यूथ पार्लियामेंट को संबोधित करते हुए कहा कि आज जो लोग सत्ता में बैठे हुए हैं वे देश के खिलाफ काम कर रहे हैं. यह सरकार खून-खराबा कर सत्ता पर काबिज रहना चाहती है. इसको INDIA से दिक्कत है क्योंकि इनका इतिहास ही इंडिया के खिलाफ अंग्रेजों की सेवा करने का है. शायद इसलिए इनके मुंह से सबसे पहला नाम ईस्ट इंडिया कंपनी का आया क्योंकि यह उनके दिल के सबसे करीब है. यह सरकार नई शिक्षा नीति लाकर देश की शिक्षा व्यवस्था को तबाह करना चाहती है और सांप्रदायिक बनाना चाहती है. किसान तबाही से गुजर रहे हैं, स्वास्थ्य की जिम्मेदारी से सरकार अपने को अलग कर रही है, मंहगाई आसमान छू रही है. कोई आम नागरिक पचास हजार का भी लोन ले तो उनकी संपत्ति नीलाम कर ली जाती है लेकिन इनके दुलारे पूंजीपति हजारों करोड़ का चुना लगा गए तो इनको कोई फर्क नहीं पड़ता. आज जरूरत इस बात का है की ऐसे आंदोलनों को तेज किया जाए और इस सरकार को सत्ता से बाहर किया जाए.

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. रतन लाल ने कहा कि मोदी सरकार के अगर यही अच्छे दिन हैं तो हमें पुराने दिन ही लौटा दो. पुराने दिनों में कम से कम रोजगार तो मिलता था. आज देश में दलितों-आदिवासियों पर अत्याचार इतने बढ़ गए हैं कि कभी-कभी तो लगता है इतना अत्याचार तो इंदिरा के आपातकाल के समय में भी नहीं हुआ था. यह अघोषित आपातकाल बहुत खतरनाक है. लोगों ने संविधान के हिसाब से देश चलाने का मेंडेंट दिया था लेकिन आज इंडियन रिपब्लिक पर भाजपा-आरएसएस का कब्ज़ा हो गया है. कोई भी संस्था संविधान के अनुरूप काम नहीं कर रही. विश्वविद्यालयों की हालत जेल जैसी हो गयी है. वहां भाजपाई प्रिंसिपल ले आकर शिक्षकों को प्रताड़ित और झूठे आरोप लगा कर आत्महत्या करने को मजबूर किया जा रहा है. इस सरकार को सत्ता से बाहर करना समय की मांग है और तभी देश में कुछ भी बच पाएगा.

आइसा के राष्ट्रीय महासचिव व बिहार में भाकपा(माले) विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि इस देश का संकट यह है कि जिनको केवल शाखा चलाना चाहिए था वे आज देश चला रहे हैं. 9 साल की मोदी सरकार की नीतियों के चलते देश तबाही के कगार पर पहुंच गया है. प्रधानमंत्री मोदी देश के छोटे-मोटे उद्योग धंधों को बंद करके अपने प्यारे पूंजीपतियों को मुनाफा पहुंचाने में लगे हुए हैं. सरकार ने सरकारी नौकरियों को खत्म कर आरक्षण को ख़त्म करने का मन बना लिया है. नौजवानों के खिलाफ बड़ी साजिश करते हुए उन्हें समझाने की कोशिश की जा रही है कि उनके लिए रोजगार कोई मुद्दा नहीं है बल्कि हिन्दू धर्म खतरे में है और  उसे बचाना जरूरी है. चार साल का स्नातक कोर्स छात्रों को शिक्षा से बेदखल करने का एक रास्ता है. सरकार देश के नौजवानों को देशी-विदेशी पूंजी के लिए सस्ता मजदूर बनाना चाह रही है. इस साजिश के खिलाफ संगठित होना और आन्दोलन करना ही नौजवानों के सामने एक मात्र रास्ता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. जितेंद्र मीणा ने कहा कि रोजगार के जिस सवाल पर यह सरकार चुन कर आई, सत्ता में आने के बाद इसे भुला दिया गया. हर साल दो करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आई सरकार नौजवानों से रोजगार छीनने में लगी हुई है. साथ ही साथ रोजगार के सवाल को मीडिया से भी गायब कर दिया गया है. देश में जब दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों की बात की जाती है तो कहा जाता है कि हिन्दू खतरे में है. रोजगार मांगने पर कहा जाता है कि पाकिस्तान में टमाटर मंहगा है. आर्मी की भर्तियों को खत्म कर दिया गया. एक काम जो देश में लगातार जारी है वह है नफरत की खेती जिसका परिणाम हम पिछले तीन महीने से मणिपुर को जलते हुए देख रहे हैं. रेलवे में यात्री सुरक्षित नहीं हैं, सुरक्षा करने वाला ही हत्या कर रहा है. संसद से एक बिल पास कराया गया जिसका नाम है वन संरक्षण अधिनियम 2023 जिसके तहत सरकार जब चाहे आदिवासियों की जमीन अपने कब्जे में ले सकती है. यह बिल आदिवासियों की जमीन छीनने वाला बिल है. इस सरकार से अब देश के लोगों की कोई उम्मीद नहीं बची है. इसलिए इसे बदलकर ही देश को बचाया जा सकता है.

भाकपा(माले) के बिहार से युवा विधायक अजित कुशवाहा ने कहा कि आज देश की संसद को भी लोगों के सवालों पर बात करने से  रोका जा रहा है, आज देश की सच्चाई यह हो गई है कि अगर ज्यादती का कोई विडियो जब तक वायरल नहीं होता तब तक एफआईआर भी दर्ज नहीं होता. 2024 में देश में चुनाव होना है, अभी से नौजवानों को कमर कस कर मैदान में उतर जाना होगा.

सामाजिक कार्यकर्ता बनोज्योत्सना ने कहा कि सड़कों के आन्दोलन जिंदा रहने से देश का लोकतंत्र भी जिंदा रहता है. इससे हम जैसे लोगों को भी हिम्मत मिलती है. आज हिंदुस्तान का आईडिया ही खतरे में है. इसलिए आज देश में लोकतंत्र, संविधान व भाईचारे को बचाने की जरूरत है और इसे बचाने के लिए इस तरह की लड़ाई जरूरी है.

आरवाईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम ने कहा कि ऐसे समय में यह यूथ पार्लियामेंट हो रहा है जब  मणिपुर जल रहा है और वहां महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहा है. लाखों लोग बेघर हैं लेकिन सरकार व गोदी मीडिया चुप है. नौजवानों को अब उठ खड़ा होना होगा और देश को बचाने के लिए आगे आना होगा.

आरवाईए के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार ने कहा कि आज देश भर से नौजवानों की आवाज लेकर हम दिल्ली में संसद के सामने नौजवानों की संसद लगा रहे हैं क्योंकि देश की संसद ने नौजवानों के भविष्य और रोजगार के बारे में बात करना बंद कर दिया है. 2 करोड़ हर साल रोजगार का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार में थोड़ी भी हिम्मत है तो पिछले नौ सालों में कितने नौजवानों को रोजगार मिला इसपर श्वेत पत्र लाए. संसद में एक सवाल का जबाव देते हुए सरकार ने खुद स्वीकार किया कि 8 साल में मात्र 7.2 लाख रोजगार ही सरकार दे पाई है जबकि 22 करोड़ नौजवानों ने इसके लिए आवेदन किया था. नौजवानों को रोजगार देने की इस सच्चाई के बीच प्रधानमंत्री मोदी ‘रोजगार मेला’ लगा कर और कुछ हजार नियुक्ति-पत्र बांट कर मीडिया के माध्यम से रोजगार देने का ढोंग कर रहे हैं. यह संख्या खाली पड़े पदों का 15 प्रतिशत भी नहीं है. अपनी इस नाकामी को छुपाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी डाकिया बन कर नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मणिपुर के नौजवानों ने रोजगार व प्रदेश की तरक्की के लिए भाजपा को चुना था लेकिन आज उन नौजवानों के हाथों में बन्दूक थमा कर आपस में ही भिड़ा दिया गया है. मणिपुर जल रहा है और सरकार तमाशाई बनी हुई है. रोजगार के जिन अवसरों के दम पर हम रोजगार पाने का सपना देखते हैं आज उन्हीं अवसरों को अपने दुलारे पूंजीपतियों के हाथों नीलाम किया जा रहा है.रेलवे, जो हर साल 30-40 हजार नौजवानों को रोजगार देता था, को बेचा जा रहा है. बीएसएनएल, एमटीएनएल, एलआईसी, कोल इंडिया, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, ओएनजीसी, हेल, भेल, सेल, हाइवे, पाइप लाइन सहित देश केद र्जनों सरकारी संस्थानों को नीलाम किया जा रहा है जो बड़ी संख्या में नौजवानों को रोजगार देते थे. ‘अग्निपथ योजना’ लाकर मोदी सरकार ने नौजवानों के भविष्य पर बुलडोजर चलाने जैसा काम किया है.

कहा कि देश की जनता का लाइफ लाइन भारतीय रेल से सिर्फ यातायात का रिश्ता नहीं है बल्कि यह करोड़ों नागरिकों को रोजी-रोटी-रोजगार देती है व उनके सपनों को भी ढोती है. इस शासन में रेलवे को नीलामी के बाजार में रख दिया गया है, एक-एक कर इसके प्लेटफार्म, ट्रेनें, रेलमार्ग, स्टेडियम, अस्पताल व स्कूल बेचे जा रहे हैं. नए पदों का सृजन करना तो दूर, पहले से मौजूद पदों को भी खत्म किया जा रहा है. हालात तो यह है कि कर्मियों के अभाव में रेलवे सुचारू रूप से चलने में असमर्थ है. बालासोर (ओड़िसा) की रेल दुर्घटना  जहां सिग्नल स्टाफ की कमी की वजह से दुर्घटना की सम्भावना के बारे में पहले से एलर्ट किया गया था लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया, इस बात की मिसाल है.

उन्होंने कहा कि जिस काल में पूरी सत्ता और मीडिया ने मिल कर नफरत का जहर आम लोगों के सामने परोसा, उसे ‘अमृतकाल’ और  जिस पीढ़ी की पीठ पर शासन की लाठी सबसे ज्यादा जोर से लगी है उस पीढ़ी को ‘अमृतपीढ़ी’ नाम दिया गया है. विनाश और विध्वंस को विकास बताया जा रहा है. देशी-विदेशी पूंजी पर निर्भरता को ‘आत्मनिर्भर भारत’ बताया जा रहा है. जहां हर दिन लोकतंत्र का कत्लेआम किया जा रहा है उसे ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ कहा जा रहा है. अडानी जैसे अपने दुलारे पूंजीपतियों के विकास को ‘सबका साथ-सबका विकास’ कहा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि मोदी सराकार रोजगार आंदोलन में शामिल नौजवानों के साथ लाठी-डंडों से पेश आ रही है और उनके ऊपर फर्जी मुकदमें लगा कर जेल भेज रही है. ‘अग्निपथ योजना’ के खिलाफ आन्दोलन कर रहे हजारों नौजवानों को कठोर धाराएं लगा कर जेल में डाल दिया गया है. उमर खालिद सहित सैकड़ों नौजवान जो नागरिकता कानून के खिलाफ आन्दोलन में शामिल थें, आज भी जेल में हैं. देश के लिए मेडल जीतने वाली महिला पहलवानों ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाया . 3 महीने के बाद सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जाकर एफआइआर दर्ज हुआ और अभी तक इस भाजपा सांसद की गिरफ्तारी नहीं हुई. पूरी सरकार अपने दुलारे बाहुबली सांसद को बचाने में लगी है. महिलाएं अपने दम पर किसी मुकाम को हासिल कर भी लेती हैं तो सरकार उनके सम्मान, सुरक्षा व न्याय की गारंटी नहीं करा रही है और साथ ही साथ इनके आवाज को भी खामोश कर देना चाह रही है. यही उनके ‘बेटी बचाओ’ नारे की सच्चाई है.

यूथ पार्लियामेंट में अम्बेडकर विश्वविद्यालय की प्रो. दीपा सिन्हा व शिवानी नाग, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. उमा तथा एक्टू के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी शंकर ने भी अपनी एकजुटता प्रदर्शित किया.

यूथ पार्लियामेंट की शुरूआत बिहार से आए राजू रंजन, झारखंड से आए आरपी वर्मा और महाराष्ट्र से पहुंचे शरद संसारे, ज्ञानेश्वरी आयवले और मदीना शेख द्वारा जनगीतों की प्रस्तुति से हुई.

– नीरज कुमार


यूथ पार्लियामेंट से पारित प्रस्ताव

1. आजादी के बाद पहली बार देश बेरोजगारी की इतनी बड़ी समस्या का सामना कर रहा है और कोई भी देश अपने नौजवानों को रोजगार दिए बिना तरक्की नहीं कर सकता. इसलिए यह यूथ पार्लियामेंट सरकार से मांग करती है कि रोजगार के सवाल पर संसद का विशेष सत्र बुला कर रोजगार देने का रोडमैप देश के सामने रखा जाए.
2. मणिपुर पर संसद में सरकार बात करे, हिंसा की न्यायिक जांच कराए, मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह को बर्खास्त करे.
3. सरकार नफरत का कारोबार बंद करे और दंगा-फसाद करने वाले नफरती गुंडों को सलाखों के पीछे डाले.
4. उमर खालिद सहित सभी सीएए आन्दोलन के कार्यकर्ताओं को बिना शर्त रिहा करे.
5. भीमा कोरेगांव में सामाजिक कार्यकर्ताओं पर लादे गए फर्जी मुकदमा वापस लिया जाए.
6. गरीब बच्चों को शिक्षा से बेदखल करने वाली नई शिक्षा नीति 2020 वापस हो.
7. सत्ता में आने से पहले सरकार ने नौजवानों से हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था. सरकार के नौ साल बीत गये है. इसलिए यह यूथ पार्लियामेंट सरकार से मांग करती है कि पिछले नौ साल में कितने नौजवानों को रोजगार मिला इसपर श्वेतपत्रा लाया जाए.
8. भगत सिंह रोजगार गारंटी एक्ट लागू किया जाय.
9. सभी बेरोजगार नौजवानों को रोजगार नहीं मिलने तक 10000 रुपया मासिक बेरोजगारी भत्ता दिया जाए.
10. सरकार बिना किसी देरी के रेलवे सहित तमाम सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला वापस ले.
11. ‘अग्निपथ योजना’ वापस लिया जाए और सेना में खाली पड़े सभी पदों को अविलंब भरा जाए.
12. ट्रेनों में सामान्य श्रेणी व स्लीपर श्रेणी की संख्या बढ़ाई जाए.
13. रेलवे के 15 लाख पद खत्म किये जाने के फैसले को वापस लिया जाए.
14. प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक, धांधली व आरक्षण घोटाले पर अविलंब रोक लगाई जाए.


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