वर्ष - 32
अंक - 24
10-06-2023

धनबाद (झारखंड) में विगत 1 जून 2023 को  रणधीर वर्मा चौक के पास स्थित गांधी सेवा सदन हाॅल में आइसा का जिला सम्मेलन सम्पन्न हुआ. सम्मेलन की शुरुआत अंबेडकर चैक में डाॅ. अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद रणधीर वर्मा चौक तक छात्र-एकजुटता मार्च के साथ की गई. मार्च में ‘नई शिक्षा नीति वापस लो’, ‘सीयूईटी वापस लो’, ‘खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करो’, ‘सभी छात्रों को छात्रवृत्ति व किताब देने की गारंटी करो’, ‘काॅलेजों में छात्रसंघ चुनाव जल्द कराओ’ जैसे नारे लगाए गए.

मार्च के बाद झंडोतोलन कर शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखकर और पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई. कार्यक्रम में भाकपा(माले) के जिला सचिव कार्तिक प्रसाद, राज्य कमिटी सदस्य कृष्णा सिंह, नगर सचिव नकुल देव सिंह और आरवाइए के राज्य परिषद सदस्य बिमल कुमार रवानी भी उपस्थित थे.

सम्मेलन के खुले सत्र को का. केपी अजीत, का. लालदीप गोप और का. रमेश सोरेन ने संबोधित किया. खुले सत्र की अध्यक्षता नेशनल काउंसिल की सदस्य अजरानी निशानी, रोहित रजवार, श्रवण कुमार व निशानू मल्लिक ने की. सम्मेलन में पर्यवेक्षक आइसा राज्य उप सचिव विभा पुष्पा दीप थीं.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए आइसा के राज्य अध्यक्ष-तरुण कुमार ने कहा कि आइसा धनबाद जिला का सम्मलेन ऐसे दौर में हो रहा है जब देश के गोल्ड मेडलिस्ट महिला पहलवान अपने लिए न्याय की मांग करते हुए पिछले एक महीने से देश की राजधानी दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना देकर यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद बृज भूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रही हैं. बृज भूषण सिंह को गिरफ्तार करने के बजाय नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में बुलाया गया. न्याय की उम्मीद लगाये पहलवानों पर पुलिसिया दमन चलाया गया जिसकी प्रतिक्रिया में वे अपना मेडल गंगा में बहाने तक का निर्णय कर बैठे.

उन्होंने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन में माननीय राष्ट्रपति को ना बुलाना संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन और लोकतंत्र की आत्मा पर कुठाराघात है. सारे विपक्षी दलों द्वारा विरोध करने के बावजूद सरकार अपनी हठधर्मिता और तानाशाही परिचय दे रही है.

आइसा के राज्य सचिव त्रिलोकी नाथ ने कहा कि झारखंड खनिज संपदाओं से भरपूर जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है. वह अपनी प्राकृतिक सुंदरता से सबको मोह लेता है. परन्तु शासकों ने इसे सिर्फ लूटने का ही काम किया है. यहां के यूवा आज भी दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं. बाकी लोग मनरेगा व केन्दु पत्ता तोड़ने जैसे काम-काज से जीवनयापन कर रहे है. राज्य के बच्चों में शिक्षा का अभाव है. गरीबी की वजह से यहां सबसे अधिक बाल तस्करी है. झारखंड के प्रतिभावान खिलाड़ियों के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है. शिक्षा और रोजगार की व्यवस्था पूरी तरह चौपट है अखबारों की रिपोर्ट के अनुसार दसवीं के बाद 41% छात्र पढ़ाई छोड़ देते हैं. राज्य के 95% स्कूलों में प्रधानाध्यापक नहीं है. एक शिक्षक के भरोसे 7000 स्कूल संचालित हो रहे हैं. छात्रों को समय पर छात्रवृति व किताबें नहीं मिलती. छात्र संघ चुनाव जैसी मूलभूत सुविधाएं यहां के सरकारें नहीं उपलब्ध करा पाई हैं. ऐसी स्थिति होने के वावजूद भी झारखंड के विश्वविद्यालयों में युनिवर्सिटी इंटरेस्ट टेस्ट लागू कर दिया गया हैं जिससे छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है, हजारों छात्र-छात्राएं फार्म नही भर पाए और जो भरे भी तो सभी जिलों में सेंटर नहीं होने के कारण सुदूर स्थित परीक्षा सेंटर तक नहीं पहुंच पाए. इस वजह से वे उच्च शिक्षा पाने से वंचित होने के कगार पर हैं.

उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति द्वारा शिक्षा का भगवाकरण करके शिक्षा में बचे-खुचे वैज्ञानिक तर्क, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक सोच को खत्म किया जा रहा है. विश्वविद्यालयों के फंड में कटौती कर शिक्षा को पूंजीपतियों के हवाले सौंपा जा रहा है. शिक्षा को पूंजीपतियों के लिए सस्ता मजदूर पैदा करने का माध्यम बना देने की कोशिश है. नयी शिक्षा नीति के जरिये स्कूल, काॅलेज, विश्वविद्यालयों को पूंजीपतियों द्वारा चलाया जायेगा और मनमाने तरीके से फीस वृद्धि होगी जिससे गरीब छात्र-छात्राएं शिक्षा से वंचित रह जायेंगे. आजादी के 75वें वर्ष में यह नयी शिक्षा नीति आजादी के आंदोलन के शहीदों के सपनों के साथ भद्दा मजाक के अलावा और कुछ नहीं है.

सम्मेलन में 21 सदस्यीय कमिटी का निर्माण किया गया. जिसमें जिला अध्यक्ष गोविंद बास्की और  सचिव ज्ञानोदय गोर्की को चुना गया. छात्र एकजुटता मार्च में सैंकड़ों के संख्या में छात्र शामिल हुए. 

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