वर्ष - 32
अंक - 14
01-04-2023

मानसा (पंजाब), 26 मार्च 2023. भाकपा(माले) (लिबरेशन) ने वारस पंजाब के संगठन के कार्यकर्ताओं के खिलाफ केंद्र और पंजाब सरकार द्वारा संयुक्त रूप से चलाए गए बड़े पुलिस ऑपरेशन, अनेक गिरफ्तारियों और कुछ लोगों के खिलाफ रासुका के इस्तेमाल पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस मामले से निपटने में ‘आप’ सरकार की राजनीतिक गैर जिम्मेदारी और दिशाहीनता ने पंजाब को मोदी सरकार की मनमानी साजिशों का अखाड़ा बना दिया है जो निकट भविष्य में पंजाब और पंजाबियों के लिए बहुत घातक साबित होगा. भाजपा और मोदी सरकार की ऐसी क्रूर और अलोकतांत्रिक रणनीति देश के संघीय ढांचे और लोकतंत्र के लिए अत्यंत विनाशकारी है.

भाकपा(माले) की पंजाब राज्य इकाई की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बेशक हम अमृतपाल सिंह के विचारों और सरगर्मियों से कतई सहमत नहीं हैं, लेकिन हमारी राय है कि पहले तो सताधारियों ने उन्हें उभरने और मनमाने ढंग से कार्यवाही चलाने की पूरी छूट दे दी और अब मोदी सरकार के मार्गदर्शन और मदद से उनके खिलाफ युद्ध स्तर की कार्रवाई की जा रही है. जबकि सरकार द्वारा यह भी कहा गया कि अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार नहीं किया जा सका और वह पंजाब से भागने में सफल रहा. इस संदिग्ध कहानी को गढ़कर, मोदी सरकार ने पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस के समग्र प्रदर्शन और भरोसे को देश भर की जनता के सामने शून्य साबित कर दिया है. इस तरह 92 सीटें जीतकर भारी जनसमर्थन से सत्ता में आई भगवंत मान सरकार पूरी तरह से निष्प्रभावी और राजनीतिक रूप से पंगु साबित हुई है.

बयान में कहा गया है कि बेशक पंजाब की वाजिब और पूरी तरह दरकिनार कर दी गई जायज मांगों के हल के लिए संघर्ष करने की सख्त जरूरत है, लेकिन ऐसा जन राजनीतिक आंदोलन सभी पंजाबियों को सहमत व एकजुट करके और देश की तमाम लोकतांत्रिक शक्तियों का समर्थन हासिल करके ही विकसित किया जा सकता है. अमृतपाल सिंह ने इसके बिलकुल विपरीत दिशा में प्रचार व सरगर्मियां करते हुए सिखों और पंजाबियों के बीच भ्रम, भय और अनिश्चितता का जो माहौल पैदा किया, उससे यहां सांप्रदायिक गोलबंदी ही तीखी हुई जिसके लिए भाजपा भी पूरी शक्ति से लगी हुई है.

इन सबके बावजूद भाकपा(माले) अमृतपाल सिंह के गिरफ्तार समर्थकों के खिलाफ हर अपील, तर्क और वकील को नकारने वाले एनएसए जैसे काले कानून का इस्तेमाल करने का कड़ा विरोध करती है. पार्टी का विचार है कि गैर-कानूनी कार्य करने वालों पर एनएसए लगाने और उन्हें पकड़ कर दूसरे राज्यों की जेलों में बंद करने के बजाय, सामान्य कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए और केवल संदेह के आधार पर गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को अविलंब रिहा किया जाना चाहिए.