वर्ष - 32
अंक - 2
07-01-2023

भाकपा(माले), एससी-एसटी माइनाॅरिटी मोर्चा, जन संघर्ष मोर्चा, आरवाईए और आइसा नेताओं की एक टीम ने मोतिया खाला में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता के परिवार से मुलाकात की, पीड़िता व उसके परिजनों के साथ सहानुभूति जताई व ऐसी घटना को एस समाज के लिए कलंक बताया.

जांच टीम ने पुलिस द्वारा इस मामले में जांच को दिग्भ्रमित करने के लिए पीड़िता के चाचा को 2 दिनों तक थाना हाजत में बंद कर उनके साथ बुरी तरह से की गई मारपीट की कठोर निंदा भी की है.

परिजनों ने जांच टीम को बताया कि 11 दिसंबर 2022 की शाम जब पीड़िता के मां-बाप मेराल स्थित अपने रिश्तेदारों के यहां एक आयोजन में शामिल होने गये हुए थे. शौच के लिए खेतों में जाते वक्त रास्ते में ही अभियुक्तों ने उसे उठा लिया और जंगल की ओर ले गये.

पीड़िता ने बताया कि उन्हें बगल में स्थित गांव के तालाब के पास लेकर जाया गया, जहां उन्हें जबरन नशे की गोलियां खिला दी गईं जिसके बाद उन्हें कुछ भी याद नहीं रहा. परिजनों ने बताया कि 11 दिसंबर की शाम 5 बजे से पीड़िता  गायब हुई थी और 12 दिसंबर की शाम 6 बजे वह हालत में घर से करीब 400 मीटर दूर जंगल के पास बेहोश अवस्था में पाये जाने के बाद उसे उठा कर घर लाया गया और 14 दिसंबर 2022 को हालत सुधरने के बाद थाने ले जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाई गई.

पीड़िता द्वारा तीन लोगों की पहचान की गई लेकिन अभी तक इस मामले से जुड़े बस एक अभियुक्त को पकड़ा गया है. इतना ही नहीं, इस मामले की जांच को दिग्भ्रमित करने के लिए पीड़िता के चाचा को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और थाना हाजत में बंद रखकर बुरी तरह से पिटाई की गई. पीड़िता के चाचा ने बताया कि पुलिस द्वारा उनको गुनाह कबूल करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था.

इस मामले को लेकर दर्ज की गई प्राथमिकी को देखने से यह भी पता चलता है कि उसमें एससी-एसटी एक्ट नहीं लगाया गया है. स्पष्टतया यह अभियुक्तों को पीड़िता को जो सुविधाएं और राशि मिल सकती थी उससे उन्हें वंचित रखने की मंशा से किया गया है.

टीम में शामिल सभी लोगों ने एक स्वर में कहा कि पुलिस ने इस ममले में न केवल आपराधिक लापरवाही बरती है बल्किइस मामले में बिल्कुल ही निर्दोष पीड़िता के चाचा के साथ ज्यादती की है. पुलिस की मंशा इस मामले की लीपापोती करने की रही है. पुलिस के इस रवैये के प्रति स्थानीय जनता में भारी आक्रोश है और अंततः इस जनाक्रोश के वजह से ही उनके चाचा को दो दिनों बाद पुलिस को छोड़ना पड़ा. जांच ठीम में शामिल लोगों ने कहा कि इस आपराधिक लापरवाही के लिए मुख्य जिम्मेदार स्थानीय थाना प्रभारी को अभिलंब निलंबित करना चाहिए एवं पीड़िता के बयान के आधार पर दर्ज प्राथमिकी में एससी-एसटी एक्ट को भी तुरंत जोड़ा जाना चाहिए.

जांच टीम में भाकपा(माले) राज्य कमेटी सदस्य दिव्या भगत, आरवाईए के जिला अध्यक्ष इजहार अली हैदर, आइसा की राज्य कार्यकारिणी सदस्य ममता कुमारी, जन संघर्ष मोर्चा के युगल पाल व बृजनंदन महतो और एससी एसटी ओबीसी माइनाॅरिटी मोर्चा के रवि पाल शामिल थे.