हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और गुजरात की जनता के लिए एक बार फिर चुनावी मौसम आया है. हिमाचल प्रदेश के लोगों ने तो अगली विधानसभा और नई सरकार के लिए मतदान कर भी दिया है; जबकि दिल्ली के लोग 4 दिसंबर को पुनर्गठित नगर निगम के चुनाव के लिए वोट डालेंगे तथा गुजतात की जनता दो चरणों में, 1 और 5 दिसंबर को मतदान में भाग लेंगे. पूरी तरह साख खो चुके और नकारा शासन को बचाने की हताश कोशिश में भाजपा एक बार फिर अति-नाटकीय मोदी अभियान पर भरोसा कर रही है, जबकि खुद मोदी लोगों का ध्यान बंटाने वाली अपनी मुहिम को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने के लिए अपने निष्ठावान गोदी मीडिया पर निर्भर हैं. और यह अभियान मतदाताओं के लिए लगातार अपमानजनक तथा भारत की चुनावी प्रणाली के लिए खतरनाक बनता जा रहा है.
गुजरात में मोरबी पुल के ध्वंस से उस राज्य में भाजपा के लंबे शासन की भ्रष्ट और लापरवाह प्रकृति पूरी तरह बेनकाब हो गई है जिसके बारे में आरएसएस की चुनावी मशीनरी ने ‘विकास और सुशासन के गुजरात माॅडल’ के बतौर इतना हो-हल्ला मचा रखा है. गोदी मीडिया ने निष्ठापूर्ण ढंग से इस बड़े घोटाले को दबा दिया, और इसके बजाय वह मोरबी अस्पताल में मोदी के दौरे को प्रमुखता से दिखाता रहा, जो खुद की छवि निखारने की ही शर्मनाक कवायद है. इसके पहले हमारे सामने एक अन्य प्रचार घोटाला आया जिसमें एक छद्म विद्यालय में मोदी के झूठमूठ के दौरे को दिखाया गया था. और अब गुजरात व हिमाचल प्रदेश, दोनों जगहों पर रोज-ब-रोज के प्रचार में विडियों वायरल करके यह दिखाया जा रहा है कि किस तरह एंबुलेंस को आगे बढ़ने का रास्ता देने के लिए मोदी का काफिला रुक जाता है.
बहरहाल, एक तानाशाह को लोगों की परवाह करने वाले दयालु नेता के बतौर पेश करने वाला यह तूफानी प्रचार मोदी की प्रचार-भूख मिटाने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसीलिए वे खुद को पीड़ित होता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं और खुद की अच्छी छवि गढ़ने और बढ़ाने के लिए नित नए मौकों की तलाश कर रहे हैं. विनाशकारी नोटबंदी की छठी वार्षिकी के आसपास आम भारतीय उस दौरान हुई भयानक पीड़ा और नुकसान, तथा भारत द्वारा चुकाई गई भारी आर्थिक कीमत और यकीनन भारत के सबसे बड़ी आर्थिक धोखाधड़ी तथा आज तक के सबसे बड़े राजनीतिक स्टंट को याद कर रहे थे. लेकिन मोदी तब हमसे कह रहे थे उनकी सरकार ने किस तरह प्रचार से ज्यादा काम को महत्व दिया था!
एक आत्ममुग्ध ‘कैमराजीवी’, जो अपनी मां से मिलने अथवा मंदिरों में जाते समय भी कैमरा लिए लोगों से घिरा होता है और जो उनके तथा कैमरा के बीच आने वाले किसी भी व्यक्ति को धकिया देता है, के मुंह से निकलने वाली ऐसी बातों से बढ़कर और कोई झूठ नहीं हो सकता है. एक दूसरे मौके पर मोदी ने हमसे कहा कि उनको रोज मिलने वाली गालियों की भारी खुराक को वे बर्दाश्त कर उसे पोषक भोजन में बदल देते हैं. यह सब ऐसा नेता बोल रहा है जो अपनी हल्की से हल्की आलोचना को भी नहीं सहने के लिए बदनाम है, असहमति जताने वाले लोगों को जेलों में ठूंस देता है, जो एक टेलिविजन इंटरव्यू के बीच से ही इसलिए उठकर चला गया क्योंकि गुजरात में उनके मुख्यमंत्री रहते उनकी नाक तले हुए जनसंहार के बारे में सिर्फ एक असुविधाजनक सवाल पूछ लिया गया था, और जो भारत के इतिहास में एकमात्र प्रधान मंत्री जाना जाएगा जिसने कभी कोई आमने-सामने के संवाददाता सम्मेलन में भाग नहीं लिया और सिर्फ गोदी मीडिया के प्रमाणित पत्रकारों को ही लिखित इंटरव्यू की इजाजत दी. समय-समय पर अपने जीवन पर खतरा पैदा करने की साजिशों का अनुसंधान करने से लेकर तथाकथित ‘सत्ता प्रतिष्ठान के कुलीनों’ द्वारा ‘अपमान’ का आरोप लगाने और अब रोजाना गालियों के इस शिगूफे तक, मोदी लगातार खुद को पीड़ित बताने का पत्ता बड़ी सपफाई से खेलते आ रहे हैं.
हिमाचल में भाजपा के अंदर व्यापक विक्षोभ उबल रहा है और उसके तीस से ज्यादा विद्रोही उम्मीदवार संघ-भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा उन्हें रोकने के लिए हर संभव प्रयासों के बावजूद चुनावी जंग में डटे हुए हैं. नरेंद्र मोदी द्वारा एक विद्रोही उम्मीदवार को व्यक्तिगत रूप से फोन काॅल करने का विडियो भी वायरल हुआ है. इस विद्रोह को रोकने में नाकामयाब होकर मोदी ने अपने श्रोताओं को खुलेआम कहा कि वे विधायकों की परवाह न करें और कमल पर बटन दबाकर मोदी के लिए वोट करें. सत्ता के चरम केंद्रीेकरण और बेरोकटोक व्यक्ति पूजा की इससे साफ अभिव्यक्ति और कुछ नहीं हो सकती है.
बेशक, गोदी मीडिया ने लोगों का ध्यान उनकी जिंदगी के ज्वलंत मुद्दों से भटकाने के लिए राष्ट्रवादी उन्माद भड़काने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण तेज करने में कोई कोर-कसर नहीं उठा रखा है. टी-20 विश्व कप के मौके पर तो इस गोदी मीडिया ने नीचता दिखाने की हद ही कर दी. इसके पहले लीग मैच में पाकस्तिान पर भारत की अंतिम गेंद की रोमांचक जीत से शुरू करके मीडिया ने भारत-पाकिस्तान के बीच फाइनल मुकाबला होने और उसमें पाकिस्तानी टीम – जिसे उसने ‘बाबर सेना’ की संज्ञा दी – के खिलाफ भारत की गौरवपूर्ण विजय की सनकभरी भविष्यवाणियां करना प्रारंभ कर दिया, ताकि कट्टर अंधराष्ट्रवादी और सांप्रदायिक माहौल बनाया जा सके. भारत-इंग्लैंड सेमी-फाइनल के पहले एक चैनल ने ज्योतिषियों को ही पैनल में बुला लिया जिन्होंने तीखे संघर्ष के बाद भारत की जीत की भविष्यवाणी की. बहरहाल, वह मैच एकतरफा साबित हुआ जिसमें इंग्लैंड ने भारत को दस विकेटों से पराजित कर दिया.
पुरातनपंथ, घृणा और झूठ के इस प्रदर्शन के बीच हम यही आशा करेंगे कि हिमाचल, गुजरात और दिल्ली की दर्द झेलती जनता इस खेल को अच्छी तरह समझेगी और भाजपा कुशासन को खत्म करने के लिए अपने वोट का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करेगी.