वर्ष - 31
अंक - 51
17-12-2022

50 साल पहले की स्मृतियां एकबारगी ताजी हो गईं. मौका था – भोजपुर में भाकपा(माले) के संस्थापक व भोजपुर में किसान आंदोलन के शिल्पी का. जगदीश मास्टर व का. रामायण राम का 50 वां शहादत दिवस. 10 दिसंबर 1972 को इन दोनों साथियों की शहादत बिहिया में हुई थी. भोजपुर आंदोलन के ये पहले शहीद थे. मास्टर साहब के गांव तथा भोजपुर में क्रांतिकारी आंदोलन का ट्रांसफाॅर्मर माने जाने वाले एकवारी से 10 दिसंबर के कार्यक्रम की शुरूआत हुई. माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य अमर, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह, भाकपा(माले) जिला सचिव जवाहर सिंह सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता अहले सुबह एकवारी पहुंचे. कई विधायक साथी भी मौजूद थे. तरारी विधायक सुदामा प्रसाद, अगिआंव विधायक मनोज मंजिल, काराकाट विधायक अरूण सिंह, अरवल विधायक महानंद सिंह, सिकटा विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, जिरोदई विधायक अमरजीत कुशवाहा और घोषी विधायक रामबलि सिंह यादव सभी कार्यक्रमों में शामिल रहे.

एकवारी में सबसे पहले पार्टी नेताओं व सैकड़ो की संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं ने मास्टर साहब के स्मारक पर फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. उसके बाद वहां एक संकल्प सभा का आयोजन किया गया. संकल्प सभा को माले महासचिव ने संबोधित किया. मंच पर मास्टर साहब की बेटियां व अन्य परिजन भी उपस्थित थे. उसके बाद पार्टी नेताओं ने मास्टर साहब के घर व उन जगहों का दौरा किया जहां मास्टर साहब, काॅ. रामनरेश राम व काॅ. रामेश्वर अहीर की तिकड़ी बैठकें किया करती थी और गरीबों के मान-सम्मान व हक-अधिकार की लड़ाई की रणनीतियां बनाई जाती थी. मास्टर साहब के पुत्र अशोक जी और उनकी बेटियों उषा व आशा जी से पार्टी नेताओं ने मुलाकात की. सुबह का समय था, फिर भी बड़ी संख्या में लोग अपने प्रिय काॅमरेड को श्रद्धांजलि देने एकत्रित हुए.

उसके बाद काफिले की शक्ल में जुलूस काॅ. रामायण राम के गांव आयर चली. मोटरसाइकिल सवार जत्थे व प्रचार गाड़ी आगे-आगे चल रहे थे. सामाजिक बदलाव के योद्धा जगदीश मास्टर व रामायण राम अमर रहें, लोकतंत्र-संविधान पर हमला नहीं सहेंगे, फासीवाद हो बर्बाद आदि नारे लगाते हुए यह काफिला अगिआंव, गड़हनी आदि इलाकों से गुजरते हुए आयर पहुंचा. आयर पार्टी कामकाज का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. काॅ. रामायण राम के स्मारक पर श्रद्धांजलि के बाद कारवां बिहिया की ओर बढ़ चला. बिहिया बाजार में ही काॅ. जगदीश मास्टर व रामायण राम की जमींदारों ने हत्या करवा दी थी. काॅ. रामायण राम अपने प्रिय नेता जगदीश मास्टर को बचाने के क्रम में शहीद हो गए थे.

मुख्य कार्यक्रम आरा के क्रांति पार्क में हुआ. पार्टी के युवा नेता राजू यादव के नेतृत्व में आइसा-आरवाइए व पार्टी के कार्यकर्ताओं ने काफिले का स्वागत किया और फिर जुलूस की ही शक्ल में आरा शहर घुमते हुए क्रांति पार्क पहुंचे. यहां के कार्यक्रम में पार्टी के वरिष्ठ नेता काॅ. स्वदेश भट्टाचार्य भी शामिल हुए. सभी पांच नेताओं की मूर्तियों पर माल्यार्पण के बाद संकल्प सभा का आयोजन किया गया. संकल्प सभा को माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य के अलावा राजाराम सिंह ने भी संबोधित किया, जबकि संचालन दिलराज प्रीतम ने किया. मौेके पर चर्चित जनकवि निर्मोही जी, युवानीति के राजू रंजन, ऐपवा नेत्री कलावती देवी, चंद्रमा प्रसाद, गुलाबो देवी आदि ने एक क्रांतिकारी गीत भी प्रस्तुत किया.

नालंदा जिले के हिलसा स्थित भाकपा(माले) कार्यालय हिलसा में कामरेड मास्टर जगदीश व रामायण राम का शहादत की 50वीं बरसी मनाई गई. शहीदों के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि करते हुए एक मिनट का मौन रखा गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता भाकपा(माले) के प्रखंड सचिव का. अरुण कुमार यादव ने की.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के जिला सचिव का. सुरेंद्र राम ने कहा कि जिस समय देशभर में गरीबों पर सामंती शक्तियां जुल्म और अत्याचार कर रही थी, उस समय उस सामंती व्यवस्था से मुक्ति दिलाने के लिए कामरेड जगदीश मास्टर एवं रामायण राम ने जो शहादत दी उसको भुलाया नहीं जा सकता. इन शहीदों ने गरीबों पर हो रहे जुल्म और अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए न केवल अपने जीवन की सारी सुविधाओं व भौतिक सुखों का त्याग किया बल्कि अपने प्राण भी न्यौछावर कर दियेे. बलिदान दिया है. आज गरीबों को थेड़ी-बहुत बराबरी मिली है, उनकी शहादतो की ही देन है.

उन्होंने कहा कि मोदी की गरीब विरोधी नीतियों की वजह से महंगाई, अशिक्षा और बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है. गरीबों को नारकीय जिंदगी की ओर धकेल दिया है. कामरेड जगदीश मास्टर और रामायण राम जैसे हजारों शहीदों के सपनों को पूरा करने के लिए ही भाकपा(माले) ने ‘फासीवाद मिटाओ, लोकतंत्र बचाओ – शहीदों के सपनों का भारत बनाओ’ के आह्वान के साथ आगामी 15 फरवरी 2023 को राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में ‘लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ’ रैली का आयोजन किया है. तमाम पार्टी कार्यकर्ताओं को गांव-गांव में मजदूर-किसानों, छात्र-नौजवानों व महिलाओं के बीच जोरदार प्रचार व जनयहयोग का अभियान चलाते हुए इस रैली को सफल बनाना होगा तथा 15 से 20 फरवरी, 2023 को हो रहे पार्टी के 11वें महाधिवेशन को मील का नया पत्थर बना देना होगा. इस मौके पर किसान महासभा के प्रखंड सचिव दिनेश कुमार यादव, भाकपा(माले) जिला कमेटी के सदस्य ब्रह्मदेव प्रसाद बिंद, प्रखंड कमेटी सदस्य शिव शंकर प्रसाद, चुन्नू चंद्रवंशी, क्रांति प्रकाश, अशोक पासवान, रतन बिंद, अधिवक्ता कृष्णा प्रसाद, शैलेश प्रसाद आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए.

पटना जिले के तमाम प्रखंडों में इस अवसर पर श्रद्धांजलि सभायें आयोजित हुईं. इन सभाओं में ‘लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली’ और 11वें पार्टी महाधिवेशन की संपूर्ण तैयारियों पर भी चर्चा की गई.

मसौढ़ी अनुमंडल के मसौढ़ी, धनरूआ, पुनपुन और जिले के अन्य प्रखंडों – फुलवारी शरीफ, नौबतपुर, विक्रम, पालीगंज, दुल्हिन बाजार, बिहटा, मनेर, संपतचक, फतुहा, दनियावां और बाढ़ प्रखंडों के पार्टी कार्यालयों और दर्जनों गांवों में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई.

मसौढी में भाकपा(माले) के प्रखंड सचिव राकेश कुमार, जिला कमेटी सदस्य विनेश चौधरी, नागेश्वर पासवान व संजय पासवान; धनरूआ में प्रखंड सचिव अकलू पासवान, जिला कमेटी सदस्य निरंजन वर्मा, ऐपवा जिला अध्यक्ष दमयंती सिन्हा, कमला देवी, व बिरेंद्र प्रसाद, पुनपुन में प्रखंड सचिव मोहन, राज्य कमेटी सदस्य जयप्रकाश पासवान, जिला कमेटी सदस्य मिथिलेश कुमार; फुलवारी शरीफ में प्रखंड सचिव गुरुदेव दास, इनौस जिला अध्यक्ष साधु शरण प्रसाद, भाकपा(माले) जिला कमेटी सदस्य देवीलाल पासवान; नौबतपुर में राज्य कमेटी सदस्य सत्यनारायण प्रसाद, देवेंद्र वर्मा व महेश यादव; पालीगंज में प्रखंड सचिव सुधीर कुमार, ऐपवा नेत्री संगीता सिन्हा व भाकपा(माले) राज्य कमेटी सदस्य अनवर हुसैन, सुरेंद्र पासवान व उमेश मांझी; दुल्हिन बाजार में प्रखंड सचिव अमरसेन दास, विद्यानंद बिहारी, महिला नेत्री आशा देवी व खेग्रामस नेता अरविंद पासवान; विक्रम में प्रखंड सचिव मंटू यादव व शंकर पासवान, बिहटा में प्रखंड सचिव सुरेंद्र दास, मनेर में सुधीर कुमार भारती, संपतचक में प्रखंड सचिव सत्यानंद पासवान, फतुहा में प्रखंड सचिव सचिव शैलेंद्र यादव व जिला कमेटी सदस्य मुन्ना पंडित आदि ने श्रद्धांजलि सभाओं को संबोधित किया. बाढ़ अनुमंडल के विभिन्न स्थानों पर भी पार्टी कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया.

इन सभाओं को संबोधित करते हुए वक्तााओं ने कहा कि यह आरएसएस-भाजपा द्वारा लाद दिये गये फासीवाद के खात्मे, चुनावों में भाजपा को शिकस्त देने, लोकतंत्र व देश के तमाम संवैधानिक संस्थाओं को बचाने और शहीदों के सपनों को साकार करने का वक्त है. भाकपा(माले) इस दिशा में अपनी मुहिम जारी रखेगी और हर हाल में शहीदों के सपनों को साकार करेगी.

मुंगेर जिले के धरहरा प्रखंड के बंगलवा मुशहरी में भी भाकपा(माले) के संस्थापक नेता कामरेड जगदीश मास्टर व रामायण राम का 50वां शहादत दिवस मनाया गया.

गया में भाकपा(माले) जिला कार्यालय में कामरेड जगदीश प्रसाद व रामायण राम को शौक श्रद्धांजलि देते हुए ‘लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली व पार्टी के 11वें महाधिवेशन को सफल बनाने का संकल्प लिया गया. कार्यक्रम का संचालन जिला सचिव निरंजन कुमार, ऐपवा नेत्री रीता बर्णवाल, रामचंद्र प्रसाद, बरती चौधरी, शंभू राम, लखन राम आदि नेताओं ने किया.

सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज में कामरेड मास्टर जगदीश व रामायण राम के 50वां सहादत दिवस मनाया गया और साथ ही स्थानीय कामरेड विश्वनाथ साह को भी श्रद्धांजलि दी गई. त्रिवेणीगंज प्रखंड के विज्ञान महाविद्यालय के प्रांगण में कामरेड अच्छेलाल  मेहता की अध्यक्षता में आयोजित सभा को संबोधित करते हुये भाकपा(माले) जिला सचिव का. जयनारायण यादव ने पार्टी में नये सदस्यों की भर्ती, और लेवी तथा कोष संग्रह अभियान को तजे करने का आह्वान किया. मौके पर अरविंद यादव, मो. मस्लिम, श्रवण यादव, कामेश्वर यादव, कैलाश यादव, पृथ्वी राम, मनोज राम, सुकनी देवी, ललिता देवी आदि समेत पार्टी प्रखंड कमेटी के सभी सदश्य मौजूद थे.

सिवान में भाकपा(माले) जिला कार्यालय में कामरेड जगदीश मास्टर और रामायण राम का 50वां शहादत दिवस मनाया गया. कार्यक्रम में भाकपा(माले) के जिला सचिव हंसनाथ राम, जिला कमेटी सदस्य विकास, वरिष्ठ पार्टी नेता राम इकबाल सहित शहर के दर्जनों पार्टी नेता मौजूद रहे. कार्यक्रम में नयी स्दस्यत्ता भर्ती तथा लेवी व कोष संग्रह तेज करते हुए ‘लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली’ और 11वें पार्टी महाधिवेशन को सफल बनाने पर बात हुई.

दरभंगा में सदर कार्यालय सहित दर्जनों जगहों पर कामरेड तास्टर जगदीश और रामायण राम को श्रद्धांजलि दी गई और 15 फरवरी 2023 को पटना में आयोजित हो रही ‘लोकतंत्र वचाओ-देश बचाओ रैली’ को सफल बनाने के जोरदार अभियान चलाने पर विचार हुआ.

बक्सर जिले के डुमरांव स्थित पार्टी जिला कार्यालय में भी कामरेड मास्टर जगदीश और रामायण राम का 50वां शहादत दिवस मनाया गया. 

(प्रस्तुति: कुमार परवेज)

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भाजपा रूपी विपदा से मुक्ति के लिए पूरे देश की निगाह भोजपुर पर

[ संकल्प सभाओं को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने सत्तर के दशक में अपने हक-अधिकारों के लिए समाज के सबसे कमजोर तबके के नेतृत्व में भोजपुर के खेत-खलिहानों में धधक उठे क्रांतिकारी संघर्षों और शहादतों की दीर्घकालिक विरासत को याद करते हुए आज की मौजूदा चुनौतियों को केंद्रित किया. ]

10 दिंसबर का दिन मास्टर जगदीश व रामायण राम की शहादत का दिन है, साथ ही आज अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस भी है. द्वितीय विश्वयुद्ध में हिटलरशाही को शिकस्त देने के बाद दुनिया के स्तर पर राष्ट्र संघ द्वारा मानवाधिकार का चार्टर तैयार किया गया था. पूरी दुनिया ने यह महसूस किया था कि प्रत्येक मनुष्य को जीने, खाने, रोजगार पाने, बोलने, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं को हासिल करने आदि के न्यूनतम अधिकार मिलने चाहिए. गुलामी का दौर खत्म होना चाहिए. अंतराष्ट्रीय स्तर पर तो यह फैसला हो गया लेकिन हमारे देश के गरीबों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और मेहनतकशों तक वे अधिकार नहीं पहुंचे. मेहनतकशों के उन्हीं मानवाधिकारों को स्थापित करने की लड़ाई मास्टर जगदीश ने आज से 50 साल पहले भोजपुर में शुरू की थी. जिस प्रकार 1947 में हमने अंग्रेजों से लड़कर आजादी हासिल की, उसी प्रकार सत्तर के दशक में सामाजिक व आर्थिक आजादी व बराबरी हासिल करने के लिए भोजपुर का आंदोलन शुरू हुआ. नक्सलबाड़ी की चिंगारी एकवारी में धधक उठी. हमने कई शहादतें दीं और उसी के बल पर गांव के गरीबों, वंचितों, भूमिहीन किसानों और महिलाओं ने सामंती-पुलिस जुल्म व हर प्रकार के अत्याचार का बहादुरी से सामना करते हुए अपनी ताकत और अपने अधिकार हासिल किए. काॅमरेड जगदीश मास्टर और रामायण राम ने जिन उद्देश्यों के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी, हमने उस विरासत को आगे बढ़ाते हुए भोजपुर में बड़ी लड़ाईयां लड़ीं. आज कोई नहीं कह सकता कि भोजपुर में सामंतों का राज चल रहा है. भोजपुर बदल गया है. यह वह जिला है जहां के गरीब, मेहनतकश व नौजवान सबसे ज्यादा संगठित हैं और लगातार आगे बढ़ने की ताकत रखते हैं.

उस दौर से प्रेरणा लेकर हमें आज की लड़ाई लड़नी है. 2014 से देश में एक ऐसा राज चल रहा है, जो देश के संविधान, लोकतंत्र और अब तक हासिल हमारे सारे अधिकारों को कुचल देने पर आमदा है. देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि आने वाले दिनों में देश में एक ही पार्टी रह जाएगी. अमित शाह कहते हैं कि हम 5 साल नहीं 50 साल राज करेंगे. दूसरी ओर अंबानी-अडानी को हमारे खून पसीने से कमाई सभी संपत्तियों पर कब्जा करने की खुली छूट दे दी गई है. यह सत्ता व धनकुबेरों के गठजोड़ का अहंकार ही है कि वे देश पर 50 साल तक राज करने का सपना देखते हैं.

अभी गुजरात चुनाव संपन्न हुआ. अमित शाह ने गुजरात चुनाव के दौरान कहा कि वहां ‘स्थायी शांति’ कायम हो चुकी है. जिस जनसंहार के लिए पूरी दुनिया में भारत शर्मिन्दा हुआ, उसकी चर्चा अमित शाह गर्व से करते हैं. भोजपुर ने भी बथानी टोला जैसे बर्बर जनसंहारों को देखा है. यहां के लोग गुजरात 2002 के दर्द को अच्छे से समझते हैं. जो गुजरात ने झेला, भोजपुर ने भी उसे झेला. 2002 में गुजरात में सत्ता के संरक्षण में कई दिनों तक मुसलमानों का कत्लेआम हुआ और अमित शाह आज उसे ही ‘स्थायी शांति’ बता रहे हैं. यह मुहब्बत या भाईचारे की शांति नहीं, एक मरघटी सन्नाटा है. वे चाहते हैं कि किसी को बोलने की आजादी न हो. जो बोलेंगे जेल में डाल दिए जाएंगे. समझा जा सकता है कि आज हमारे सामने कितनी बड़ी चुनौती है और कितनी बड़ी लड़ाई है.

भाजपा के पास 2002 के जनसंहार व मोरबी पुल हादसा वाला गुजरात माॅडल है तो दूसरी ओर हमारे पास राजनीतिक-सामाजिक बदलाव के आंदोलन वाला बिहार माॅडल. 2020 के चुनाव में बिहार की जनता ने भाजपा को लगभग सत्ता से बाहर कर दिया था. किसी प्रकार से सत्ता बची लेकिन राज्य के बदले राजनीतिक माहौल में वह बिहार की सत्ता से बेदखल हो चुकी है. यदि बिहार में यह संभव हो सका है तो इसका श्रेय जगदीश मास्टर व रामायण राम की शहादत की उसी परंपरा को जाता है जिससे आज भी बिहार को ताकत मिलती है.

बिहार में अब महागठबंधन की सरकार है, लेकिन हम पूरी तरह जनता के साथ खड़े हैं. हम रोजगार मांग रहे नौजवानों, न्यूनतम मानदेय की मांग कर रही रसोइयों, सरकारी कर्मचारी का दर्जा मांग रही आशाकर्मियों, बुलडोजर की मार झेल रहे गरीबों, न्यूनतम मजदूरी मांगते मनरेगा मजदूरों, एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली की मांग कर रहे किसानों के साथ खड़े हैं. सरकार अपना काम ठीक से करे, हमें अपना काम करते रहना है. केवल सरकार के भरोसे नहीं रहना है. बिहार किसी सरकार के बल पर नहीं बल्कि आंदोलन के बल पर आगे बढ़ा है और इसी रास्ते आगे बढ़ेगा.

इसलिए हमारे ऊपर आज बड़ी जवाबदेही है. पूरा देश बिहार और भोजपुर की ओर देख रहा है. हमें इस लड़ाई को आज की तारीख में और व्यापक रूप से लड़नी है. देश में बदलाव की चाहत रखने वालों की नजर भोजपुर पर है. हम अपने आंदोलनों के बल पर फासीवादियों को मुंहतोड़ जवाब देंगे. जगदीश मास्टर और रामायण राम सहित तमाम शहीदों की विरासत को बुलंद करते हुए अपने आंदोलनों को और व्यापक बनाना है. पार्टी के 11 वें महाधिवेशन के मौके पर 15 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में हमने लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली का आयोजन किया है. हमारी यह रैली लोकतंत्र, संविधान और आजादी बचाने के लिए जिस बड़ी लड़ाई की जरूरत है, उसकी शुरूआत होगी. आइए, इस रैली को ऐतिहासिक बना दीजिए, पुरारे सारे रिकाॅर्ड तोड़ दीजिए और 2024 में दिल्ली की गद्दी से भाजपा की विदाई तय कर दीजिए.