वर्ष - 33
अंक - 9
01-03-2024

भाकपा(माले) का 13वां गिरिडीह जिला सम्मेलन 

भाकपा(माले) का 13वां गिरिडीह जिला सम्मेलन 17-18 फरवरी 2024 को मिर्जागंज, जमुआ में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन की शुरूआत भाकपा(माले) के राष्ट्रीय महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, केन्द्रीय कमिटी सदस्य का. जनार्दन प्रसाद, पोलित ब्यूरो सदस्य और बगोदर विधायक का. विनोद कुमार सिंह, पार्टी के झारखंड राज्य सचिव का. मनोज भक्त, राज्य कमिटी सदस्य पूर्व विधायक का. राजकुमार यादव के अगुवाई में निकले जन संकल्प मार्च के साथ हुई जिसमें जिले भर से आए प्रतिनिधियों/पर्यवेक्षकों के अलावे बड़ी संख्या मे आम जन शामिल हुए। ‘भाजपा हटाओ देश बचाओ, लोकतंत्र पर हमला करना बंद करो’, ‘मोदी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी’, ‘भाजपा-आरएसएस को भगाओ, संविधान बचाओ’, ‘किसानों पर हमला करना बंद करो’, ‘लाठी-गोली की सरकार मुर्दाबाद’ जैसे जोरदार नारों के बीच पांच किलोमीटर का फासला मुख्य सड़क से होते पैदल चलकर जन संकल्प मार्च सम्मेलन स्थल मिर्जागंज सूर्य जल मंदिर स्थित धर्मशाला पहुंचा।

कामरेड कार्तिक दास की स्मृति मे नामित प्रांगण में वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता कामरेड त्रिभुवन राम ने पार्टी का झण्डा फहराया. तत्पश्चात महासचिव, आमंत्रित अतिथियों और उपस्थित सभी प्रतिनिधियों-पर्यवेक्षकों सहित आमजनों ने शहीद वेदी पर पुष्प चढ़ाकर शहीदों के सम्मान में एक मिनट मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। उसके बाद का. इब्नुल हसन बसरू सभागार में खुले सत्र को सम्बोधित करते हुए का. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि महेन्द्र सिंह और का. बसरू की धरती पर यह सम्मेलन ऐसे वक्त पर हो रहा है जब सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉण्ड को असंवैधानिक कहते हुए इस पर रोक लगाते हुए रिजर्व बैंक को कहा है कि वह देश की जनता को बताये कि किस राजनीतिक दल ने इलेक्टोरल बॉण्ड के जरिये चंदे के नाम पर पैसा लिया और उसे किन लोगों और किस कम्पनी ने दिया है. देश के नागरिकों को यह जानने का हक है. मोदी-शाह ने पारदर्शिता को खत्म करने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दखलंदाजी पर रोक लगायी और इसके लिए संसद में बहुमत का सहारा लिया. वैसी ही कोशिश इस मामले में न हो इसलिए देश के हर नागरिक सजग रहे. तमाम पार्टी सदस्यों को इस मुद्दे को जन-जन तक ले जाना होगा कि भाजपा ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये अपनी सरकार बनाने के लिए असंवैधानिक काम किया है. सुप्रीम कोर्ट ने जब कह दिया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड असंवैधानिक है तो इसके सहारे सत्ता पर कायम हुई मोदी सरकार कैसे संवैधानिक हो सकती है।अभी हाल ही में राममंदिर उद्घाटन के नाम पर धार्मिक उन्माद का माहौल तैयार कर 22 जनवरी को अयोध्या मे प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ। 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार से पिछले 10 वर्ष के शासनकाल की विफलताओं - बेरोजगारी, महंगाई तथा लोकतंत्र व संविधान पर बढ़ते खतरे और भाजपा की लुट-झूठ - पर जनता सवाल न खड़ा करे इसके लिए इस आयोजन की आड़ ली जा रही है. राम के सहारे सत्ता मे वापसी के लिए ही ये सब किया गया लेकिन जब इस सहारे पर भी जब भरोसे की बुनियाद हिलने लगी तो ईडी, सीबीआई और आईटी विभाग जैसी केन्द्रीय एजेंसियों को हथियार बनाते हुए इंडिया गठबंधन के नेताओं पर हमले शुरू किये गये और भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न को भी राजनीतिक सौदेबाजी का एक जरिया बना दिया गया। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने का उपयोग नीतीश कुमार की कलाबाजियो को आसान करने और सामाजिक न्याय से गद्दारी को छुपाने के लिए ही किया गया। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के कद्दावर नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर उनके पोते रालोद के अध्यक्ष जंयत चौधरी के साथ समझौते पर मुहर लगाने के लिए किया गया। एमएस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न से इसलिए नवाजा गया ताकि खेती में कुल लागत का पचास प्रतिशत मार्जिन जोड़कर किसानों को लाभकारी समर्थन मूल्य देने की उनकी सिफारिशी रिपोर्ट दबी रहे और इसे लागू कराने की मांगो को लेकर दिल्ली आ रहे किसानों को भरमाया जा सके.

उन्होंने कहा कि दो साल पहले मोदी सरकार ने एमएसपी पर कृषि उत्पादों की खरीद के लिए कानून बनाने का वायदा किया था. दो साल गुजर गए और सरकार अपने वायदे से पीछे हट गयी तो किसान फिर से आक्रोशित हो उठे. किसानो के कारवां को रोकने के लिए उनकी राहों पर फिर से कीलें गाड़ी जाने लगीं हैं और ड्रोन से आश्रुगैस के गोले दागे जा रहे हैं. जिस पैलेट गन का इस्तेमाल कश्मीर में होते देखा गया अब उसका इस्तेमाल किसानों पर किया जा रहा है. लेकिन दमन के सारे हथियारों का इस्तेमाल करने के बावजूद नये-नये बार्डर बनते जा रहे हैं. पिछली बार के सिंधू बोर्डर की तरह इस बार शंभू बोर्डर युद्धक्षेत्र में तब्दील होते जा रहा है. जहां पर मोदी सरकार ने अपने ही देशवासियों के खिलाफ जंग छेड़ रखा है। उन्होने कहा कि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राजद और भाकपा(माले) गठबंधन से बनी आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बहुमत वाली सरकार को कई बार गिराने की असफल कोशिशों के बाद बिहार में नीतीश को अपने पाले में लाने की कामयाबी हासिल करने के तुरंत बाद ईडी ने हेमंत सोरेन को एक तथाकथित जमीन घोटाले के मामले में लम्बी पूछताछ के बीच गिरफ्तार कर लिया. कोई प्रत्यक्ष सबूत न होने के बावजूद हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री रहते गिरफ्तार करने की धटना में राजभवन की गतिविधियां भी केन्द्रीय एजेंसियों की जैसी ही रही. हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद बहुमत होने के बावजूद गठबंधन के चुने गए नेता चम्पई सोरेन को सरकार बनाने के लिए 18 से 20 घंटे तक राज्यपाल के आमंत्रण का इंतजार करना पड़ा. उस समय भाजपा-आरएसएस लाख कोशिशों के बाद भी विधायकों को तोड़ नहीं पायी. लेकिन आज भी वह ऐसा करने की कोशिशें कायम रखे हुए है. हमारी पार्टी के एकलौते विधायक ने भाजपा-आरएसएस की कोशिशों को न सिर्फ भंडाफोड किया, बल्कि उनकी भूमिका से झामुमो को भी नैतिक बल मिला. हमारी पार्टी ने आदिवासियों, मूलवासियों और लोकतंत्र पसंद आम जनों का भरोसा भी जीता है और हमें उम्मीद है कि कोडरमा संसदीय सीट पर लाल परचम फहरेगा और महेन्द्र सिंह, इब्नुल हसन बसरू और गुरूदास चटर्जी के सपने साकार होंगे. झारखंड की राजनीति को दिशा देते हुए जन पहलकदमी के सहारे देश भर में तानाशाही फासिस्ट ताकतों को मटियामेट करने में हम जरूर कामयाब होंगे.

खुले सत्र मे पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य और बगोदर विधायक कामरेड विनोद सिंह ने कहा कि कोडरमा संसदीय सीट पर लम्बे समय तक भाजपा का कब्जा रहने के बावजूद लोगों की आकांक्षाऐ पूरी नहीं हुई है. 10 वर्ष में एक भी ट्रेन इस क्षेत्र के प्रवासी मजदूरों के लिए नहीं दी गई। लाख मन्नतों के बाद भी प्रवासी मजदूरों के घटना-दुर्घटना में मारे जाने या आकस्मिक मृत्यु पर केन्द्र सरकार ने कोई नीती-कानून नहीं बनाये. भाजपा सासंदों ने इस सवाल पर मुंह तक नहीं खोला। झारखंड राज्य में भी अधिक समय तक भाजपा गठबंधन की सरकारें रही हैं। बाबुलाल मंराडी से लेकर रघुवर दास के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में जेपीएससी घोटाला, विधान सभा मे नियुक्ति घोटाला, मनरेगा घोटाला, खनन घोटाला आदि दर्जनों भ्रष्टाचार उजागर हुए लेकिन एक भी भ्रष्टाचारियों के संरक्षक नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मतलब साफ है कि भाजपा के साथ जो गए भ्रष्टाचार मुक्त, जो नही गए वे भ्रष्टाचार से युक्त हुए। असल में भ्रष्टाचार के नाम पर सता हथियाने का खेल केन्द्रीय एजेंसियों के सहारे खेला गया उसमें राज्यपाल की भूमिका भी उजागर करने में पार्टी की जन पहलकदमी और विधान सभा मोर्चे पर उसकी भूमिका ने भाजपा को मुंहतोड़ जबाब दिया है. जरूरत है कि हम कोडरमा संसदीय क्षेत्र के हर कोने में जनता के बुनियादी मुद्दों को लेकर अभी से ही तैयारियां शुरू कर दें।

राज्य कमिटी सदस्य व धनवार के पूर्व विधायक कामरेड राजकुमार यादव ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि डीबरा चुनकर जीवन यापन करने वाले ग्रामीण गरीब-गुरबो का सवाल हो या वनाधिकार कानून का मामला हो या फिर गरीबों को जगह-जमीन से बेदखली का - इन सब सवालों पर जनसंधर्ष जारी रहा और आगे भी जारी रहेगा। कोडरमा संसदीय सीट पर हम सागंठनिक रूप में सबसे आगे है, गठबंधन मे हमारा दावा सबसे मजबूत है और हमारी पार्टी ही फासिस्ट ताकतों को शिकस्त देने और भाजपा-आरएसएस को उखाड़ फेंकने की कुव्वत रखती है, इसलिए पार्टी हर हाल में इस बार कोडरमा में लाल लहर लाएगी और कामरेड महेन्द्र सिंह के सपनो को साकार करेगी।

खुले सत्र की अध्यक्षता का. अशोक पासवान और संचालन का. विजय पांडेय ने किया। खुले सत्र के समापन के बाद प्रतिनिधि सभा को का. रामकिसुन यादव, का. मुस्तकीम अंसारी, का.जंयती चौधरी, का.रेणु रवानगी और का. मेहता अली मिर्जा के अध्यक्ष मंडली में महासचिव के सम्बोधन से शुरू हुई। उन्होंने सागंठनिक मोर्चे पर अतीत की गलतियों से सीख लेते हुए वर्तमान को दुरूस्त करने और भविष्य की बेहतरी के दृष्टिकोण से लोकल कमिटी से लेकर जिला कमिटी तक कामकाज के तरीके, स्वतःस्फूर्त घटनाओं पर स्वतंत्र पहलकदमी आदि पर अपनी बातें रखते हुए कोडरमा की सीट जीतने के लिए हर हाल मे पांच लाख वोट की गारंटी करने और इसके लिए सम्मेलन समापन के तुरत बाद से हर बूथ पर तैयारी तेज करने का आह्वान किया.

का. विनोद कुमार सिंह ने सम्मेलन के मसविदा दस्तावेज का पाठ किया जिस पर हुई बहस में दर्जनों प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. देर रात तक चली प्रतिनिधि सभा रात्रि विश्राम के बाद पुनः दूसरे दिन 18 फरवरी को तड़के सुबह 9 बजे प्रारम्भ हुई। बहस पूरी होने के बाद सर्वसम्मति से दस्तावेज को पारित किया गया। अगले सत्र के लिए 51 सदस्यीय जिला कमिटी के प्रस्ताव को सदन ने सर्वसम्मति से पारित किया. तत्पश्चात सम्मेलन के पर्यवेक्षक का. भुबनेश्वर बेदिया और उनके सहयोग में का. रविन्द्र राम, प्रोफेसर डा. बलभद्र और शंकर पाण्डेय की देखरेख में 51 सदस्यीय जिला कमिटी का चुनाव हुआ. नवनिर्वाचित कमिटी ने पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य का. जनार्दन प्रसाद को जिला सचिव चुना। नवनिर्वाचित जिला सचिव के सम्बोधन के बाद गगनभेदी नारों के साथ सम्मेलन का समापन हुआ। 

- शंकर पाण्डेय