वर्ष - 29
अंक - 20
09-05-2020

सफूरा जरगर के बारे में अभद्र टिप्पणी और दुष्प्रचार करने वालों पर कार्रवाई और सफूरा समेत सीएए विरोधी आंदोलन में सक्रिय रही छात्रा नेताओं की रिहाई की मांग पर 7 मई को सभी महिला संगठनों ने सफूरा जरगर के साथ जबरदस्त एकजुटता दिखाई.

सफूरा जरगर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चले आंदोलन में सक्रिय रही है. लाॅकडाउन के दौर में सफूरा को दिल्ली में दंगा भड़काने का झूठा आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया है. गिरफ्तारी के समय सफूरा 3 महीने की गर्भवती थी. इसी आधार पर लोगों ने जब सफूरा को रिहा करने की मांग उठाई तो भाजपा नेता कपिल मिश्रा और भाजपा आईटी सेल ने सोशल मीडिया पर सफूरा का चरित्र हनन शुरू कर दिया. देश के प्रधानमंत्री और महिला आयोग इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. इसलिए महिला संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष से सवाल करते हुए कहा कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा द्वारा सफूरा के गर्भावस्था पर भद्दे ट्वीट पर आप चुप क्यों? उनपर कार्यवाही क्यों नहीं? जहां हरे और नारंगी जोन में भी गर्भवती महिलाओं से कहा जा रहा है कि वे घर में रहें, तो गर्भवती सफूरा को कोरोना के खतरे के समय तिहाड़ जेल में क्यों रखा गया? दिल्ली दंगों को भड़काने वाले कपिल मिश्रा गिरफ्तार क्यों नहीं? सीएए विरोधी महिला आंदोलन में सक्रिय सफूरा, इशरत, गुलफिशा जेल में क्यों?

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महिलाओं ने अपने-अपने घरों में बैठकर 11 बजे से 2 बजे तक धरना दिया तथा तख्तियों, नारों या वीडियो के जरिए इन सवालों को उठाया. उन्होंने कहा है कि सफूरा के खिलाफ अभद्र महिला विरोधी दुष्प्रचार हम सब महिलाओं पर हमला है. इसलिए लाॅकडाउन के अंदर से ही हम सफूरा को प्यार और साझेदारी भेज रही हैं. उन्होंने सीएए विरोधी कार्यकर्ताओं की रिहाई मांगी और कपिल मिश्रा पर तुरंत कार्यवाही करने की मांग की.

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा), ऐडवा, एनएफआइडब्ल्यू, बिहार महिला समाज, लोकतांत्रिक जनपहल, महिला हिंसा के विरुद्ध नागरिक पहल, मुस्लिम महिला मंच, जन जागरण शक्ति संगठन, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, बिहार घरेलू कामगार यूनियन, डब्ल्यूएसएस, अ. भा. महिला सांस्कृतिक संगठन, एएसडब्ल्यूएफ, स्त्री मुक्ति संगठन, गांधी स्टडी सेंटर, आदि समेत कई संगठनों ने इस अभियान में हिस्सा लिया.

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पटना में ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, प्रोफेसर भारती एस. कुमार, राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे, राज्य सचिव शशि यादव, पटना जिला सचिव अनिता सिन्हा के अलावा पटना विश्वविद्यालय छात्रा संघ की कोषाध्यक्ष कोमल कुमारी धरना पर बैठीं. राखी मेहता के नेतृत्व में पटना सिटी व आबिदा खातून की अगुआई में चितकोहरा में धरना दिया गया जबकि दीघा में मीना देवी व कमला देवी, आशियाना नगर में ऐपवा नेता रेखा, शमीमा, शमा परवीन व अलीमन खातून और खगौल में वार्ड पार्षद अलका के नेतृत्व में धरना हुआ. रीना प्रसाद (ऐपवा), दिव्या गौतम, प्राची वर्मा, मीतू कुमारी, नीतू कुमारी, बबीता (आइसा) व प्रीति प्रभा (हिरावल) ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

ऐपवा नेताओं ने कहा कि सफूरा को दिल्ली में दंगा भड़काने का झूठा आरोप लगाकर लाॅकडाउन के दौर में भी गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के समय सफूरा 3 महीने की गर्भवती थी. इसी आधार पर लोगों ने जब सफूरा को रिहा करने की मांग उठाई तो भाजपा नेता कपिल मिश्रा (जो खुद दिल्ली दंगों को भड़काने वाला भाषण देने के आरोपी हैं) ने सफूरा पर भद्दी, अश्लील यौन उत्पीड़न वाली टिप्पणी की और भाजपा आईटी सेल ने गर्भावस्था और विवाह के बारे में सोशल मीडिया पर अश्लील दुष्प्रचार चलाते हुए सफूरा का चरित्र हनन किया.

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भोजपुर के विभिन्न जगहों पर सफूरा जरगर के गर्भ पर घृणित टिप्पणी करने वाले कपिल मिश्रा को गिरफ्तार करो, सफूरा व उनके साथियों को तिहाड़ जेल से रिहा करो, तमाम आन्दोलनकारियों को रिहा करो, सफूरा का चरित्र हनन करने वाले ट्वीटकर्ताओं को गिरफ्तार करो, इनके ट्वीटर एकाउंट को ब्लाक करो, आदि नारे के साथ धरना दिया गया. इस धरना में मुख्य रूप से ऐपवा जिला सचिव इंदु सिंह, ऐपवा नगर सचिव संगीता सिंह, ऐपवा नगर अध्यक्ष शोभा देवी, ऐपवा नेत्री व काउप मुखिया कलावती देवी, जैन काॅलेज की छात्र संघ अध्यक्ष दृष्टि राज, उषा देवी, रीता देवी, सलमा खातून, सुमन कुमारी, ललिता कुमारी, पूजा कुमारी, प्रीति कुमारी सहित सैकड़ों महिलाएं शामिल हुईं.

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पटना ग्रामीण के नौबतपुर के गोवाय तथा फतुहा के उसफा में भी धरना दिया गया. बिहटा प्रखंड के कन्हौली, शिुनपुरा, मुस्लिम राघोपुर, तारानगर, सिकरिया रामतरी, इटवा, लई तथा मनेर प्रखंड के छितरौली व कहारी टोला समेत कई अन्य दर्जनों गांवों में ऐपवा नेत्री माधुरी गुप्ता, रीता देवी, रीता गुप्ता व बिहटा मध्य की जिला पार्षद पूनम देवी के नेतृत्व में महिलाओं का धरना हुआ. देवकुली (पुनपुन) में सावित्री देवी, फुलवारी के बेतौरा में निरमा कुमारी, फतुहा के भाकपा(माले) कार्यालय में संगीता देवी व धनरूआ में देवन्ती सिन्हा और मीना देवी की अगुवाई में धरना दिया गया. पालीगंज भाकपा(माले) कार्यालय, मोरियावां तथा फतुहा के बिक्रमपुर में भी धरना दिया गया. दुल्हिन बाजार, पालीगंज, बिहटा, फुलवारी, नौबतपुर, धनरुआ, विक्रम आदि सहित सभी प्रखंडों के लगभग 60 पंचायतों के 100 स्थानों पर ग्रमीण महिलाओं ने पोस्टर प्रदर्शन किया तथा 88 जगहों पर धरना हुआ.

अरवल के भाकपा(माले) जिला कार्यालय में ऐपवा नेत्री लीला वर्मा की अगुआई में महिलाओं का धरना हुआ इनौस के राष्ट्रीय परिषद सदस्य अवधेश यादव और आइसा नेता सुनील कुमार व दीपक कुमार ने संयुक्त रूप से धरना देकर महिला समाजिक कार्यकर्ता सफुरा गरजर पर अभद्र टिपण्णी करने वाले भाजपा नेता कपिल मिश्रा की गिरफ्तारी तथा तिहाड़ जेल में बंद सफुरा जरगर की जल्द से जल्द रिहाई की मांग की.

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जहानाबाद के बिस्टाॅल और रामदेव चौक में मुखिया का. पिंकी देवी के नेतृत्व में धरना दिया गया. घोसी के परावन, मोदनगंज के दयाली बिगहा, मखदुमपुर के पलेया और माले जिला कार्यालय में भी धरना दिया गया.

दरभंगा में पार्टी जिला कार्यालय, बहादुरपुर प्रखंड कार्यालय, सदर प्रखंड कार्यालय, कटहलबाड़ी और उर्दू बाजार में धरना दिया गया. दरभंगा शहर की एमआरएम काॅलेज की छात्राएं भी समर्थन में उतरीं.

नालंदा के बिहारशरीफ में इनौस के जिला सह सचिव रामदेव चौधरी, आइसा के जिला संयोजक जयन्त आनंद, माले जिला कमेटी सदस्य मकसूदन शर्मा आदि के नेतृत्व में प्रदर्शन कर सरकार से दिल्ली दंगा के मास्टरमाइंड व सफूरा पर भद्दी टिप्पणी करने वाले कपिल मिश्रा को गिरफ्तार करने करने की मांग की गई.

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नवादा

 

इस्लामपुर के बालमत बिगहा में ऐपवा नेता सीता देवी के नेतृत्व में धरना दिया गया जिसमें रविशंकर प्रसाद, रितु देवी, मानवी देवी ने भी हिस्सा लिया. भाकपा(माले) प्रखण्ड कार्यालय, हिलसा में धरना दिया गया. धरना में इनौस के राज्य कार्यकारणी के सदस्य रामदास अकेला, सुजीत कुमार केसरी, माले नेता शिव शंकर प्रसाद, बिहार राज्य अधिवक्ता कल्याण समिति के राज्य कमेटी के सदस्य कृष्णा प्रसाद अधिवक्ता व रवीन्द्र प्रसाद शामिल हुए. नूरसराय प्रखंड के किशनपुर मुशैरा टोला में धरना दिया गया. सिलाव प्रखंड के जुआफर बाजार व नूरसराय प्रखंड के किशुनपुर मुशहरटोली में भी ऐपवा जिला अध्यक्ष गिरजा देवी, पारो देवी, रेणु देवी, लक्ष्मी देवी, मंती देवी आदि के नेतृत्व में प्रदर्शन कर विरोध दर्ज किया गया.

नवादा में ऐपवा ने का. सावित्री देवी की अगुवाई में बेलदारी में विरोध प्रदर्शन किया. पछियांडीह में का. सुदामा देवी और मेसकौर में का. मालो देवी ने धरना दिया.

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समस्तीपुर में ऐपवा द्वारा दर्जनों स्थानों पर धरना-प्रदर्शन आयोजित हुआ. ऐपवा नेत्री वंदना सिंह, नीलम देवी व आइसा नेत्री स्तुति ने विवेक विहार मुहल्ला और रंजू देवी ने चीनी मिल चौक पर धरना की अगुआई की. धरमपुर में आधे दर्जन से अधिक स्थानों पर धरना हुआ जिसमें सकीबा जावेद, आयशा जावेद, जोहा फातिमा, ओमैना जावेद, मरियम फातिमा, आतिफा जावेद, अशबाह जमशेद, अब्दुल्ला जमशेद, मोवकार जुबान आदि ने भाग लिया. महिला अधिकार नेत्रियों प्रीति कुमारी, शबनम एवं सनोवर परवीन ने कहा कि सफूरा की शादी, प्रेग्नेंसी और उनके निजी जीवन पर भद्दे कमेंट यही बताते हैं कि आने वाले वक्त में भारत की औरतों से असहमति होने पर इसी तरीके से भाजपा और संघ द्वारा हमले किए जाएंगे. उजियारपुर समेत सभी ग्रामीण क्षेत्रों में भी दर्जनों घरों में धरना देकर विरोध दर्ज कराया गया.

सिवान में ऐपवा नेत्री व जिला पार्षद सोहिला गुप्ता के नेतृत्व में नौतन प्रखंड के सभी पंचायतों में धरना दिया गया. ऐपवा नेत्री मालती राम की अगुआई में दरौली में महिलाएं धरना-प्रदर्शन में शामिल हुई. गोपालगंज में ऐपवा नेत्री रीना शर्मा ने अपने घर में धरना दिया. महिला नेत्रियों ने सफूरा, इशरत व गुलपफीसा को तुरंत रिहा करने की मांग उठाई.

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मुजफ्फरपुर में ऐपवा, सावित्री बाई फुले ब्रिगेड व इंसाफ मंच ने मुजफ्फरपुर शहर से गांव तक पोस्टर के साथ धरना दिया. धरना में ऐपवा की जिला अध्यक्ष शारदा देवी, जिला पार्षद व ऐपवा कार्यकर्ता विजनेश यादव, रानी प्रसाद, प्रोमीरा ठाकुर, निर्मला सिंह, प्रो. भवानी रानी दास, फरहाना, सबीहा, आसिफा, मनाल, शोभा ठाकुरी, पिंकी ठाकुरी, आभा सिंह, सावित्री बाई फुले ब्रिगेड की प्रियंका, काजल, शर्मिला देवी, मुस्कान सहित कई महिलाएं व छात्राएं शामिल थीं. इंसाफ मंच के राज्य अध्यक्ष सूरज कुमार सिंह, उपाध्यक्ष आफताब आलम, मतलुबूर रहमान, जावेद कैसर, रेयाज खान, शफीकुर रहमान, अकबर आजम सिद्दीकी, मो. एजाज सहित अन्य ने भी अपने घरों व मुहल्लों में धरना दिया.

भागलपुर में ऐपवा की जिला सचिव रेणु देवी के नेतृत्व में राघोपुर स्थित उनके आवास पर धरना दिया गया. धरना में छात्रा जैनी कुमारी, पारुल प्रिया, अमृषा व अश्मी भी शामिल हुईं. भागलपुर शहर में मोहनपुर स्थित अपने आवास पर ऐक्टू के जिला सचिव मुकेश मुक्त ने धरना दिया. छात्रा कोमल, नूतन, सपन व नेहा ने ऐपवा के प्रतिवाद का समर्थन करते हुए सफूरा जरगर सहित राजकीय दमन का सामना कर रहे अन्य कार्यकर्त्ताओं के साथ एकजुटता जाहिर की.

गया में रीता वर्णवाल, शीला वर्मा, प्रीती व रीना देवी के नेतृत्व में महिलाओं ने अपने-अपने घरों में धरना दिया. गया शहर के अलावा डोभी व मोहनपुर में भी महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया. पूर्णिया के रूपौली, मधुबनी और गोपालगंज में भी धरना दिया गया.

विरोध प्रदर्शनों में शाहीनबाग आंदोलन से जुड़ी महिलाओं की अच्छी भागीदारी हुई. पटना के फुलवारी शरीफ के हारून नगर, ईशोपुर, नौसा व खलिलपुरा में शाहीनबाग धरना चला था. यहां इसोपुर अपार्टमेंट, नहरपुरा, नया टोला, नोहमा आदि इलाके में कुल 11 जगहों पर महिलायें धरना पर बैठीं. ऐपवा की रौशन खातून, असगरी खातून व आमना खातून, खलीलपुरा में नसरीन नाज व हारून नगर में अफ्रशा जबीं ने इन महिलाओं का नेतृत्व किया. खगौल में अदम परवेज, फरहत जहां व वार्ड पार्षद अलका कुमारी के नेतृत्व में दर्जनों महिलाओं ने धरना दिया. पालीगंज (पटना जिला) के सिगोड़ी, चांदवारा (मुजफ्फरपुर) और गड़हनी (भोजपुर) में भी शाहीनबाग से जुड़ी महिलाओं का धरना हुआ.

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उत्तरप्रदेश में महिलाओं ने अपने-अपने घरों में 11 बजे से 2 बजे तक धरना दिया तथा तख्तियों, नारों और वीडियो के जरिए इन सवालों को उठाया. लखनउफ में ऐपवा, ऐडवा, महिला फेडरेशन, प्रसिद्ध अम्बेडकरवादी चिंतक व पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एसआर दारापुरी, उजरियांव शाहीनबाग सोशल ऐक्टिविस्ट नाइस हसन, सोशल ऐक्टिविस्ट व कहानीकार फरजाना महदी, एकल महिला मंच उ.प्र. की नाहिद अकील, सोशल एक्टिविस्ट व कलाकार रिजवान अली, एनएपीएम से अरुंधति धुरू, अकरम एडवोकेट, हमसफर के नवाजिश गोलवी तथा शोध छात्रा मंदाकिनी राय भी धरने में शामिल हुए. सुप्रसिद्ध कहानीकार किरण सिंह, वरिष्ठ पत्रकार वंदना मिश्र, उरुसा राणा ने अपना समर्थन दिया. ऐपवा नेत्री मीना सिंह ने कहा कि सफूरा के खिलाफ अभद्र व महिला विरोधी दुष्प्रचार हम सब महिलाओं पर हमला है.

बनारस में ऐपवा के साथ ही गांधी स्टडीज सेंटर व ऑल इंडिया सेकुलर फोरम भी इस विरोध में शामिल था. गोरखपुर, देवरिया व लखीमपुर खीरी में भी विरोध कार्यक्रम आयोजित हुए. ऐपवा नेत्री कुसुम वर्मा, मीना सिंह और कृष्णा अधिकारी ने इन कार्यक्रमों की अगुआई की.

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झारखंड में ऐपवा राज्य कार्यालय, रांची में ऐपवा नेत्री ऐती तिर्की के नेतृत्व में धरना दिया गया. रांची जिला के बुंडू में ऐपवा जिला सचिव का. लखीमुनि मुंडा, गिरिडीह के धनवार में का. कौशल्या दास, हजारीबाग के चलकुसा में ऐपवा राज्य अयक्ष का. सविता सिंह, कोडरमा जिले के झुमरी तिलैया में का. अमरजीत कौर, जमशेदपुर में काकल्पना तथा देवघर जिले के मोहनपुर में ऐपवा राज्य अध्यक्ष का. गीता मंडल के नेतृत्व में महिलाओं ने बैनरों, झंडों व तख्तियों के साथ धरना दिया. रामगढ़ जिला के बड़काकाना, घुटुआ बस्ती और पोचरा में ऐपवा जिला सचिव नीता बेदिया, ऐपवा नेत्री धनमति देवी, झुमा घोषाल तथा इनौस नेता अमोल घोषाल ने अपने घर में धरना दिया.

हरियाणा के करनाल, जींद, नूह, असंध व जुलाना प्रखंडों में ऐपवा के बैनर तले विरोध कार्यक्रम किया गया. उड़ीसा के रायगडा जिले के पदमपुर ब्लाॅक के मरंडा व मलकापंगा, गुनुपुर के सिंगपुर, लंगूरताल, गुदरे, सिलिमी (असदा) में महिलाओं ने प्लेकार्ड के साथ नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया. पुदुच्चेरी में भी ऐसे प्रदर्शन आयोजित हुए.

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पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर ऐपवा के आह्वान का पालन हुआ. चाय बगानों की महिला श्रमिकों, मध्यान्ह भोजन कर्मियों व घरेलू कामगार महिलाओं ने पोस्टर व तख्तियों के साथ प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए सफूरा समेत अन्य सीएए आंदालनकारियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित किया. शहरी केन्द्रों व ग्रामीण इलाकों में सार्वजनिक स्थानों और घरों के अंदर शारीरिक दूरी के साथ #With Safoora Against Slander प्रदर्शित करते हुए सफूरा के खिलाफ भद्दी, अश्लील यौन उत्पीड़न वाली टिप्पणियों की बौछार करनेवालों को दंडित करने की मांग की गई.

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बर्दवान जिले के टेहटा (कालना प्रखंड), कमरकिटा बोन्डुल, करंडा, खानरग्राम और शक्तिगढ़ तथा बर्दवान शहर तथा पूर्वी बर्दवान के सिमला गांव व कटवा-2 साहापुर में ऐपवा का अभियान संगठित हुआ. हुगली जिले के कोननगर-हिन्द मोटर, बंडल, बालगढ़ के गुप्तीपारा, पोबला और धनियाखाली में आदिवासी समुदाय की महिलाओं समेत ग्रामीण खेत मजदूर व निर्माण मजदूर महिलाओं ने ऐपवा के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

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नार्थ 24-परगना के बेलघरिया, बोशिरहाट, अशोक नगर और राजरहाट में सीएए विरोधी आंदोलनकारियों की रिहाई और कपिल मिश्रा के खिलाफ अविलंब कार्रवाई करने की मांगों का प्लेकार्ड और पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया गया. हुगली जिले के कोननगर व यादवपुर में ऐपवा के बैनर तले विरोध प्रदर्शन हुए. नार्थ बंगाल के मैदानी व पहाड़ी इलाकों, दार्जिलिंग के दाबग्राम-फुलवाड़ी इलाके व सिलिगुड़ी के शक्तिगढ़ में महिला कार्यकर्ताओं ने अपने हाथों में तख्तियां व पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया. कोदुभिता और खोरीबाड़ी में महिला चाय बगान मजदूरों ने स्थानीय सदरी भाषा के जोशीले प्रतिरोध गीतों को गाते हुए इन प्रदर्शनों में हिस्सा लिया. कोलकाता में ऐपवा कार्यकर्ताओं ने सफूरा से प्यार व एकजुटता प्रदर्शन और राष्ट्रीय महिला आयोग की निष्क्रियता व भाजपा सरकार की चुप्पी पर सवाल खड़े करते हुए अपने घरों तथा यादवपुर-ढाकुरिया व बड़ा घर स्थित भाकपा(माले) कार्यालयों में पोस्टर के साथ प्रदर्शन किया. घरेलू कामगारों के एक समूह ने भी इन प्रदर्शनों में उत्साहपूर्ण भागीदारी की.

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नदिया जिले के नकाशीपाड़ा, साउथ 24 परगना के बजबज और बांकुड़ा के विष्णुपुर में ऐपवा कार्यकर्ताओं ने सफूरा जरगर समेत तमाम सीएए आंदोलनकारियों की अविलंब रिहाई की मांग के साथ प्रदर्शन किया. आइसा और इनौस ने भी सफूरा जरगर व ऐपवा के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए इसमें भागीदारी की.

आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी, कृष्णा, गुंटुर व कुर्नूल जिलों में दर्जनों स्थानों पर ऐपवा के जरिए प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किए गए. असम के तिनसुकिया व नगांव जिले में कई स्थानों पर ऐपवा कार्यकर्ताओं व महिलाओं ने प्रदर्शन करते हुए सफूरा जरगर की अविलंब रिहाई व कपिल मिश्रा की गिरफ्रतारी की मांग की.

राजस्थान में ऐपवा के राष्ट्रीय प्रतिवाद दिवस का आह्वान काफी असरदार रहा. उदयपुर जिले में मोहल्लों-बस्तियों और मध्यमवर्ग तथा मिडिया में यह चर्चा का विषय बना और यह सन्देश भी लोगों तक पहुंचा कि ऐपवा जैसा क्रांतिकारी संगठन ही आज देश की जनता की आवाज बना हुआ है. महिलाओं और मजदूरों ने ऐपवा व भाकपा(माले) से जुड़ने की ईच्छा जाहिर की. महिलाओं ने अपने घरों में रहकर ही न केवल बढ़-चढ़ कर भागीदारी की बल्कि अपने हाथों से पोस्टर-सन्देश भी बनाया. महिलाएं को न केवल संगठन बनाने की जरूरत समझ रही हैं बल्कि उन्होंने यह भी देख लिया है कि सरकारें कैसे उनके साथ छल-धोखा करती हैं. आरएसएस व भाजपा के छुटभैयों व नेताओं द्वारा कड़ा विरोध करने के बावजूद महिलाओं ने पार्टी व ऐपवा द्वारा लिए गए तमाम कार्यक्रमों में पूरी मजबूती से व खुलकर साथ दिया है.

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महिलाओं ने अपने ही घरों से तख्तियों, नारों या वीडियो के जरिए तमाम सवालों को उठाया. पिछले ही दिनों ऐपवा से जुड़ी शमीम ने कहा कि भाजपा के लोग महिला मुद्दों पर जिस तरह की प्रतिक्रिया करते हैं वो न केवल उनके महिला-विरोधी चरित्र को दिखाता है बल्कि उनके तथाकथित देवी की संस्कृति का भी पर्दाफाश भी करती है. उन्होंने कहा कि इस समय जब पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से निबटने की जद्दोजहद में लगा हुआ है, भाजपा महिलाओं को डराने, धमकाने और दहशत फैलाकर महिला आन्दोलन को पीछे धकेलना का षड्यंत्र कर रही है. किन्तु आज देशभर में महिलाएं सफुरा जरगर के साथ खड़ी हैं. उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब व तमिलनाडु में भी कई स्थानों पर सफूरा जरगर के साथ एकजुटता कार्यक्रम हुए.

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झाड़खंड देवघर