वर्ष - 28
अंक - 16
06-04-2019

21 मार्च को जब पूरा देश होली मना रहा था, गुड़गांव के नया गांव में साजिद के परिवार और होली के मौके पर आए रिश्तेदारों पर दंगाई गुंडा गिरोह जानलेवा हमला कर रहा था और परिजन किसी तरह अपनी जान बचाने में लगे थे. घटनास्थल और प्रभावितों से मिलकर लग रहा था कि जिस बर्बर तरीके से इस घटना को अंजाम दिया गया उसमें यह इत्तफाक ही रहा है कि परिवार के सभी सदस्य इस जानलेवा हमले में बच गए. घटना की जानकारी मिलने पर ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम की जांच टीम नया गांव गई और प्रभावितों एवं ग्रामीणों से मिली.

गुड़गांव से लगभग 14 किमी दूर नया गांव गुर्जर बहुल है. पूरे एनसीआर की तरह इस गांव में भी किसानों ने जमीनों की प्लॉटिंग करके बेचने का काम किया है. इनके परिवारों के अधिकांश नौजवान किसी न किसी माध्यम से जमीनों की खरीद-फरोख्त के कामों में लगे हैं. नया गांव के किसान भूप सिंह ने अपनी जमीन पर प्लॉटिंग करके भूप नगर बसाया है, जिनमें जमीनों के विभिन्न टुकड़ों में उ.प्र. एवं बिहार से आए निम्न मध्यमवर्गीय परिवार रहते हैं जो आसपास की फैक्ट्रियों में मजदूरी सहित विभिन्न कामों में लगे हैं. यहीं पर उ.प्र. के बागपत क्षेत्र से कई वर्ष पहले काम की तलाश में आए छह मुसलमान परिवार भी रहते हैं. इन्हीं परिवारों में मो. साजिद का परिवार भी है जो दंगाईयों के हमले का निशाना बना.

घटना की शुरूआत आपसी कहासुनी से हुई लेकिन घटना की प्रकृति को देखकर स्पष्ट हो जाता है कि सांप्रदायिक ताकतों ने घटना को सचेत रूप से अपने सांप्रदायिक अभियान का हिस्सा बनाया. घटना के बारे में बताते हुए परिवार के मुखिया मो. साजिद का भतीजा दिलशाद (30 वर्ष) ने बताया कि होली के दिन कई नाते-रिश्तेदार घर में एकत्रित थे. हम लोग पास ही प्लॉटिंग के बीच में निकाले गए कच्चे रास्ते में क्रिकेट खेल रहे थे. इस बीच दो लोग वहां पर मोटर साईकिल से आए और कहने लगे -’ये मुल्लो,  यहां क्या कर रहे हो? ‘क्रिकेट खेल रहे हैं’ के जवाब में उनका प्रतिउत्तर था, ’यहां नहीं पाकिस्तान जाकर खेलो’. इस पर उनकी ओर भी जवाब दिया गया. कहासुनी बढ़ने पर पास ही मकान में बैठे चाचा मो. साजिद बीच-बचाव के लिए आए तो उनको थप्पड़ मार दिया. इस पर खेल रहे बच्चे-नौजवान भी बाइक सवारों की ओर लपके तो ये वहां से वापस चले गए. उसके बाद खेल रहे सभी लोग घर वापस आ गए. कुछ ही समय पश्चात बाइकों में सवार होकर और पैदल चलकर 20-22 लोग पहुंचे और घर में घुसकर परिवार और वहां मौजूद लोगों पर हमला कर दिया. महिलायें खाना बना रही थी. शमीना ने बीच-बचाव की कोशिश की तो उस पर भाले और डंडों से हमला कर गिरा दिया गया. घर में मौजूद 5 साल की अफीफा से लेकर 55 साल की शकरीना तक कोई भी इन उन्मादी गुंडों के हाथ से बच नहीं सका. किसी तरह घर में मौजूद महिलायें-लड़कियां ऊपरी मंजिल की ओर भागीं. अपने चाचा के घर होली मनाने आई दानिश्ता (21वर्षीय) के हाथ में उसके भाई इरशाद का मोबाईल फोन था. दानिश्ता ने बताया कि बचने के लिए छत के दूसरे हिस्से में पहुंचकर लड़कों ने अपने आप को बंद कर दिया, दंगाई गुंडों ने पीछे-पीछे ऊपर पहुंचकर दरवाजा तोड़ना शुरू कर दिया. यह दरवाजा मजबूत था, लोहे कि चादरें फ्रेम से थोड़ा अलग तो हुईं लेकिन दरवाजा नहीं टूटा. इस दरवाजे से लगा हुआ लकड़ी के फ्रेम वाला छज्जा था जिसे निकालकर दंगाई छत में घुस गए और बच्चों-नौजवानों को पीटकर बेदम करते रहे. छत पर फैले खून के निशान और खून से सने कपड़े यह बयां कर रहे थे कि हमला कितना घातक था. यही नहीं तकरीबन 35 मीटर ऊंची छत से 22 साल के नौजवान मो. आबिद को दंगाईयों ने उठाकर नीचे फेंक दिया. उसके हाथ और पैर दोनों में फैक्चर हैं. इरशाद को इतना मारा कि वह बेहोश हो गया. दानिश्ता बताती है ’गुंडे भाईयों को बुरी तरह पीट रहे थे, उसे लगा कि आज बचेंगे तो नहीं. मैंने सोचा मोबाईल से वीडियो बना लेती हूं. जब एक दंगाई की नजर वीडियो बनाती दानिश्ता पर पड़ी तो वह उसकी ओर लपका, दो हिस्सों में बंटी छत के दूसरे हिस्से में बचने के प्रयास में महिलाओं ने जाकर अपने आप को बंद कर दिया. दानिश्ता ने बताया कि बचने की संभावना न देख उसने मोबाईल को ईटों के ढेर में छुपा दिया. इस हिस्से वाला लोहे के दरवाजे पर मौजूद निशान इस बात की गवाही दे रहे थे कि दंगाई गुंडे दरवाजा तोड़ने के लिए कितनी मशक्कत कर रहे थे. छत के इस हिस्से में कोई छज्जा नहीं होने के कारण गुंडे दरवाजे को तोड़ने में असफल रहे. उसके बाद दंगाइर्यों ने छत के दूसरे हिस्से में मौजूद बच्चों पर फिर से हमला किया. वीडियो बनाए जाने के दबाव और भय से यह उन्मादी भीड़ वापस लौट गई. पूरे घर को बुरी तरह तहस-नहस किया गया है. साजिद परिवार और वहां आए मेहमानों में 12 बुजुर्ग महिलायें-पुरूष-बच्चे बुरी तरह चोटिल हैं. 3 महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है और 4 लड़कों के हाथ-पैरों में प्रफैक्चर के साथ पूरे शरीर में चोटों के निशान हैं. घर के बाहर लगे शीशे, बेसिन, दरवाजे व खिड़कियों को तोड़ डाला गया हैं . इस पूरे घटनाक्रम के बावजूद प्रशासन अगर इसे दो पक्षों की आपसी लड़ाई मानता है तो यह साफ संकेत है कि हरियाणा में सांप्रदायिक ताकतें कितनी आजाद और बेखौफ तरीके से अल्पसंख्यकों-दलितों को अपना निशाना बना रही हैं.

gurgaon 2

 

घटना के बारे में जानकारी लेने नया गांव के सरपंच सुरज्ञान खटाना से मिलने उनके घर पहुंचे तो पता चला वह अपने ऑफिस में बैठते हैं. ऑफिस पहुंचने पर पता चला बाहर निकल गए हैं, सो मुलाकात नहीं हो पाई. घर में पिता से बात हुई. पहले घटना की जानकारी न होने की बात कहने वाले भूले राम खटाना बातचीत के बीच ही बोले कि हमले में नया गांव के लड़के शामिल हैं. भूप सिंह जिसने जमीनों को बेचा है और अपने नाम पर ही इस कालोनी का नाम भूप सिंह नगर रखा है, विवाद में उसके बेटे के शामिल होने की बात भी कही गई. नयागांव की एक दुकान में लड़के और बुजुर्ग महिलायें बैठी थी. बातचीत शुरू करने पर नौजवानों ने पहले अपने आप को घटना और इलाके से ही असंबद्ध बताया लेकिन बातें आगे बढ़ने पर वह प्रतिक्रिया देते हुए हमलावरों के बचाव में ही सामने आये. उनकी टिप्पणियों से सांप्रदायिक मानसिकता साफ झलक रही थी. बुजुर्ग महिलाओं ने इस बात पर अफसोस जताते हुए कहा कि 20-25 साल से साथ में रह रहे समाज में ऐसी दुःखद घटनायें घट जा रही हैं. उनकी बातों में भी प्रभावित मुसलमान परिवार के प्रति दुःख कम और घटना के बाद पुलिस द्वारा गांव के लड़कों से हो रही पूछताछ से हो रही परेशानी का भाव ज्यादा नजर आ रहा था. पुलिस की कार्यवाही में अभी तक 13 आरोपियों को नामजद किया गया है. जिसमें मुख्य आरोपी के साथ दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस मानती है कि यह इलाके के लोगों का आपसी विवाद था जो खेल की एक मामूली घटना से उपजा. इसे सांप्रदायिक पहलू से नहीं देखा जाना चाहिए. लेकिन मामूली कहासुनी से आरंभ हुए इस प्रकरण के जवाब में जिस तरह की संगठित हिंसा की गई उससे कोई संदेह नहीं कि आरएसएस द्वारा समाज में  किए जा रहे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के अभियान में ही इस तथाकथित छोटी-सी घटना के तार जुड़े हैं.

प्रभावित परिवार अभी बेहद खौफ की स्थिति में जी रहा है. भय की स्थिति यह है कि हमसे पूरी घटना को बयान करने वाले मो. दिलशाद कहते हैं, वह किसी भी हमलावर को नहीं जानते. कक्षा 7 में पढ़ने वाला 13 साल के मुशीर के चेहरे पर स्तब्धता साफ नजर आती है. हमले के चार दिनों बाद भी वह बात करने पर सहज नहीं है, इस बर्बर घटना में जिस तरह से बच्चों-महिलाओं-नौजवानों को बुरी तरह से पीटा गया है उससे लगा कि परिवार के कई सदस्य मौत के मुंह से निकले हैं. पूरे घर को तहस-नहस किया गया है. इस सब से हमलावरों की हत्यारी मानसिकता का पता चलता है. वे तुलनात्मक रूप से संपन्न साजिद परिवार को इलाके से ही भगा देना चाहते हैं. मोदी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद 28 सितंबर 2015 को ईद के दिन इसी एनसीआर क्षेत्र के नोएडा-दादरी के बिसहाडा गांव में जिस तरह से अखलाक के घर पर हमला हुआ और उसे जान से मार दिया गया, उसके घर में तोड़फोड़ की गई और परिजनों पर हमला किया गया, यह घटना उसकी यादें ताजा कर देती है. इस घटना में भी निश्चित ही साजिद परिवार के सदस्यों की जान जा सकती थी, लेकिन बहादुर दानिस्ता द्वारा घटना का वीडियो बना लेने और हमलावरों द्वारा उसे प्राप्त करने में असफल रहने की वजह से दंगाई गुंडा दल वापस गया. दिलशाद ने बताया कि हमले के वक्त गाली-गलौज और मुल्ले, कटुए, देशद्रोही, हमारा खाते हो-पाकिस्तान का गाते हो, जैसी बातों को चिल्ला-चिल्ला कर बोल रहे थे. क्रिकेट खेलने को लेकर हुए तथाकथित मामूली विवाद में इस भाषा व इन मुहावरों के प्रयोग से जाहिर है कि हमलावरों की प्रशिक्षणशाला कहां है और उनका मकसद क्या है.

- गिरिजा पाठक/प्रेम सिंह गहलावत