वर्ष - 31
अंक - 40
01-10-2022

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बता रहे कि यूपी में महिलाएं सुरक्षित नहीं

उत्तर प्रदेश में महिला और दलित उत्पीड़न की लगातार बढ़ती घटनाओं के खिलाफ आहूत प्रदेश व्यापी साप्ताहिक विरोध प्रदर्शन (24 से 30 सितंबर तक) के तहत अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने कई जिलों में विरोध प्रदर्शन किया.

विगत 28 सितंबर 2022 को वाराणसी में बीएचयू गेट पर आयोजित विरोध-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए ऐपवा की राज्य सचिव कुसम वर्मा ने कहा कि अपने प्रदेश सरकार के छह महीने के कार्यकाल के कसीदे गढ़ते हुए मुख्यमंत्री खुद एनसीआरबी के सरकारी आंकड़ों को नकारते हुए यूपी में विकास और कानून व्यवस्था का रिपोर्ट कार्ड जारी कर रहे हैं. साथ ही, अपराध पर काबू पाने, महिलाओं पर हिंसा-हत्या-बलात्कार पर रोक लगाने एवं हर महिला के लिए यूपी को सुरक्षित करने के बजाय यह कहकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं कि यूपी पुलिस अपराधियों को 24 घण्टे में गिरफ्तार कर ले रही है. जबकि सच तो यह है कि हाथरस की दलित लड़की को आज तक न्याय नहीं मिला. लखीमपुरखीरी, पीलीभीत, बदायूं, मुरादाबाद, उन्नाव आदि जिलों की शर्मनाक घटनाओं से यह बात सामने या रही है कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों और बलात्कारियों के मंसूबे बढ़े हुए हैं, उन्हें कानून का कोई भय नहीं है.

स्वतंत्र पत्रकार एवं रंगकर्मी अपर्णा ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी यूपी में पुरुष सत्तात्मक, वर्चस्ववादी, जातिवादी, अहंकारी, बुलडोजर राजनीति  के प्रतीक बन गए हैं. प्रदेश में महिला सम्मान की कोई जगह नहीं बची है. पूरे प्रदेश में गरीबों, दलितों, महिलाओं के हक-अधिकार को कुचला जा रहा हैं. राजनीतिक संरक्षण के बिना कोई भी व्यक्ति इस तरह के काम को खुले आम अंजाम नहीं दे सकता. सच यह है कि स्त्रिया नारों की विषय वस्तु बनकर रह गई है.

ऐपवा की जिला सचिव स्मिता बागड़े ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश में कानून के राज की बात करते हैं लेकिन महिला उत्पीड़न के अधिकतर मामलों में थानों में एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पा रही है. उल्टे, कई थानों में रिपोर्ट लिखवाने गई महिलाओं के साथ बद्सलूकी की घटनाओं तक की खबरें आ रही हैं. इन अपराधों के लिए थाना प्रभारियों पर कोई कड़ी कार्रवाई भी नहीं की जा रही है. स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ महिला सशक्तीकरण का ढोंग किया जा रहा है.

ऐपवा की जिला उपाध्यक्ष विभा प्रभाकर ने कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि यूपी दलित उत्पीड़न में भी शर्मनाक ढंग से अव्वल है. राजस्थान के दलित छात्र इंद्र मेघवाल की ही तरह उत्तर प्रदेश के औरैया में कक्षा 10 के छात्र की पीटकर हत्या कर दी जा रही है और मुख्यमंत्री कुछ नहीं बोल रहे हैं.

स्वतंत्र घरेलू कामगार मोर्चे की सचिव धनशीला एवं विमल ने संयुक्त रूप से कहा कि हम दलित महिलाओं को समाज में दोहरी मार का शिकार होना पड़ता है. आज भाजपा राज में दलित परिवारों की बेटियां डर के साये में जिंदगी बिता रही हैं. ऐपवा सदस्य नगीना ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने जो हक-अधिकार अपने संघर्षों एवं संविधान के माध्यम से दलितों और महिलाओं को दिए हैं, यह सरकार उसे खत्म कर रही है. कहा कि बेटी बचाओ का नारा देने वाली सरकार में आज बेटियां असुरक्षित महसूस कर रही हैं.

बीएचयू की छात्रा चंदा यादव ने कहा कि योगीराज में गरीबों के आर्थिक विकास का कोई मॉडल काम नहीं कर रहा है. आज प्रदेश में ऐसी हृदयविदारक घटनाएं भी घट रही हैं जहां महिलाएं आर्थिक तंगी से अपने बच्चों समेत आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रही हैं. महिलाओं के सम्मानजनक रोजगार की कोई गारंटी नहीं है बल्कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों की महंगी फीस ने युवा महिलाओं के बड़े हिस्से को उच्च शिक्षा से महरूम कर दिया है.

कार्य्रकम में ऐपवा की वरिष्ठ सदस्य विभा वाही, किसान सभा से कृपा वर्मा, गांव के लोग पत्रिका के सम्पादक रामजी यादव, सामाजिक कार्यकर्ता अनिल, मिठाईलाल सहित बीएचयू के छात्र-छात्राओं एवं अन्य प्रबुद्ध लोगों ने अपने विचार रखे.

कार्यक्रम में जनगीतकार यौधेश ने महिला समानता और एकता से संबंधति कई गीतों की प्रस्तुति दी. ऐपवा सदस्य अनीता और सरिता ने महिला आजादी और न्याय सम्बन्धी गीतों की प्रस्तुति दी. अंत में औरेया के दलित छात्र निखित कुमार को मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई.

अयोध्या में ऐपवा ने 29 सितंबर 2022 को गांधी पार्क में विरोध प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन नायब तहसीलदार को सौंपा.

ऐपवा संयोजक सुनीता गौड़ ने कहा कि हाथरस से लेकर लखीमपुरखीरी, पीलीभीत, बंदायू, मेरठ, मुरादाबाद और औरैया आदि जिलों की वीभत्स घटनाएं यह साबित कर रही है कि योगीराज में महिला व दलित उत्पीड़न अपने चरम पर है. जिसकी पुष्टि ख़ुद एनसीआरबी के सरकारी आंकड़े कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है. अपराधियों और बलात्कारियों के मंसूबे बढ़े हुए है उन्हें कानून का कोई खौफ नहीं है.

विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए इंकलाबी नौजवान सभा के संयोजक अजय शर्मा चंचल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ महिला सशक्तिकरण का ढोंग किया जा रहा है.

ज्ञापन में महिला यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने, ऐसे मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से दोषियों को कठोर सजा दिलाने, बढ़ते मामलों को देखते हुए अधिक संख्या में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने तथा पुलिस की भूमिका को अधिक संवेदनशील बनाए जाने की मांग की गई है.

कार्यक्रम में पूनम शर्मा, कविता, गायत्री, रीता, संगीता, ऊषा यादव, राजिया बानो, शांति, मानसी, आशीष कुमार, प्रमोद कुमार शामिल रहे.

ऐपवा के बैनर तले महिलाओं ने 29 सितंबर 2022 को ही चंदौली जिले के सकलडीहा में विरोध प्रदर्शन कर उप जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सकलडीहा को सौंपा गया. 30 सितंबर 2022 जालौन, सीतापुर, बलिया जिले के सिकंदरपुर तहसील और लखनऊ सदर तहसील पर प्रदर्शन कर संबंधित अधिकारियों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया.

– कुसुम वर्मा

Demonstration against rising incidents of women

 

Demonstration against incidents of women