-- मनमोहन
कोका-कोला 1966 से इजरायल का कट्टर समर्थक रहा है. इजराइल सरकार ने इजरायल के निरंतर समर्थन के लिए कोका-कोला को सम्मानित किया था. हर साल कोका कोला अमेरिकन-इजरायल चैंबर ऑफ कॉमर्स अवार्ड्स का आयोजन करता है, जो उन कंपनियों को सम्मानित करता है जिन्होंने इजराइली अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक योगदान दिया है. 2009 में कोका-कोला प्रायोजित पुरस्कार इजरायल की लॉबी एआईपीएसी को ‘तत्काल युद्धविराम’ के लिए संयुक्त राष्ट्र के आह्वान को अस्वीकार करने और गाजा पर इजरायली सैन्य हमले को जारी रखने का समर्थन करने के लिए सीनेट की पैरवी के लिए दिया गया था. 2009 में कोका-कोला ने ब्रिगेडियर-जनरल बेन-एलिएजर के सम्मान में कोका-कोला विश्व मुख्यालय में एक विशेष स्वागत समारोह का आयोजन किया जो एक वांछित युद्ध अपराधी था. अरब इजरायल के छह-दिवसीय युद्ध के दौरान उसकी इकाई ने 300 से अधिक मिस्र के युद्ध बंदियों का कत्ल कर दिया था. शेरोन के अधीन बेन-एलिएजर ने जेनिन में नरसंहार को अंजाम हुए रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया.
कोका-कोला इजरायल के पास जॉर्डन घाटी में शादमोट मेचोला की अवैध इजरायली बस्तियों में डेयरी फार्म और कब्जे वाले गोलान हाइट्स में कैटजेरिन के औद्योगिक क्षेत्र में एक संयंत्र है. कोका कोला हमेशा अमेरिकी-इजरायल चैंबर ऑफ कॉमर्स (एआईसीसी) से बहुत निकटता से जुड़ा रहा है. एआईसीसी का मिशन वक्तव्य इजरायल और अमेरिका (दक्षिण-पूर्व) के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देकर इजरायली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है. 1992 में अपनी स्थापना के बाद से, एआईसीसी इजरायल के साथ $950 मिलियन से अधिक मूल्य के पूर्ण लेन-देन में शामिल रहा है.
गाजा जनसंहार के मद्देनजर तुर्की और मिस्र की सरकारों ने कोकाकोला और नेस्ले कंपनी को बैन कर दिया है.
भारत में कोकाकोला विवादों के लिए कभी भी अजनबी नहीं रहा है. इस पर भारत में पानी के दुरुपयोग, कीटनाशक सामग्री और कृत्रिम मिठास का उपयोग करने के गंभीर आरोप हैं. पेप्सी पर भी ये आरोप है.
समय-समय पर कोकाकोला और उसके प्रतिद्वंद्वी पेप्सिको पर भारतीय जनता का गुस्सा फूटता रहा है.
भारत में पानी को लेकर किसानों और उद्योग जगत के बीच लड़ाई चल रही है. यह वास्तव में विडंबनापूर्ण है कि एक तरफ तो यही कंपनियां व्यापार और कारपोरेट निवेश के लिए वैश्विक नियमों की वकालत करती हैं, लेकिन जब इन नियमों को भारत में नही लागू करने के लिए उनके कुकर्मों के लिए चुनौती दी जाती है, तो वे स्थानीय और राष्ट्रीय कानूनों का सहारा लेने की कोशिश करती हैं.
दुर्भाग्य से, कोला कंपनियों के अपराध भारत में बहुत गहरे तक फैले हुए हैं.
भारत के विभिन्न हिस्सों में, दक्षिण भारत में प्लाचीमाडा से लेकर उत्तर भारत में मेहदीगंज तक, कोकाकोला बॉटलिंग संयंत्रों के आसपास रहने वाले समुदायों को पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है. इन दोहरे मापदंडों की वजह से दक्षिणी भारतीय राज्य तमिलनाडु और केरल में खुदरा विक्रेताओं द्वारा इसका बहिष्कार भी किया गया था. इन आरोपों के बीच भी कोक कई राज्यों में दुर्लभ जल संसाधनों का दोहन कर रही हैं. इसके प्लांट के पास रहने वाले समुदाय कोकाकोला और पेप्सी कंपनी पर अत्यधिक पानी दोहन और बचे हुए पानी के प्रदूषण के कारण पानी की कमी पैदा करने का आरोप लगाते रहे हैं
उदाहरण के लिए, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किए गए परीक्षणों में देश भर के बॉटलिंग संयंत्रों में सर्वेक्षण किए गए कोकाकोला कचरे में सीसा और कैडमियम का अत्यधिक स्तर पाया गया, जिसके कारण सीपीसीबी ने कोकाकोला कंपनी को अपने कचरे के खतरनाक अपशिष्ट का उपचार करने का आदेश दिया था. सीपीसीबी द्वारा यह भी पाया गया है कि कोकाकोला/पेप्सी के प्लांट के पास पानी भी प्रदूषित है, जिससे यह मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त है. केरल के प्लाचीमाडा में, कोकाकोला के सबसे बड़े बॉटलिंग संयंत्रों में से एक संयंत्र के तीव्र सामुदायिक विरोध के कारण मार्च 2004 से बंद कर दिया गया था. अत्यधिक गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार करते हुए, कोकाकोला कंपनी ने भारत में अपने कई बॉटलिंग प्लांट ‘सूखा संभावित’ क्षेत्रों में स्थापित किए हैं, ऐसे क्षेत्र जो पहले से ही गंभीर जल संकट का सामना कर रहे थे. उदाहरण के लिए, राजस्थान में, केंद्रीय भूजल बोर्ड के एक अध्ययन में पाया गया कि कोकाकोला द्वारा काला डेरा में अपना बॉटलिंग ऑपरेशन शुरू करने के बाद से केवल पांच वर्षों में जल स्तर 10 मीटर गिर गया है.
कई लोगों को यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि कोकाकोला और पेप्सी भारत में उपयोग किए जाने वाले पानी के लिए कुछ भी भुगतान नहीं करती हैं, जिसकी मात्रा प्रतिदिन करोड़ों लीटर होती है. यह बेशकीमती प्राकृतिक संसाधन का घोर अपव्यय भी है. एक लीटर उत्पाद तैयार करने में कोकाकोला को लगभग चार लीटर ताजा पानी लगता है. दूसरे शब्दों में, कंपनी अपने द्वारा निकाले गए ताजे पानी का पचहत्तर प्रतिशत अपशिष्ट जल में परिवर्तित कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप दुर्लभ भूजल और भूमि दूषित हो जाते हैं.
भारत में जल संसाधनों के अंधाधुंध दोहन और प्रदूषण के लिए कोकाकोला कंपनी को चुनौती देने के लिए भूगर्भ जल पर निर्भर तबके समय-समय पर जबरदस्त प्रतिरोध करते रहे हैं. भारत में कोकाकोला और पेप्सी से प्रभावित तबकों के लिए कंपनी को जवाबदेह ठहराने के लिए भी आन्दोलन की जरूरत है.
भारत दुनिया में सबसे अधिक पानी की कमी वाले देशों में से एक है. किसानों की पानी की जरूरतों को पहले पूरा करने की जरूरत है. कोकाकोला द्वारा 2012 में अगले 10 साल तक भारत में 5 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना की घोषणा की गई थी है और कंपनी ने कहा कि भारत अगले कुछ वर्षों में उसके सबसे बड़े बाजारों में से एक हो जायेगा.
अतीत में जनता सरकार ने 1977 में कोकाकोला को देश से बाहर कर दिया गया था. 1993 के बाद उदारीकरण के साथ इसकी वापसी हुई. अभी कोक 200 से अधिक देशों में काम करती है और हमारे नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों से ज्यादा उसका बजट है. कोकाकोला कंपनी हर तरह से अमेरिकी दर्शन का प्रतिनिधित्व करता है. आज, जब फिलिस्तीन के सवाल पर दुनिया भर के लोग अमेरिकी साम्राज्यवाद के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, तो गाजा जनसंहार में कोकाकोला की संलिप्तता और वैश्विक स्तर पर अमरीकी साम्राज्यवाद के प्रतीक के बतौर, और भूगर्भ जल के शोषण के विनाशकारी प्रभाव के खिलाफ कोकाकोला, पेप्सी जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ भी आंदोलन की जरूरत है.