15 फरवरी, 2024
भाजपा सरकार की नितांत लोकतंत्र विरोधी इलेक्टोरल बॉण्ड योजना को रद्द करने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का भाकपा-माले स्वागत करती है.
राजनीतिक पार्टियों को कौन एवं कितना चन्दा दे रहा है यह जानने का भारत के मतदाताओं को पूरा अधिकार है. इलेक्टोरल बॉण्ड के जरिये देशी और विदेशी व्यक्तियों एवं कम्पनियों के लिए गुप्त रूप से राजनीतिक दलों को असीमित मात्रा में चन्दा देने का प्रावधान बनाया गया था. यह क्रोनीवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ाने वाली लोकतंत्र के लिये बेहद घातक कार्रवाई थी.
सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को आदेश दिया है कि वह असंवैधानिक इलेक्टोरल बॉण्ड के माध्यम से आयी कॉरपोरेट फण्डिंग को अपनी बेवसाइट पर सार्वजनिक करे. उम्मीद है कि इस आदेश का पालन होगा. इससे पूंजीवादी कॉरपोरेट घरानों और भाजपा, जो इस स्कीम का सबसे ज्यादा फायदा उठा रही है, के बीच के गठजोड़ पर पड़ा पर्दा उठेगा.
साल 2017 से इलेक्टोरल बॉण्ड के माध्यम से आये राजनीतिक चन्दे का अधिकांश भाजपा के पास आया है. इसे छिपाने के लिए मोदी सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया और चुनाव आयोग की चेतावनियों को भी दरकिनार कर दिया था जिनमें इलेक्टोरल बॉण्ड को काला धन और चुनावी भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला कहा गया था.
पूरा देश जानता है कि ये इलेक्टोरल बॉण्ड चुनावों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार बढ़ाने का कारण ही नहीं बने हैं बल्कि संवैधानिक मानदण्डों और लोकतंत्र के लिए भी बड़ा खतरा हैं. संविधान को खतरे में डालने वाली इस प्रकार योजना लाने वाली सरकार को जनता जरूर दण्डित करेगी.
कॉरपोरेट पोषित अदृश्य श्रोतों से आने वाले इलेक्टोरल बॉण्ड के धन पर चलने वाली सरकार को आगामी चुनावों में हर हाल में सत्ता से बाहर कर देना होगा.
- दीपंकर भट्टाचार्य
महासचिव, भाकपा-माले लिबरेशन