वाम दलों के आह्वान पर 30 जनवरी 2020 को पटना सहित पूरे राज्य में गांधी शहादत दिवस पर एक दिवसीय सत्याग्रह का आयोजन किया गया. पटना में गांधी मैदान स्थित गांधी मूर्ति के समीप सत्याग्रह किया गया, जिसमें वाम दलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ-साथ रालोसपा और अन्य जनवादी संगठनों के नेताओं ने हिस्सा लिया.
आज के कार्यक्रम को मुख्य रूप से माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, माकपा के राज्य सचिव मंडल सदस्य अरुण मिश्रा, भाकपा के वरिष्ठ नेता विजयनारायण मिश्र, रालोसपा के जितेन्द्र नाथ, लोकतांत्रिक जन पहल के सत्यनारायण मदन, पीयूसीएल के सरफराज, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, ऐडवा की सुनीता जी, भाकपा के पटना जिला सचिव रामलला सिंह और खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा ने संबोधित किया. मंच का संचालन भाकपा(माले) नगर सचिव अभ्युदय ने किया.
इस मौके नी माले के राज्य सचिव कुणाल, ऐपवा की शशि यादव, राजाराम, सरोज चौबे, अमर, केडी यादव; माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार, गणेश शंकर सिंह, मनोज चंद्रवंशी; भाकपा के पटना जिला सचिव रामलला सिंह, रामबाबू, विश्वजीत कुमार; अशरफी सदा, इनौस के सुधीर कुमार आदि नेता उपस्थित थे.
सबसे पहले वाम नेताओं ने गांधी जी को अपनी श्रद्धांजलि दी और उनके सम्मान में एक मिनट का मौन रखा. मौन के उपरांत “बापू हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं; सीएए-एनआरसी-एनपीआर नहीं चलेगा” आदि नारे लगाते हुए कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की गई.
इस मौके पर का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि यदि नीतीश जी को मौजूदा एनपीआर पर आपत्ति है, तो वे फिर उन्होंने उसे लागू करने का नोटिफिकेशन क्यों जारी कर दिया? नीतीश जी बिहार की जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं. उन्होंने एनपीआर-एनआरसी व सीएए का विरोध कर रहे प्रशांत किशोर व पवन वर्मा को पार्टी से क्यों निकाल दिया? का. दीपंकर ने कहा कि इन काले कानूनों की सबसे ज्यादा मार गरीबों-दलितों व कमजोर वर्ग पर ही पड़ने वाला हैअसम में बिहार के तकरीबन 56 हजार प्रवासी मजदूर एनआरसी से बाहर रह गए. वे अपनी नागरिकता खोने पर हैं. एनपीआर में सबसे खतरनाक यह है कि उसे करने वाले पदाधिकारी को किसी को भी संदिग्ध बता देने का अधिकार है. दबंग लोग इसकी आड़ में गरीबों को निशाना बनाएंगे. जो सीएए कानून बनाया गया है वह बिहार के दलित-गरीबों के लिए नहीं है; बल्कि वह पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 तक आए गैर-मुस्लिम लोगों के लिए हैं, जिसकी संख्या बहुत ही कम है. तब वे लोग जो एनआरसी से बाहर रह जाएंगे, उन्हें यह कानून नहीं बचा पाएगा और वे डिटेंशन कैंप भेज दिए जाएंगे. दूसरी ओर, सीएए कानून पूरी तरह धार्मिक भेदभाव करने वाला कानून है और संविधान के बुनियादी चरित्र के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इन काले प्रावधानों के खिलाफ नीतीश सरकार बिहार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करे.
माकपा के राज्य सचिव मंडल सदस्य अरुण मिश्रा ने कहा कि गांधी की हत्या करने वाले लोग दुर्भाग्य से आज देश की सत्ता में हैं और उन्होंने देश की जनता के खिलाफ एक लड़ाई छेड़ दी है. जेएनयू से लेकर जामिया तक छात्रों पर बर्बर दमन ढाये जा रहे हैं. भाजपा के लोग शाहीन बाग के आंदोलनकारियों को धमका रहे है. दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में अमित शाह कहते हैं कि बटन ऐसा दबाइए कि उसका करंट शाहीन बाग तक पहुंचे. यह देश में विभाजन की राजनीति को बढ़ावा देना है.
भाकपा नेता विजय नारायण मिश्र ने आज के सत्याग्रह को संबोधित करते हुए कहा कि सीएए-एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ चल रहे आंदोलनों को सरकार दबाने में लगी हुई है; लेकिन आंदोलन उतना ही विस्तार पा रहा है. अब पूरे देश में शाहीन बाग बनता जा रहा है. देश आज भयानक आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है, बेराजगारी चरम पर है. इन समस्याओं को हल करने की बजाय मोदी सरकार देश में हिंदु-मुस्लिम दंगे भड़काने में लगी हुई है.
अन्य वक्ताओं ने कहा कि आज जब यहां पर हम सत्याग्रह कर रहे हैं तो चंपारण में सीएए-एनआसी व एनपीआर विरोधी संघर्ष मोर्चा के कार्यक्रम को बाधित करने का प्रयास किया गया. जामिया में गोली चलाई गई. ये घटनाएं लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक हैं.