21 जनवरी 2020 को इंसाफ मंच और भाकपा(माले) ने संयुक्त रूप से गड़हनी ब्लाॅक मैदान में सीएए, एनसीआर और एनपीआर के खिलाफ ‘संविधान बचाओ-देश बचाओ-नागरिकता बचाओ जन एकता सम्मेलन’ आयोजित किया. सम्मेलन में सैकड़ों की संख्या में आम अवाम अपने मुल्क, संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए शामिल हुए. सम्मेलन की शुरूआत जनकवि निर्माेही द्वारा गीत गाकर और अदीब रजा द्वारा नज्म पढ़ कर की गई.
पार्टी के राज्य कमेटी सदस्य व प्रखंड सचिव नवीन ने सभी अतिथियों को मंच पर बुलाया और गड़हनी के प्रतिष्ठित नागरिकों और उपप्रमुख असलम ने सम्मेलन के मुख्य वक्ता मो. सलीम को शाल देकर और माले जिला सचिव का. जवाहर तथा अन्य नेताओं को गमछा देकर से स्वागत किया.
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए इंसाफ मंच के राष्ट्रीय संयोजक व भाकपा(माले) के केंद्रीय कमेटी सदस्य कामरेड सलीम ने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में जनता सरकार को चुनती है लेकिन सीएए, एनसीआर और एनपीआर का संघी प्रोजेक्ट सरकार को नागरिक चुनने की आजादी दे देगा. यह लोकतांत्रिक देश में संभव नहीं है, यह पूरी तरह तानाशाही प्रोजेक्ट है. कामरेड सलीम ने कहा कि मोदी-अमित शाह की जोड़ी झूठ बोल रही है कि तीनों अलग अलग चीजें हैं. यह सबसे बड़ा झूठ है.
उन्होंने आगे कहा कि सीएए, एनसीआर और एनपीआर के जरिये सरकार यह अधिकार हासिल कर लेना चाहती है ताकि वह मनमाफिक वोटर और नागरिक बना सके. जो उनके खांचे में में नहीं फिट होंगे उन्हें संदिग्ध नागरिकता की सूची में डाल दिया जाएगा. निर्दयी और भ्रष्ट नौकरशाही को जनता की नागरिकता से खेलने का अधिकार मिल जाएगा. इस प्रक्रिया में सब प्रभावित होंगे – खासकर दलित, गरीब और वंचित जमात के लोग. जिस तरह से उन्हें बीपीएल सूची और राशन सूची से बाहर रखा जाता है, उसी तरह उन्हें नागरिकता से भी बाहर रखा जाएगा. और फिर उनसे गुलामों की तरह काम लिया जाएगा और नागरिक अधिकारों से वंचित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि तत्काल एनपीआर की प्रक्रिया रुकनी चाहिए, क्योंकि यही एनआरसी का प्राथमिक आधार डेटा बनेगा.
आगे उन्होंने कहा कि बर्बर दमन, गिरफ्तारी और मुकदमे के जरिये सरकार लोकतांत्रिक आवाज को दबाना चाहती है, लेकिन उनकी कोशिश सफल नहीं होगी. जुल्म जितना बढ़ेगा, प्रतिरोध उतना ही प्रबल होगा.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के केंद्रीय कमिटी सदस्य व इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल ने कहा कि बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश जी संविधान व धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों की रक्षा का दावा करते हैं, लेकिन उनका यह दावा पूरी तरह तार-तार हो चुका है. सीएए-एनआरसी-एनपीआर एक ही पैकेज प्रोग्राम है. यह नहीं चल सकता कि आप एनआरसी के खिलाफ हों और सीएए का समर्थन कर रहे हों. एनपीआर पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है. बिहार की जनता उनसे जवाब चाहती है कि आखिर उन्होंने संसद में सीएए का समर्थन क्यों किया? बिहार विधानसभा से पहलकदमी लेते हुए नीतीश जी सीएए-एनआरसी-एनपीआर को लागू न करने का प्रस्ताव पारित करवाने के बजाय इसके खिलाफ हो रहे आन्दोलनों पर केंद्र और उत्तर प्रदेश के सरकारों की तर्ज पर बर्बर पुलिसिया हमला कर रहे हैं. इस करवाई से उनका चेहरा उजागर हुआ है.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए इंसाफ मंच के राज्य सचिव कयामुद्दीन अंसारी ने कहा कि मोदी-अमित शाह की सरकार न केवल संविधान को तहस-नहस कर रही है, बल्कि उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को आईसीयू में पहुंचा दिया है. इतनी मंहगाई और बेकारी देश ने कभी नहीं देखी थी. आज नौजवानों को रोजगार के लिए अपनी जान गंवानी पड़ रही है.
सम्मेलन की अध्यक्षता का. राम छपित राम ने की और संचालन का. मनोज मंजिल ने किया. सम्मेलन को का. रघुवर पासवान, मुमताज अंसारी (राज्य उपाध्यक्ष, इंसाफ मंच), मंजूर साहब व अमीन भारती ने भी संबोधित किया. मंच पर भाकपा(माले) के जिला सचिव का. जवाहर, मुखिया कलावती देवी, खुशबू जहां, रामायण यादव, नईम आदि मुख्य रूप से मौजूद थे. इनौस के जिला संयोजक शिवप्रकाश रंजन, माले जिला कमिटी सदस्य शिवमंगल यादव, सहार के प्रखंड सचिव उपेन्द्र भारती, शीला, आइसा नेता उज्ज्वल भारती, एसबी काॅलेज छात्र संघ अध्यक्ष सुधीर, इनौस नेता सोनू, धनकिशोर, हरिनारायण आदि अनेक कार्यकर्ता और सैकड़ों की संख्या में आम लोग सम्मेलन में उपस्थित थे.