[ बिहार में बदलाव के संकल्प के साथ पिछले 18 जनवरी 2025 से बदलो बिहार समागम आयोजित हो रहे हैं. ये समागम आमतौर पर प्रमंडल स्तर पर आयोजित हो रहे हैं लेकिन कुछ बड़े प्रमंडलों में एक से अधिक भी. ये समागम अगामी 9 मार्च को बिहार की राजधानी पटना में आयोजित हो रहे ‘बदलो बिहार महाजुटान’ को जन मुद्दों-जन आंदोलनों का महाजुटान बना देने के प्रयास के बतौर भी आयोजित हुए. यहां प्रस्तुत है अब तक हुए बदलो बिहार समागमों की - संक्षिप्त रिपोर्ट ]
गया में 23 जनवरी 2024 को आयोजित मगध प्रमंडल स्तरीय ‘बदलो बिहार समागम’ में जीविका कार्यकर्ताओं, माइक्रोफाइनेंस की मार झेल रही महिलाओं, खासकर मुस्लिम महिलाओं, आशा कार्यकर्ताओं सहित लोहिया स्वच्छ मिशन से जुड़े कर्मियों, मजदूर यूनियन व किसान नेताओं, छात्र-युवा कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों, संस्कृतिकर्मियों, शिक्षकों की व्यापक भागीदारी दिखी. अर्जक संघ के कार्यकर्ताओं ने भी अच्छी तादाद में इसमें शिरकत की. समागम में जीविका कार्यकर्ताओं ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए यह उम्मीद जताई कि अब भाकपा(माले) ही उनके संघर्षों को लेकर आगे बढ़ेगी. हाल ही में जारी सरकार के तुगलकी फरमान, जिसमें सरकार की ओर से जीविका कार्यकर्ताओं का दिए जा रहे 1500 रु. सहायता राशि को भी बंद कर देने की घोषणा कर दी गई थी, के खिलाफ चले आंदोलन में गया एक मुख्य सेंटर था. आंदोलन के दबाव में सरकार पीछे तो हट गई है लेकिन उसने गया जिले में अबतक कम से कम 80 जीविका कार्यकर्ताओं को सेवा से हटाने का आदेश भी जारी कर दिया है.
जीविका कार्यकर्ताओं के आंदोलन की नेता अंजूषा कुमारी ने समागम को संबोधित करते हुए कहा – ‘हम अपने हक के लिए आवाज उठा रहे हैं. हमने घर-घर जाकर समूह में महिलाओं को पिछले 10 सालों से संगठित करने का काम किया है. उनके बीच जागरूकता फैलाया है. उनका खाता खुलवाया, राशन कार्ड बनवाया, शौचालय निर्माण में भी हमने भूमिका निभाई, लेकिन आज सरकार कहती है कि उसकी ओर से कोई मदद नहीं दी जाएगी. यह कहां का न्याय है? हमने लड़ाई लड़ी तो सरकार पीछे हट गई है लेकिन हर दिन जीविका कैडरों को नोटिस भेजा जाता है. उनका निष्काषन हो रहा है. हमें उम्मीद है कि अब माले ही हमें न्याय दिलाएगा. देर है लेकिन अंधेर नहीं.’
अंजूषा कुमारी ने बताया एक जीविका कैडर 10 से 12 समूह को संगठित करती हैं. एक समूह में 15 के आस-पास सदस्य होते हैं. इस प्रकार एक जीविका कैडर कोई 150 सदस्यों का नेतृत्व करती है. सरकार की ओर से एक समूह पर 150 रु. यानी 10 समूह पर 1500 रु. मिलता रहा है. ग्रुप की बचत से एक समूह पर 250 रु. यानि 10 समूह पर 2500 रु. अर्थात कुल 4000 रु. की राशि एक जीविका कैडर को मिलते रहा है. यह राशि अपने आप में तुच्छ है, उसपर सरकार अब अपनी ओर से दी जाने वाली राशि बंद कर देने की धमकी दे रही है. आंदोलन के बाद हमारे संघ में सरकार द्वारा लगातार तोड़-फोड़ किया जा रहा है. हमारी मांग है कि राज्य के सभी डेढ़ लाख जीविका कार्यकर्ताओं को सरकार स्थायी करे और उन्हें न्यूनतम 15000 रु. मासिक मानेदय की गारंटी करे. अन्यथा, सरकार चाहे जो कोशिश कर ले हमारा आंदोलन जारी रहेगा.
उसी तरह, माइक्रो फाइनेंस ग्रुपों से जुड़ी मुस्लिम महिलाओं ने भी अपनी समस्याओं को समागम में रखते हुए कहा कि हमारी बचत से जीविका कार्यकर्ताओं को पैसा उपलब्ध कराना हमें और संकट में डाल देगा. हमें सरकार की ओर से बिना ब्याज लोन चाहिए ताकि हम स्वतंत्र रूप से कोई काम कर सकें. 2022 में लोहिया स्वच्छता मिशन से जुड़े सफाई कर्मियों ने भी अपने नियमितकरण की मांग उठाई.
धर्मसभा भवन में संपन्न समागम में गया, जहानाबाद, अरवल व औरंगाबाद से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, काराकाट सांसद राजा राम सिंह, विधायक महानंद सिंह (अरवल) व रामबली सिंह यादव (घोषी) भी समागम में उपस्थित रहे.
भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तथाकथित प्रगति यात्रा को दमन यात्रा करार देते हुए कहा कि सरकार जनता की आवाज को दबाने और उनकी मांगों को अनसुनी करने में लगी है. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार बात कहने का भी अधिकार भी छीन रही है. कोई ज्ञापन न दे सके, जनता की आवाज मुख्यमंत्री तक न पहुंचे, इसके लिए दमनकारी रवैया अपनाया जा रहा है. एक ओर बिहार को बदलने का संघर्ष है, और दूसरी ओर सत्ता बचाने का दमन अभियान. कहा कि इस समागम में जीविका, आशा, आंगनबाड़ी, स्वच्छता कर्मचारी और अन्य संघर्षशील वर्गों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं. यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि बिहार बदलाव की दिशा में अग्रसर है. उन्होंने कहा कि भाजपा बिहार की सत्ता पर कब्जा करने को बेचैन है. और अगर ऐसा हुआ तो राज्य में बचा-खुचा लोकतंत्र भी खत्म हो जाएगा. उन्होंने आह्वान किया कि इस बार 2025 के विधानसभा चुनाव में अधूरे रह गए काम को पूरा करें और भाजपा की लोकतंत्र-विरोधी नीतियों का निर्णायक जवाब दें. उन्होंने घोषणा की कि 9 मार्च को पटना के गांधी मैदान में ‘बदलो बिहार महाजुटान’ का आयोजन किया जाएगा. इस आयोजन को सभी जनांदोलनों और नागरिकों के बुनियादी सवालों का साझा मंच बना दें. उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल सत्ता परिवर्तन की बात नहीं करता, बल्कि बिहार की राजनीति को जनता के संघर्षों और बुनियादी मुद्दों के इर्द-गिर्द केंद्रित करने की दिशा में एक कदम है. इसे ऐतिहासिक बनाना हमारी जिम्मेदारी है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि अगर राममंदिर बनने से आजादी मिली, तो भगत सिंह, गांधी, अंबेडकर और सुभाष चंद्र बोस जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी क्या कर रहे थे? आजादी के आंदोलन की विरासत को नकारने और संविधान को कमजोर करने की जो साजिश भाजपा कर रही है, वह सफल नहीं होगा.
उन्होंने नीतीश सरकार की 20 साल की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि गरीबी चरम पर है. 94 लाख परिवार ऐसे हैं, जिनकी मासिक आय 6,000 रुपये से कम है. बिहार के रसोइयों को केवल 1,650 रुपये मिलते हैं, जबकि केरल में 12,000 और तमिलनाडु में 10,000 रुपये दिए जाते हैं. यह कैसा विकास और न्याय है? उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं के लिए 2,500 रुपये मानदेय तय होने के बावजूद इसे लागू नहीं किया गया. बगल का झारखंड फ्री बिजली देता है, बिहार में स्मार्ट मीटर की मार है. झारखंड में मंइया योजना के तहत 3000 रु. मिल रहे हैं, बिहार में वृद्धा-दिव्यांग-विधवा पेंशन महज 400 रु. है. बिहार इस स्थिति को अब स्वीकार नहीं करेगा.
काराकाट से सांसद राजा राम सिंह ने कहा कि देश ने 2024 के लोकसभा चुनाव में संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए निर्णायक भूमिका निभाई. जो ताकतें संविधान बदलने और धार्मिक उन्माद भड़काकर देश को बांटने की साजिश कर रही थीं, उन्हें जनता ने करारा जवाब दिया है. बिहार को उत्तर प्रदेश नहीं बनने दिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में संविधान और कानून के शासन को कमजोर कर सांप्रदायिक राजनीति और दमनकारी नीतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है. बिहार में हम ऐसा नहीं होने देंगे. यहां जनता अपने अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सजग है. संविधान के मूल सिद्धांतों – समानता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है.
अरवल विधायक महानंद सिंह ने मगध क्षेत्र में दलितों और वंचित समुदायों पर बढ़ते हमलों पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि गया जिले के टिकारी में संजय मांझी का हाथ काट दिया गया, जबकि खिजरसराय प्रखंड में 100 रुपये बकाया मजदूरी मांगने पर एक मुसहर व्यक्ति की हत्या कर दी गई. ये हमले भाजपा संरक्षित गिरोहों द्वारा किए जा रहे हैं. उन्होंने भाजपा नेता प्रेम कुमार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अपने गृह जिले में हो रहे इन हमलों पर उन्होंने कभी एक शब्द भी नहीं कहा. क्या वे इन हमलों के खिलाफ अपनी पार्टी की ओर से जवाब देंगे? घोसी विधायक रामबली सिंह यादव ने कहा कि 9 मार्च को ‘बदलो बिहार महाजुटान’ को ऐतिहासिक बनाना है. यह केवल बिहार को बदलने की लड़ाई नहीं है, बल्कि इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई देगी. बिहार में न्याय, समानता और लोकतंत्र का मॉडल पेश किया जाएगा.
कार्यक्रम के अध्यक्षमंडल में बालेश्वर प्रसाद यादव, विभा भारती, रामउदय कुमार व आशा देवी शामिल थे. कार्यक्रम का संचालन भाकपा(माले) के गया जिला सचिव निरंजन कुमार कर रहे थे. पार्टी नगर प्रभारी तारिक अनवर ने 12 सूत्री राजनीतिक प्रस्ताव का पाठ किया.
मंच पर पार्टी मीडिया प्रभारी कुमार परवेज, जहानाबाद जिला सचिव डा. रामाधर सिंह, अरवल जिला सचिव जितेंद्र यादव, औरंगाबाद जिला सचिव मुनारिक राम, ऐपवा गया जिला सचिव रीता वर्णवाल, ऐपवा अरवल जिला सचिव लीला वर्मा, भाकपा(माले) राज्य कमेटी सदस्य श्रीनिवास शर्मा, अरुण बिंद, ऐक्टू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्यामलाल प्रसाद, गोप गुट महासंघ के जिला अध्यक्ष दिनेश प्रसाद सिंह, सचिव जियालाल प्रसाद, रवींद्र कुमार आदि उपस्थित थे.
कार्यक्रम को अखिल भारतीय किसान महासभा औरंगाबाद के जिला सचिव कामता प्रसाद, बिहार राज्य रसोइया संघ के गया जिला सचिव रामचंद्र प्रसाद, जीविका कैडर संघ अरवल की सुनीता देवी, छात्र-युवा नेता तारिक अनवर, लोहिया स्वच्छता मिशन जहानाबाद से रामानुज कुमार, बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन के शिवशंकर प्रसाद, जीविका कैडर संघ की टिकारी अध्यक्ष रेखा कुमारी व अंजुषा कुमारी, आशा संघ की शोभा देवी ने भी संबोधित किया.
कार्यक्रम में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार यादव, अर्जक संघ के प्रोफेसर कृष्णा यादव, लेखक संघ के सुनील कुमार, जसम के सचिव अहमद सगीर व जिला अध्यक्ष हरेंद्र गिरी शाद, एआइपीएफ के संयोजक सिद्धनाथ सिंह, डॉ. गया प्रसाद, इंजीनियर दारोगा राय, महेश प्रसाद अडिग, एमसीपीआई नेता विजय कुमार वर्मा, अधिवक्ता रफी उल बख्त, मगध विश्वविद्यालय शिक्षकेत्तर कर्मचारी संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष सुबोध कुमार, मगध विश्वविद्यालय कर्मचारी नेता रामस्वरूप प्रसाद, राजद के वरिष्ठ नेता पूर्व विधयक डॉ. विनोद कुमार यादवेंदु उपस्थित रहे.
गणतंत्र दिवस के पूर्व दिवस पर, 25 जनवरी 2025 को आरा के नागरी प्रचारिणी सभागार में शाहाबाद स्तरीय बदलो बिहार समागम हुआ. इस समागम के मुख्य वक्ता काराकाट सांसद व अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव का. राजा राम सिंह थे जबकि ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव का. मीना तिवारी मुख्य अतिथि थीं, भाकपा(माले) के राज्य सचिव कुणाल, समकालीन लोकयुद्ध के संपादक संतोष सहर, आरा सांसद सुदामा प्रसाद और पूर्व सांसद का. रामेश्वर प्रसाद समेत शाहाबाद क्षेत्र के सभी भाकपा(माले) विधायक – अजित कुमार सिंह (डुमरांव), अरुण सिंह (काराकाट), शिवप्रकाश रंजन (अगिआंव) और पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह व मनोज मंजिल भी समागम में शामिल हुए. समागम में किसानों, मजदूरों, स्कीम कर्मियों – आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी, जीविका और दर्जनों सामाजिक व तबकाई संगठनों के नेता शामिल हुए.
यह समागम आरा सांसद का. सुदामा प्रसाद, ऐक्टू नेता अशोक सिंह, इंसाफ मंच के रोहतास जिला सचिव मो. नौशाद अली खान, किसान महासभा के नेता बबन सिंह, बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की राज्य अध्यक्ष विद्यावती पांडे ऐवपा नेत्री इंदु सिंह और जीविका कैडर संघ के नेता जगनारायण सिंह की सात सदस्यीय अध्यक्ष मंडली और भाकपा(माले) के भोजपुर जिला सचिव का. जवाहरलाल सिंह और डुमरांव के विधायक का. अजीत कुमार सिंह के संचालन में सफलतापूर्व संपन्न हुआ. अगिआंव विधायक और आरवाईए के राज्य अध्यक्ष का. शिवप्रकाश रंजन ने स्वागत वक्तव्य दिया.
देश की आजादी और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अबतक शहीद हुए तमाम लोगों को एक मिनट की मौन श्रद्धांजलि देने के साथ समागम शुरू हुआ और जनकवि कृष्ण कुमार निर्मोही और राजू रंजन द्वारा क्रांतिकारी जनगीतों की प्रस्तुति के बाद भाकपा(माले) राज्य सचिव का. कुणाल ने समागम का विषय प्रवेश करते हुए बिहार में बदलाव की जद्दोजहद की शिनाख्त की.
समागम के मुख्य वक्ता का. राजा राम सिंह ने शाहाबाद के वीर सपूतों - मास्टर जगदीश, रामेंश्वर यादव, बटन मुसहर, का. रामनरेश राम, का. मणि सिंह और भैयाराम यादव को याद करते हुए कहा कि शाहाबाद ने राज्य व देश के निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है और इस बार भी वह ऐसी भूमिका निभाने को तैयार है.
उन्होंने कहा कि संविधान की प्लेटिनम जुबली वर्ष में देश की जनता बाबा साहेब को नहीं तो क्या सावरकर का नाम याद करेगी? भाजपा को इससे क्यों परेशानी हो रही है.
उन्होंने कहा कि देश के लोग मकान, जमीन, रोजगार, शिक्षा के लिए लड़ रहे हैं. वे भाजपा के हिंदूवाद के झासे में नही आनेवाले हैं. अपने 10 वर्षों के शासन में भाजपा ने कारपोरेट घरानों के हजारों करोड़ रुपयों की छूट दी है लेकिन गरीबों के लिए जो थोड़ी-बहुत भी राहत थी, उसे छीन रही है. भाजपा-जदयू के लगभग 23 वर्षों के राज में बिहार कंगाली के द्वार पर आ खड़ा हुआ है.
उन्होंने कहा कि बिहार बदलेगा तो देश भी बदल जायेगा. 2025 के विधानसभा का चुनाव इसकी शुरुआत साबित होगा और फिर देश की सत्ता पर काबिज कारपोरेट-फासीवादी भाजपा को भी सत्ता से बाहर कर देना है.
उन्होंने कहा कि समागम में समाज के विभिन्न तबकों – किसानों, मजदूरों, छात्र-नौजवानों और स्कीम वर्कर्स तथा सामाजिक हिस्सों – दलितों, अति पिछड़ों, पिछड़ों अकलियतों और महिलाओं की जो एकता दीख रही है, वह 9 मार्च को गांधी मैदान में होनेवाले बदलो बिहार महाजुटान में भी दिखनी चाहिए.
समागम की मुख्य अतिथि का. मीना तिवारी ने कहा कि भाजपा को बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान से भारी दिक्कत है. वह उसकी जगह मनुस्मृति थोपना चाहती जिससे कि महिलाओं, दलितों और पिछड़ों के वे सारे अधिकार जो यह संविधान देता है, वह छीन सके.
उन्होंने कहा कि भाजपा दलित और अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के साथ बलात्कार करने वालों को सम्मानित करते हैं. भाजपा को गरीबों की नहीं, कारपोरेट की चिंता है और ये कारपोरेट मजदूरों का खून चूसने के लिए आज सप्ताह में 90 घंटे काम और रविवार की छुट्टियों को खत्म कर देने का माहौल बना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि झूठी घोषणायें करने मामले में नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी को भी पीछे छोड़ने का मन बना लिया है. गरीबों को 2 लाख रुपये देने की घोषणा भी झांसा साबित हो रही है. राज्य की स्कीम वर्कर्स महिलाओं को तो उन्होंने बंधुआ मजदूर ही बना दिया गया है.
आरा संसद सुदामा प्रसाद ने बताया कि सोन नहरों के आधुनिकीकरण की मांग को लेकर शाहाबाद क्षेत्र के सांसद जब प्रधानमंत्री से मिलने गए तो उन्होंने समय देने के बाद भी किसतरह से उन्हें टरका दिया. उन्हांने कहा कि इस वाकये से उनके शाहाबाद विरोधी और किसान विरोधी होने का अंदाजा लग जाता है और शाहाबाद इस अपमान बदला उनसे जरूर लेगा.
शाहाबाद समागम में करीब 1200 लोगों और 50 से अधिक संगठनों का प्रतिनिधित्व हुआ और उनमें से एक-दो को छोड़ करीब सभी संगठनों के नेताओं के वक्तव्य हुए.
अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा, अखिल भारतीय किसान महासभा, ऐपवा, ऐक्टू, आइसा, आरवाईए, निर्माण मजदूर यूनियन, आइलाज, इंसाफ मंच, जसम और तहरीके निस्वां, एआइपीएफ, बिहार प्रोग्रेसिव यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन आदि पार्टी से संबद्ध जनसंगठनों व संगठनों के प्रतिनिधि शामिल रहे.
समागम में बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (गोप गुट), बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (गोप गट), आदिवासी संघर्ष मोर्चा (कैमूर), आशा कार्यकर्ता संघ, बिहार जीविका कैडर संघ, बिहार राज्य सीमेंट पत्थरकट्टी मजदूर यूनियन (रोहतास), नगर परिषद सफाईकर्मी यूनियन, (डालमिया नगर), बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ (आरा) व सफाई मजदूर यूनियन (डुमरांव), बिहार राज्य ऑटो रिक्शा चालक संघ सरीखे पार्टी प्रभाव वाले मजदूर, कर्मचारी व स्कीम वर्कर्स संगठनों के लोग भी इसमें शामिल रहे.
भोजपुर व्यवसायी संघ, सहारा भुगतान संघर्ष मोर्चा आदि संगठनों के अलावा समागम में पार्टी प्रभाव के बाहर के भी कई संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए जिनमें कैमूर मुक्ति मोर्चा, अम्बेडकर विचार मंच (डुमरांव), आंगनबाड़ी कर्मी, रसोइया, फिजिकल ट्रेनर्स (आरा), बीपीएससी अभ्यर्थी आंदोलन, स्टैम्प वेंडर संघ (आरा), चौकीदार-दफादार संघ, चोराई-भेलाई किसान संघर्ष समिति, प्रगतिशील भाजपुरी समाज, प्रेरक समन्वयक संघ (कैमूर), रेल यात्रा कल्याण समिति (रघुनाथपुर) के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे.
रविदास सेवा संस्थान (आरा), अखिल भारतीय धोबी महासंघ,भारतीय विश्वकर्मा महासंघ, बिहार कुम्हार (प्रजापति) समन्वय समिति, चन्द्रवंशी समाज, इसाई समुदाय (आरा), सम्राट अशोक जन्मोत्सव आयोजन समिति (भोजपुर), नाई-दाई संघ (कैमूर), अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन (कैमूर), ताड़ी मजदूर संघ (कैमूर), पसमांदा मुस्लिम महाज, मलई बराज संघर्ष समिति, व्यवसायी संघ (कैमूर), नर्सिंग स्टूडेंट्स (आरा) और सहनी समाज जैसे सामाजिक व मुद्दा आधारित संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी समागम में अपनी बाते रखीं. जन मुक्ति संघर्ष वाहिनी, आप और वीआइपी से जुड़े कुछ नेता भी समागम में पहुंचे.
समागम में पहुचे काराकाट सांसद का. राजा राम सिंह का आरा पहुंचने के दौरान जीरो माइल पर व्यवसायियों और धोबीघाटवा पर कुशवाहा समाज से जुड़े समाजसेवियों द्वारा बुके व स्मृति चिन्ह (सम्राट अशोक की मूर्ति) देकर जोरदार स्वागत किया गया. आरा सांसद का. सुदामा प्रसाद व काराकाट विधायक अरुण सिंह के साथ ही सम्राट अशोक जन्मदिवस आयोजन समिति के सदस्य भी उनके स्वागत में शामिल थे.
आइसा जिला सचिव विकास कुमार ने समागम के 14 सूत्री प्रस्ताव का पाठ किया.
समागम में चौदह सूत्री प्रस्ताव स्वीकार किया जिसमें सोन नहर प्रणाली का आधुनिकीकरण, सोन नदी का बचाव, कदवन जलाशय का निर्माण, मलई बराज परियोजना को पूरा करने, चौसा (बक्सर) में सड़क और रोहतास व कैमूर जिलों में फ्रेट कॉरिडोर के लिए कृषि भूमि के अधिग्रहण में उचित मुआवजा देने और भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने सम्बंधी स्थानीय मांगों को भी शामिल किया गया था.
तिरहुत प्रमंडल के मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढी़ और शिवहर जिलों का ‘बदलो बिहार समागम’ 19 जनवरी 2025 को भाकपा(माले) के मुजफ्फरपुर जिला कार्यालय कैम्पस में संपन्न हुआ. समागम में इंसाफ मंच व मुस्लिम समुदाय, चास-वास जीवन बचाओ बागमती संघर्ष मोर्चा, सहारा भुगतान संघर्ष मोर्चा, स्कीम वर्कर्स रसोईया संघ, आशाकर्मी, आंगनबाडी़ व जीविका दीदी, ऐपवा, बिहार राज्य पंच-सरपंच संघ, इदरीशिया दर्जी संगठन, जनशक्ति विकास मोर्चा, ऐक्टू, निर्माण मजदूर यूनियन, कर्मचारी महासंघ (गोपगुट), अधिवक्ताओं के राष्ट्रीय संगठन आइलाज, इंकलाबी नौजवान सभा, आइसा, किसान महासभा, खेत व ग्रामीण मजदूर सभा आदि संगठनों के सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों व भाकपा(माले) से जुड़े 300 से ज्यादा प्रतिनिधियों की भागीदारी हुई. शायेबान-ए-उर्दू, बिहार के राज्य अध्यक्ष डॉ. मोतिउर रहमान अजीज, इतिहासकार व पत्रकार आफ्फाक आजम व इमाम मो. मोकारी अब्बास भी इसमें शामिल थे और उन्होंने समागम को संबोधित भी किया.
ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव का. मीना तिवारी ने मुख्य वक्ता के बतौर समागम को संबोधित किया. समागम में पंच-सरपंच संघ के राज्य प्रवक्ता ने सरकार से अपनी मांगों से संबंधित मांग पत्र भी प्रस्तुत किया.
समागम के नौ सदस्यीय अध्यक्ष मंडल में इंसाफ मंच के जिला अध्यक्ष फहद जमां, सहारा भुगतान संघर्ष मोर्चा के राज्य अध्यक्ष ललित कुमार, आइलाज के एड. ललितेश्वर मिश्र, बागमती बचाओ संघर्ष मोर्चा के जगन्नाथ पासवान, ऐपवा की मुजफ्फरपुर जिला सचिव रानी प्रसाद व वैशाली जिला सचिव प्रेमा देवी, इंकलाबी नौजवान सभा के जिला सचिव मुकेश पासवान, रसोईया संघ की मुजफ्फरपुर जिला अध्यक्ष लीला देवी तथा पंच-सरपंच संघ के राज्य अध्यक्ष गोपाल पासवान शामिल थे. इसका संचालन भाकपा(माले) के मुजफ्फरपुर जिला सचिव कृष्णमोहन ने किया.
समागम को भाकपा(माले) के वैशाली जिला सचिव विशेश्वर प्रसाद यादव, सीतामढ़ी जिला सचिव नेयाज अहमद, बागमती आंदोलन के नेता जितेन्द्र यादव, इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम, खेग्रामस के राज्य सचिव शत्रुघ्न सहनी, सहारा भुगतान आंदोलन के नेता सूरज कुमार सिंह, ऐक्टू के राज्य सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, पंच-सरपंच संघ के राज्य प्रवक्ता मुकेश कुशवाहा, इदरीशिया दर्जी संगठन व इंसाफ मंच वैशाली के नेता राजू वारसी, कर्मचारी महासंघ के नेता वीरेन्द्र चौधरी, मो.जावेद और अध्यक्ष मंडल में शामिल विभिन्न संगठनों के नेताओं ने संबोधित किया.
समागम को संबोधित करते हुए का. मीना तिवारी ने कहा कि भाजपा देश के लोकतांत्रिक ढांचे और संविधान को खत्म करके मनुस्मृति के आधार पर देश को चलाने की साजिश कर रही है. डॉ. अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान सामाजिक न्याय, समानता और लोकतंत्र के मूल्यों पर आधारित है, जिसे भाजपा-आरएसएस द्वारा कमजोर करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. भाजपा सरकार की नीतियां दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों व अल्पसंख्यकों – खासतौर पर मुस्लिमों और महिलाओं – के अधिकारों पर हमला करती हैं. वह संविधान में निहित अधिकारों और संरक्षण को हटाकर समाज को पितृसत्तात्मक, जातिवादी और विभाजनकारी मानसिकता से नियंत्रित करना चाहती है.
उन्होंने कहा कि राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा के दिन भारत को असली आजादी मिली, यह विचार देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरनाक संकेत है. यह बयान न केवल संविधान के मूल्यों पर प्रहार करता है बल्कि आजादी के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान का भी अपमान है.
का. मीना तिवारी ने कहा कि बिहार की तमाम आंदोलनकारी ताकतों का 9 मार्च 2025 को पटना के गांधी मैदान में ‘बदलो बिहार महाजुटान’ आयोजित है. यह आयोजन राज्य में लोकतंत्र, सामाजिक न्याय, रोजगार, महिला सशक्तिकरण, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और किसानों-मजदूरों के अधिकारों की मजबूती के लिए एक मंच प्रदान करेगा. तिरहुत की जनता को इस ऐतिहासिक महाजुटान में भारी संख्या में शामिल होने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह आयोजन सिर्फ भाकपा(माले) का नहीं है, बल्कि हर उस नागरिक का है जो एक बेहतर और समतामूलक बिहार के निर्माण का सपना देखता है.
समागम में ऐक्टू जिला सचिव मनोज यादव, संजय कुमार दास, खेग्रामस के जिला अध्यक्ष होरिल राय व जिला सचिव रामनंदन पासवान, ऐपवा नेत्री शारदा देवी, शर्मिला देवी, मंजू देवी, चंद्रकला देवी, इंसाफ मंच के राज्य प्रवक्ता असलम रहमानी, राज्य सह सचिव जफर आजम, आरवाईए जिला अध्यक्ष विवेक कुमार, शफीकुर रहमान, ऐजाज अहमद, मो. अखलाक, मनीष यादव, आइसा के दीपक कुमार, रौशन कुमार, नीरज कुमार, मनरेगा मजदूर नेता वीरेन्द्र पासवान, किसान नेता चंदेश्वर पाठक, प्रेमलाल राय, रवीन्द्र प्रसाद सिंह, सहारा भुगतान संघर्ष मोर्चा के राज्य प्रवक्ता कृष्णनंदन झा, राज्य कोषाध्यक्ष मुकेश कुमार, निर्माण मजदूर यूनियन के प्रमुख राम, अमोद पासवान, कैलाश यादव सहित बडी़ संख्या में महिलाएं, नौजवान और विभिन्न संगठनों के सक्रिय कर्मी शामिल थे.
समागम की शुरूआत संस्कृतिकर्मी विनय कुमार वर्मा के द्वारा प्रस्तुत जनगीतों से हुआ. कार्यक्रम में शामिल सभी नेताओं-कार्यकर्ताओं में 9 मार्च को पटना में आयोजित ‘बदलो बिहार महाजुटान’ की तैयारी को लेकर भारी उत्साह दिखा.
25 जनवरी 2025 को दरभंगा के लहेरियासराय प्रेक्षागृह में दरभंगा प्रमंडल स्तरीय ‘बदलो बिहार समागम’ को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा बिहार की सत्ता पर कब्जा को बेचैन है. बिहार के सामने चुनौती यह है कि संविधान व लोकतंत्र बचाने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव और खुद 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जो कमी रह गई थी, उसे इस बार पूरा कर देना है. पूरे देश की नजर बिहार पर है, इसलिए संविधान, लोकतंत्र व आजादी पर खतरे के खिलाफ चल रहे देशव्यापी प्रतिवाद में बिहार को अग्रिम मोर्चे पर खड़ा होना होगा.
उन्होंने कहा कि बदलो बिहार का आह्वान केवल सत्ता व सरकार में बदलाव का नहीं, बल्कि जनता के विभिन्न तबकों, संघर्षशील ताकतों और आम नागरिकों के बुनियादी सवालों को बिहार की राजनीति का केंद्रीय एजेंडा बना देने और जनपक्षीय नीतियों की दिशा में बिहार को आगे बढ़ाने का आह्वान है. इसी उद्देश्य से 9 मार्च को गांधी मैदान में ‘बदलो बिहार महाजुटान’ हो रहा है. राज्य की सभी संघर्षशील ताकतों को ऐतिहासिक बना देना होगा. बिहार के लिए एजेंडा तय हो, बुनियादी मुद्दों से भटकाने के प्रयासों को सफल नहीं होने दें. भाजपा-संघ द्वारा देश के संविधान और लोकतंत्र पर लगातार किए जा रहे हमलों की कड़ी में संघ प्रमुख द्वारा देश की आजादी को नकारने और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. अबेडकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई. संविधान व देश के गणतंत्र की रक्षा के संकल्प के साथ और संविधान प्रदत्त अधिकारों के जरिए फासीवादी ताकतों को मुकम्मल तौर पर शिकस्त देना होगा.
उन्होंने लोगों द्वारा भाकपा(माले) द्वारा चलाए जा रहे ‘संविधान बचाओ अभियान’ के तहत पूरे राज्य में 26 जनवरी को तिरंगा मार्च में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाने का अपील करते हुए कहा कि नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा दरअसल आतंक यात्रा है. जनता की आवाज नहीं सुनी जा रही है और भाकपा(माले) कार्यकर्ताओं और छात्र-नौजवानों पर दमन अभियान चल रहा है. हमारे कार्यालयों पर छापे पड़ रहे हैं जो घोर तानाशाही का परिचायक है. सरकार बनाम जनता की लड़ाई में हम माध्यम का काम करते रहेंगे. पुरानी राजशाही का दौर नहीं आने वाला है.
उन्होंने पूरे देश में जाति गणना की मांग करते हुए कहा कि बिहार ने इसकी शुरूआत की थी और इसी के आलोक में दलितों-पिछड़ों के बढ़ाए गए 65% आरक्षण को भाजपा-जदयू सरकार क्यों नहीं संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल कर रही है? सभी 94 लाख महागरीब परिवारों को सरकार 2 लाख रु. की सहायता राशि कब मिलेगी? गरीबों के लिए आवास, भूमि, पक्का मकान, मुफ्त बिजली, स्कीम वर्करों के लिए न्यूनतम मानदेय, शिक्षा-रोजगार ये सभी जनता के मुद्दे हैं और सरकार इन सवालों से भाग नहीं सकती. उन्होंने कहा कि चुनाव में धांधली केवल चुनाव के दिन नहीं होती. दिल्ली से रिपोर्ट आ रही है कि मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से छांटे जा रहे हैं और व्यापक पैमाने पर फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़े जा रहे हैं. इसलिए मतदाता सूची में अपने नाम को लेकर सतर्क व सावधान रहें और हरेक नागरिक को वोट देने का जो अधिकार है, उसकी सुरक्षा की गारंटी करनी होगी.
उन्होंने कहा कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और उसके द्वारा तथाकथित घुसपैठियों को देश से बाहर निकाल देने का ऐलान भारत व पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. यह अमेरिका से भारतीयों को भगाने का तरीका है. मोदी सरकार भारत में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाकर विभाजन की राजनीति करती है वही अमेरिका भारतीयों को लेकर कर रहा है. यह नस्लवाद व असुरक्षित माहौल बेहद चिंताजनक है. का. दीपंकर भट्टाचार्य ने भारत की विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स बैठक में डॉलर के दबाव को कम करने के लिए वैकल्पिक करेंसी की आवश्यकता जताई थी, लेकिन अमेरिका के दबाव में उन्होंने इस पर पीछे हटने का फैसला लिया. उन्होंने भारत की विदेश नीति को अमेरिका और इजराइल का पिछलग्गू बना दिया है. अब रूस से तेल का आयात नहीं हो सकता. यह भारत के आर्थिक व व्यापारिक तथा राष्ट्रीय हितों के लिए खतरे की घंटी है.
अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव धीरेंद्र झा ने समागम को संबोधित करते हुए बिहार की जनता से संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए संघर्ष को व्यापक बनाने की अपील करते हुए कहा कि जनता के बुनियादी सवालों को राजनीति का केंद्रीय एजेंडा बनाना होगा, ताकि राज्य में सकारात्मक बदलाव संभव हो सके.
स्कीम वर्कर्स की नेता व विधान परिषद सदस्य का. शशि यादव ने समागम को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में सरकार ही न्यूनतम मजदूरी कानून का उल्लंघन कर रही है. दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार में स्कीम वर्कर्स को कम मानदेय पर काम कराया जा रहा है और उन्हें मुकम्मल सरकारी सुविधाएं भी नहीं दी जा रही है. कार्यस्थल पर वर्कर्स की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है. स्कीम वर्कर्स को जो भी अधिकार मिला है, वह उनके संघर्षों की देन है. स्कीम वर्कर्स महिलायें राज्यकर्मी का दर्जा व वेतन की मांग समेत अन्य मांगों को लेकर लगातार आंदोलनरत रही हैं. इस चुनावी साल में स्कीम वर्कर्स अपने संघर्ष को तेज करेंगी और जिस सरकार ने 5 सालों तक स्कीम वर्कर्स की आवाज को अनसुनी की, उसे सत्ता से बेदखल करना होगा.
समागम में आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, ममता, कुरियर, बिजली कर्मी, सफाई कर्मी, विद्यालय प्रहरी, जीविका, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संगठनों के अलावा वकीलों के संगठन आईलाज, कर्मचारियों-शिक्षकों के संगठन और मजदूर-किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया. आरवाईए के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार, आइसा के राष्ट्रीय महासचिव प्रसेनजीत कुमार, रेलवे यूनियन के लीडर संतोष पासवान, ऐक्टू नेता उमेश साह, किसान नेता ललन कुमार, मजदूर नेता जीबछ पासवान, बिजली मजदूरों के नेता पवन यादव, जूली, बंदना, शनिचरी देवी, योगेंद्र राम, प्रो. सुरेंद्र सुमन, प्रो. ऋषिकेश झा, अमरजीत पासवान, मिथिलेश्वर सिंह, रामबाबू आर्य, दिनेश साफी, अशोक पासवान, नंदन सिंह, रेखा देवी, सुरेंद्र पासवान, आदि ने समागम किया. समागम की अध्यक्षता बैद्यनाथ यादव, उमेश कुमार, ध्रुव नारायण कर्ण, वंदना सिंह, शनिचरी देवी, नेयाज अहमद, अभिषेक कुमार ने की. कार्यक्रम का संचालन अभिषेक कुमार ने किया.
समागम से प्रस्ताव पारित कर 9 मार्च को पटना के गांधी मैदान में भाकपा(माले) द्वारा आयोजित ‘बदलो बिहार महाजुटान’ को सफल बनाने का आह्वान किया गया.
लहेरियासराय प्रेक्षागृह में दरभंगा प्रमंडल स्तरीय बदलो बिहार समागम के दौरान बिहार प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रिक वर्कर्स यूनियन, परिचारी-परिचारी विशिष्ट संघ, बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ, मेडिकल कॉलेज दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी संघ, कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) आदि ने भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचाय समेत अन्य नेताओं को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को सरकार के समक्ष उठाने की अपील की.
समागम में आशा कार्यकर्त्ता संघ. विद्यालय रसोईया संघ. जीविका कैडर संघ, वैक्सीन कुरियर संघ, 102 एम्बुलेंस कर्मी, चतुर्थ वर्गीय पैनल अभियर्थी, बिहार प्रोग्रेसिव इलेट्रिकल वर्कर्स यूनियन, परिचारी /परिचारी विशिष्ट संघ, उत्प्रेरक संघ, चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ, मेडिकल कॉलेज दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ, प्राथमिक शिक्षक संघ, कृषि विभाग कर्मचारी संघ, वित्त रहित शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी संघ, खिल भरतीय खेत व ग्रामीण महासभा, मनरेगा मजदूर सभा, ईएसईआरयू (रेलवे यूनियन) समेत कई संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए.
18 जनवरी 2025 को मुंगेर टाउन हाल में मुंगेर प्रमंडल के मुंगेर, लखीसराय, जमुई, शेखपुरा, बेगूसराय व खगड़िया जिलों का ‘बदलो बिहार समागम’ सम्पन्न हुआ. समागम को भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की महासचिव और विधान परिषद सदस्य का. शशि यादव, भाकपा(माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम व ऐक्टू के महासचिव का. आरएन ठाकुर ने भी संबोधित किया.
समागम के अध्यक्ष मंडल में इन जिलों के भाकपा(माले) जिला सचिव का. शंभूशरण सिंह (जमुई), दिवाकर कुमार (बेगूसराय), दशरथ सिंह (मुंगेर), विजय कुमार विजय (शेखपुरा), चंद्रदेव यादव (लखीसराय) व अरुण दास (खगड़िया) शामिल थे. चर्चित मजदूर नेता का. दशरथ सिंह ने मंच संचालन किया.
मुख्य नेताओं के अलावा पूर्वराजद के पूर्व एमपी व पूर्व विधायक विजय कुमार विजय, स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संघ के सचिव सह प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य अध्यक्ष नवल कुमार सिंह, राज्य पंचायत प्रतिनिधि संघ के संयोजक सह राजद महासचिव प्रमोद यादव, कांग्रेस मेंस यूनियन के नेता जय किशोर यादव, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) मुंगेर के मुख्य संरक्षक सतीश प्रसाद सतीश, हेल्थ सर्विसेज, मुंगेर की गीता यादव, आशा कार्यकर्ता संघ, मुंगेर की ऊषा देवी, बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ की किरण देवी, जमुई जिले के युवा भाकपा(माले) नेता चन्द्रशेखर सिंह उर्फ बाबू साहब, प्रमडलीय प्रथमिक शिक्षक संघ के महासचिव सत्यार्थी आदि ने भी संबोधित किया.
समागम में एक हजार से अधिक लोगों ने शिरकत की. आशा कार्यकर्ताओं समेत अन्य स्कीम वर्कर्स, महिलाओं व आदिवासियों की दिखने लायक भागीदारी से कार्यक्रम आकर्षक लग रहा था. समागम में प्रांतीय प्राथमिक शिक्षक संघ (मुंगेर), स्वतंत्रता सेनानी संगठन (मुंगेर), अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ - गोप गुट (मुंगेर), स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी संघ (मुंगेर), आशा कार्यकर्ता संघ (मुंगेर, खगड़िया, बेगूसराय व शेखपुरा), बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ, (मुंगेर, जमुई, बेगूसराय व शेखपुरा), आईटीसी वर्कर्स यूनियन (मुंगेर), ईस्टर्न रेलवे इम्पलाईज यूनियन (जमालपुर), रेलवे मेंस यूनियन (जमालपुर), ईस्टर्न रेलवे कांग्रेस (जमालपुर), सर्वदलीय मुंगेर प्रमंडलीय संघर्ष समिति, पंचायती राज प्रतिनिधि संघ (मुंगेर), आरवाईए (मुंगेर), आइसा (बेगूसराय व मुंगेर), खेग्रामस (जमुई व बेगूसराय), किसान महासभा, (जमुई, बेगूसराय व शेखपुरा), निर्माण मजदूर यूनियन (जमुई), बीड़ी मजदूर यूनियन (जमुई), आदिवासी संघर्ष मोर्चा (जमुई), पुल निर्माण संघर्ष मोर्चा (लखीसराय), बिहार राज्य अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ (मुंगेर प्रमंडल), ऐपवा (अरियरी प्रखंड, शेखपुरा) के अलावा मुंगेर व बेगूसराय से जीविका कर्मियों ने भी हिस्सा लिया. अधिकांश संगठनों के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम को संबोधित भी किया. आदिवासी संघर्ष मोर्चा के साथियों ने स्टेशन से लेकर कार्यक्रम स्थल पर सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर आयोजन को भव्य बनाया.
भाकपा(माले) की मुंगेर लीडिंग टीम के सदस्य का. लखन के स्वागत भाषण और किसान नेता रंजीत यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया जबकि आरवाइए के जिला संयोजक सुमित कुमार ने समागम के 11 सूत्री प्रस्ताव का पाठ किया.
समागम में भाजपा सरकार व नेताओं द्वारा पूरे देश में उत्पात व उन्माद भड़़काने, संसद में गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के अपमान के खिलाफ जारी भाकपा(माले) के संविधान बचाओ अभियान को सफल बनाने, बीपीएससी अभ्यर्थियों के प्रति नीतीश सरकार के दमनकारी रवैये की निंदा करते हुए उनपर से मुकदमा वापसी, जमीन सर्वे के नाम पर गरीबों को उजाड़ने का विरोध और उन्हें पांच डिस्मिल जमीन व पक्का मकान देने और स्मार्ट मीटर पर रोक लगाकर गरीबों को 200 यूनिट बिजली फ्री देने की मांग, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका को एकमुश्त निष्कासन व जीविका दीदियों को मानदेय से मरहूम करने की निंदा, महिला हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने तथा स्कीम वर्कर्स को हक व सम्मान देने की मांग संबंधी प्रस्ताव लिये गये.
समागम ने मुंगेर आइटीसी में चुनाव कराने, बंदूक कारखाने को पुनः चालू करवाने, मुंगेर विश्वविद्यालय छात्र संघ का चुनाव कराने, किउफल नदी में गायत्री मंदिर से पत्थर घाट तक पुल निर्माण करवाने, जमुई में किउफल जलाशय योजना के विस्थापितों को पुनर्वासित करने, बरनार जलाशय को पूरा करने, जंगल में बसे आदिवासियों को वनाधिकार कानून के तहत जमीन का परवाना देने, बीड़ी मजदूरों सहित तमाम असंगठित मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी करने, जीएनएम, एसएनसीयू और सदर अस्पताल की नर्सों का वेतन का भुगतान नियमित कर उनकी सेवा संपुष्टि करने, सभी स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने तथा जमालपुर रेलवे कारखाना में निजीकरण, ठेकाकरण, आउटसोर्सिंग व छटनी पर रोक लगाने तथा ओल्ड पेंसन स्कीम लागू के भी प्रस्ताव पारित किए.
सारण प्रमंडलीय समागम 19जनवरी 2025 को सिवान शहर के अंबेडकर पार्क में सम्पन्न हुआ. समागम की अध्यक्षता भाकपा(माले) के सिवान जिला सचिव का. हंसनाथ राम और संचालन भाकपा(माले) के जिरादेई विधायक का. अमरजीत कुशवाहा ने की.
सारण प्रमंडलीय समागम में सिवान और गोपालगंज जिलों के आशा, रसोइया, सफाई कर्मचारी यूनियन, राम जानकी पथ निर्माण मुआवजा संघर्ष समिति, जीविका कैडर संघ, शिक्षक संघ, गिट्टी-बालू यूनियन संघ, इंसाफ मंच, अराजपत्रित कर्मचार महासंघ (गांप गुट), 102 एंबुलेंस चालक संघ, पोलियो कोरियर संघ, आइसा, आरवाईए, विकास मित्र, किसान महासभा, मनरेगा मजदूर सभा, खेग्रामस सहित 18 जन संगठनों के लोग शामिल हुए.
समागम को आशा कार्यकर्ता संघ की सीवान जिला अध्यक्ष मालती राम, गोपालगंज जिला अध्यक्ष सीता देवी, रसोइया संघ की सिवान जिला अध्यक्ष कुंती यादव, सफाई कर्मचारी यूनियन के राज्य सचिव अमित कुमार, राम जानकी पथ निर्माण मुआवजा संघर्ष समिति के नेता अजीमुद्दीन अंसारी, गिट्टी बालू यूनियन संघ के जिला अध्यक्ष फिरोज खान, इंसाफ मंच के राज्य प्रभारी व भाकपा(माले) केंद्रीय कमिटी सदस्य का. नईमुद्दीन अंसारी, महासंघ गोपगुट के जिला सचिव हरेंद्र यादव और आशा फेसलिटेटर संघ की मीना देवी के साथ ही भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो के सदस्य का. धीरेंद्र झा, खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व दरौली विधायक का. सत्यदेव राम, ऐपवा की राज्य अध्यक्ष सोहिला गुप्ता, आरवाईए के राज्य अध्यक्ष जितेंद्र पासवान और पूर्व विधायक का. अमरनाथ यादव ने संबोधित किया.
समागम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. भीम राव आंबेडकर को अपमानित करने और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आजादी को लेकर दिए गए बयानों की भर्त्सना की और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के दिन व्यापक पैमाने पर तिरंगा मार्च आयोजित करने का आह्वान किया.
समागम ने स्कीम वर्कर्स तथा ठेका, नियोजन और मानदेय कर्मियों को सम्मानजनक मासिक वेतन देने और राज्यकर्मी घोषित करने, 9 मार्च को बिहार की राजधानी पटना में आयोजित हो रहे ‘बदलो बिहार महाजुटान’ को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने, राम जानकी पथ के लिए जमीन क्षोनेवाले किसानों बाजार दर से चौगुना मुआवजा देने, जेपी विश्वविद्यालय के सत्र को नियमित करने और प्रखंड स्तर पर डीग्री कॉलेज खोलने, बिहार के अति गरीबों को अविलंब 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने, जो लोग जहां बसे हैं उसका भौतिक सर्वेक्षण कर बासगीत पर्चा देने, संस्थागत और महाजनी कर्ज के बोझ तले कराह रहे लोगों और खासकर महिलाओं के कर्ज माफ करने और झारखंड राज्य की तर्ज पर मासिक महिला सम्मान योजना शुरू करने की मांग की.
25 जनवरी 2025 को पूर्णिया में सीमांचल स्तरीय ‘बदलो बिहार समागम’ आयोजित हुआ. समागम में भाकपा(माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम, पूर्णिया जिला सचिव विजय कुमार, अररिया जिला सचिव का. रामविलास यादव, भाकपा(माले) राज्य कमेटी सदस्य का. मोख्तार व सुलेखा देवी और इंसाफ मंच के नेता इस्लामुद्दीन समेत पूर्णिया, अररिया व कटिहार जिले के कई जनसंगठनों के नेता शामिल थे. इस समागम में पार्टी दायरे के बाहर कई अन्य धाराओं के सामाजिक कार्यकर्ता व बुद्धिजीवी तथा अपने मुद्दों को लेकर आंदोलन करनेवालों के प्रतिनिधि भी शामिल थे.
बदलो बिहार समागम को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) विधायक दल के नेता का. महबूब आलम ने कहा कि सीमांचल में भाजपा अपने सनकी मंत्री गिरिराज सिंह के जरिए जहर बोना चाहती है लेकिन यहां के अमन पसंद लोग इसका डट कर मुकाबला करेंगे और ऐसा नहीं होने देंगे. एक तरफ भाजपा नफरत की राजनीति कर रही है तो दूसरी तरफ बिहार के लोग बिहार को बदलने का संकल्प ले रहे हैं. इसी कड़ी में आज का ये समागम भी हो रहा है और 1 से 5 फरवरी के बीच भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य की अगुआई में फारबिसगंज से पूर्णिया तक ‘बदलो बिहार न्याय यात्रा’ आगामी 9 मार्च को पटना में ‘बदलो बिहार महाजुटान’ भी होगा.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा दमन व आतंक का पर्याय बन गई है. उन्होंने जनता को सुनना छोड़ दिया है और लोग अपनी वाजिब मांगों को लेकर जब उनसे मिलना चाहते हैं तो उनको गिरफ्तार करवा दे रहे हैं. आनेवाले विधानसभा चुनाव मे लोग उनकी भी एक न सुनेंगे और उनको गद्दी से उतार फॅेंकेंगे.
समागम को संबोधित करते हुए पूर्णिया कॉलेज के प्रो. शिवशरण यादव ने कहा कि आजादी के आंदोलन से गद्दारी करने वाली ताकतें आज सत्ता में है और वे लाखों लोगों की कुर्बानी के दम पर मिली आजादी का उपहास उड़ा रही हैं और बाबा साहब अंबेडकर के बनाए संविधान को बदलना चाहती हैं. हमें उनका डट कर मुकाबला करना होगा.
महिला कॉलेज की प्रो. प्रमिला यादव ने कहा कि आज महिलाओं को आगे आने की जरूरत है. बिहार और केंद्र की सरकार पितृसत्ता का पक्षपोषण करने वाली सरकार है. इसके खिलाफ महिलाओं को अपनी आवाज बुलंद करनी होगी. उन्होंने समागम को को एक ऐतिहासिक कदम बताया.
जीविका में कार्यरत सीता देवी ने कहा कि जीविका के नाम पर महिलाओं को सिर्फ छलने का काम किया जा रहा है. जीविका कर्मियों को न कोई सम्मान मिल रहा है और न हीं उचित मजदूरी.
26 जनवरी 2025, गणतंत्र दिवस के मौके पर सहरसा जिला परिषद के प्रांगण में स्थित पूजा बैंक्वेट हॉल में कोशी प्रतंडल स्तर पर जन मुद्दों-जन आंदोलनों का समागम आयोजित हुआ. समागम सभी के लिए समान अधिकार और सामाजिक समानता हासिल करने के संकल्प तथा यायपूर्ण नया बिहार बनाने के लिए बिहार में बदलाव के संघर्ष के आह्वान के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.
भाकपा(माले) के सहरसा जिला सचिव ललन यादव, सुपौल जिला प्रभारी जयनारायण यादव, रामचंद्र दास, राज्य कर्मचारियों के चर्चित नेता माधव प्रसाद सिंह व उषा सिंहा के संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित समागम को भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने मुख्य वक्ता के बतौर संबोधित किया.
का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की डबल इंजन सरकारर भी पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश की योगी सरकार की तर्ज पर बुलडोजर राज स्थापित करना चाहती है.
पूरे देश में जाति गणना कराने की मांग करते हुए उन्होंने केन्द्र की मोदी सरकार से बिहार में हुई जाति गणना के आधार पर दलितों-पिछड़ों के आरक्षण में की गई वृद्धि (65%) को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की तथा सभी 94 लाख महागरीब परिवारों को 2 लाख रु. की एकमुश्त सहायता राशि देने, गरीबों के लिए आवास भूमि, पक्का मकान व मुफ्त बिजली देने, स्कीम वर्करों के लिए सम्मानजनक वेतन की मांग की.
उन्होंने यह भी कहा कि अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधायें और रोजगार ये सभी जनता के बुनियादी अधिकार हैं. कोई भी सरकार इन सवालों से भाग नहीं सकती है. बिहार में डबल इंजन सरकार में जनता पर दमन व अत्याचार दुगुना हो गया है. 2025 के विधानसभा चुनाव में जनता इसका जबाब जरूर देगी.
लाल झंडे की ताकत को मजबूत करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि भाकपा(माले) ही गरीबों-शोषितों-वंचितों, छात्र-युवाओं, मजदूर-किसानों, महिलाओ और संगठित-असंगठित मजदूरों की सच्ची आवाज है.
उन्होंने कहा कि बिहार में बुलडोजर राज नहीं, जनता का राज चलेगा. विधानसभा चुनाव में इधर-उधर की बात पर नहीं बल्कि जनता के असली मुद्दों पर बात होगी. भाजपा बिहार की सत्ता पर कब्जा करने को बेचैन है. बिहार के सामने चुनौती यह है कि संविधान व लोकतंत्र बचाने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव और खुद 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जो कमी रह गई थी, उसे इस बार उसे कैसे पूरा किया जाये. पूरे देश की नजर बिहार पर ह इसलिए बिहार को संविधान-लोकतंत्र व आजादी पर खतरे के खिलाफ जारी देशव्यापी प्रतिवाद में अग्रिम मोर्चे पर खड़ा होना होगा.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा दरअसल आतंक व दमन यात्रा है जिसमें जनता की आवाज नहीं सुनी जा रही है. सहरसा में कुंदन यादव व विक्की राम जैसे भाकपा(माले) कार्यकर्ताओं, छात्र-नौजवानों की गिरफ्तारी यह जाहिर करती है कि नीतीश सरकार कितना डरी हुई है.
का. दीपंकर ने कहा कि जनता के बुनियादी सवालों को राजनीति का केंद्रीय एजेंडा बनाना होगा ताकि राज्य में सकारात्मक बदलाव संभव हो सके.
समागम को भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो सदस्य व खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव का. धीरेन्द्र झा, स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय महासचिव विधान पार्षद शशि यादव, भाकपा(माले) नेता बैद्यनाथ यादव, माधव प्रसाद सिंह, विक्की राम, कुंदन यादव, नईम आलम, मो. जाकिर, मो. युसूफ, रेल कर्मचारियों के नेता मिथिलेश ठाकुर, आंगनबाड़ी संघ की नेत्री नुरुल, प्रेरक संघ के प्रदेश अध्यक्ष इंदुभूषण कुमार, गौरीशंकर झा, नल-जल ऑपरेटर संघ के जयशंकर कुमार, सफाईकर्मी नेता अमर मलिक, स्वच्छता पर्यवेक्षक संघ के बम कुमार, मो. कमाल, जसम के शंभुशरण भारतीय, रसोइया नेत्री वीणा देवी व जयंती कुमार, जीविका संघ की अफसाना परवीन, अधिवक्ता कृतनारायण यादव, मनोरंजन सिंह, किसान नेता अच्छेलाल मेहता, शिक्षक नेता निरंजन कुमार, एक्टू के मुकेश कुमार, आदि ने भी संबोधित किया.
19 जनवरी 2025 को भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने पटना में नागरिक समाज और विभिन्न आंदोलनकारी ताकतों की ओर से आयोजित ‘बदलो बिहार समागम’ को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा दरअसल दमन यात्रा है. कोई मुख्यमंत्री को ज्ञापन न दे सके, इसके लिए चरम दमन किया जा रहा है. एक ओर बिहार को बदल देने का संघर्ष है, दूसरी ओर किसी तरह सत्ता बचाने का दमन अभियान है.
उन्होंने कहा कि आज हम अलग-अलग मुद्दे पर आंदोलित ताकतें एकजुट हुई हैं. लेकिन सुरक्षा और सम्मान के साथ जीने का एजेंडा सबका है. सब लोग बिहार में बदलाव चाहते हैं, लेकिन असल सवाल यह है कि किस दिशा में यह बदलाव होगा? कुछ लोग कहते हैं कि 35 सालों में बिहार बरबाद हो गया, तो क्या 90 के पहले बिहार बहुत अच्छा था? क्या वे बिहार को उसी सामंती दौर में ले जाना चाहते हैं? नहीं, बिहार आगे बढ़ेगा पीछे नहीं लौटेगा.
नीतीश जी जब सत्ता में आए अच्छे नारे लेकर आए. लेकिन सवाल अब यह है कि न्याय और विकास का आज हाल क्या है? सरकार के सामाजिक-आर्थिक सर्वे से पता चला कि 20 साल में गरीबी का चरम विकास हुआ है. 94 लाख परिवार 6000 रु. से कम मासिक पर जिंदा है. यह कैसा विकास है? केरल में रसोइयों को 12000 रु. मासिक मिलता है, तमिलनाडु में 10000 रु. लेकिन बिहार में महज 1650 रु. मिलता है. यह कैसा न्याय है?
उन्होंने कहा, ‘पहली जरूरत है इस सरकार को सत्ता से बेदखल करना होगा. अपने वाजिब सवालों को लेकर लंबी लड़ाई लड़नी है. यदि जनता की कोई बात सुनी नहीं जाएगी, उनके दुख दर्द को नहीं सुना जाएगा तो ऐसी लाठी-गोली की सरकार और तानाशाही को बिहार बर्दाश्त नहीं करेगा.’
उन्होंने कहा कि चुनाव में हमारे मुद्दों को दबाने के लिए बहुत सारी साजिश होगी. आप मजदूरी की मांग करेंगे वे 90 घंटे काम करने की बात करेंगे. मुद्दों को तरह-तरह से भटकाने का काम करेंगे. लेकिन हमें मजबूती से आगे बढ़ना है और सभी आंदोलनों का मोर्चा बनाते हुए एक जनपक्षधर सरकार की दिशा में बढ़ना है. आज के समागम से संकल्प लेना है कि 9 मार्च को पटना के गांधी मैदान में आयोजित बदलो बिहार महाजुटान को सभी आंदोलनों का साझा मंच बना देना है, उसे ऐतिहासिक बना देना है.
समागम को पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, विधायक दल नेता महबूब आलम, एमएलसी शशि यादव, चर्चित चिकित्सक डॉ. सत्यजीत, दलित अधिकार मंच के कपिलेश्वर राम, मोमिन फ्रंट के महबूब आलम, बिहार राब्ता कमिटी के अफजल हुसैन, शिक्षक सतीश कुमार, एआइपीएफ के कमलेश शर्मा, इंसाफ मंच के गालिब, फुटपाथ दुकानदारों के नेता शहजादे आलम, जस्टिस डेमोक्रेटिक फोरम में पंकज श्वेताभ, सेक्युलर सेवा मंच के कौसर खान सहित आशा, रसोइया व स्कीम वर्कर्स संगठनों के लोगों ने भी संबोधित किया.
समागम में भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य अमर, किसान नेता केडी यादव, शंभूनाथ मेहता व उमेश सिंह, जसम के राजेश कमल, प्रो. सोवन चक्रवर्ती, झुग्गी झोपड़ी वासी संघ के सुरेश रविदास, फार्मेसी के अरविंद चौधरी, ऑटो चालक यूनियन के मुर्तजा अली व नवीन मिश्रा, ई-रिक्शा के राजदेव पासवान, आइसा के सबीर कुमार व प्रीति कुमारी, महिला विकास समिति की प्रतिमा पासवान, बिहार विद्यालय रात्रि प्रहरी संघ के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश कुमार यादव, डीडीटी छिड़काव कर्मचारी संघ के अजय कुमार गुप्ता, संतोष कुमार सिंह, भारत जान विज्ञान समिति के अशर्फी सदा, पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन के शारिक, उर्दू टीईटी उत्तीर्ण शिक्षक संघ के हसन रजा, ललित कला युवा संगठन के नितेश आदि प्रमुख रूप से शिमल रहे. समागम का संचालन भाकपा(माले) के नगर सचिव अभ्युदय ने की. कार्यक्रम की शुरूआत जसम के साथियों द्वारा गीत गायान से हुई.