बेगूसराय में भाकपा(माले) ने लोहियानगर रेलवे लाइन के किनारे और वीरपुर अंचल के भावानंदपुर पंचायत में सड़क किनारे वर्षों से बसे गरीब परिवारों को उजाड़ने के आदेश को अमानवीय करार देते हुए समाहरणालय पर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया.
धरना का नेतृत्व कर रहे भाकपा(माले) जिला सचिव दिवाकर प्रसाद, पूर्व जिला सचिव चंद्रदेव वर्मा और नगर सचिव राजेश श्रीवास्तव ने भाजपा-जदयू सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि गरीबों और भूमिहीनों को उजाड़ने का यह अभियान सरकार की संवेदनहीनता और गरीब-विरोधी नीतियों का जीता-जागता उदाहरण है.
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें सार्वजनिक मंचों पर गरीबों और कमजोर वर्गों के लिए योजनाओं का ढिंढोरा पीटती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है. बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए गरीबों को आवास से बेदखल करना, खुद सरकार के निर्देशों का उल्लंघन है. पूर्व में लोहियानगर में बसे 31 महादलित परिवारों को जमीन देने का वादा किया गया था, लेकिन तीन साल बाद भी प्रशासन ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया. अब उन गरीबों का आशियाना उजाड़ कर बेघर करने का फरमान जारी किया गया है. इस ठंड के मौसम में गरीबों को उजाड़ने का आदेश दिल दहला देने वाला है. भावानंदपुर पंचायत में गरीबों को इंदिरा आवास दिए जाने के बावजूद उन्हें हटाना सरकार की योजनाओं के खोखलेपन को उजागर करता है.
नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर गरीबों को उजाड़ने की कार्रवाई पर तत्काल रोक नहीं लगाई गई और उनके पुनर्वास की ठोस व्यवस्था नहीं की गई, तो संघर्ष को और तेज किया जायेगा. यह लड़ाई सिर्फ गरीबों के अधिकारों की नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और इंसानियत की भी है.
धरनास्थल से भाकपा(माले) के एक प्रतिनिधिमंडल ने जब जिलाधिकारी से मिलकर उनको मांगपत्र देने का प्रयास किया तो उन्होंने इंकार कर दिया. इसके खिलाफ आक्रोशपूर्ण नारेबाजी करते हुए धरना समाप्त किया गया. धरने में सुरेश पासवान, गजेंद्र पंडित, रामललित यादव, उपेंद्र पासवान, गंगा पासवान, निलेश झा, अजय चौधरी, भारती देवी सहित सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल थे.