9 दिसंबर 024 को पूर्णिया में आदिवासी संघर्ष मोर्चा व भाकपा(माले) के संयुक्त बैनर तले प्रतिवाद मार्च निकाल कर विगत 6 नवंबर 2024 को कटिहार जिले के मनसाही थानांतर्गत पिंड़ा गांव में भाजपा-जदयू संरक्षित दबंग-अपराधियों के द्वारा जमीन जोत रहे आदिवासी समुदाय के सिकमी बटाईदार किसानों पर किये गये बर्बर व जानलेवा हमले व आगजनी की घटना का विरोध किया गया.
कटिहार जिले के मनसाही थानातंर्गत पिंडा गांव में जमीन जोतने के दौरान आदिवासी सिकमी बटाईदारों पर गोविंद सिंह और उसके साथ आए दबंग-अपराधियों द्वारा की गई जानलेवा हमले व गोलीबारी में वैद्यनाथ उरांव की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी, जबना उरांव केजांघ व हाथ में गोली लगी और एक महिला भी घायल हो गई. साथ ही दो ट्रैक्टर को आग के हवाले कर पूरे इलाके में दहशत का माहौल बनाने की कोशिश की गई. स्थानीय थाना का पुलिस चार घंटे तक इस भयावह घटना को बस देखती रही.
प्रतिवाद मार्च इंदिरा गांधी स्टेडियम से निकल कर गिरजा चौक व आरएन साह चौक होते हुए समाहरणालय पहुंचा, जहां जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल महोदय के नाम एक पांच सूत्री ज्ञापन सौंपा गया.
ज्ञापन में मुख्य अभियुक्त सहित सभी अपराधियों को तत्काल गिरफ्तार करने, बैजनाथ उरांव के परिजनों को 20 लाख रुपए तथा दो जलाए गए दो ट्रैक्टरों के मुआवजे के बतौर 10-10 लाख रुपए का मुआवजा देने, घायलों का सरकारी स्तर पर समुचित इलाज करवाने, पिंड़ा गांव के आदिवासियों को मजिस्ट्रेट और पुलिस बल के संरक्षण में उक्त जमीन पर अधिकार दिलाये जाने तथा सभी सिकमी बंटाईदारों को कायमी हक दिलाने तथा उनकी बेदखली रोकने की गारंटी करने की मांग की गई.
प्रतिवाद मार्च का नेतृत्व का. इस्लामुद्दीन, चतुरी पासवान, मोख्तार, अविनाश पासवान, चंद्रकिशोर शर्मा, यमुना मुर्मू, अनुपलाल बेसरा, शिवलाल टुड्डू, हीरामणि टूड्डू ने किया. प्रतिवाद मार्च में सैकड़ों कार्यकर्ता -समर्थक शामिल हुए.
जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने के बाद हुई सभा को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि मोदी शासनकाल में गरीबों, दलितों, आदिवासियों व अल्पसंख्यकों पर फासीवादी, साम्प्रदायिक व सामंती हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. बिहार में भी जब से भाजपा-जदयू के गठजोड़ की सरकार बनी है, ये हमले लगातार बढ़ रहे हैं. हत्या, लूट व आगजनी के द्वारा दलित-आदिवासी गरीबों को उनकी जमीन से बेदखल करने और उनकी जमीन हड़पने का चौतरफा अभियान चल रहा है. राजनेताओं-अपराधियों-पुलिस प्रशासन का गठजोड़ बिहार में भयावह रूप लेता जा रहा है. घटना का मुख्य अभियूक्त गोविंद सिंह खुलेआम पीड़ित सिकमी बंटाईदारों को धमका रहा है. सीमांचल में अभी एक केन्द्रीय मंत्री ने हिन्दू स्वाभिमान के नाम पर साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ने का भी भरपूर प्रयास किया था.
आज समय की मांग है कि तमाम मजदूर, किसान, वंचित वर्गों व समुदायों के लोग व प्रगतिशील ताकतें एकजुट होकर 2025 के विधानसभा चुनाव में इन जन विरोधी ताकतों को उखाड़ फेकें – यह कहते हुए वक्ताओं ने ‘बदलो बिहार अभियान को तेज कर फासीवादी, साम्प्रदायिक व सामंती ताकतों कों परास्त करने का आह्वान किया.
9 दिसम्बर 2024, भागलपुर : कटिहार जिला में भाजपा संरक्षित दबंग-अपराधियों द्वारा आदिवासी सिकमी बटाईदारों पर जानलेवा हमले व वैद्यनाथ उरांव की हत्या का विरोध् करते हुए भाकपा(माले) ने प्रतिवाद मार्च निकाला.
प्रतिवाद मार्च को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) राज्य कमिटी सदस्य एसके शर्मा और नगर प्रभारी मुकेश मुक्त ने कहा कि नीतीश-भाजपा शासन में दबंगों-अपराधियों का मनोबल चरम पर है. सरकार सिकमी बटाईदारों को सुरक्षा देने में पूरी तरह विफल साबित हुई है.
उन्होंने बताया कि इसी साल 5 जनवरी को डीसीएलआर ने सम्बंधित आदिवासियों को सिकमी बटाईदार की मान्यता प्रदान की थी. इससे बौखलाकर ही इस घटना को अंजाम दिया गया.अन्य मांगों के अलाव उन्होंने मजिस्ट्रेट और पुलिस बल के संरक्षण में महेन्द्र उरांव और रघुनाथ उरांव को उक्त जमीन पर अधिकार देने और उसकी कानूनी सुरक्षा करने तथा मनसाही थाना की संदिग्ध भूमिका को देखते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की.
प्रतिवाद में नगर सचिव विष्णु कुमार मंडल, सुरेश प्रसाद साह, नगर कमिटी सदस्य अमर कुमार, मनोज सहाय, सुभाष कुमार, राजेश कुमार दास, बुधनी उरांव, चंचल पंडित, अमित गुप्ता, मो. मुमताज, लूटन तांती, मो. सुदीन व पूनम देवी, मो. रुस्तम, राजीव कुमार, प्रमोद ठाकुर, दीपक कुमार, राजू साव, धनंजय कुमार आदि शामिल रहे.