वर्ष - 33
अंक - 50
07-12-2024

बिहार की राजधानी पटना में नवंबर महीने के अंतिम सप्ताह में, जब बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा था, राज्य के जीविकाकर्मियों के दो-दो बड़े प्रदर्शन आयोजित हुए. इन प्रदर्शनों में राज्य के विभिन्न जिलों से सैकड़ों की तादाद में जूटे जीविका कर्मियों – जीविका दीदियों और अन्य ने उत्साहपूर्ण भागीदारी की और जोशीले आवाज में अपनी मांगों को बुलंद किया.

संविधान दिवस के मौके पर 26 नवंबर 2024 को जीविका कैडर-दीदी के महाजुटान ने भाजपा की नीतीश सरकार पर विश्वासघात का आरोप लगाया.

‘महाजुटान’ नाम से होनेवाला यह प्रदर्शन बिहार प्रदेश जीविका कैडर संघ के बैनर तले आयोजित हुआ. यह राज्य में जीविका कर्मियों का एकमात्र संगठन है और पिछले ही दिनों इसने ऐक्टू से अपनी संबद्धता घोषित की है. नीतीश सरकार पर इस प्रदर्शन का इतना बड़ा खौफ था कि संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह की एक दिन पहले ही लर्गभग अपहरण करने के अंदाज में गैर कानूनी गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन जीविका कर्मियों ने महाजुटान कार्यक्रम को असफल बनाने के मंसूबे को ध्वस्त कर दिया. पटना पहुंचने की राह में जगह-जगह खड़ी की गई बाधाओं और प्रशासनिक धमकियों को धत्ता बताते हुए दसियों हजार से ज्यादा जीविका कैडर्स व दीदियों ने गर्दनीबाग पहुंचकर महाजुटान को न केवल सफल बनाया बल्कि अपने नेता प्रदीप कुमार सिंह को रिहा करवाने के बाद ही प्रदर्शन स्थल गर्दनीबाग से घर को वापस हुए. जीविका दीदियों के पटना पहुंचने का सिलसिला तो दोपहर बाद 2 बजे तक जारी रहा. जगह कम पड़ने की वजह से गर्दनीबाग सभा स्थल भी छोटा पड़ गया.

जीविका कैडर व दीदियों के इस महाजुटान ने साबित कर दिया है कि नीतीश सरकार के खिलाफ लम्बे समय से जो आक्रोश उमड़ घुमड़ रहा था, उसने जीविका मिशन के 2 सितम्बर के काला आदेश के बाद विस्फोटक रूप ग्रहण कर लिया है.

ऐक्टू राष्ट्रीय सचिव रणविजय कुमार व कैडर संघ के नेता जितेंद्र कुमार शर्मा के संचालन तथा जीविका कैडर संघ महासचिव विवेक कुमार,नयना यादव, रीता वर्णवाल व सुनील जायसवाल की अध्यक्षता में महाजुटान कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इस दौरान हजारों जीविका कैडर-दीदियों ने घण्टो नीतीश-मोदी सरकार के खिलाफ लगातार नारा लगाया और मुख्यमंत्री के 226 करोड़ के महिला संवाद यात्रा के सामानांतर राज्य भर में महा संवाद आयोजित करने के ऐलान का जोरदार स्वागत किया.

महाजुटान ने जीविका मिशन द्वारा विगत 2 सितम्बर को एक काला आदेश जारी कर मिशनकर्मियों के मानदेश पर रोक लगाने का जोरदार विरोध करते हूं उसे पूरी तरह से रद्द करने, 25 हजार रुपये मानदेय तय करने, 5 वर्ष पुराने जीविका समूह का सभी कर्ज माफ करने, सभी कर्मियों को पहचान पत्र व सामाजिक सुरक्षा लाभ देने समेत 10 सूत्री मांगों को बुलंद किया.

महाजुटान को संघ नेताओं के अलावे भाकपा(माले) की विधान पार्षद व आशा-स्कीम वर्कर्स नेत्री शशि यादव, विधायक दल नेता महबूब आलम, विधायक संदीप सौरभ व गोपाल रविदास, ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन की अध्यक्ष कुमारी रंजना यादव, महासंघ (गोप गुट) के सम्मानित अध्यक्ष का. रामबली प्रसाद और संघ के संरक्षक व पूर्व विधायक डॉ. अचुयतानन्द ने मुख्यरूप से संबोधित किया.

महाजुटान से वक्ताओं ने भाजपा की नीतीश सरकार पर जीविका कैडर-दीदी के विश्वशघात का आरोप लगाया और 226 करोड़ के सरकारी खर्च पर आयोजित हो रहे नीतीश कुमार के महिला सम्वाद के सामानांतर राज्य भर में जीविका कैडर-दीदियों सहित स्कीम वर्कर्स का महासम्वाद का एलान किया.

नेताओं ने जीविका मिशन द्वारा दो सितंबर को जारी जीविका कैडरों का मानदेय रोकने का काला आदेश पूरी तरह वापस नहीं हुआ तो इसके खिलाफ निर्णायक आंदोलन ऐलान किया. इस बीच ऐक्टू राष्ट्रीय सचिव रणविजय कुमार ने राजनीतिक प्रस्ताव पढा और जीविका कैडर संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह के गैर कानूनी हिरासत के खिलाफ हाईकोर्ट मे याचिका दायर किये जाने की घोषणा की.

सरकार ने महाजुटान के प्रतिनिधियों से वार्ता करने से जब इनकार कर दिया तब 10 सूत्री मांगों का ज्ञापन धरनास्थल पर मौजूद दंडाधिकारी मो. एम खान को सुपुर्द किया गया.

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