24 अक्टूबर को लखनउफ में महिलाओं ने पुलिस प्रशासन द्वारा रोकने की कोशिश को धता बताते हुए विधानसभा मार्च निकाला. कई बार रोकने के बावजूद महिलाएं आगे बढ़ती गई और अंततः प्रशासन के नाक के नीचे केकेसी तिराहे पर सभा की. वे उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ऊपर बढ़ते बलात्कार, हत्या, अपहरण और लूट की शर्मनाक घटनाओं के खिलाफ आवाज बुलंद करने आयी थीं. अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने इस प्रदर्शन का के आह्वान किया था.
24 अक्टूबर को लखनऊ में प्रदेश के विभिन्न जिलों से महिलाएं चारबाग रेलवे स्टेशन पर एकत्रित होकर विधान सभा मार्च के लिए आगे बढ़ीं. चन्दौली और लखनऊ की गैंगरेप पीड़िताओं ने भी मार्च में शामिल होकर तथा ऐपवा आंदोलन के साथ जुड़कर अपने लिए न्याय की आवाज बुलंद की, उन्होंने बताया कि थाने में बहुत संघर्ष के बाद एफआईआर दर्ज हुआ, फिर भी लंबा समय गुजर जाने के बाद भी बलात्कारियों की गिरफ्तारी नहीं हो रही है.
प्रदर्शन के दौरान ‘महिलाओं पर हिंसा नहीं सहेंगे’, ‘बुलडोजर राज पर रोक लगाओ’, ‘बहराइच में अल्पसंख्यकों पर दमन बंद करो’, ‘महंगाई पर रोक लगाओ’, ‘स्मार्ट बिजली मीटर वापस लो’, ‘जमीन से गरीबों की बेदखली बंद करो’, ‘सभी स्कीम वर्कर्स (आशा, आंगनबाड़ी, रसोइयों) को राज्यकर्मी घोषित करो’, ‘जाति जनगणना की गारंटी करो’, ‘जाति उत्पीड़न पर रोक लगाओ’, ‘विधवा और वृद्धा पेंशन की राशि बढ़ाओ’, ‘हर गरीब परिवार को 50 किलो अनाज, तेल व अन्य उपयोगी खाद्य पदार्थों की गारंटी करो’, ‘मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपए मजदूरी की गारंटी करो’, ‘केजी से पीजी तक की शिक्षा मुफ्त करो’, ‘स्वास्थ्य केंद्रों में महिला डॉक्टर सुनिश्चित करो’, ‘स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के सभी कर्ज माफ करो,’ ‘गोंड, बियार, कोल और मुसहर जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दो’, ‘लखीमपुर खीरी में किसानों-मजदूरों को उजाड़ने की साजिश बंद करो’, ‘सभी कार्यस्थलों पर महिला सेल की गारंटी करो’, ‘सम्मानजनक रोजगार की गारंटी करो’, आदि नारे लगा रही थीं.
प्रदर्शन के दौरान महिलाओं को संबोधित करते हुए ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़े बताते हैं कि महिला अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश शर्मनाक ढंग से पहले नंबर पर है. उत्तर प्रदेश की लगभग प्रत्येक जिले में महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्या, अपहरण की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और इन घटनाओं में पीड़ित महिलाओं और उनके परिवारों को न्याय नहीं मिल रहा हे. आमतौर पर पुलिस थानों में महिला हिंसा की घटनाओं में एफआईआर तक दर्ज न की जा रही है बल्कि कई घटनाओं में तो पुलिस का रवैया पीड़िताओं के प्रति असंवेदनशील रहता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिला सशक्तिकरण की कितनी ही बातें कर लें, महिलाओं के साथ अपराध की घटनाएं यह बता रही हैं कि यूपी में महिलाएं सुरक्षित नहीं है.
कहा कि संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ यूपी में बुल्डोजर से न्याय करने के लिए जाने जा रहे हैं. वे ‘ठोक दो’ की राजनीति में विश्वास करते हैंलेकिन उन्होंने यौन उत्पीड़न के आरोपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई बयान तक नहीं दिया. आईआईटी, बीएचयू के बलात्कारियों को जब हाल में रिहा किया गया और उनका स्वागत किया गया, तब भी मुख्यमंत्री की खामोशी यह दर्शाती है कि सांसद, मंत्री और रसूखदार लोग अगर यौन शोषण व बलात्कार के आरोपी होंगे तो उन्हें योगी सरकार का संरक्षण मिलेगा जबकि बुल्डोजर एवं ‘ठोक दो’ की राजनीति आम जनता के लिए के लिए होगी.
ऐपवा की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि योगी राज में महिलाएं अपने ऊपर हर प्रकार की हिंसा झेल रही हैं. सरकार की स्मार्ट परियोजनाओं के कारण गरीब महिलाओं और उनके परिवारों को शोषण और दमन झेलना पड़ रहा है, यहां तक की पीने के साफ पानी के लिए भी महिलाओं को आज भी कई किलोमीटर दूर पैदल चलना पड़ता है. बढ़ती महंगाई से गरीब महिलाएं प्राइवेट लोन लेने के लिए मजबूर हो रही हैं और कर्ज न चुकाने पर उनका परिवार आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहा है. महिलाओं के लिए स्थाई रोजगार देने के लिए जिससे वह अपनी जिंदगी को सम्मानजनक तरीके से जी सके, सरकार के पास कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में नफरत और बुल्डोजर की राजनीति ने आग लगा दी है. बहराइच में एक युवक की हत्या, भीड़ द्वारा आगजनी और निर्दाष महिलाओं और बच्चों का पलायन, इसका ताजा उदाहरण है.
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के राज्य सचिव का. सुधाकर यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में निर्मम हत्या व बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं. अल्पसंख्यकों पर साजिश के तहत दमन ढाया जा रहा है. न तो महिलाएं और न ही भाकपा(माले) इसे बर्दाश्त करेगी. पार्टी योगी सरकार के दमन व बुल्डोजर राज के खिलाफ आंदोलन तेज होगा और उपचुनाव में योगी सरकार व भाजपा को हराकर इसका बदला लिया जाएगा.
प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री के नाम 20 सूत्रा मांग पत्र दिया गया. आज हुए प्रदर्शन में ऐपवा उपाध्यक्ष आरती राय, रेखा पासवान, प्रदेश सह सचिव गीता पांडे, माला, कमला गौतम, कबूतरा देवी, जीरा भारती, नाइश हसन, लीलावती, संगीता, अंजली, राधा, सुजाता भट्टाचार्य, सरोजिनी, सुतपा गुप्ता, सरोजिनी बिष्ट, मीना सिंह, आदि महिला नेता मौजूद रही.
खेग्रामस के सम्मानित राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी, ऐक्टू के प्रदेश अध्यक्ष विजय विद्रोही, आरवाईए के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रसाद व सचिव सुनील मौर्य, आइसा नेता सुकृति, आदि नेता तथा लखनऊ, कानपुर, अयोध्या, गोरखपुर , देवरिया, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, गाजीपुर, बलिया, पीलीभीत, रायबरेली आदि जिलों से आई महिलाएं मार्च में शामिल थे.