वर्ष - 33
अंक - 41
05-10-2024

इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) द्वारा देशव्यापी आह्वान पर 28 सितंबर 2024 को शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 117वें जन्मदिन पर ‘युवा दावेदारी मार्च’ का आयोजन किया गया. यह मार्च बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, बंगाल, असम, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु, सहित भारत के कई अन्य राज्यों के कई शहरों में आयोजित किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में युवाओं ने भाग लिया इस अवसर पर भगत सिंह की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर जगह-जगह नुक्कड़ सभाओं का आयोजन किया गया.

झारखंड के बगोदर में सभा को संबोधित करते हुए इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार ने कहा कि आज देशभर में नौजवान भगत सिंह के सपनों का भारत बनाने के लिए संगठित हो रहे हैं. सत्ता में बैठी भाजपा और आरएसएस द्वारा आज भगत सिंह के सपनों व विचारों पर हमले किए जा रहे हैं. नौजवानों के सामने सांप्रदायिक नफरत परोसा जा रहा है. देश के युवा इस बात पर एकमत हैं कि देश में जो हालात हैं, वे न केवल युवाओं के भविष्य के खिलाफ हैं, बल्कि भगत सिंह के सपनों के भी विरोधी हैं. भगत सिंह ने जिस समाज की कल्पना की थी, वह शोषणमुक्त, समतामूलक, और न्यायपूर्ण समाज था. वे सांप्रदायिकता और विभाजन की राजनीति के कट्टर विरोधी थे. उनका मानना था कि केवल राजनीतिक आजादी पर्याप्त नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता भी आवश्यक है. उन्होंने साम्राज्यवाद, पूंजीवाद, और धार्मिक कट्टरता का कड़ा विरोध किया. आज हम स्वतंत्रता के 78वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं तो अब हमें यह मूल्यांकन करना चाहिए कि भगत सिंह और उनके साथियों ने जिस भारत का सपना देखा था क्या वैसे देश का निर्माण हो पाया है?

उन्होंने कहा कि हमारे देश में युवाओं का सबसे बड़ा जनसंख्या समूह है, फिर भी उन्हें नजर अंदाज किया जा रहा है. मौजूदा सरकार रोजगार के मुद्दे पर पूरी तरह से विफल रही है. आज देश के युवाओं के सामने बेरोजगारी की गंभीर समस्या है. सरकारी नौकरियों में कटौती हो रही है, निजीकरण और ठेका प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है. ये वही पूंजीवादी नीतियां हैं, जिनका भगत सिंह ने अपने समय में विरोध किया था. उन्होंने एक ऐसे समाज का सपना देखा था जहां हर व्यक्ति को उसके श्रम का सही मूल्य मिले और किसी के साथ अन्याय न हो. परंतु आज की मोदी सरकार इन्हीं नीतियों को और भी प्रखर रूप से लागू कर रही है, जिससे देश के युवाओं और गरीबों पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है. देश में एक तरफ बेरोजगारों की फौज खड़ी की जा रही है दूसरी तरफ समाज में सांप्रदायिकता का जहर फैलाया जा रहा है. भगत सिंह ने धर्म को व्यक्तिगत विषय माना था, न कि राजनीतिक हथकंडा. परंतु आज की सरकार धर्म के नाम पर समाज को बांटने का काम कर रही है. हमें इस विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ खड़ा होना होगा.

दिल्ली के खोड़ा में ‘युवा दावेदारी सभा’ को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) सांसद सुदामा प्रसाद ने कहा कि भगत सिंह के सपने को साकार करने की दिशा में इंकलाबी नौजवान सभा लगातार अभियान और आंदोलन चला रहा है. इसे और तेज करने की जरूरत है क्योंकि इसी रास्ते एक समतामूलक, धर्मनिरपेक्ष, और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण संभव है. हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां कोई भी भूखा न सोए, हर युवा को उसकी योग्यता के अनुसार रोजगार मिले, और किसी को भी जाति, धर्म, लिंग या वर्ग के आधार पर भेदभाव का सामना न करना पड़े. इसलिए भगत सिंह के विचारों को सिर्फ शब्दों में न बांध कर उन्हें अपने जीवन में उतारने की जरूरत है. हमें अपने अंदर की आग को जलाए रखना है और इस लड़ाई को तब तक जारी रखना है जब तक हम भगत सिंह के सपनों का भारत नहीं बना लेते. हमें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा, सड़कों पर उतरना होगा और सरकार की जनविरोधी नीतियों का पुरजोर विरोध करना होगा.

आरवाईए के ‘युवा दावेदारी मार्च’ में भाग लेने वाले युवाओं ने अपनी निराशा और असंतोष खुलकर व्यक्त किया. उनका कहना था कि उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है और जो रोजगार मिल रहे हैं, वे ठेके वाले, अस्थायी और कम वेतन वाले हैं. शिक्षा की बढ़ती लागत ने भी उन्हें गहरा प्रभावित किया है, जिससे उच्च शिक्षा का सपना दूर होता जा रहा है.

मार्च में शामिल विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार पेपर लीक होना न केवल हमारी मेहनत का अपमान है, बल्कि यह भ्रष्टाचार और प्रशासनिक विफलता की गहरी समस्या को उजागर करता है. हर साल लाखों युवा कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ इन परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, लेकिन पेपर लीक होने की घटनाओं से उनकी उम्मीदें और सपने टूट जाते हैं. सरकार और संबंधित एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष हो. यदि ऐसे कृत्यों पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह न केवल युवाओं का विश्वास तोड़ेगा, बल्कि देश के भविष्य को भी प्रभावित करेगा. अब समय आ गया है कि प्रशासन सख्त कदम उठाए और युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करे. हम अपने अधिकारों के लिए भगत सिंह के दिखाए गए रास्तों पर चलकर संघर्ष करेंगे और इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे.

इस ‘युवा दावेदारी मार्च’ ने केंद्र सरकार से रोजगार गारंटी अधिनियम कानून बनाने, सभी विभागों के रिक्तियों को शीघ्र भरने, नौजवानों को बेरोजगारी भत्ता देने, अनुसूचित जाति, जनजाति, और पिछड़े वर्गों की आरक्षण की रक्षा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने की मांग की.