16 अक्टूबर 2024 को बेनीपट्टी में बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की मूर्ति पर पोलिट ब्यूरो सदस्य का. धीरेंद्र झा, केंद्रीय कमिटी सदस्य का. मंजू प्रकाश, दरभंगा जिला सचिव बैद्यनाथ यादव, मधुबनी जिला सचिव ध्रुव नारायण कर्ण, समस्तीपुर जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह तथा मधुबनी, दरभंगा और समस्तीपुर जिलों के कई राज्य कमिटी और जिला कमिटी सदस्यों तथा जनसंगठनों के नेताओं द्वारा माल्यार्पण किया गया.
इस मौके पर आयोजित सभा में 3 सौ से अधिक महिला-पुरूषों की भागीदारी रही. इसके सजे-धजे चार चक्का वाहन, झंडे, बैनर, फेस्टून लेकर 2 सौ से अधिक लोगों ने पदयात्रा शुरू की बेनीपट्टी नगर पंचायत स्थित डॉराम मनोहर लोहिया की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया. सरिसव होते हुए पदयात्रा भाकपा के बड़े नेता का. राजकुमार पूर्वे के गांव धगजरी पहुंचा जहां उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया. विदित हो कि बेनीपट्टी बिहार के कम्युनिस्ट आंदोलन का प्रारंभिक केंद्र के बतौर उभरा. 4जनवरी 1947 को अंधरी महंत के खिलाफ चल रहे भूमि संघर्ष सभा पर जमींदारों के लठैतों ने हमला किया था. का. भोगेंद्र झा घायल हुए थे और उन्हें बचाने में पलटू यादव और संत खतवे की शहादत हुई थी.
पदयात्रा जबआगे बढ़ी तो रास्ते में सैकड़ों स्कूली बच्चों ने पदयात्रियों का स्वागत किया. यहीं दिन का भोजन हुआ. यहां सरकारी जमीन पर दशकों से बसे दलित परिवारों ने पार्टी से जुड़ने की इच्छा जताई. इनके नेता रामचरित्र पासवान ने बताया कि जमींदार बेदखली का खेल कर रहा है. सर्वे में दलित बस्ती को मिटाने में लगा हुआ है. महिलाएं मुखर थीं.
पदयात्रा कुमसौल, बलाईन, लोहा होते हुए कलुआही पहुंची. लोहा और कलुआही में संक्षिप्त सभा हुई. कलुआही में कर्नल लक्ष्मेश्वर मिश्रा और शांति सहनी के साथ दर्जनों शिक्षकों और वरिष्ठ नागरिकों ने पदयात्रा का स्वागत किया. रात्रि भोजन और विश्राम गांव के स्कूल में था. गरम पानी से पैर धोने की पूरी व्यवस्था थी. पहले दिन की यात्रा लगभग 24 किलोमीटर की थी और धूप भी कुछ ज्यादा ही थी. थके पदयात्रियों को अच्छी व्यवस्था से सुकून मिला और आगे बढ़ने की उर्जा मिली.
दूसरे दिन 17 अक्टूबर को पदयात्रा कलुआही से शुरू हुई और मुख्य मार्गों से गुजरते हुए मधुबनी की ओर प्रस्थान की. ढांगा डीह टोल, बेलाही, जितवारपुर होते हुए यात्रा माले नगर स्थित जिला कार्यालय पहुंची. दोपहर का भोजन यहीं था. पदयात्रियों ने निर्माणाधीन नागार्जुन-रेणु भवन-पार्टी कार्यालय को देखा. पार्टी द्वारा बसाई गई बस्ती का नाम माले नगर दिया गया है जहां जिला कार्यालय बन रहा है. यहां से यात्रा लहरिया, चभाचा मोड़ होते हुए मधुबनी रेलवे स्टेशन पहुंची. चाय-पानी के बाद स्टेशन परिसर स्थित गांधी मूर्ति पर माल्यार्पण हुआ और सभा हुई.
का. धीरेंद्र झा ने कहा कि मोदी राज में गांधी की फिर से हत्या की जा रही है. गांधी परिसर की गंदगी और बदहाली इसी की कहानी कहती है. उन्होंने कम्युनिस्ट विरासत के साथ समाजवादियों की विरासत – धनिक लाल मंडल, देवनारायण गुरमैता, शहीद सूरज नारायण सिंह आदि – को याद करते हुए गांधी के समावेशी समाज और बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करने का संकल्प दिलाया. पदयात्रा पुनः आगे बढ़ी और लहेरियागंज होते हुए गंगासागर पहुंची. गंगासागर में परचाधारी दलित महादलित परिवारों के साथ संवाद हुआ. यहां 50 परिवारों को श्री लालू प्रसाद के राज में हदबंदी वाला पर्चा मिला था. लेकिन महंत और भूमाफियाओं ने मिलकर गरीबों को बेदखल कर रखा है. पार्टी की ओर से दखल-देहानी को लेकर आंदोलन चल रहा है. यहां दलित नौजवानों की भागीदारी उल्लेखनीय थी.
तीसरे दिन 18 अक्टूबर को गंगासागर से पदयात्रा शुरू होकर मधुबनी हवाई अड्डा, बसुआरा व मलंगिया होते हुए दशकों से बंद पड़े रैयाम चीनी मिल के पास पहुंचा. रास्ते में कई गांवों के लोगों ने भीषण पेयजल संकट और उदासीन तंत्र के बारे में शिकायतें की. रैयाम चीनी मिल की बंदी पर एक परिचर्चा स्थानीय लोगों द्वारा आयोजित की गई थी. परिचर्चा को भाकपा(माले) के विधायक दल के नेता कामहबूब आलम ने संबोधित करते हुए कहा कि हवा-हवाई बातें करने वाली दिल्ली-पटना की सरकारें जमीनी हकीकत को भूल गई है. उन्होंने कहा कि बंद पड़े उद्योगों के सवालों को सदन में मजबूती से उठाया जाएगा. 2 सौ से अधिक किसान-मजदूरों के इस परिचर्चा को स्थानीय भाकपा और राजद नेताओं ने भी संबोधित किए. परिचर्चा में बोलते हुए का. धीरेंद्र झा ने कहा कि पंडौल, रैयाम और सकरी का यह इलाका गुलजार रहा करता था. स्थानीय रोजगार का साधन था और मिल आधारित खेती विकसित थी. रैयाम की बर्बादी नीतीश कुमार के विकास मॉडल की गवाह है. नीतीश की भाजपा सरकार ने यह कहकर मिल को बेचा कि 10 साल के भीतर यहां बहुआयामी मिलें खड़ी होंगीं. लेकिन एक नई ईंट नहीं लगी. सारे कल-पुर्जे और साजो-समान बेच दिए गए. उन्होंने कहा कि जनता का संघर्ष एकमात्र रास्ता है. भाकपा(माले) के दरभंगा जिला सचिव बैद्यनाथ यादव और मधुबनी के ध्रुवनारायण कर्ण ने मिलकर इस संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया. दिन के भोजन के बाद पदयात्रा बलिया-छतवन होकर आगे बढ़ी. बलिया में सड़क किनारे डोम जाति के लोगों के 14 घर बसे हैं. जमींदारों और गांव वालों ने इन्हें दशकों पूर्व बसाया था. लेकिन आजतक इन भूमिहीनों को स्थाई ठिकाना नहीं मिला है. भूमिहीन रहने के चलते इन्हे इंदिरा आवास का लाभ भी नहीं मिलता. महिलाओं ने शिकायत की कि राशन कार्ड नहीं बनने के चलते राशन भी नहीं मिलता है. बगल के डुमरी गांव की कई महिलाओं ने शिकायत की कि जमींदार जमीन खाली करने के लिए धमकी दे रहा है. कायदे से इन परिवारों को पीपी एक्ट -1948 के तहत पर्चा मिल जाना चाहिए था, लेकिन पूरा ही तंत्र लूट के खेल में नए पुराने जमींदारों के हाथों का खिलौना बना हुआ है. रास्ते में दर्जनों मुसहर बस्तियां मिली जहां कोई नागरिक सुविधा नहीं है और न ही इन बस्तियों को नियमित किया गया है. इन लोगों ने भाकपा(माले) में शामिल होने की इच्छा जाहिर की. मल्लाह टोली के लोगों ने भी अपना दुखड़ा सुनाया.
पदयात्रा आगे बढ़ते छोटाईपट्टी होते हुए गैरपूर पहुंची, वहां दलित गरीबों और अकलियत समाज के लोगों ने इसका स्वागत किया. ठहराव उर्दू प्राथमिक विद्यालय में था जहां हिंदी और उर्दू दोनों माध्यमों से पढ़ाई होती है. स्कूल की रसोईया बहनें पूरी तत्परता से पदयात्रियों के लिए व्यवस्था जुटानें में लगी थी. शिक्षकों ने भी स्वागत किया. का. महबूब आलम से मिलने गांव के कई लोग आए और उन्होंने अपने सवालों और जज्बातों को रखा. रात्रि भोजन और विश्राम यहीं था. इस विद्यालय की रसोईया जो मुसहर समुदाय से आती हैं, ने बताया कि वे अपने दो बच्चों के साथ विद्यालय में ही रहती हैं क्योंकि उनके पास अपना घर और जमीन नहीं है. वे पार्टी से भी जुड़ गई हैं. उनका कहना था कि वे तो दिन-रात विद्यालय और बर्तनों की साफ-सफाई करती हैं और शिक्षकों के लिए चाय-पानी का प्रबंध करती हैं लेकिन महीने में केवल 1650 रुपए मिलते हैं और वो भी 10 महीने.
चौथे दिन 19 अक्टूबर, पदयात्रा छोटाईपट्टी से शुरू होकर लोआम होते हुए जीबछ घाट नेशनल हाईवे से गुजरते हुए बिजली गांव पहुंची. बिजली गांव के मजदूर-किसानों के साथ मुस्लिम समाज के लोगों ने पदयात्रा का गर्मजोशी से स्वागत किया. कम्युनिस्ट-सोशलिस्ट आंदोलन का यह महत्वपूर्ण गांव रहा है. यहां बाहरी जमींदारों के खिलाफ बड़े-बड़े जमीन आंदोलन हुए हैं. जमीन आंदोलन के बड़े हिस्से को परिवार में समाहित कर हुकुमदेव नारायण यादव भाजपा-संघ के शरण में चले गए. अरबों की संपत्ति के मालिक हुकुमदेव खुद कई बार सांसद बने, एमएलए बेटे को सांसद बनाया और एक बेटे को पंचायत का मुखियाइस परिवार के लूट और दमन के खिलाफ भाकपा(माले) दृढ़ता से खड़ी है, मुसहर बस्ती को उजड़ने से बचाया है इसी आंदोलन से राज्य कमिटी सदस्य शनिचरी सामने आई हैं. सुबह का नाश्ता यहीं हुआ. दही की पुरजोर व्यवस्था थी. यादव समुदाय का भी एक हिस्सा पार्टी के साथ है. यहां से भाकपा(माले) के एक पंचायत समिति सदस्य भी हैं. सुबह की चौपाल में सरपंच हाफिज नसीर साहेब ने कहा कि यह पदयात्रा अभियान पुराने सोशलिस्ट आंदोलन और ’74 के जयप्रकाश आंदोलन की याद ताजा कर दे रहा है. का. दीपंकर जी इस दौर के नए गांधी हैं. फासीवादी हुकूमत से लोहा ले रहे हैं और बेबाकी से समावेशी भारत की बात रख रहे हैं.
लोआम में भी लोगों ने पदयात्रियों का स्वागत हुआ. खरथुआ, मंठ, एकभिंडा, इस्लामपुर, रामपुर होते हुए; भीषण धूप और तपिश को झेलते हुए; पदयात्रा हिंगौली गांव पहुंचे. लोगों ने पानी और चाय पिलाकर साथियों में ऊर्जा भरी. यहां दलित-गरीब-मजदूर संवाद का आयोजन था जो पीपल के विशाल वृक्ष के नीचे हुआ. गांव के हर परिवार का कोई न कोई बाहर काम करता है. लोगों ने कोरोना काल की त्रासदी झेला है. प्रवासी मजदूरों के लिए सुरक्षा, सम्मान और कल्याण के मद्देनजर कानून बनाने की बात आई. बाहर घटना-दुर्घटना होती है तो कोई देखने सुनने वाला नहीं होता है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन में मिल रही 400 रुपए मासिक की तुच्छ राशि को लेकर भी चर्चा हुई और मांग उठी कि इसे मानवीय गरिमा का ख्याल रखते हुए कम से कम 3000 रुपए मासिक किया जाये. बांस के झुरमुट के मध्य बगीचा में भोजन और ठहराव की व्यवस्था थी. इसने पदयात्रियों को सुकून दिया. कारवां आगे बढ़ा और डीह बेरई रामबेरई, अतिहर, देबारी होते हुए धोई, गंज, छिपलिया के बाद यात्रा दिलावरपुर पहुंची. धोई में स्थानीय जनता की ओर से चाय, बिस्किट और पानी का प्रबंध था. आगे लोहिया चरण सिंह कॉलेज गेट पर छात्र-युवा संवाद आयोजित था. यात्रा के विलंब से पहुंचने के बावजूद सौ से अधिक छात्र-युवा संवाद में उपस्थित रहे. कई शिक्षकों और स्थानीय नागरिकों की भी सहभागिता रही. शिक्षा के निजीकरण और रोजगार को लेकर अगंभीर सरकार के प्रति लोगों में भारी आक्रोश था. ऐसे दौर में जब दलित वंचितों में शिक्षा की भूख जगी है, शिक्षा को बाजार के हवाले करना इस दौर का सबसे बड़ा फासीवादी हमला है. लहेरियासराय स्थित माले जिला कार्यालय में रात्रि भोजन एवं विश्राम की व्यवस्था थी.
पांचवें दिन 20 अक्टूबर, को लहेरियासराय के पंडासराय पार्टी कार्यालय से पदयात्रा शुरू होकर पोलो मैदान पहुंची. जहां प्रेक्षगुह में मिथिला विकास सम्मेलन आयोजित हुआ.
सम्मेलन के बाद रास्ते में भाकपा(माले) नेता का. हरेराम की समाधि पर माल्यार्पण हुआ. आगे डेकुली गांव में पार्टी आंदोलन के द्वारा बसाई गई बस्ती के लोगों ने स्वागत किया और चाय-नाश्ते की व्यवस्था की. मझौलिया व देवीपुर होते हुए यात्रा ने बंद पड़े अशोक पेपर मिल के विशाल खंडहर इलाके को देखते हुए करेह नदी को पार किया. इलाके में महिलाएं यात्रा की आवाज सुनकर झुंड ब झुंड सड़क पर आ रही थीं. प्रीपेड स्मार्ट मीटर के खिलाफ महिलाओं का आक्रोश चरम पर है. महिलाएं कह रही थीं कि झाड़ू, बेलना और कल्छुल से नीतीश कुमार को भगाएंगी. 27 अक्टूबर के पटना न्याय रैली से इस सवाल को मजबूती से उठाने की बात पर महिलाएं, हामी भरती थीं और जाने को लेकर क्या व्यवस्था है, यह पूछती थी. फिर यात्रा रात के साढ़े नौ बजे हायाघाट के नवगठित विलासपुर नगर पंचायत में पहुंची जो चारो तरफ से पानी से घिरा हुआ है. बाढ़ के समय यह डूब क्षेत्र बन जाता है. 1987 की बाढ़ में तटबंध टूटने से इस पंचायत के लगभग 53 लोग डूबकर मर गए थे. मुस्लिम और दलित बहुल नगर पंचायत के लोगो ने पदयात्रियों का स्वागत, भोजन व ठहराव का प्रबंध किया. पार्टी नेता मोलालू की अगुआई में संतोष यादव, विश्वनाथ पासवान आदि साथियों ने पूरी व्यवस्था की. का. महबूब आलम के साथ अगल-बगल के गांव के गणमान्य लोगों का संवाद हुआ.
छठे दिन 21 अक्टूबर. विलासपुर से पदयात्रा शुरू होने से पहले विलासपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष समेत कई वार्ड सदस्यों के साथ विलासपुर की दशा सुधारने को लेकर चर्चा हुई. कटोरे की शक्ल में है विलासपुर. जल निकासी के 87 से पूर्व की स्थिति बहाल करने की मांग पर सहमति बनी. का. महबूब ने इसे इस सत्र में उठने का आश्वासन दिया.
यहां जनता ने स्मार्टमीटर लगाने पर रोक लगा दी है. जनता इतनी उग्र है कि बिजली विभाग के कर्मचारियों को वार्ड में जाने की हिम्मत नहीं होती है. इस संवाद के साथ ही यात्रा समस्तीपुर की ओर रवाना हो गई. समस्तीपुर के जिला सचिव का. उमेश कुमार, कल्याणपुर प्रखंड सचिव दिनेश कुमार, कल्याणपुर से महागठबंधन के पूर्व प्रत्याशी भाकपा(माले) नेता का. रंजीत राम, ललन कुमार आदि के नेतृत्व में जोरदार स्वागत किया गया. इसके बाद यात्रा समस्तीपुर जिले के रतवारा में प्रवेश कर गई. मुख्य मार्गों से गुजरते हुए पदयात्रा सिमरिया भिंडी पंचायत के मालीपुर पहुंची. वहां मजदूर जनसंवाद में 3 सौ से अधिक लोग शामिल हुए और महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी हुई. संवाद को वरिष्ठ माले नेता का. सुखलाल यादव समेत एक सेवानिवृत्त शिक्षक आदि कई लोगों ने संबोधित किया. मुसहर समुदाय की बड़ी भागीदारी थी. ‘जिस जमीन पर हम बसे हैं वो जमीन हमारी है’ के नारों से पूरा सम्मेलन गूंज उठा. आगे मालीपुर में भोजन की व्यवस्था थी. दोपहर बाद पदयात्रा खजूरी, धुरलख, मुक्तापुर होते हुए वारिसनगर पहुंची. प्रखंड स्थित मथुरापुर बाजार समिति के गेट पर पदयात्रियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया. इससे पूर्व खजुरी में अकलियत समाज के लोगों ने फूल-मालाओं के साथ सबका स्वागत किया. बाजार समिति के गेट पर आयोजित सभा को यात्रियों की ओर से का. बैद्यनाथ यादव ने संबोधित किया. सभा से मजदूरी घोटाला को सामने लाया गया और मांग की गई कि न्यूनतम मजदूरी कानून को सख्ती से लागू किया जाये और 4 लेबर कोड को केंद्र सरकार वापस ले. सभा को खेग्रामस जिला सचिव जीबछ पासवान व अध्यक्ष उपेंद्र राय, पार्टी प्रखंड सचिव रामचंद्र पासवान, इंसाफ मंच के खुर्शीद खैर व वंदना सिंह आदि ने संबोधित किया.
सातवें दिन, 22 अक्टूबर की सुबह जिला कार्यालय से पदयात्रा निकालकर बहादुरपुर होते हुए समस्तीपुर कालेज गेट पर छात्र-युवा संवाद किया. संवाद को आइसा जिला सचिव लोकेश राज, अध्यक्ष सुनील कुमार, आरवाइए जिला सचिव रौशन कुमार, दीपक यदुवंशी आदि ने भी संबोधित किया. शिक्षा के निजीकरण को लोकतंत्र और संविधान पर बड़ा हमला करार देते हुए केंद्र सरकार के रोजगार विरोधी युवा विरोधी के खिलाफ संघर्ष का आह्वान हुआ. मांग उठी कि बिहार सरकार को डोमिसाइल नीति लागू करनी चाहिए. बिहार में एकबार फिर 74 जैसा छात्र-युवा आंदोलन वक्त का तकाजा है. यात्रा आगे बढ़ते हुए चांदनी चौक, जितवारपुर चौक होते हुए उजियारपुर प्रखंड के मालती चौक पहुंचकर वहां आयोजित बड़ी सभा का हिस्सेदार बनी. पार्टी नेता फूलबाबू सिंह ने पदयात्रियों का स्वागत किया. सभा को का. धीरेंद्र झा, बैद्यनाथ यादव, जिला सचिव प्रो. उमेश कुमार व उजियारपुर प्रखंड सचिव गंगा प्रसाद पासवान आदि ने संबोधित किया. जीविका दीदियों, विद्यालय प्रहरी आदि ने मांग-पत्र सौंपकर न्याय दिलाने की मांग की. दिन के भोजन के बाद पदयात्रा योगी चौक व पतैली हाट होते हुए भंडार चौक पहुंचे जहां सभा को का. दीलीप राय आदि ने संबोधित किया. दुर्गा स्थान चौक पर आयोजित सभा में का. धीरेंद्र झा ने कहा कि राज्य में सरकार वेंटीलेटर पर चली गई है. वेंटीलेटर को भाजपा नेताओं का समूह अपनी ओर खींच रहे हैं तो जेडीयू के नेता अपनी ओर. जनता त्रास्त और पस्त है वहीं अफसरशाही और पुलिस के संरक्षण में माफियाओं का नंगा नाच चल रहा है. सभा को जिला स्थाई समिति सदस्य का. महावीर पोद्दार, का. वंदना सिंह आदि ने भी संबोधित किया. चौता मध्य विद्यालय में रात्रि भोजन व विश्राम हुआ.
आठवें दिन सुबह के नाश्ता के बाद पदयात्रा आगे बढ़ते हुए विभूतिपुर के महीषी चौक पहुंची जहां का. मंजू प्रकाश, किसान नेता का. ललन कुमार, प्रखंड सचिव का. अजय कुमार आदि ने पदयात्रियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. वहां आयोजित सभा में चिलचिलाती धूप के बाबजूद 3 सौ से अधिक लोग शामिल थे. पुनः पदयात्रा आगे बढ़ते हुए, विभूतिपुर प्रखंड के विभिन्न पंचायतों से गुजरते हुए शाहपुर निवासी किसान नेता महेश सिंह के घर दिन का भोजन करने बाद अपने अंतिम गंतव्य प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेता एवं सात वार विधायक रहे का. रामदेव वर्मा के जन्म एवं कर्मभूमि पतैलिया का रूख किया. यहां बड़ी संख्या में पदयात्रियों ने कई पंचायतों का भ्रमण करते हुए रात्रि करीब 8 बजे पतैलिया पहुंचा. यहां ग्रामीणों ने पदयात्रा का जोरदार स्वागत किया. हजारों की भीड़ में ‘का. रामदेव वर्मा अमर रहें’, ‘का. रामदेव वर्मा के सपनों को पूरा कौन करेगा – हम करेंगे, हम करेंगे’ के नारे के बीच पदयात्रियों ने का. वर्मा की मूर्ति पर माल्यार्पण किया. धीरेंद्र झा समेत सभी पदयात्रियों ने एक-एक कर कामरेड वर्मा की मूर्ति पर माल्यार्पण किया. तत्पश्चात एक विराट किसान संवाद शुरु हुआ. संवाद की अध्यक्षता का. मंजू प्रकाश ने की. संचालन का. ललन कुमार और का. अजय कुमार ने किया. संवाद को का. धीरेंद्र झा, का. बैधनाथ यादव, प्रोफेसर सुरेंद्र सुमन आदि ने संबोधित किया. का. धीरेंद्र झा ने कहा कि पंजाब की तरह बिहार के किसानों को लामबंद होना होगा. मोदी-नीतीश की सरकार कॉरपोरेट्स की सरकार है इसलिए किसानों को कृषि कार्य के लिए फ्री बिजली नहीं दे रही है और ऊपर से खून चुसवा प्रीपेड स्मार्ट मीटर थोप रही है. उन्होंने दलित गरीबों के वास आवास और 2 लाख रु. सहायता तथा 200 यूनिट मुफ्त बिजली के आंदोलन को तेज करने का आह्वान किया. आगे उन्होंने कहा कि भाकपा(माले) की विरासत ही कामरेड रामदेव वर्मा की विरासत है. कम्युनिस्ट आंदोलन की संपूर्ण विरासत को आगे बढ़ाने का काम भाकपा(माले) कर रही है. इसलिए एके राय की पार्टी मार्क्सवादी समन्वय समिति का विलय भाकपा(माले) में हुआ. भाकपा(माले) के इसी तेवर को देखकर कामरेड रामदेव वर्मा और मंजू प्रकाश ने अपने हजारों समर्थकों के साथ भाकपा(माले) को अंगीकार किया था. विभूतिपुर वर्मा जी का था और अब वह पूरी विरासत भाकपा(माले) के साथ है. 27 अक्टूबर को पटना के मिलर हाई स्कूल मैदान में भाकपा(माले) द्वारा आयोजित विराट न्याय सम्मेलन में भाग लेकर उसे सफल बनाने की अपील के साथ ही करीब 215 किलोमीटर की ऐतिहासिक लंबी पदयात्रा के समापन की घोषणा हुई.
8 दिनों तक चली लंबी पदयात्रा में हजारों साथियों ने भाग लिए. दर्जनों सभाएं और जन संवाद हुए और पदयात्रा आंदोलन बन गया. इसमें करीब 35 साथी जीरो प्वाइंट से अंतिम बिंदु तक मौजूद रहे. एक प्वाइंट से दूसरे प्वाइंट तक सैकड़ों की संख्या में लोग भाग लेते रहे. महिला साथियों की दृढ़ता और छात्र-युवा साथियों का जोश पदयात्रा की मुख्य ताकत थी. पदयात्रा में तीन साथी ऐसे थे जिनकी उम्र 70 वर्ष के करीब थी, फिर भी मजबूती से यात्रा में बने रहे. तीन चार महिलाएं बच्चों को लेकर बीसियों किलोमीटर की यात्रा में बनी रही. इजगह जगह बौद्धकोंका समूह और राजद के नेताओं ने विभिन्न रूपों में मदद की. इस पदयात्रा ने मधुबनी, दरभंगा और समस्तीपुर में पार्टी की मजबूती और विस्तार के कई नए आयामों को जोड़ा है.
– सुरेंद्र प्रसाद सिंह
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विराट और भव्य सभागार खचाखच भरा हुआ था. शहर के बुद्धिजीवियों और नागरिकों की अच्छी उपस्थिति थी. करवा चौथ पर्व होने के बावजूद महिलाओं की उपस्थिति उल्लेखनीय थी. सभा को संबोधित करते हुए शिशु रोग विभाग के डॉक्टर सूरज ने ‘जय भीम-लाल सलाम’ का उदघोष करते हुए कहा – ‘आपके बीच मुझे अपने काकी-काका का एहसास होता है. मैं आपके बीच से ही आया हूं. मैंने बचपन में अपने पिता को आईपीएफ का लाल झंडा लेकर सामंती शोषण के खिलाफ लड़ते देखा है. आपके हर बढ़ते कदम के साथ मेरा साथ है और मैं आपसे जुड़कर गौरवान्वित महसूस करता हूं.’ हजारों लोगों के सम्मेलन ने पदयात्रियों का स्वागत किया.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए बागमती आंदोलन के नेता जितेंद्र यादव ने कहा कि बागमती में इस बार मची तबाही सरकार के सम्पूर्ण बागमती परियोजना पर सवाल खड़े करती है. प्रो. सुरेंद्र सुमन ने कहा कि जनांदोलन की ताकत ही फासीवाद का मुकाबला कर सकता है. का. मंजू प्रकाश ने कहा कि लाल झंडा आंदोलन को नया तेवर देने के लिए मैंने मिथिला प्रवास को चुना है.
सम्मेलन के मुख्य वक्ता का. धीरेंद्र झा ने कहा कि भाजपा-जदयू सरकार की हवा-हवाई बातों ने मिथिला विकास के जमीनी सवाल को पृष्ठभूमि में धकेल दिया है. मिथिला, कोसी, तिरहुत और सीमांचल का यह इलाका उपेक्षा और अभिवंचना का शिकार हुआ है. इसे मजदूर सप्लाई जोन बना दिया गया है ताकि कार्पारेट्स को सस्ता मजदूर मिल सके. 10 से ज्यादा बड़ी फैक्ट्रियां और सैकड़ों छोटे-मोटे उद्योग बंद हो गए हैं. खादी ग्रामोद्योग का बड़ा.