वर्ष - 33
अंक - 41
05-10-2024

भाकपा(माले) से संबद्ध असंगठित मजदूर मोर्चा ने शहीदे आजम भगत सिंह के 117वीं जयंती के अवसर पर पार्श्वनाथ पहाड़ स्थित मधुबन में हजारों की संख्या में जुटे मजदूरों ने भाकपा(माले) के बगोदर विधायक का. विनोद कुमार सिंह, निरसा के पूर्व विधायक का. अरुप चटर्जी, पार्टी के राज्य कमिटी सदस्य और धनवार के पूर्व विधायक का. राजकुमार यादव, मजदूर मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष का. निताई महतो, और पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य का. हलधर महतो के नेतृत्व में मधुबन हटिया मैदान से  बुलंद नारों के साथ रैली निकाली. यह रैली पारसनाथ पहाड़ के तलहटी के चौंक-चौराहे का भ्रमण करते हुए पुनः हटिया मैदान पहुंच कर सभा में तब्दील हो गया.

का. रंजीत कुमार, अनिल किस्कू और मनसुख कुमार हांसदा के संचालन में सभा की शुरुआत हुई. सबसे पहले असंगठित मजदूर मोर्चा मधुबन शाखा के सचिव का. अजीत राय ने मंच पर उपस्थित पार्टी के केन्द्रीय कमिटी व पोलित ब्यूरो सदस्य और विधायक, पूर्व विधायक तथा मंचासीन अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पहले सोलह हजार डोली मजदूर यहां काम करते थे. बाद के दिनों में दो पहिया व चार पहिया वाहनों के पहाड़ों पर संचालन की खुले आम छूट मिलने की वजह से, जो अवैध है, डोली मजदूरों की संख्या घट कर दो हजार तक रह गयी है. कोठियों, मंदिरों और भोजनालयों के एजेंसी चलानेवाले  ठेकेदार मजदूरों को न्युनतम मजदूरी भी नहीं देते हैं. इस क्षेत्र के मजदूर दूसरे राज्यों में प्रवासी मजदूर बनकर रोजगार के लिए भटकने को मजबुर हुए हैं. वे जब भी हक-अधिकार की आवाज उठाते हैं, सत्ता संरक्षित एजेंसी और ठेकेदारों की साजिशों के शिकार बनते रहे हैं. उनको नक्सली कहकर झूठे मुकदमों में पंफंसाया गया है और यहां तक कि डोली मजदूरों को पुलिस की गोलियां भी खानी पड़ी है.

सभा को सम्बोधित करते हुए का. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि जब से भाजपा केन्द्र की सता में बैठी है तब से लेकर आज तक मजदूरों-किसानों के हक व अधिकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं. अंसगठित क्षेत्र के मजदूरों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के संगठित मजदूरों को भी वाजिब मज़दूरी से वंचित कर दिया है. सरकार खुद मनरेगा के मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी नहीं दे पा रही है. झारखंड को खनिज सम्पदा के बकाया रॉयल्टी के अरबों रुपये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के वाबजूद नहीं मिले क्योंकि मोदी सरकार कोर्ट के फैसले के विरुद्ध अपील में गई है.

का. राजकुमार यादव ने कहा कि आरएसएस और भाजपा सरकार सचेत रुप से सामंतवाद, सम्राज्यवाद, पूंजीवाद और साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़नेवाले भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों की विरासत को मिटाने और माफी वीर सावरकर को प्रतिष्ठापित करने की कोशिश कर रही है. पिछले पांच वर्षों से हेमंत सरकार को अस्थिर करने के असफल कोशिश के बाद अब विधानसभा का चुनाव नजदीक आने पर भाजपा ने हेमंता विश्वशर्मा, शिवराज सिंह चौहान को तोड़-फोड़ में लगाया और जब उनको भी सफलता नहीं मिला तो नरेन्द्र मोदी व अमित शाह के दौरे शुरू हो गए कई राज्यों के मुख्यमंत्री और कई केन्द्रीय मंत्री र्भी उन्माद का माहौल बनाने में लगे हुए हैं. मजदूर किसान और मेहनतकश जनता को लोकतंत्र बचाने के साथ-साथ जल, जंगल और जमीन की हिफाजत के लिए उन्हें मुंहतोड़ जबाब देना होगा.

पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य का. हलधर महतो ने कहा कि न्यायपालिक की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं. हाल के दिनों में न्यायपालिका और सरकार के मेल-जोल है उसे लोग सार्वजनिक रूप से देख रहे हैं, इसे दिखाया भी जा रहा है ताकि साम्प्रदायिक फासीवाद और कारपोरेट लूट के खिलाफ आन्दोलनकारी लोकतांत्रिक शक्तियों को डराया जा सके. पारसनाथ झारखंड आन्दोलन का केन्द्र रहा है. यहीं से लाल-हरे झंडे की एकता की शुरूआत हुई है. इसी इलाके में  आदिवासी मजदूरों को हक-अधिकार से वंचित करने के लिए ही बाबुलाल मरांडी के मुख्यमंत्रीत्व काल में 8 से 80 वर्ष की उम्र के लोगों को पोटा कानून के तहत जेलों में बंद किया गया था.

सभा को मनोज महतो, राजेश सिन्हा, द्वारिका राय, दिलीप राम, किसान नेता पूरन महतो, वृंदा पासवान, मोतीलाल तुरी, हुबलाल राय और अंसगठित मजदूर मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष का. निताई महतो ने भी संबोधित किया.