कई पदयात्रियों के पैरों में अब छाले पड़ चुके थे लेकिन हर दिन की तरह आज भी जहानाबाद के गोडिहा से उसी ताजगी के साथ पदयात्रा निकली थी. उमस व गर्मी अधिक थी, फिर भी बिहार में बदलाव के जोशीले नारों के साथ कारवां जहानाबाद शहर की ओर बढ़ा चला जा रहा था. आगे, रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे पानी व कीचड़ जमा था. बिना किसी परवाह के पदयात्रियों ने उस कीचड़ को पार किया. कुछ देर बाद सभी जहानाबाद शहर में थे.
पदयात्रा में आज और दिनों की अपेक्षा पदयात्रियों की भागीदारी कहीं अधिक थी क्योंकि बभना गांव में महिलाओं-बच्चों की बड़ी संख्या पदयात्रा में शामिल हुईसड़कें तप रही थीं. कई महिलाओं के पैरों में चप्पल नहीं थे, लेकिन उनका कदमताल लगातार जारी था. सबसे दायें चलने वाले साथी गनौरी मांझी आज भी हर दिन की तरह अपने मोटे डंडे में एक मीटर वाले झंडे के साथ उसी जोश व उत्साह के साथ अपने मोर्चे पर तैनात थे. नवादा से ही वे पदयात्रा में शामिल थे. मुख्य नेताओं को छोड़कर पदयात्रियों की संरचना बदलती रही, जिले के साथ लोग बदलते रहे, लेकिन गनौरी मांझी का स्थान कोई न ले सकाआठवें दिन भी वे उसी सजग भाव से सबसे दायें-दायें चल रहे थे और आने-जाने गाड़ियों से पदयात्रियों की सुरक्षा कर रहे थे.
22 अक्टूबर की तारीख और पदयात्रा का आठवां दिन लगभग 170 किलोमीटर की पैदल दूरी तय की जा चुकी थी. जहानाबाद के गोडिहा में रात्रि विश्राम हुआ था. 21 अक्टूबर की शाम जब पदयात्रियों का जत्था यहां पहुंचा लगभग पूरा गांव पदयात्रियों के स्वागत में उमड़ पड़ा. भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य की एक झलक देखने व उन्हें फूल-माला पहनाने के लिए आम लोगों की बात तो छोड़ दीजिए, बच्चे खासतौर पर उधम मचाए हुए थे. उन्होंने अपनी एक अलग टोली बना रखी थी. लगभग 25-30 बच्चे रहे होंगे. उसमें विश्वनाथ दास नाम का एक लड़का सबसे आगे-आगे था. वह चाहता था कि का. दीपंकर जी उसे भी एक माला पहना दें क्योंकि उन्होंने कुछ समय पहले एक बच्चे को अपनी माला निकाल कर पहना दी थी. अब सभी बच्चों में होड़-सी लग गई थी. उस वक्त मेरे साथ सह पदयात्रा अरवल विधायक का. महानंद सिंह भी थे. हमने उस बच्चे से पूछा – तुम क्या चाहते हो? तपाक से उसने उतर दिया – दीपंकर भट्टाचार्य से मिला दीजिए. हमने उसे सुबह मिलाने का आश्वासन दिया. सारे बच्चे मान गए. बाद में उन्हीं बच्चों ने चौकी-कूलर आदि व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अहले सुबह सभी बच्चों ने आकर मुझे घेर लिया – दीपंकर भट्टाचार्य को कहिए कि हमें भी माला दें. लेकिन जुलूस इतनी गति में आ गया था कि का. दीपंकर जी तक बच्चे पहुंच नहीं पा रहे थे. अंत में का. दीपंकर जी को पड़ रहे मालाओं में से ही कुछ मालायें हमने उन बच्चों को दे दी. तब जाकर कहीं वे शांत हुए.
लगभग हर रोज इसी तरह के दृश्य – एक जनांदोलन में तब्दील होती बदलो बिहार यात्रा. का. दीपंकर भट्टाचार्य और पार्टी के प्रति जनता का असीम विश्वास व उत्साह, मानो उनकी भीतर की बदलाव की छिपी आकांक्षा फूट पड़ी हो. खासकर महिलाओं द्वारा किया जा रहा स्वागत अभूतपूर्व था. जमीन से बेदखली की मार झेल रहे भूमिहीनों से लेकर स्कीम वर्कर्स, शिक्षक, अल्पसंख्य समुदाय के लोग, नौजवान, मजदूर-किसान – सब के सब उमड़ पड़े. जगह-जगह अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपते और यात्रा के साथ दो-चार कदम साथ चलते. रास्ते में पड़ने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए पदयात्रा कभी एनएच से गुजरी तो कभी शहर की तंग गलियों से तो कभी गांव की पंगडडियों से – बिहार की राजनीति के केंद्र में वंचितों के एजेंडों को स्थापित करते हुए – गरीबों की राजनीतिक दावेदारी को एक बार फिर से बुलंद करते हुए!
हाल के दिनों में दलितों-महिलाओं पर बर्बर सामंती हिंसा सहित स्मार्ट मीटर व भूमि सर्वे पर रोक लगाने और राज्य के अन्य ज्वलंत सवालों पर भाकपा(माले) के आह्वान पर इस बदलो बिहार न्याय यात्रा का अयोजन किया गया था. मुख्य रूप से राज्य के प्रमुख 5 जोन में 16 अक्टूबर से एक साथ पदयात्रा शुरू हुई थी. इन मुख्य यात्राओं के अलावा कई सहायक यात्राएं भी चलीं. जो जिले मुख्य यात्राओं के रास्ते में नहीं आ सके, वहां स्वतंत्र रूप से यात्राओं के आयोजन हुए. ऐसी लगभग 25 पदयात्राएं दस दिन तक लगातार बिहार में जारी रहीं. जनता के व्यापक हिस्से की भागीदारी व उनका समर्थन दिखलाता है कि बिहार की जनता ने इस बार राज्य से भाजपा-जदयू की विदाई का मन बना लिया है. वह बदलाव के लिए पूरी तरह से तैयार है.
मगध जोन में यह यात्रा नवादा से 16 अक्टूबर को शुरू हई. इस यात्रा का नेतृत्व खुद भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य कर रहे थे. उस टीम में मगध जोन के प्रभारी का. अमर, एमएलसी शशि यादव, अरवल विधायक का. महानंद सिंह, घोषी विधायक रामबलि सिंह यादव, फुलवारी विधायक का. गोपाल रविदास सहित, जेएनयूएसयू के अधयक्ष धनंजय और कुछेक अन्य साथी स्थायी रूप से थे. इन स्थायी पदयात्रियों के अलावा हर दिन नए साथी यात्रा में जुड़ते जो अपने जिले की सीमा तक यात्रा में साथ रहते. इस प्रकार यह कारवां लगातार बना रहा और आगे बढ़ता गया.
15 अक्टूबर को भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य और पार्टी के अन्य नेतागण कृष्णानगर पहुंचे जहां विगत 18 सितंबर को दलितों के ऊपर भूमाफिया गिरोह ने हमला किया था, उनके घरों में भयानक आगजनी की थी. पीड़ितों से बातचीत के दौरान पता चला कि दलित-गरीबों के बसे हुए लगभग 80 घरों को बेदखल करने की कोशिश बहुत पहले से चली आ रही है. 2023 में भी एकबार हमला हुआ था. इस बार के हमले व आगजनी में वहां के लोग किसी तरह अपनी जान बचाकर भागे. पार्टी नेताओं ने पाया कि भूमि विवाद का हवाला देकर वहां के गरीबों व दलितों को बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रखा गया है. पीड़ितों से मिलने के उपरांत पार्टी नेताओं की टीम नवादा लौट आई और वहीं पर रात्रि विश्राम किया.
पहला दिन : 16 अक्टूबर से पदयात्रा की शुरूआत हुई. मुख्य पदयात्रियों के अलावा पटना, अरवल व गया जिले के कई साथी नवादा से शुरू हुई पदयात्रा के सहभागी बनेराज्य कमिटी सदस्य रीता वर्णवाल, श्री निवास शर्मा, माधुरी गुप्ता, जयप्रकाश पासवान, कमलेश कुमार, शैलेन्द्र यादव, शाह शाद तथा गया जिले से बच्चू प्रसाद, राजू पासवान आदि स्थायी पदयात्रा थे. नवादा में डा. अम्बेडकर, जयप्रकाश नारायण और आइपीएफ के नेता सुरेंद्र सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. तत्पश्चात् अंबेडकर पार्क में जनसंवाद हुआ. लगभग एक घंटे के संवाद के पश्चात पदयात्रा की शुरूआत हुई. नवादा शहर के मुख्य इलाकों से गुजरते हुए पदयात्रा गया की तरफ मुड़ गई. हाथों में झंडे और अपनी मांगों से संबंधित नारों की तख्तियों के साथ पदयात्रियों का कदमताल शुरू हुआ. मुख्य बैनर के कुछ आगे प्रचार वाहन था जिसके जरिए पदयात्रा के राजनीतिक उद्देश्य और पदयात्रा में शामिल नेताओं के नामों की लगातार उद्घोषणा हो रही थी. पटना ग्रामीण के साथी कमलेश कुमार, शाह शाद, अनुज कुमार आदि कार्यकर्ता इस काम में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे थे. का. अरूण, का. लेखा के साथ-साथ कादिनेश कुमार निराला सहित कई साथी यात्रा का फोटो लेने व वीडियो बनाने का काम शुरू किया.
तकरीबन 8 किलोमीटर की यात्रा के पश्चात न्याय यात्रा सिराज नगर पहुंची. यहां पहला पड़ाव था और भोजन की व्यवस्था थी. भोजन के पहले वहां एक छोटी-सी सभा हुई जिसे का. रामबलि सिंह यादव ने संबोधित किया. सामुदायिक भवन में भोजन की व्यवस्था थी. सभी साथियों ने वहीं दिन का भोजन किया और लगभग आधे घंटे तक आराम भी किया. उसके बाद पदयात्रा आगे बढ़ गई. पहले दिन शाम होते-होते यात्रा अपने निर्धारित स्थल हिसुआ पहुंच गईसभी साथियों के ठहरने व भोजन की व्यवस्था की गई थीउसी दौरान विश्वकर्मा समाज के लोगों ने अपनी मांगों के साथ भाकपा(माले) महासचिव को अपना एक ज्ञापन भी सौंपा. भोजनोपरांत सभी साथी विश्राम में चले गए.
दूसरा दिन : 17 अक्टूबर की सुबह नाश्ता करने के उपरांत साढ़े आठ बजे पदयात्रा शुरू हो गई. पूरे उत्साह के साथ पदयात्रा नारे लगा रहे थे जो दुकानदारों को अपनी ओर खींच रहा था.
लालू नगर और उमरांव बिगहा में जबरदस्त स्वागत : 7 किलोमीटर के बाद यात्रा लालू नगर पहुंची. यह एक मुसहर समुदाय बहुल गांव है. सैकड़ो पुरुष-महिलाएं व बच्चे पदयात्रियों के स्वागत में सड़क पर ही खड़े थे. उन्होंने माला पहनाकर का. दीपंकर भट्टाचार्य और अन्य पदयात्रियों का स्वागत किया. वहां पानी की व्यवस्था की गई थीजनसंवाद में लगभग पूरा गांव उमड़ पड़ा. यह गांव 1995 से बसा हुआ है. लगभग 200 मुसहर परिवारों को जमीन का पर्चा मिला है. पार्टी का पुराना संपर्क है. कृष्णानगर की घटना के बाद सभी लोग बेदखली से डरे हुए हैं. पार्टी नेताओं ने अपने संबोधन में कहा कि भूमि सर्वे के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी जाएगी. पार्टी महासचिव, एमएलसी शशि यादव, महानंद सिंह और रामबलि सिंह यादव ने जनसंवाद को संबोधित किया. ग्रामीण संजय मांझी ने बताया – ‘जमीन हमलोगों को काफी पहले मिली थी लेकिन परिवार की संख्या बहुत बढ़ गई है. उसके अनुसार हमलोगों को अब और जमीन मिलनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मजदूरी के नाम पर 5 किलो अनाज मिलता है उसमें भी एक किलो काट लिया जाता है. काम-काज नहीं है. बहुत लोग बाहर काम करते हैं.’ इस गांव में स्कूल तो है लेकिन अन्य बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. संजय मांझी ने डीलर के भ्रष्टाचार पर भी बात की. लगभग एक घंटे तक उस गांव में ठहरने के बाद यात्रा आगे बढ़ी.
हिसुआ विधायक ने किया स्वागत : अभी यात्रा कुछ ही दूर बढ़ी थी कि हिसुआ विधानसभा से कांग्रेस की विधायक नीतू सिंह समर्थकों के साथ पहुंची और उन्होंने भाकपा(माले) महासचिव सहित पार्टी नेताओं को माला पहनाकर स्वागत किया तथा बदलो बिहार न्याय यात्रा के प्रति अपनी एकजुटता प्रकट की.
लालू नगर से नवादा-गया मुख्य मार्ग से पदयात्रा बढ़ते हुए उमरांव बिगहा पहुंची जहां सीपीएम से जुड़े कुछेक स्कूली शिक्षकों और ग्रामीणों ने पदयात्रियों का स्वागत किया तथा बिस्किट व चाय-पानी की व्यवस्था की. यहीं पर जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष का. धनंजय भी यात्रा में शामिल हो गए. चौहान व राजवंशी बहुल इस गांव में ग्रामीणों ने भूमि सर्वे व स्मार्ट मीटर पर आक्रोश व्यक्त करते हुए न्याय यात्रा के मुद्दों से सहमति जताई. शंकर चौहान ने कहा कि बिहार में सरकार बदलना जरूरी है. वे पिछली बार भाजपा को वोट देने पर अफसोस जता रहे थे. पूरा गांव एक समय में सीपीआइ से जुड़ा रहा है. वे बीते दिनों को याद करने लगेकहा – हम सब तो लाल झंडे में ही थे, इधर उससे हट गए हैं. लाल झंडे के साथ फिर से जुड़ने पर कहने लगे कि क्यों नहीं जुड़ेंगे – गरीबों की पार्टी वही है. यहां पर आयोजित जनसंवाद को का. धनंजय, का. महानंद सिंह और का. शशि यादव ने संबोधित किया.
का. दीपंकर एक ठेला गाड़ी पर बैठ गए : यात्रा आगे बढ़ी. अगला पड़ाव मंझवे था, हालांकि यहां ठहराव की कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी थी, लेकिन उमरांव बिगहा से पांच किलोमीटर की यात्रा के पश्चात एक ब्रेक जरूरी था. का. महासचिव और अन्य नेतागण एक ठेला गाड़ी पर ही बैठ गए. धाप काफी कड़ी थी. बहुत पसीना चला था. तभी, का. शशि यादव और कुछेक और साथी दुकानदारों के बीच पहुंचे. उन्होंने कहा कि हमलोग पदयात्रा में हैं. हमारे साथ का. दीपंकर भट्टाचार्य भी हैं. कुछेक कुर्सी व पानी की व्यवस्था हो सकती है? का. दीपंकर जी को स्थानीय दुकानदार बखूबी जानते थे. एक 60 वर्षीय दुकानदार हमलोगों से कहने लगे – इतने बड़े नेता चल रहे हैं, हमलोगों को पहले बताना चाहिए था. वे का. दीपंकर जी को देखने के लिए बेसब्र हो गए. दो मिनट के अंदर कुर्सी व पानी की व्यवस्था हो गई. मंझवे बाजार में जहां लग रहा था कि क्या किया जाए, क्या न किया जाए? देखते ही देखते आराम की व्यवस्था हो गई. अन्य पदयात्रियों को भी दुकानदारों ने अपनी दुकानों में बैठने की जगह दी और यात्रा पर चर्चा में शामिल हुए.
आधे घंटे के विश्राम के बाद यात्रा आगे बढ़ी. कुछ दूर आगे ही एक होटल में खाने की व्यवस्था की गई थी. पदयात्रियों की संख्या ज्यादा थी. होटल वाले को मैनेज करने में असुविधा हो रही थी. फिर भी, सभी साथियों के लिए दिन के भोजन की व्यवस्था की गई. भोजन और पानी पीने के बाद लोगों में नई ताकत आई और एक घंटे के बाद यात्रा आगे की ओर बढ़ गई. नारे फिर से गूंजने लगे. महिला साथियों ने मोर्चा थामा. का. शशि यादव, का. माधारी गुप्ता और का. रीता वर्णवाल ने गीत गाना शुरू किया – ‘चुनरिया रंगवा द सखी, अब लाले लाल हो, अचरवा छपवा द सखी वीएम के नाम हो’. विधायक का. रामबलि सिंह यादव झाल पर थाप देने लगे. गर्मी का प्रकोप भी कुछ कम हो चला था. सोशल मीडिया की टीम एक बार फिर से ऐक्टिव हो गई. एक-एक दुकानदार के बीच यात्रा का पर्चा फिर से पहुंचने लगा. आगे बढ़ते हुए यात्रा तुंगी बाजार पहुंची. यह नवादा जिले का अंतिम छोर था. यहां पर एक जनसंवाद आयोजित हुआ. उसके बाद धांधार नदी पार कर के यात्रा गया जिले में प्रवेश कर गई.
इस बीच लगभग 5 किलोमीटर की पदयात्रा हुई. इसी दौरान गया-नवादा रोड पर अपने उद्घाटन के इंतजार में बुद्ध की एक विशाल मूर्ति की ओर पदयात्रियों का ध्यान गया. का. दीपंकर यात्रा में चलते हुए उसकी तस्वीर लेने लगे. वहां का नजारा सचमुच खुबसूरत था. वजीरगंज शहर में प्रवेश के पहले गया जिला सचिव का. निरंजन कुमार के नेतृत्व में स्थानीय नेताओं ने पदयात्रियों का स्वागत किया. पदयात्रा वजीरगंज शहर में पहुंची जहां दक्खिनगांव मोड़ पर जनसंवाद का आयोजन था.
जीविका कार्यकर्ताओं द्वारा शानदार स्वागत : वजीरगंज में जीविका कार्यकर्ता अंजूषा के नेतृत्व में बड़ी संख्या में जीविका दीदियों का जुटान हुआ. वे कई घंटे तक पदयात्रियों का इंतजार करते रहे. उन्होंने अपनी मांगों से संबंधित अपना ज्ञापन पार्टी नेताओं को सौंपा. शहर के मुख्य चौराहे पर जनसंवाद हुआ.
रामनरेश जी को कौन नहीं जानता? : का. दीपंकर भट्टाचार्य ने जब अपने वक्तव्य के दौरान पार्टी के संस्थापक नेता का. रामनरेश राम का नाम लिया तब ठेला पर अंडा बेचने वाले एक दुकानदार ने पूछा – वे आप ही लोगों की पार्टी में थे? यह हमारे लिए थोड़ा आश्चर्यजनक था. हमने पूछा कि आप उन्हें कैसे जानते हैं? उन्होंने बताया कि सहार में उनकी मूर्ति देखी है. हमलोग उनको जानते हैं. उन्हें कौन नहीं जानता? वे का. रामनरेश राम को लेकर काफी भावुक दिखे. बहरहाल, एक घंटे के जनसंवाद के पश्चात उस दिन की यात्रा खत्म हुईअब समय भोजन व रात्रि विश्राम का था.
पलायन जोन बनता वजीरगंज – वजीरगंज में पता चला कि वहां से हर दिन कोलकाता के लिए 5, सिलीगुड़ी के लिए 2 और दिल्ली के लिए 1 बस खुलती है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि गया से व्यापक स्तर पर पलायन हो रहा है.
वहां माहुरी भवन में सभी साथियों के ठहराव की व्यवस्था की गई थी. खाने में रोटी, लिट्टी व घुघनी शामिल था. कई स्थानीय साथी सक्रिय दिखे.अब तक कुछेक साथियों के पैर में थोड़ी-थोड़ी दिक्कत होने लगी थी.
तीसरा दिन : आज सुबह फिर वही ताजगी थी. 18 अक्टूबर को वजीरगंज से यात्रा शुरू हुई. अयोध्यापुर, जनकपुर, इंदिरा नगर, जमुआंवा, बैरिया, बुद्धगेरे में जनसंवाद करते हुए मानपुर में यात्रा सम्पन्न हुई. रास्ते में जगह-जगह आम लोगों ने पदयात्रियों का स्वागत किया. अयोध्यापुर भी मुसहर समुदाय की अच्छी आबादी है. कभी पार्टी संपर्क था. पार्टी नेताओं ने उनसे बातचीत की और पार्टी से फिर से जुड़ने की अपील की. उन्होंने अपना नंबर ग्रामीणों को दिया. वहां के लोग कुछ दूरी तक पदयात्रा में साथ चलकर आए.
जब 70 वर्षीय एक बुजुर्ग का. दीपंकर से मिलने दौड़ पड़े : यात्रा जब सिंघतिया (वजीरगंज) से गुजर रही थी तब रघुनाथ दास नाम के एक 70 वर्षीय व्यक्ति का. दीपंकर से मिलने के लिए दौड़ पड़े. वे अपने गांव के लंबित भूमि सवाल को उनके ध्यान में लाना चाहते थे. उक्त गांव में कई अन्य लोग के साथ वे लंबे समय से भूदान की जमीन पर रह रहे हैं. अब गांव के जमींदार गरीबों से जमीन छीनने की कोशिश कर रहे हैं. का. दीपंकर ने उनका हाथ पकड़ लिया और उन्हें आश्वस्त किया. वे कहने लगे – ‘आप तो गया के डेल्हा में रहते हैं, हमारे मसले को देखिए’. गया जिला सचिव का. निरंजन कुमार ने कहा कि डेल्हा पर हमारा घर है. उन्होंने एक पर्चे पर अपना नंबर व पार्टी कार्यालय का पता लिखकर दिया और कहा कि पदयात्रा के पश्चात निश्चित रूप से यहां बैठक करने आएंगे. रास्ते में मुसहर समुदाय की कई और बस्तियां मिली जिनके साथ संवाद किया गया. सभी लोग स्मार्ट मीटर की मार से परेशान दिखे.
अगला पड़ाव बुद्धगेरे था जो पार्टी के कामकाज का बहुत पुराना इलाका है. कहा जाता है कि यहां बुद्ध ने राजगीर से बोधगया की यात्रा के दौरान पानी पिया था. मुसहर बहुल गांव है. पूरा गांव पार्टी का बसाया हुआ है. जनसंवाद के लिए मंच तैयार किया गया था. बिस्किट, पानी व चाय की व्यवस्था थी. सभा को महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य व अन्य नेताओं ने संबोधित किया. नाश्ता-पानी के बाद यात्रा आगे बढ़ी. गांव के सभी लोग यात्रा के साथ हो लिए. अब यात्रा काफी बड़ी लगने लगी थी. सूरज भी ढल चुका था. यात्रा मानपुर शहर में प्रवेश कर रही थी. 1 किलोमीटर की यात्रा तय करने के बाद मानपुर ब्लॉक परिसर में जनसंवाद का आयोजन हुआ. उसके बाद लोग विश्राम स्थल पर पहुंच गए. आज साथियों का फोड़ा थोड़ा और बढ़ गया है. विश्राम स्थल पर ही वजीरगंज के पूर्व विधायक अवधेश सिंह महासचिव का. दीपंकर से मिलने आए. बेहद थके होने के बावजूद का. दीपंकर ने लगभग आधे घंटे तक उनसे राजनीतिक बातचीत की. फिर सब लोग आराम करने चले गए क्योंकि अगले दिन फिर से यात्रा शुरू होने वाली थी.
19 अक्टूबर को पदयात्रा मानपुर से शुरू हुई और अबगीला, लखीबाग होते हुए फल्गु नदी पार करने के बाद किरानी घाट, चौक टावर, जीबी रोड, कचहरी होते हुए 12 बजे गांधी मैदान पहुंची जहां एक विशाल जन संवाद आयोजित किया गया. इस यात्रा के दौरान शहर के नागरिक समुदाय ने जगह-जगह पानी व पेय पदार्थों के जरिए यात्रियों का स्वागत किया. किरानी घाट के पास रसोइया संगठन ने का. दीपंकर भट्टाचार्य को अपना ज्ञापन सौंपा.
शहर से गुजरते हुए सभी नेताओं ने 1942 के शहीद स्मारक पर माल्यार्पण किया. गांधी मैदान में आयोजित सभा में जीविका कार्यकर्ताओं सहित आशा और विद्यालय रसोइया बड़ी संख्या में एकत्रित हुईं थी. उन्होंने अपना ज्ञापन सौंपा. पार्टी की ओर से नगर प्रभारी तारिक अनवर ने सभी पदयात्रियों का स्वागत किया और जिला सचिव निरंजन कुमार की अधयक्षता में सभा हुई. सभा को का. दीपंकर के अलावा शशि यादव और विधायक गोपाल रविदास, जीविका के नेता परमानंद कुमार, रसोइया के नेता रामचन्द्र प्रसाद व विभा देवी आदि ने संबोधित किया.
जीतनराम मांझी का करेंगे? : गया में ही हाल के दिनों में मुसहर समुदाय पर सबसे ज्यादा हमले हुए हैं. गांधी मैदान में आयोजित जनसंवाद में जिले के खिजरसराय प्रखंड के मुसेपुर गांव के सज्जन मांझी, सामंती दबंगों ने महज 100 रु. मजदूरी मांगने पर जिनकी पीट-पीट कर हत्या कर दी थी, उनकी पत्नी ललिता देवी अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ आज की पदयात्रा में शामिल हुईं. विदित हो कि गया के सांसद जीतन राम मांझी का यह गृह प्रखंड है लेकिन उन्होंने इस हत्याकांड पर अभी तक एक शब्द नहीं बोला है. ललिता जी कहती हैं – ‘वे का करेंगे. उ तो सब बाभने के साथ खड़ा हैं. वही लोग मारा है हमारा पति को’.
उनके परिवार में 5 छोटे-छोटे बच्चे हैं. मजदूरी के अलावा जीविकोपार्जन का कोई साधान नहीं है. सरकार की ओर से कोई भी सहायता राशि नहीं मिली है. अभी तक हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हुई है. उल्टे उनपर मुकदमा में सुलह करने का दबाव बनाया जा रहा है. पूरे परिवार का जीवन और भविष्य गहरे संकट में डाल दिया गया है. यही है नीतीश कुमार के तथाकथित सुशासन का सच.
गांधी मैदान में जनसंवाद के बाद मिर्जा गालिब कॉलेज होते हुए यात्रा डेल्हा पहुंची और धानिया बगीचा (गौतम बुद्ध नगर) में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद भोजन करने चली गई. यहां पर आशा कार्यकर्ताओं ने अपना ज्ञापन पार्टी नेताओं को सौंपा. कई मुस्लिम बुद्धिजीवी पार्टी नेताओं से मिलने आए और फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया. फिर यात्रा अगले पड़ाव धर्मशाला की ओर प्रस्थान कर गई. केवाली पासवान चौक पर एक बार फिर डॉ अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया और डेल्हा अंडर पास में बारा के मुस्लिम नौजवानों के साथ जनसंवाद का आयोजन किया गया. जमुने में भी मुस्लिम युवकों ने पदयात्रियों का स्वागत किया गया.
जनसंवाद के साथ 5 वें दिन धर्मशाला से यात्रा आगे बढ़ी. दरियापुर में ग्रामीणों ने अपनी पहलकदमी से पर्वत पुरुष माने जाने वाले दशरथ मांझी की एक मूर्ति बनाई थी. उनकी यह आकांक्षा थी कि इस मूर्ति का अनावरण का. दीपंकर भट्टाचार्य के हाथों हो. आज वह दिन आ गया था. आसपास के कई गांव उमड़ पड़े. खासकर मुसहर समुदाय की जबरदस्त गोलबंदी थी. समाज के सबसे वंचित तबके की पार्टी भाकपा(माले) यूं ही नहीं कही जाती. जीतन राम मांझी जैसे अपने जाति समुदाय के कहे जाने वाले बड़े नेताओं से उन्हें कोई आशा नहीं है. उनके आदर्श दशरथ मांझी हैं और उन्हें विश्वास भाकपा(माले) व का. दीपंकर भट्टाचार्य में है. यही बिहार की खासियत है. बहरहाल, का. दीपंकर ने दशरथ मांझी की मूर्ति का अनावरण किया. ढोल-बाजे बजते रहे. लोग सड़क पर साथ चलते रहे. यात्रा जैसे-जैसे टिकारी की ओर बढ़ रही थी, जनसैलाब उमड़ता जा रहा था.
पंचानपुर से ठीक पहले नेपा गांव के पास उत्तर कोयल नहर किसान संघर्ष मोर्चा के नेताओं के साथ ही कांग्रेस पार्टी के उमैर खान, राजद के प्रखंड अधयक्ष बेरी यादव, सुरेश प्रसाद यादव, किसान प्रकोष्ठ के जिला अधयक्ष अवधोश यादव आदि ने स्वागत किया. तकरीबन एक हजार की भागीदारी यहां पर रही. पंचानपुर अम्बेडकर चौक पर गरीबों ने एक बार फिर बड़ी संख्या में पदयात्रियों का स्वागत किया. बाबा साहब की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद पदयात्रा टिकारी के तरफ बढ़ गई. टेकारी कॉलेज मोड़ पर सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष पदयात्रियों के स्वागत में पहले से खड़े थे. डाकबंगला चौराहे तक सभीं गाजे-बाजे के साथ यात्रा आगे बढ़ी. आगे जीविका दीदियों द्वारा स्वागत हुआ. टिकारी डाकबंगला में आयोजित बड़ी सभा को पार्टी महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, विधायक रामबली सिंह यादव, गोपाल रविदास, शशि यादव ने संबोधित किया.
चिरैली में संजय मांझी (जिनका हाथ सामंती भूस्वामियों द्वारा काट दिया गया था) : 5 जून, 2024 को जब पूरा देश 2024 के चुनाव परिणाम पर चर्चा में डूबा हुआ था, नरेंद्र मोदी अपनी गद्दी खोने से बचने का जश्न मना रहे थे और जीतन राम मांझी गया (एससी) लोकसभा क्षेत्र के लिए अपनी जीत का प्रमाण पत्र ले रहे थे, संजय मांझी अपनी भूमि को शक्तिशाली सामंती ताकतों द्वारा कब्जा होने से बचाने की कोशिश कर रहे थे. सामंती सत्ता की तलवार से अपना सिर बचाने की कोशिश में उन्होंने अपने हाथ गंवा दिए. एक हाथ कट गया और दूसरे हाथ की भी एक उंगली कटने सहित गंभीर चोटें आईं. जहानाबाद के घोसी से भाकपा(माले) विधायक का. रामबली यादव ने तब तक चिरैली में एक तथ्य-खोज टीम का नेतृत्व किया था और इस क्रूर सामंती हिंसा के पीछे दलितों की बेदखली की वास्तविकता को सामने लाया था. कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन संजय मांझी को अभी तक कोई प्रभावी मुआवजा नहीं मिला है. जैसे ही 21 अक्टूबर को पदयात्रा चिरैली मुसहरटोली की ओर आगे बढ़ी, संजय मांझी ग्रामीणों के साथ उसके स्वागत में सड़क पर ही खड़े थे. वे अभी भी न्याय और कुछ मुआवजे और आय सहायता का इंतजार कर रहे हैं जिससे वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके. पूरे बिहार में दलितों पर अत्याचार की ऐसी घटनाएं आम बात हैं और नीतीश-मोदी की डबल इंजन सरकार और पटना तथा दिल्ली में बिहार के दलित मंत्री घड़ियाली आंसू भी नहीं बहाते.
इसके आगे गुलरिया चक, जमुआरा व निशुनपुर गांव था. वहां भी बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों ने पदयात्रा का स्वागत किया. अगला गांव लोदीपुर-शाहगंज था और फिर विश्राम.
छठा दिन : यात्रा का यह काफी व्यस्त दिन था. अब अरवल जिले की सीमा शुरू होने वाली थी. चितोखर में का. महानंद सिंह के नेतृत्व में अरवल जिला कमिटी की ओर से पदयात्रियों का स्वागत किया गया. दिन की शुरुआत रंगा बिगहा में ग्राम सभा से हुई. टेकारी से कुर्था तक पूरे रास्ते में स्वागत की एक शृंखला बनी रही. मऊ बाजार, मानिकपुर बाजार और अंत में कुर्था बाजार बस-स्टैंड मैदान में कई सामूहिक बैठकें हुईं, जिनमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. मऊ बाजार की बैठक में मऊ संघर्ष मोर्चा के सदस्यों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया, यह मंच मऊ को एक ब्लॉक बनाने की मांग के लिए लड़ रहा है. राजद, सीपीआई से जुड़े लोगों ने भी यात्रा के स्वागत में तत्परता दिखलाई. मानिकपुर के पूर्व मुख्यि व पसमांदा समाज के नेता जमालुद्दीन भी उपस्थित रहे.
अरवल जिले में मानिकपुर में पहली सभा हुई. बेहद उत्साहजनक बैठक थी जिसमें बाजार के दुकानदारों, जीविका और अन्य महिला स्कीम वर्करों, आसपास के गांवों के गरीब लोगों और युवाओं की उत्साही भागीदारी ने बैठक को उत्साह से भर दिया. कुर्था में दिन की अंतिम बैठक से पहले, शहीद कवि वीरेंद्र विद्रोही और भारत छोड़ो आंदोलन के शहीद श्याम विहारी बेनीपुरी की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया गया. विदित हो कि स्मार्ट मीटर के खिलाफ पहला प्रतिवाद आंदोलन कुर्था में ही हुआ था और कुर्था बंद का आह्वान किया गया था. का. दीपंकर को पैक्स अध्यक्ष, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, कई बुद्धिजीवी, शिक्षक-समाजिक कार्यकर्ता सम्मानित करने पहुंचे.
सातवां दिन : सावतें दिन ‘बिहार लेनिन’ के नाम से जाने जाने वाले शहीद समाजवादी नेता जगदेव प्रसाद को श्रद्धांजलि देकर कुर्था से पदयात्रा की शुरुआत हुई. कुर्था से मोतेपुर तक मेला सा माहौल था. किंजर जाने के क्रम में अरवल विधायक का. महानंद सिंह ने मंगराहाट मवेशी बाजार में सड़क किनारे एक बैठक को संबोधित किया. अगला पड़ाव किंजर बाजार था जहां एक जनसंवाद आयोजित हुआ. यहां एक बार फिर से डॉ. अंबेडकर व जगदेव प्रसाद की मूर्ति पर मार्ल्यापण किया गया. नगला में नगला मुसहरी व पालीगंज के जिप्सी पंचायत के सैकड़ों लोगों ने ढोल-बाजा के साथ सबका स्वागत किया.
इसके बाद यात्रा अब जहानाबाद जिले में प्रवेश कर रही थी. सबसे पहला पड़ाव था सरैया मोड़ जहां जयकरण बिगहा, सरैया सहित कई गांवों के लोगों ने पदयात्रियों का स्वागत किया. सरदार पटेल की मूर्ति पर माल्यार्पण के साथ पदयात्रा शुरू हुई. केंदुई में मौलानाचक व जयकरण बिगहा के लोगों ने एक बार फिर शानदार स्वागत किया. झुनाठी में नेहालपुर पंचायत के मुखिया द्वारा स्वागत किया गया. पदयात्रियों के लिए पानी-चाय का प्रबंध किया गया था.
अब पदयात्रा नेहालपुर में थी. भारी जनसैलाब. छत से लेकर सीढ़ियों पर महिलाओं-बच्चों का भारी जुटान. सभा को का. दीपंकर, महानंद सिंह और कमलेश शर्मा ने संबोधित किया. कसमा-कसई होते हुए अब यात्रा गोडीहा पहुंचने वाली थी, जहां से इस रिपोर्ट की शुरूआत की गई है. पार्टी आधार का पुराना गांव है. लगभग पूरा गांव पदयात्रियों के साथ सड़कों पर था. बच्चे-महिलाओं की संख्या सबसे अधिक थी. यहीं रात्रि विश्राम हुआ. रात में कुशल क्षेम पूछने राजद विधायक सुदय यादव पहुंचे.
आठवां दिन : यात्रा शुरू करने से पहले स्थानीय कार्यकर्ता का. कलावतीजी से मुलाकात की, जो पैर में फ्रैक्चर के कारण यात्रा में शामिल नहीं हो पाईं. अरवल मोड़ पर शानदार स्वागत के बाद पुराने डीएम कोठी के विशाल मैदान में आयोजित जनसंवाद का आयोजन हुआ. नवादा से निकली भाकपा(माले) की पदयात्रा के जहानाबाद पहुंचने पर शालीमार गेस्ट हाउस में भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी न्याय यात्रा एक आंदोलन में तब्दील हो गई है. गरीब गुरबों और जनता का व्यापक समर्थन हमें मिल रहा है. जीविका, आशा, रसोईया, आंगनवाड़ी सहित अन्य स्कीम वर्कर्स और समाज के अन्य कामकाजी तबकों का भरपूर सहयोग व समर्थन यात्रा में देखने को मिला. संवाददाता सम्मेलन में उनके अलावा एलएलसी शशि यादव, घोषी विधायक रामबली सिंह यादव, अरवल विधायक महानंद सिंह, संदीप सौरभ, जिला सचिव रामाधार सिंह आदि भी उपस्थित थे. विदित हो कि यहीं पर नालंदा से विधायक संदीप सौरभ (पालीगंज) के नेतृत्व में निकली पदयात्रा मुख्य यात्रा के साथ एकाकार हो गई. महासचिव ने आगे कहा कि यात्रा का आठवां दिन है. पूरे बिहार में लगभग 25 पदयात्राएं चल रही हैं जिनमें कुल मिलाकर 5000 साथियों ने लगभग 1500 किलोमीटर की दूरी तय कर ली है. यह यात्रा बिहार के ज्वलंत सवालों पर हो रही है. जनता परेशान है, सरकार खामोश है. गया जिले सहित पूरे राज्य में दलित उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ गई है. महिलाओं से बलात्कार हो रहा है. हमने अपनी पदयात्रा के दौरान पाया कि भूमि सर्वे की आड़ में जमीन से गरीबों की बेदखली करके लैंड बैंक बनाने की साजिश हो रही है. यह जमीन बाद में कंपनियों को सौंप दी जायेगी. गरीबों पर स्मार्ट मीटर की मार है जबकि बिहार सरकार को हर गरीब को 200 मिनट फ्री बिजली उपलब्धा करानी चाहिए थी. जिस राज्य में 95 लाख परिवार गरीबी रेखा के नीचे हो वहां सिलेंडर और बिजली की ऐसी मार उन्हें कहां का छोड़ेगी? इन परिवारों को सरकार ने 2 लाख आर्थिक मदद की बात की थी लेकिन अभी तक मात्र 40 हजार परिवारों को 50 हजार रूपये की पहली किस्त मिली है. मोदी के 15 लाख रु. जुमले की तरह इस 2 लाख रु. की सहायता राशि को हम जुमला नहीं बनने देंगे. 65% आरक्षण के सवाल पर बिहार सरकार बिहार की जनता को धाखा दे रही है. हम उसे संविधान के नवे अनुसूची में शामिल करने की मांग करते हैं. आयोजित जनसंवाद के पहले जहानाबाद से विधायक सुदय यादव के कार्यकर्ताओं ने पदयात्रियों का स्वागत किया आयोजित जनसंवाद को माले महासचिव के अलावा शशि यादव ने संबोधित किया जो कई तरह के संघर्षों का संगम स्थल बन गया. ऐसे एम्बुलेंस चालक थे जिन्हें पिछले चार महीनों से अपना वेतन नहीं मिला है, एक दलित गांव के निवासी जो वर्षों से संपर्क सड़क का इंतजार कर रहे हैं, आशा और जीविका कार्यकर्ता थे जो अपने न्यूनतम अधिकारों के लिए संवेदनहीन सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं, किसान, ग्रामीण मजदूर, दुकान व स्थानीय बाजार के मालिक और राहगीरों ने यात्रा को अपना समर्थन दिया.
जहानाबाद से नदौल तक सड़क के किनारे शायद ही कोई गांव या बाजार है. जब यात्रा थोड़ा थकने लगे तो नौवीं कक्षा की दो बच्चियां सोनी और स्मृति, जो दूर से यात्रा देख रही थीं, वे पदयात्रा में शामिल होना चाहती थीं. गोपालपुर तक, जहां दोपहर के भोजन के व्यवस्था थी, वे जोरदार नारे लगाते हुए यात्रा में हमारे साथ शामिल हुईं. यह पहली बार था जब वे किसी मार्च में शामिल हुईं और उन्होंने नारे लगाए. सोनी के पिता नहीं है. उनकी मां एक प्राइवेट अस्पताल में नर्स का काम कर रही हैं. सोनी और स्मृति जैसी लड़कियां ही हमारा भविष्य हैं. मसौढ़ी पहुंचकर उस दिन की यात्रा का समापन हुआ.
नौवां दिन : दिन की यात्रा मसौढ़ी के गांधी मैदान से शुरू हुई. शहीद-ए-आजम भगत सिंह और महात्मा गांधी की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करने के बाद कर्पूरी चौक की ओर बढ़ी, जहां जननायक कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि दी गई और दिन की पहली सार्वजनिक बैठक की गई. अगला पड़ाव खराथ, तीसखोरा, पिपलावां और अंत में नौबतपुर में था. यात्रा दो सौ किलोमीटर से अधिक की दूरी पार कर चुकी थीऔर अंतिम मंजिल अब 50 किलोमीटर दूर है. नौबतपुर लख पर रात्रि विश्राम किया गया.
दसवां दिन : पदयात्रा फुलवार में रात्रि विश्राम के बाद अनिसाबाद चौराहा पहुंच चुकी है. आज सामाजिक बदलाव के महानायक रामनरेश राम को उनके स्मृति दिवस परे याद किया जायेगा. कलमलर स्कूल मैदान में ‘बदलो बिहार न्याय सम्मेलन’ आयोजित होगा.
– कुमार परवेज