वर्ष - 33
अंक - 39
21-09-2024

भाकपा(माले) नेता शहीद का. सफायत अंसारी की याद में हर साल की तरह इस साल भी 14 सितम्बर 2024 को बेहरा मेला मैदान (सिकटा, पश्चिम चम्पारण) में तमाम शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए शहीद मेला और संकल्प सभा का आयोजन हुआ.

14 सितम्बर 1996 को अपराधी गिरोह जहांगीर ने कामरेड सफायत अंसारी की हत्या कर दी थी. कामरेड सफायत अंसारी जनता के बीच बेहद लोकप्रिय थे. वे जनसंघर्षों के अगुआ और उनके संघर्षों के लडाकू योद्धा थे. उनकी हत्या से तात्कालिक रूप से पार्टी को बहुत बड़ा धक्का लगा लेकिन अपने शहीदों के सपनों को साकार करने का प्रण ठाने बैठे पार्टी कार्यकर्ताओं ने जनसंघर्षा को आगे बढाया जिसके सामने न तो जमींदार टिक सके और न ही उनके अपराधी गिरोह और पार्टी का लाल झंडा दुगुनी-चौगुनी ताकत के साथ चारों तरफ फहरा उठा.

हर साल की तरह इस साल भी गांव-गांव से महिलाओं, पुरुषों और नौजवानों का जूलूस शहीद मेला और संकल्प सभा में पहुंचे थे. सभा स्थल पर काफी संख्या में विभिन्न प्रकार की दुकानें लगी थीं क्योंकि जनता के दिलो-दिमाग में शहीद मेले में शामिल होने की एक परम्परा-सी बन गयी है.

27वें शहीद मेला सह संकल्प सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा(माले) केन्द्रीय कमिटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी दुश्मनों से लड़ने का नाम था – का. सफायत अंसारी. वे हमेशा जनसंघर्षों की अगली कतार में खड़ा रहते थे. आज जिस तरह से केन्द्र की मोदी सरकार वर्षों से अर्जित हमारे लोकतंत्र और संविधान को खत्म करने पर तुली हुई है, वे उसके साथ संघर्ष की प्रेरणा हैं.

उन्होंने कहा कि आरएसएस-भाजपा मुस्लिम विरोधी वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 लेकर आयी है. यह स्पष्ट रूप से पक्षपाती है और मुस्लिम समुदाय, उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान के तहत प्राप्त विश्वासों पर सीधा आक्रमण है. संविधान और लोकतंत्र को खत्म करने वाली भाजपा को सत्ता और समाज दोनों जगह से समाप्त कर देना ही आज का. सफायत अंसारी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

इंसाफ मंच के जिला अध्यक्ष अख्तर इमाम ने कहा कि का. सफायत अंसारी की हत्या गरीबों की आवाज दबाने की कोशिश थीं. लेकिन आज उनकी पार्टी भाकपा(माले) पश्चिम चम्पारण में जन संघर्षा का प्रतीक और विपक्ष की मुखर आवाज के रूप में सामने आई है. यहां तक कि बिहार विधानसभा के अंदर भी गरीबों के सवाल उठ रहे हैं, जनता की आवाज गूंज रही है.

आरवाइए के जिला सचिव संजय मुखिया ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा की गई घोषणा को याद दिलाते हुए कहा कि गरीबों को 5 डिसमिल आवासीय जमीन और पक्का मकान देने का वायदा पूरा करना होगा. उन्होंने 94 लाख परिवारों को जिनकी मासिक आय 6000 रूपये से कम है, को दो लाख रुपये देने का भी वायदा किया था. अब जब इन वायदों को पूरा करने की बारी आयी है तो उनके अधिकारी किसी को भी 60 हजार से कम का आय प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं. नीतीश कुमार भी अपने वायदों को ‘जुमला’ बना देना चाहते हैं, मगर भाकपा(माले) नीतीश सरकार की घोषणा को जुमला नहीं बनने देगी. आंदोलन के बल पर सरकार से अपना हक लेना ही सफायत अंसारी के सपनों को साकार करना होगा.

आरवाइए के जिला अध्यक्ष फरहान रजा ने कहा कि बिहार में रोजगार सृजन नहीं के बारबार हुआ है. आज भी बिहारी नौजवानों का पलायन जारी है. नीतीश कुमार जिस विकास की ढोल पीट रहे थे वह सड़कों के टूटने और पुलों के ढहने के साथ ही फूट चुका है. दरअसल विकास के पर्दे के पिछवाडे घोर भ्रष्टाचार हो रहा था और इसी वजह से  करोड़ों की लागत से बने 16 पुल उद्घाटन से पहले ही गिर गये. पुल लगतार गिर रहे हैं और सडकें खस्ता हाल हैं. नीतीश सरकार में शामिल भाजपा की शह पर सामंती ताकतें फिर से फन उठा रही हैं. दलितों, पिछडों और महिलाओं पर हर रोज एक से बढ़कर एक नृशंस घटनाओं की बाढ-सी़ आ गयी है.

सभा को इन्द्रदेव कुशवाहा, सीताराम राम, इसलाम अंसारी, वीरेंद्र पासवान, योगेन्द्र यादव, अच्छेलाल राम, आफाक अहमद, नवीन झा आदि नेताओं ने भी संबोधित किया. संकल्प सभा का संचालन भाकपा(माले) नेता सुजायत अंसारी ने की.