वर्ष - 33
अंक - 37
07-09-2024

बक्सर जिले के चौसा प्रखंड में सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा निर्मित कोयला बिजली संयंत्र के लिए किसानों से 1064 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई है. इसके अलावा रेल कॉरिडोर और वाटर पाइप लाइन परियोजना के लिए भी किसानों से 250 एकड़ भूमि अधिग्रहित की जा रही है. इसमें किसानों की सहमति भी नहीं ली गई है और न हीं भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार कानून, 2013 का कोई पालन किया गया है. इसके खिलाफ 17 अक्टूबर 2022 से ही किसानों का लोकतांत्रिक जन आंदोलन चल रहा है.

20 मार्च, 2024 को, लोकसभा चुनाव के दरम्यान ही, जमीन अधिग्रहण में वाजिब मुआवजा के मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों को राज्य दमन की एक क्रूर कार्रवाई का सामना करना पड़ा. पुलिस और प्रशासन ने बक्सर जिला के चौसा प्रखंड के तीन गांवों, बनारपुर, मोहनपुरवा एवं कोचाढ़ी में, शाम के 5 बजे घरों में घुसकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित अन्य किसानों के साथ बेरहमी से मारपीट की, छोटे-छोटे बच्चे से लेकर अस्सी वर्ष की बुजुर्ग महिलाओं तक के हाथ-पांव तोड़ डाले, घरों को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर डाला और भारी लूटपाट को अंजाम दिया. इसमें दर्जनों लोग गंभीर रूप से जख्मी भी हुए. कई किसानों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया. दमन इतना भयावह था कि इसने अंग्रेजी हुकूमत की याद ताजी कर दी.

चुनाव बाद संयुक्त किसान मोर्चा की बिहार इकाई ने इसे गंभीरता से लेते हुए बड़े आंदोलन की ओर बढ़ना तय किया. 26 जून 2024 को पटना के गांधी मैदान से ‘राज्य दमन विरोधी मार्च’ आयोजित किया गया था. सरकार के साथ वार्ता में मिले आश्वासन को पूरा होते न देख संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए बक्सर में 4 सितंबर 2024 को एक विशाल राज्य दमन विरोधी प्रदर्शन का आयोजन किया.

उस दिन पहले किला मैदान, बक्सर में अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव उमेश सिंह, बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव विनोद कुमार और अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा के प्रांतीय सचिव अशोक बैठा की अध्यक्षता में एक सभा आयोजित हुई जिसे विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया. करीब डेढ़ बजे एक मार्च निकला जो विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा. वहां संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले एक सभा आयोजित हुई.

सभा को सम्बोधित करने वाले प्रमुख किसान नेताओं में अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव बीजू कृष्णन, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय संगठन सचिव सुदामा प्रसाद (आरा के सांसद) और क्रांतिकारी किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल शामिल थे. इनके अलावा अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा के राज्य सचिव अशोक बैठा, अखिल भारतीय किसान महासभा के बक्सर जिला सचिव रामदेव सिंह यादव और डुमरांव के विधायक अजित कुमार सिंह, बिहार राज्य किसान सभा के नेता सत्तार अंसारी, किसान एकता मंच (पटना) के नेता उमेश शर्मा, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के नेता रामचन्द्र सिंह, भूमि अधिग्रहण विरोधी आन्दोलन (पटना) के नेता मनीष कुमार, चौसा किसान आन्दोलन के नेता रामप्रवेश यादव, बिहार किसान समिति के नेता पुकार, ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के प्रांतीय सचिव मंडल के सदस्य इन्द्रदेव राय और क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता मनोज कुमार, जय किसान आन्दोलन के नेता जानकी पासवान, सर्व सेवा संघ (बनारस) के राम धीरज आदि ने भी सभा को संबोधित किया.

जन प्रदर्शन में शामिल अन्य प्रमुख नेताओं में अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा के नंदकिशोर सिंह, सुभाष यादव और सुरेन्द्र पासवान, क्रांतिकारी किसान यूनियन के अर्जुन प्रसाद सिंह व शशिकांत, अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक चन्द्रदीप सिंह, दुदून सिंह, जवाहरलाल सिंह, राजेंद्र सिंह, बबन सिंह और अलख नारायण चौधरी, ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के योगेन्द्र राम, लालबाबू राय और ललित कुमार घोष, बिहार राज्य किसान सभा के कामाख्या सिंह, नाथुन सिंह और शिवकेश्वर राय, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के अयोध्या राम और फरसानी राम तथा बिहार किसान समिति के नगीना राम, आदि के नाम उल्लेखनीय हैं.

यह प्रदर्शन चौसा के आन्दोलनकारी किसानों पर हुए हिंसक राज्य दमन के विरोध के साथ ही बिहार में विकास के नाम पर कानून को ठेंगा दिखाते हुए धड़ल्ले से चल रहे कृषि भूमि के जबरन अधिग्रहण के भी खिलाफ था. बिहार में अनेक विकास परियोजनाओं के नाम पर किसानों की उपजाऊ जमीन का बिना उचित मुआवजा का भुगतान किए अधिग्रहण किया जा रहा है. भारत माला सड़क परियोजना के तहत आमस (गया) से जयनगर (मधुबनी) तक प्रस्तावित सड़क परियोजना के नाम पर कृषि भूमि का जबरन अधिग्रहण किया जा रहा है. गया, रोहतास, कैमूर, कजरा, जमालपुर, औरंगाबाद, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, फतुहा, बख्तियारपुर, बिहटा, कोइलवर, बबुरा, बेगूसराय, पूर्वी चम्पारण, नालंदा तक के किसानों की भूमि की सरकारी-गैरसरकारी योजनाओं के नाम पर जबरन लूट जारी है.

केन्द्रीय किसान नेताओं ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित इन तमाम मामलों में प्रशासन की मनमानी और धांधली पर चिंता व्यक्त की और किसानों के संघर्ष के प्रति अपनी एकजुटता प्रकट की. साथ ही राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को चेतावनी दी कि अपनी दमनकारी जनविरोधी नीतियों से बाज आए, नहीं तो किसानों के बड़े जुझारू जनसंघर्षों को झेलने के लिए तैयार रहे.

विरोध प्रदर्शन के पश्चात संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आरा के सांसद का. सुदामा प्रसाद और डुमरांव के विधायक अजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में एक नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सीनियर एडीएम (डीडीसी) से  मिला और उनको एक छः सूत्री मांग पत्र सौंपा.

किसानों की प्रमुख मांगें

1. चौसा पुलिस दमन कांड (20 मार्च, 2024) की समग्र जांच एक उच्च स्तरीय न्यायिक समिति से कराई जाए. पुलिस दमन में शामिल बक्सर जिले के तमाम प्रशासनिक अधिकारियों को दंडित किया जाए.

2. कैग की रिपोर्ट में बक्सर के जिन अधिकारियों पर उंगली उठाई गई है, उनको तत्काल निलंबित किया जाए.

3. जिन किसानों को फर्जी मामले दायर कर जेल में बंद कर दिया गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाए, किसानों के ऊपर दायर मामले वापस लिए जाएं और पुलिस दमन के दौरान हुई जान-माल की क्षति के लिए उनको अविलम्ब समुचित मुआवजा दिया जाए.

4. पुलिस-प्रशासन अपने ऊपर हुए दमन के खिलाफ कोर्ट गये किसानों को मुकदमा वापसी के लिए धमकाना व उनपर दबाव बनाना बंद करे.

5. भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 के प्रावधानों का उल्लंघन कर कृषि भूमि के जबरन भूमि अधिग्रहण पर सख्ती से रोक लगाई जाए.

6. बिहार में पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन को लेकर स्पष्ट नीति बनायी जाए और उसे सख्ती से लागू किया जाए.

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