ऐक्टू (ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस) की उत्तराखंड राज्य कमेटी की बैठक 15 सितंबर 2024 को हलद्वानी के नगर निगम सभागार में सम्पन्न हुई.
बैठक को मुख्य रूप से संबोधित करते हुए राष्ट्रीय महासचिव का. राजीव डिमरी ने कहा कि आम चुनाव में मोदी सरकार की कर्मचारी-मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जनादेश मिला है, लेकिन मोदी सरकार जनादेश के विपरीत कर्मचारी-मजदूर विरोधी फैसले लागू कर रही है. सरकार निजीकरण व कॉरपोरेट घरानों के लिए ही जुटी है. मजदूर विरोधी चार लेबर कोड से मजदूरों के अधिकार खत्म हो जाएंगे. ये मजदूरों को गुलामी की ओर क्रूर ओपनिवेशिक दौर में पहुंचा देंगे और कॉरपोरेट घरानों के लिए मजदूरों के शोषण को आसान बना देंगे. उन्होंने न्यूनतम वेतन 35 हजार रूपये करने और सबको न्यूनतम 10 हजार रूपये की मासिंक पेंशन देने की मांग की. अन्होंने सरकारी कर्मियों को ओपीएस देने को सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी बताया और इसे बहाल करने की मांग पर जोर दिया. औद्योगिक मजदूरों तथा आशा व आंगनबाड़ी कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए उन्होंने उनकी मांगो को पूरा करने हेतु संघर्ष तेज करने का आह्वान किया.
उन्होंने लेबर कोड की वापसी और मजदूरों के समर्थन में सारी ट्रेड यूनियनों व किसान संगठनों द्वारा आहूत 23 सितम्बर के देशव्यापी काला दिवस को सफल बनाने की अपील करते हुए मजदूर विरोधी सरकारों को पीछे धकेल देने का आह्वान किया तथा ऐक्टू के राष्ट्रीय सम्मेलन (23-25 फरवरी 2024, दिल्ली) की सफलता के लिए ऐक्टू यूनियंस व कार्यकर्ताओं से पुरजोर अभियान चलाने की अपील की.
विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए भाकपा(माले) के राज्य सचिव का. इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार राज्य के मजदूरों, राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों, संविदा कर्मियों, आशा व आंगनबाड़ी कर्मियों तथा भोजनमाताओं की किसी भी जरूरी मांग को पूरा नहीं कर रही है. उल्टे, साजिशन व्यवहार कर उनके उत्पीड़न में जुटी है. उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओ के खिलाफ यौन अपराध पर रोक लगाने की जगह साम्प्रदायिक व्यवहार कर रही है. भाजपा से जुड़े यौन उत्पीडन के आरोपी नेताओ को बचाने में ही सरकार की ऊर्जा दिख रही है.
उन्होंने कहा कि राज्य के बेरोजगारों के लिए 60 हजार खाली पदों पर भर्ती निकालने के बजाय अपने नेताओ की सेटिंग में लगी धामी सरकार जनविरोधी साबित हो चुकी है.
बैठक ने 23 सितम्बर को राज्य भर में काला दिवस मनाने, लेबर कोड के खिलाफ व्यापक हस्ताक्षर अभियान चलाने, साझी कार्यवाही तेज करने, आशा व आंगनबाड़ी कर्मियों का विभिन्न स्तरीय सम्मेलन करने, संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण हेतु प्रचार करने, ऐक्टू की सदस्यता को 25 हजार करने तथा राष्ट्रीय सम्मेलन को सफल करने हेतु अभियान चलाने के निर्णय लिए गए.
बैठक की शुरुआत में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी को जिनका पिछले दिनों आकस्मिक निधन को गया, एक मिनट की मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इसका संचालन ऐक्टू के राज्य सचिव का. केके बोरा ने किया. ऐक्टू के राज्य उपाध्यक्ष डॉ. कैलाश पाण्डेय, उधमसिंह नगर जिला अध्यक्ष दिनेश तिवारी, नैनीताल जिला अध्यक्ष जोगेंद्र लाल, आशा यूनियन की राज्य उपाध्यक्ष रीता कश्यप, ममता पानू, ठेका मजदूर नेता अनिता अन्ना, सनसेरा यूनियन अध्यक्ष दीपक कांडपाल, बीएसएनएल नेता पंकज दुर्गापाल, उधमसिंहनगर जिला सचिव निरंजनलाल, बजाज यूनियन के महामंत्री हीरा राठौर, निर्माण यूनियन के महामंत्रा ललित मतियाली आदि समेत अधिकांश राज्य कमेटी सद्स्य मौजूद रहे.