- पुरुषोत्तम शर्मा
भारत की 18वीं लोकसभा चुनाव के बाद ससंद में पेश बजट में कृषि क्षेत्र की पूर्ण उपेक्षा को देखते हुए देश के किसान संगठनों ने आन्दोलन की अगली रणनीति बनाने का विमर्श शुरू कर दिया है. लोकसभा चुनावों में संयुक्त किसान मोर्चा ने ‘भाजपा का भंडाफोड़ करो! भाजपा का विरोध करो! भाजपा को सजा दो!’ के नारे के साथ एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया था. इस अभियान के चलते देश भर में किसान आन्दोलन के प्रभाव के लगभग 140 सीटों पर भाजपा को सीधा नुकसान उठाना पड़ा था. भाजपा पूर्ण बहुमत से काफी पीछे रह गयी और उसे बैशाखी की सरकार चलाने के बाध्य होना पड़ा. पर फिर भी इस सरकार के चाल-चरित्र और नीतियों में कोई अंतर नहीं आया है. संसद में पेश वर्तमान बजट के प्रावधान कृषि, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबों-किसानों की सामाजिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों (जिनका सीधा सम्बन्ध किसानों व ग्रामीण गरीबों से है) की पूर्ण उपेक्षा और कारपोरेट कम्पनियों की हित रक्षा करते साफ दिखाई दे रहे हैं.
इसी पृष्ठिभूमि में बजट पूर्व संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय परिषद् की आम सभा 10 जुलाई 2024 को हर किशन सिंह सुरजीत भवन दिल्ली में हुई. केन्द्रीय बजट पेश होने के बाद अखिल भारतीय किसान महासभा की राष्ट्रीय परिषद की दो दिवसीय बैठक 3-4 अगस्त 2024 को मानसा पंजाब में हुई. उसके बाद 6 अगस्त 2024 को संयुक्त किसान मोर्चा और 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के समन्वय मंच की साझा बैठक हुई. इस बैठक में 9 अगस्त से 14 अगस्त तक संयुक्त रूप से एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने की सहमति बनी. इस 6 दिन के अभियान में ‘कारपोरेट भारत छोड़ो’, ‘भारत सरकार डब्ल्यूटीओ से बाहर आओ’ का नारा लगाया जाएगा. इस अभियान में एमएसपी गारंटी कानून, कर्ज मुक्ति, चार श्रम कोडों का खात्मा, निजीकरण-ठेकाकरण पर रोक के साथ मजदूरों के सभी अधिकार बहाल करने जैसी मांगें भी शामिल रहेंगी.
6 अगस्त 2024 की शाम को संयुक्त किसान मोर्चा के एक प्रतिनिधि मंडल ने संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर किसानों की ओर से उन्हें 20 सूत्रीय मांग पत्र सौंप कर इन्हें संसद में उठाने की मांग की. मांग पत्र में एमएसपी गारंटी कानून, कर्ज मुक्ति सहित किसानों की समस्या के साथ ही मनरेगा में 200 दिन के काम और 600 रुपए मजदूरी देने, नौजवानों को रोजगार देने और अग्निवीर योजना को वापस लेने जैसी मांगें भी शामिल हैं. किसान नेताओं ने राहुल गांधी को 2018 में संसद में पेश एमएसपी गारंटी व कर्ज मुक्ति से सम्बन्धित दो निजी बिलों की प्रतियां भी सौंपी हैं जिन्हें देश के किसानों की ओर से संसद में पेश किया गया था. संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की कि इंडिया गठबंधन के दल इन बिलों पर आपस में चर्चा कर इन्हें व्यक्तिगत बिलों के रूप में फिर से संसद में पेश करें और उन पर बहस करवाएं. जल्द ही इन सवालों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ‘इंडिया’ गठबंधन के दलों से भी मिलेगा.
उधर अखिल भारतीय किसान महासभा की बैठक में संगठन के केंद्र के किसान विरोधी रुख के खिलाफ फिर से राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की तैयारी.
पुरुषोत्तम शर्मा द्वारा महासचिव राजाराम सिंह और संगठन के सचिव सुदामा प्रसाद को लोकसभा के लिए चुने जाने और संसद में किसानों-मजदूरों, जनता के विभिन्न तबकों की आवाज उठाने के लिए सम्मानित किया गया. राष्ट्रीय अध्यक्ष रुलदू सिंह मानसा ने लाल सरोपा भेंट कर उन्हें सम्मानित किया. किसान महासभा की बैठक ने माना कि इस लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार कमजोर हुई है, पर मोदी सरकार की तानाशाहीपूर्ण कार्यवाहियां और विभाजन की राजनीति अब भी जारी है. किसान महासभा ने महसूस किया कि मोदी सरकार के तीसरी बार सत्ता में पहुंचने के बावजूद देश में खासकर उत्तर प्रदेश में हुए बड़े राजनीतिक बदलाव में किसान आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. जिन-जिन क्षेत्रों में किसान आन्दोलन मजबूत था वहां भाजपा को भारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है. राष्ट्रीय परिषद् ने माना कि हमारे दोनों प्रतिनिधियों की जीत में भाकपा(माले) की चुनाव को फासीवाद के खिलाफ जन अभियान में बदलने की संगठित व केन्द्रित योजना तथा किसानों के एजेंडे को भी नीचे तक पहुंचाने की सफल कोशिश का बड़ा योगदान रहा है.
बैठक ने ऐतिहासिक किसान आंदोलन में पंजाब और हरियाणा से बाहर देश के हर कोने में आन्दोलन को फैलाने और मजदूर आंदोलन से उसे जोड़ने में किसान महासभा की भूमिका को चिन्हित किया. महाराष्ट्र में जब शेतकारी संगठना के नेता राजू शेट्टी आंदोलन से बाहर चले गए तो हमारे साथियों ने किसानों-आदिवासियों के बीच बड़े-बड़े अभियान चलाकर किसान आंदोलन की बागडोर को थामा. 15 हजार आदिवासियों का ‘नंदूरबाड़ से मुम्बई मार्च’ ने महाराष्ट्र की राजनीति में किसानों आदिवासियों के हस्तक्षेप को विस्तारित किया. इसी का नतीजा था कि महाराष्ट्र का आदिवासी और किसान इंडिया गठबंधन के साथ खड़ा रहा. किसान महासभा की राष्ट्रीय परिषद् ने पंजाब में एक संगठन के किसान नेता द्वारा एक मजदूर के हाथ-पैर तोड़ने की घटना की निंदा की. ऐसी घटनाओं पर किसान महासभा हमेशा पीड़ित मजदूर के पक्ष में खड़ी रहेगी. किसान महासभा ने आरोप लगाया कि फसल बीमा पर बीमा की राशि का तीन चौथाई कंपनियों को और एक चौथाई किसानों को मिल रहा है.
राष्ट्रीय परिषद की बैठक के दूसरे दिन कृषि बजट में बढ़ोत्तरी करने, खेती के कारपोरेटीकरण के हर प्रयास पर रोक लगाने, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को नियंत्रित करने, सरकारी संस्थानों के निजीकरण पर रोक तथा सभी खाली पदों को तत्काल भरने, एमएसपी गारंटी कानून बनाने, किसानों-ग्रामीण मजदूरों की कर्ज माफी, मनरेगा में 200 दिन का काम व 700 रुपए मजदूरी, वनाधिकार कानून 2005 और भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को सख्ती से लागू करने, नये बिजली बिल व स्मार्ट मीटर की वापसी, जैसी महत्वपूर्ण मुद्दों पर राजनीतिक प्रस्ताव पास किए गए. बैठक में वेनेजुएला में वामपंथी ताकतों फिर से जीत का स्वागत करते हुए अमेरिका द्वारा वहां अस्थिरता फैलाने के प्रयासों की निंदा की गई. बैठक में फिलिस्तीन पर इजरायल द्वारा किए जा रहे बर्बर हमलों को तत्काल रोकने की मांग की गई जिनमें 16 हजार बच्चों सहित 40 हजार लोगों की जानें जा चुकी हैं. बैठक की अध्यक्षता संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रुलदूसिंह मानसा के नेतृत्व में राष्ट्रीय उपाध्यक्षों की टीम ने किया. बैठक का संचालन संगठन के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड राजाराम सिंह ने किया.