वर्ष - 33
अंक - 35
24-08-2024

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज में महिला जूनियर डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी (बलात्कार-हत्या) के विरोध में लखनऊ में 17 अगस्त को सामाजिक, राजनीतिक व नागरिक संगठनों ने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) गेट पर मानव श्रृंखला बनाई.

इस मौके पर वक्ताओं ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन, पश्चिम बंगाल की पुलिस व सरकार पर गुनाहगारों को संरक्षण देने का आरोप लगाया. कहा कि तमाम सबूत जो इस कांड का पदापर्फाश कर सकते थे, उनको मिटाया गया है. इस घटना के बाद एक बार फिर से महिलाओं की लैंगिक और जीवन सुरक्षा के लिए कार्रवाई करने की बात उभर कर सामने आई है. जस्टिस जेएस वर्मा ने तमाम संस्थानों में महिलाओं की लैंगिक सुरक्षा के लिए कमेटी बनाने की बात की थी, जिसे आमतौर पर लागू नहीं किया जाता है.

वक्ताओं ने कहा कि इस सवाल पर भारतीय जनता पार्टी को बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है. क्योंकि उसने रेप के आरोपी आसाराम बापू और राम रहीम जैसे लोगों को पैरोल देने का काम किया है और कठुआ से लेकर पूरे देश में वह रेपिस्टों को संरक्षण देती है.

कार्यक्रम में इप्टा के राकेश, जन संस्कृति मंच के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर, एनएपीएम की अरूंधती धुरू, भाकपा(माले) के जिला प्रभारी रमेश सिंह सेंगर, आरवाईए के राजीव गुप्ता, आइसा के आयुष श्रीवास्तव, शांतनम, यूपीएमएसआर के विनेष मिश्रा, किसान सभा के प्रवीन सिंह, ऐडवा की सुमन सिंह, वंदना राय, महिला फेडरेशन की बबिता सिंह, सुनीता, सामाजिक कार्यकर्ता नईस हसन, एसएफआई के अब्दुल वहाब, भगत सिंह छात्रा मोर्चा की आकांक्षा आजाद, स्त्रा लीग की शिप्रा, जीबी यादव आदि लोगों ने भाग लिया.

इलाहाबाद में आइसा ने पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई यौन हिंसा की भयानक घटनाओं के खिलाफ देशव्यापी प्रतिवाद के तहत 18 अगस्त को प्रतिरोध मार्च निकाला. इविवि छात्रा संघ भवन से बालसन चौराहे तक मार्च करके गांधी प्रतिमा के समीप सभा आयोजित कर पीड़िताओं के लिए न्याय तथा यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं के लिए सरकारों को जिम्मेदार ठहराकर यौन हिंसा पर रोक लगाने की मांग की.

बनारस में मेडिकोज और नागरिक समाज ने महिला डॉक्टरों और नर्सों के साथ हो रहे बलात्कार और हत्या के मामले में 20 अगस्त को  कैंडल मार्च निकाला. मार्च में ऐपवा ने भी शिरकत की.

लखीमपुर खीरी के पलिया में ऐपवा जिला अध्यक्ष आरती राय के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल व बिहार की महिला हिंसा की बर्बर घटनाओं के खिलाफ राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एसडीएम को सौंपा. हर महिला के लिए कार्य स्थल पर सुरक्षित माहौल बनाए जाने, जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने और दोषियों पर कठोर से कठोर कार्यवाही करने की मांग की.

झारखंड की राजधानी रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर 16 अगस्त को नागरिक प्रतिरोध मार्च निकाला गया.

कोलकाता के आरजी कार हॉस्पिटल में महिला चिकित्सक के साथ हुए बलात्कार और हत्या के साथ ही पूरे देश में बढ़ रहे महिला हिंसा के खिलाफ रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर रांची के सभी महिला संगठनों  और जागरूक नागरिकों के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया.

एक तरफ देश में जब सत्ता पक्ष के द्वारा ही महिला हिंसा को करने वाले बाबाओं को जेल से रिहाई मिल रही है, वहीं दूसरी ओर देश में महिलाएं अपने कार्य क्षेत्र में भी सुरक्षित नहीं है. एक डॉक्टर और एक नर्स, जो हमेशा इमरजेंसी ड्यूटी में रहती है, के साथ बलात्कार और हत्या की घटनाओं ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है, आज पूरा देश महिला हिंसा के खिलाफ सड़क पर नजर आ रहा है.

‘तोड़ के रख दो वो समाज, जिसमें नारी बंधी है आज’ के नारे साथ सैकडो महिलाओं ने महिला हिंसा के खिलाफ केंद्र सरकार और बंगाल की ममता सरकार के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन में शिरकत की.

आज पुरुष समाज को भी विशेष कर सोचने की जरूरत है कि  देश महिला सुरक्षा को लेकर किस और जा रहा है. एक तरफ देश के प्रधानमंत्री ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा लगाते हैं, वहीं देश में महिलाएं अपने कार्य क्षेत्र में ही सुरक्षित नहीं है, महिलाओं ने सीबीआई के द्वारा निष्पक्ष और न्यायसंगत जांच, सभी दोषियों की जल्द से जल्द गिरफ्रतारी और फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए उनकी सजा सुनिश्चित करने; कॉलेज अधिकारियों द्वारा घटना के सबूत मिटाने की कोशिशों की उच्च स्तरीय जांच और उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करन; उन सभी अपराधी तत्त्वों जिन्होंने आरजी कार अस्पताल परिसर में हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन में उपद्रव किया, को तुरंत गिरफ्तार करने और साथ ही, महिला सुरक्षा के लिए बने  कानूनों और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम, निषेध, और निवारण कानून, 2013 को सख्ती से लागू करने की मांग की.

प्रदर्शन में मुख्य रूप से ऐपवा, ऐडवा, आदिवासी विमेंस नेटवर्क, नारी शक्ति क्लब, लोकतंत्र बचाओ आंदोलन, साझा मंच, भाकपा(माले) और माकपा सहित कई संगठनों व पार्टियों ने हिस्सा लिया. वीणा लिंडा, ऐति तिर्की, शांति सेन, सिंगी खालखो, सुषमा मेहता, एलिना होरो, लीना पद्म, दीप्ति , गीता तिर्की, रीना  खलखो, संगीता बैक, अमृता, स्मृति नाग, इंद्राणी तिर्की, संजना मेहता, कविता सिंह, शमीमा खातून आदि समेत सैकड़ों महिलायें प्रदर्शन में शामिल रहीं.

बिहार की राजधानी पटना में 16 अगस्त को सभी महिला संगठनों की ओर से बुद्ध स्मृति पार्क के समक्ष कैंडिल जलाकर कलकत्ता की डॉक्टर और मुजफ्फरपुर की छात्रा को श्रद्धांजलि देते हुए प्रतिवाद सभा आयोजित की गई.

इस प्रतिवाद सभा का संचालन ऐपवा राज्य सचिव अनिता सिन्हा ने किया. प्रतिवाद सभा में ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय महासचिव और विधान पार्षद शशि यादव, बिहार महिला समाज की निवेदिता झा, इंसाफ मंच की अफ्रशा जबीं, एएसवाईएफ की आस्मां खान, एआईएमएसएस की अनामिका, मौलिक अधिकार महिला मंच की अख्तरी बेगम, ऐडवा की सुनीता कुमारी, दलित महिला मंच की प्रतिभा कुमारी, इप्टा की सुष्मिता, सामाजिक कार्यकर्ता तबस्सुम अली, दिव्या गौतम, चंद्रकांता, अनुराधा, प्रीति और  मोना झा ने इस सभा को संबोधित किया.

महिलाओं ने कहा कि देश में अंधी, गूंगी और बहरी सरकार है, जिसे महिलाओं पर हो रहे जुल्म और अत्याचारों का बिल्कुल पता नही चल रहा है. हर घंटे चार महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहा है. हर क्षण महिलाएं अपनी अस्मत को बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं, लेकिन महिला विरोधी केन्द्र और राज्य सरकारें इन जघन्य अपराधों के प्रति बिलकुल संवेदनहीन हो चुकी हैं जिससे अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है. सरकार और प्रशासन को यह विश्वास दिलाना होगा कि उनका हर कदम महिलाओं की सुरक्षा और त्वरित न्याय दिलाने से जुड़ा हुआ है. तभी वास्तव में कानून का राज स्थापित हो सकेगा और लोगों का विश्वास मजबूत होगा.

महिलाओं ने कहा कि इन जघन्य और दिल दहला देनेवाली घटनाओं को देखकर ऐसा लगता है कि सभ्य समाज केवल एक कोरी कल्पना है. हमारा वास्तविक समाज महिलाओं को लेकर अराजक हो गया है. शायद महिलाओं का सम्मान अब किताब के पन्नों में ही सिमटकर रह गया है. तभी तो बच्चियों से लेकर मां तक असुरक्षित हो चुकी हैं. कोई ऐसी जगह नहीं है जहां महिलाएं अपने को सुरक्षित महसूस कर सकें.

कहा कि इन घटनाओं से महिलाएं अपने को असुरक्षित महसूस कर रही हैं. न्याय पाने की प्रणाली इतनी कठिन और संकीर्ण हो चुकी है कि पीड़ितायें टूट जाती हैं. ऐसे माहौल में हमारी मांग है कि महिलाओं के अपराध से जुड़े मामले पर तत्काल सुनवाई की जाए और अपराधियों को ऐसी सजा दी जाए जिससे फिर किसी को अपराध करने की हिम्मत न हो सके.

प्रतिरोध मार्च में बिहार महिला समाज से सुधा अंबष्ट ऐडवा से नीलम कुमार, एसएफआई से कांति कुमारी, इप्टा से रूपम झा, दिशा छात्र संगठन से वारुणि, इंसाफ मंच से नसरीन बानो समेत सैंकड़ों छात्रायें भी मौजूद रहीं.

17 अगस्त 2024 को मुजफ्फरपुर में पीड़िताओं के लिए न्याय की गारंटी और अपराधियों की अविलंब गिरफ्रतारी की मांग पर भाकपा(माल), ऐपवा, इंसाफ मंच, आइसा और आरवाईए ने भाकपा(माले) जिला कार्यालय स्थित हरिसभा चौक से कल्याणी चौक तक प्रतिवाद मार्च निकाला.

प्रतिवाद सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के जिला सचिव कृष्णमोहन और आरवाईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम ने कहा कि पारू की दलित लड़की गैंगरेप व हत्याकांड के मुख्य अभियुक्तों को बचाने के लिए प्रशासन पूरे मामले की लीपपोती में ही लगा हुआ है.

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