समस्तीपुर, 26 अगस्त 2024 : समस्तीपुर जिला परिषद् इन दिनों अपने करतूतों को लेकर विशेष रूप से चर्चा के केन्द्र में है. पहले तो यह कि पन्द्रहवें वित्त आयोग से संचालित होने वाली योजनाओं की 2024-25 के वार्षिक कार्य योजना के लिए समय रहते सामान्य बैठक नहीं होने के वजह से यह जिला पहली किश्त की राशि से बंचित हो गया है. दूसरी तरफ, पन्द्रहवें वित्त आयोग से संचालित योजनाओं में बकाया भुगतान नहीं करने का आरोप लगा कर माननीय अध्यक्ष खुशबू कुमारी एवं उनके कर्ताधर्ता सामाजिक कार्यकर्ता विक्रांत कुमार के नेतृत्व में उप-विकास आयुक्त के खिलाफ जिला परिषद् कार्यालय के समक्ष तीन दिनों तक लगातार धरना दिया गया. माननीय पार्षदों का भी यही आरोप है कि उप-विकास आयुक्त जानबूझकर पूर्व में सम्पन्न हो चुके विकास योजनाओं में बकाया का भुगतान नहीं कर रहे हैं. जबकि उप-विकास आयुक्त से दर्जनभर से अधिक पार्षदों ने विकास योजनाओं के संचालन में अध्यक्ष के ऊपर भेदभाव एवं पारदर्शिता के घोर अभाव का आरोप लगाया है. 15वें वित्त आयोग के द्वारा कुल 680 योजनाओं को संचालित किया गया है लेकिन, अभिलेख कुल 503 योजनाओं के ही उपलब्ध कराए गए हैं. शेष योजनाओं के अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. जिला पार्षदों के क्षेत्र में विकास हेतु एक ही योजना का दो अलग-अलग प्राक्कलन तैयार कर प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त करने के पीछे की मंशा भी समझ से परे है. आखिर ऐसा क्यों किया गया है?
तीसरी बात, तो यह है कि पंचम वित्त आयोग के 23 करोड़ की राशि सहित षष्ठम वित्त आयोग से संचालित कुल 168 योजनाओं का 40 करोड़ की राशि का निकासी कर लिया गया है जिसका अभिलेख भी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. इसके साफ-साफ प्रतित होता है कि जिला अभियंता, कनीय अभियंता, जिला परिषद् के प्रधान लिपिक एवं जिला परिषद् के अध्यक्ष की मिलीभगत से अभिलेख को छुपाया जा रहा है. चौथी बात यह है कि पिछली बोर्ड में 2016 से 2021 के बीच पंचम वित्त आयोग मद से संचालित योजनाओं में 10 प्रतिशत कि बकाया राशि को उपर्युक्त लोगों ने यह बात कह कर गबन कर लिया कि करीब 8 प्रतिशत राशि टैक्स मद में कटौती कर जमा की गई है. शेष राशि में से डेढ़ प्रतिशत के हिसाब से भुगतान दिया गया जबकि टैक्स मद में केवल 1.75 प्रतिशत राशि ही जमा की गई है.
पांचवीं बात यह कि 21 अगस्त 2024 को ताजपुर डाक-बंगला पर आयोजित जिला परिषद् के सामान्य बैठक में उत्पन्न परिदृश्य को देखने व सुनने से स्पष्ट हो गया है कि बहुमत की आड़ में तानाशाही की हदें पार की जा रही हैं. परिषद् की बैठक में पूर्व जिला परिषद् अध्यक्ष श्रीमति प्रेमलता को अपनी बात कहने से रोकने के लिए हल्ला-गुल्ला मचाते हुए अपमानित किया गया. पार्षद मंजू देवी, श्रीमति ममता शर्मा, श्वेता यादव और मो. अजहर और अरूण कुमार गुप्ता के साथ भी असंसदीय व्यवहार होता रहा और बाहर खड़े विक्रांत कुमार वैसे पार्षदों को उकसाते हुए देखे जा रहे थे. हद तो तब हो गई जब विक्रांत कुमार के द्वारा बुलाए गए गुर्गों नेपार्षद श्री अरूण कुमार गुप्ता को बाहर में धमकाते हुए उनके साथ बदसलूकी किया. अन्त में, बहुमत का हवाला देते हुए फिर एक बार विकास योजनाओं के क्षेत्रवार आवंटन में चार-पांच माननीय पार्षदों के क्षेत्र में एक भी योजना नहीं दी गई है. एक दर्जन से अधिक पार्षदों के क्षेत्र में केवल तीन-चार सार्वजनिक शौचालय, यात्री शेड, शवदाहगृह, नाला निर्माण जैसे लम्बे समय में कार्य पूर्ण होने वाली योजनाओं को शामिल किया गया है. इसमें ऐसी-ऐसी योजनायें भी शामिल हैं जिसका तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति पहले ही दी जा चुकी है. अब ऐसे पार्षद जो अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद उनके साथ दरभंगा और नेपाल में रंग-विरंगी तस्वीरों के साथ मौज-मस्ती के रूपों में समस्तीपुर जिला परिषद् का नाम शुमार कर रहे थे. उनके क्षेत्र में विकास के लिए वार्षिक कार्य योजना में सात से पन्द्रह की संख्या में कम समय में पूर्ण होने वाली योजनायें – पीसीसी एवं छठ घाट हेतु सीढ़ी निर्माण को शामिल की गई हैं.
बात केवल, समस्तीपुर के जिला पार्षदों और उनके क्षेत्र में संपन्न होने वाले विकास योजनाओं की नहीं है बात सामाजिक कार्यकर्ता विक्रांत कुमार की है जिनके बदौलत वेशक माननीय पार्षद खुशबू कुमारी अध्यक्ष हैं. पहले भी जिन लोगों ने समस्तीपुर जिला परिषद् को शर्मशार करने का काम किया था उनको लोगों ने अपने समय में मनमानी के साथ ताकत आजमाते देखा है और आज भी जो अपने समय में बादशाह बने बैठे हैं उनको भी आने वाले समय में जिला परिषद् को कलंकित करने को लेकर खूब याद किया जाएगा.
– फूलबाबू सिंह