वर्ष - 33
अंक - 36
31-08-2024

उत्तर प्रदेश में 69000 सीटों पर शिक्षक बहाली में सामान्य अभ्यर्थियों का अंतिम कटऑफ 67.11, ओबीसी का 66.73, अनुसूचित जाति वर्ग का 61.01 और अनुसूचित जनजाति वर्ग का 56.09 तक गया. सामान्य और ओबीसी श्रेणी में सिर्फ 0.38 अंक का अंतर रहा. अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि 18,988 पदों पर आरक्षण घोटाला हुआ है. ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी की जगह महज 3.86 फीसदी आरक्षण मिला. अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को 21 की जगह 16.2 फीसदी ही आरक्षण मिला.

आरक्षण घोटाले के खिलाफ 16 अगस्त 2024 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ की डबल बेंच ने शिक्षा विभाग को 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती की नई सूची 3 महीने में जारी करने का आदेश सुनाया है. उसने आरक्षण नियमावली 1994 की धारा-3(6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन करने का आदेश सरकार को दिया है. आरक्षित वर्ग का यदि कोई मेधवी उम्मीदवार सामान्य वर्ग के बराबर अंक पाता है, तो उसे कैटगरी में नहीं बल्कि सामान्य वर्ग में रखा जाएगा. बाकी की 27 प्रतिशत सीटों को ओबीसी और 21 प्रतिशत को एससी से भरा जाए.

आरक्षण घोटाले में हुए नुकसान का आकलन किया जाए तो यह लगभग 5000 करोड़ रुपए यानि प्रतिमाह 55000 हजार रुपए की दर से लगभग 19000 अभ्यर्थियों का 48 महीने का वेतन है. बाकी मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न अलग हुआ है. न्यायालय ने कहा है कि इसकी भरपाई कैसे होगी इसका जवाब सरकार को देना है.

उच्च न्यायालय ने माना है कि शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला हुआ है. इंकलाबी नौजवान सभा की मांग है कि 69000 हजार शिक्षक भर्ती में हुए आरक्षण घोटाले पर उच्च न्यायालय के फैसले को शीघ्रता से लागू किया जाए. इसके लिए जिम्मेदार मंत्रियों-अधिकारियों को दंडित किया जाए. योग्यता के नाम पर  ओबीसी-एससी समुदाय के अधिकारों का हनन करने वाली योगी सरकार को बर्खास्त किया जाए. 5000 करोड़ रु. के हुए नुकसान की भरपाई की जाए.

सामान्य श्रेणी मतलब सवर्ण श्रेणी नहीं होता, बल्कि वह सभी के लिए खुली हुई श्रेणी है. अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को छीनने वाली भाजपा सरकार के खिलाफ इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाइए) उत्तरप्रदेश के युवाओं से एकजुट होकर सघर्ष करने की अपील करता है.