वर्ष - 33
अंक - 36
31-08-2024

मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड के सिरजाबाद गांव में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के उत्पीड़न से अकबर अली की हृदयाघात से दर्दनाक मौत हो गई. इस घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है.

अकबर अली आइसक्रीम बेचने का काम करते थे और अपनी पत्नी के साथ मिलकर किसी प्रकार परिवार का गुजारा कर रहे थे. उनकी पत्नी सिलाई का काम करती थीं. हाल ही में उनकी पत्नी आसमा खातून के पैर में फ्रैक्चर हो गया था, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी दयनीय हो गई. ऐसे में उन पर विभिन्न माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा लिए गए कर्ज का दबाव लगातार बढ़ता गया.

माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने उन्हें 24 प्रतिशत से लेकर 33 प्रतिशत तक की ऊंची ब्याज दरों पर गाय, दूध, फार्मिंग और एग्रीकल्चर के नाम पर कर्ज दिया था. भारत फाइनेंस, आरोही फाइनेंस, फाइनकेयर फाइनेंस, बजाज फाइनेंस और बंधन बैंक जैसी कंपनियों ने इन परिवारों को लोन तो दिया, लेकिन चुकौती में देरी होने पर उनका व्यवहार बर्बर और बेहद असंवेदनशील होता गया.

स्थानीय लोगों का कहना है कि माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के एजेंटों द्वारा अकबर अली को लगातार धमकियां दी जा रही थीं. साथ ही परिवार की महिलाओं और लड़कियों से अभ्रदता की जा रही थी. बदसलूकी व लगातार मिल रही धमकियों से यह परिवार परेशान था. इसी बीच अकबर अली को हृदयाघात हुआ. माले जांच टीम का मानना है कि यह कोई साधारण घटना नहीं बल्कि ‘माइक्रोफाइनेंस हत्याकांड’ है, जो इन कंपनियों की क्रूरता और अत्याचार का नतीजा है.

भाकपा-माले की पांच सदस्यीय टीम ने 27 अगस्त को पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी और घटना की जांच की. टीम में प्रखंड प्रभारी राजेश रंजन, आइसा नेता सुनील कुमार, भाकपा-माले जिला कमेटी के सदस्य रौशन कुमार समेत अन्य कार्यकर्ता शामिल थे. टीम ने पीड़ित परिवार के साथ संवेदना व्यक्त की और परिवार व ग्रामीणों के साथ बैठक कर 31 अगस्त को सकरा प्रखंड मुख्यालय का घेराव करने का निर्णय किया. माले जांच दल ने मांग की है –

1. पीड़ित परिवार को 10 लाख का मुआवजा  दिया जाए.
2. माइक्रोफाइनेंस के अधिकारियों पर धारा 302/ वीएनएस 103 के तहत मुकदमा दर्ज हो.
3. माइक्रोफाइनेंस कंपनी के तमाम लोन माफ करते हुए ऐसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगे.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा गुंडों का गैंग है ऋण वसूली संस्थाएं

इस बीच कोलकाता निवासी देवाशीष चौधरी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बैंक लोन रिकवरी फर्म को ‘गुडों का गैंग’ बताया है और कहा है कि रिकवरी एजेंट द्वारा द्दण वसूली के लिए प्रताड़ित किए गए व्यक्ति को मुआवजा मिलना चाहिए. उसने कहा कि रिकवरी एजेंट वास्तव में गुंडों का समूह प्रतीत होता है जो बैंक से द्दण लेने वाले लोगों को परेशान करने के लिए ताकत का इस्तेमाल करता है. इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.