वर्ष - 33
अंक - 33
10-08-2024

उच्च शिक्षा में सुधार के व्यापक एजेंडे के तहत कैंपस में पठन-पाठन के लोकतांत्रिक माहौल को पुनर्बहाल करने तथा आधारभूत संरचनाओं में सुधार सहित अपनी अन्य समस्याओं को लेकर बिहार में विश्वविद्यालयों के शिक्षक संगठन निर्माण की दिशा में बढ़ चले हैं. भाकपा(माले) विधायक संदीप सौरभ की अध्यक्षता में 4 अगस्त 2024 को पटना में विश्वविद्यालय शिक्षकों की हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में संगठन निर्माण का प्रस्ताव लिया गया.

बैठक की अध्यक्षता करते हुए का. संदीप सौरभ ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि प्रशासनिक मनमानी के खिलाफ कैंपसों के लोकतांत्रिकीकरण, पठन-पाठन के माहौल को पुनर्बहाल करने, महिला शिक्षिकाओं के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराने, ध्वस्त आधारभूत संरचनाओं को पुनर्बहाल करने, खाली पदों पर अविलंब भर्ती आदि सवालों पर एक नया शिक्षक संगठन बनाया जाए. बैठक में शामिल शिक्षकों ने इस पर सहमति जताई और यह तय किया गया कि बिहार प्रोग्रेसिव यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोएसशन नाम से एक नया शिक्षक संगठन बनाया जाए.

बैठक में बिहार के कई विश्वविद्यालयों के शिक्षक मौजूद रहे. इनमें पटना विवि, पाटलिपुत्र विवि, भीमराव अंबेडकर विवि (मुजफ्फरपुर), मगध विवि (गया), एलएनएमयू (दरभंगा) आदि विश्वविद्यालयों से शिक्षकों की उल्लेखनीय भागीदारी रही. सभी शिक्षकों ने बिहार की गिरती शिक्षा व्यवस्था पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया, विवि व काॅलेज प्रशासन की मनमानी पर सवाल उठाए तथा इस स्थिति में बदलाव हेतु एक एक सकारात्मक हस्तक्षेप के उपकरण के बतौर शिक्षक संगठन के निर्माण पर जोर दिया. महिला शिक्षिकाओं ने आधारभूत संरचनाओं की खस्ता हाल के साथ-साथ मातृत्व अवकाश के सवाल को उठाया.

बैठक में संगठन के संविधान व कार्य प्रणाली पर खुलकर बातचीत हुई और यह भी तय किया गया कि जल्द ही इसका रजिस्ट्रेशन करा लिया जाएगा. तय हुआ कि आगामी 1 सितंबर को पटना में इसका स्थापना सम्मेलन किया जाएगा. इस दौरान यह कोशिश होगी कि स्थापना सम्मेलन में सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षक प्रतिनिधि भाग लें.

विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि हमने पहले ही शिक्षक समुदाय की मांगों से संबंधित एक चार्टर तैयार कर लिया है. अब हम संगठन निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. हम बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के प्रति प्रतिबद्ध हैं. आए दिन हमारे पास शिक्षकों की कई समस्याएं आती हैं, जिन्हें विभिन्न मंचों से उठाया जाता रहा है, लेकिन एक सशक्त संगठन के अभाव में बहुत प्रभावी हस्तक्षेप संभव नहीं हो पा रहा था. इसलिए हमलोग इस दिशा में बढ़ रहे हैं.