वर्ष - 33
अंक - 33
10-08-2024


नई दिल्ली, 6 अगस्त 2024

बांग्लादेश में आरक्षण कोटा में बदलाव के आन्दोलन को भारी दमन से कुचलने की हसीना सरकार की कोशिशों के बाद वहां का छात्र आन्दोलन शेख हसीना के इस्तीफे और उनके निरंकुश शासन के अंत की मांग के साथ जनता के लोकप्रिय उभार में तब्दील हो गया है. उनका इस्तीफा और देश से पलायन से स्पष्ट हो गया है कि निरंकुशता के खिलाफ जनता का गुस्सा सही था. विजयी दावेदारी के इस क्षण में हम बंग्लादेश की लोकतंत्र-पसंद जनता को बधाई देते हैं.

बांग्लादेश इस समय संक्रमण के उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रहा है. वहां से आवामी लीग नेताओं और उनके कार्यालयों पर हमलों, शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति पर तोड़फोड़ और लूटपाट व आगजनी की चिंताजनक खबरें आ रही हैं, लेकिन इसके साथ ही आन्दोलनकारी शक्तियों द्वारा परिस्थिति को संभालने और अल्पसंख्यक समुदाय और आम नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने की आश्वस्त करने वाली रिपोर्टें भी मिल रही हैं. रिपोर्टों से यह भी पता चल रहा है कि वहां एक अंतरिम सरकार बनने की सम्भावना है और नोबेल पुरस्कार विजेता और वरिष्ठ अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस नई सरकार के चीफ एडवाइजर के रूप में हो सकते हैं.

भारत की लोकतांत्रिक शक्तियों को उम्मीद है कि बांग्लादेश अपने मुक्ति युद्ध के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ेगा. वहां अस्थिरता और अराजकता के माहौल को ज्यादा देर नहीं रहने देगा. मिलिटरी शासन, कट्टरवादियों और साम्राज्यवादी हस्तक्षेप जो आम तौर पर बदलाव और लोकतंत्र के लिए संघर्षरत जनता की आकांक्षाओं और दावेदारी का अपहरण कर लेते हैं, से स्वयं को बचायेगा. मैत्री और सहयोग की भावना के साथ बांग्लादेश की जनता की संप्रभु पसंद को भारत सरकार को तरजीह देनी चाहिए.

बांग्लादेश के घटनाक्रम पर भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया में, भारत में सामाजिक और राजनीतिक माहौल बिगाड़ने के मकसद से, भ्रामक दुष्प्रचार चल रहा है. हमें इस प्रोपेगैण्डा युद्ध के प्रति भी सचेत बने रहना होगा. 

– केन्द्रीय कमेटी, भाकपा(माले)