लखनऊ, 19 जुलाई 2024: भाकपा(माले) ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के उस आदेश की कड़ी आलोचना की है जिसमें उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा वाले रास्तों पर पड़ने वाली खाने-पीने की दुकानों पर उनके मालिकों का नाम लिखने को अनिवार्य किया गया है. अभी तक ऐसा आदेश पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, शामली व सहारनपुर में कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले ढाबों-होटलों के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से जारी किया गया था.
पार्टी की राज्य इकाई ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि इस तरह का सरकारी आदेश सांप्रदायिक सद्भाव को क्षति पहुंचाने वाला, विभाजनकारी, अस्पृश्यता मूलक और संविधान-विरोधी है. पार्टी ने इसे तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की है.
भाकपा(माले) ने कहा कि कांवड़ यात्रा की आड़ में भाजपा सरकार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है. आदेश का मकसद अल्पसंख्यक समाज को निशाना बनाना है. नफरत फैलाकर समाज को बांटने की कोशिश को प्रदेशवासियों ने लोकसभा चुनाव में करारा जवाब दिया. लगता है भाजपा ने इससे कोई सबक नहीं सीखा.
भाकपा(माले) ने कहा कि जनदबाव में मुजफ्फरनगर पुलिस आदेश को लेकर बैकफुट पर गई थी और गुरुवार को नया नोटिस जारी कर स्वेच्छा से पालन करने को कहा था. मगर 24 घंटे के भीतर ही नए फरमान के साथ खुद मुख्यमंत्री के सामने आने से स्पष्ट हो गया कि मामला सिर्फ मुजफ्फरनगर या दो-तीन जिलों के प्रशासन का नहीं है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश सरकार की नीति है.
भाकपा(माले) ने कहा है कि इस आदेश का राज्यव्यापी विरोध किया जाएगा और हर हाल में गंगा-जमुनी तहजीब, धर्मनिरपेक्षता व लोकतंत्र की रक्षा की जाएगी. भाकपा(माले) की जिला इकाइयों के बैनर तले आदेश की प्रतियां जलाकर जिलों में प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे. भाकपा(माले) ने सांप्रदायिक सौहार्द में भरोसा करने वाली शक्तियों से आगे आकर इस नफरती फरमान का विरोध करने की अपील की है.