लोकसभा चुनाव के संपन्न होने के साथ ही बिहार में बढ़ते अपराध और लगातार गिरती कानून व्यवस्था के खिलाफ इंडिया गठबंधन के आह्नान पर 20 जुलाई 2024 को राज्यव्यापी प्रतिरोध मार्च का आयोजन किया गया. राजधानी पटना सहित जहानाबाद, अरवल, नवादा, मोतिहारी, आरा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर आदि शहरों में प्रदर्शन किया गया.
पटना में वीरचंद पटेल पथ से भाकपा(माले), राजद, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम और वीआइपी से जुड़े कार्यकर्ताओं ने झंडे-बैनर के साथ लगभग एक हजार की संख्या में जुलूस निकाला. प्रदर्शनकारी इनकम टैक्स तथा डाकबंगला चौराहे पर लगाए गए बैरिकेड को तोड़ते हुए आगे बढ़ते गए. बाद में मुख्यमंत्री के नाम संबोधित एक ज्ञापन पटना जिलाधिकारी को सौंपा गया. ज्ञापन में मुख्य रूप से राज्य में चिंताजनक रूप से लगातार बढ़ रही आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाने की मांग की गई. वीआइपी प्रमुख श्री मुकेश सहनी के 67 वर्षीय वृद्ध पिता की नृशंस हत्या के मामले को भी उठाया गया. साथ ही चुनाव बाद दलित समुदाय पर सामंती हिंसा की घटनाओं पर भी ध्यानाकृष्ट कराया गया. मांग पत्र में गया, नवादा, मुजफ्फरपुर आदि जगहों पर हाल ही में सामंती ताकतों द्वारा महादलितों की हत्या, महिला को निर्वस्त्रा कर घुमाने, मुंह में पेशाब करने, बलात्कार, मुजफ्फरपुर ठगी, माॅब लिंचिंग की घटनाओं को शामिल किया गया था. पटना जिले में अपराध की घटनाओं की एक विस्तृत सूची सौंपी भी गई.
मार्च का नेतृत्व भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, उपनेता सत्यदेव राम, विधायक गोपाल रविदास, संदीप सौरभ व शशि यादव, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह व विधायक दल के नेता शकील अहमद खां, राजद के जिला अध्यक्ष दीनानाथ सिंह, सीपीआइ के रामलला सिंह, सीपीएम के सर्वाेदय शर्मा, वीआइपी के जिलाध्यक्ष अर्जुन सहनी आदि कर रहे थे. प्रतिरोध मार्च में भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य अमर, पटना महानगर सचिव अभ्युदय, रणविजय कुमार, कमलेश शर्मा, उमेश सिंह आदि भाकपा(माले) नेता, राजद के महानगर अध्यक्ष आफताब आलम, सीपीआइ के विश्वजीत कुमार, सीपीएम के मनोज चंद्रवंशी व सोनेलाल प्रसाद, कांग्रेस के पटना अध्यक्ष शशि रंजन यादव, वीआइपी के आनंद ठाकुर आदि प्रमुख रूप से शामिल थे.
राज्य में अपराध की बढ़ती घटनाओं ने पूरे बिहार को झकझोर दिया है, जैसे राज्य में कानून नाम की कोई चीज रह ही नहीं गई है. गया, नवादा, सिवान, मुजफ्फरपुर, सारण, पूर्वी चंपारण, सासाराम, गोपालगंज आदि जिलों में अपराध की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है. हालत यहां तक पहुंच गई है कि राजधानी पटना और उसके आसपास के इलाकों में भी अपराधी पूरी तरह बेलगाम हो गए हैं. विगत कुछ दिनों में दो दर्जन से अधिक हत्या के मामले सामने आए हैं.
सबसे हालिया प्रकरण में इंडिया गठबंधन के घटक दल वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी के 67 वर्षीय वृद्ध पिता की जिस नृशंसता से हत्या की गई, वह साबित करता है कि कानून-व्यवस्था का कोई खौफ अपराधियों को नहीं रह गया है. यह बेहद चिंताजनक है. बिहार का आम नागरिक आज भय व आतंक के साये में जीने को मजबूर हैं.
एक तरफ अपराधी बेलगाम हैं, तो दूसरी ओर सामंती ताकतों का भी मनोबल सर चढ़कर बोल रहा है. दलितोें-महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय को खासतौर पर निशाना बनाया जा रहा है. यहां पर दलित उत्पीड़न की कुछ घटनाओं का उल्लेख करना प्रासंगिक होगा.
गया जिले के टिकारी प्रखंड के चिरैला मांझी में संजय मांझी का सामंतों-भूस्वामियों ने उस वक्त तलवार से हाथ काट डाला, जब वे गरीबों की जमीन पर भूस्वामियों के कब्जे का विरोध कर रहे थे. मुजफ्फरपुर में भाजपा समर्थित सामंती ताकतों ने संजीत मांझी पर जानलेवा हमला किया, उनके शरीर को चाकू से गोद दिया और उसका विरोध करने पर उनकी पत्नी को भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए निर्वस्त्र करने का प्रयास किया. भूस्वामियों ने संजीत मांझी के मुंह में पेशाब करने का पाशविक काम किया. नवादा जिले में 50 वर्षीय पप्पू मांझी की हत्या का मामला भी सामने आया है.
उसी प्रकार मासूम बच्चियों, नाबालिग लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है. औरंगाबाद, भागलपुर, बेतिया, सासाराम, बेगूसराय, मोतिहारी, वैशाली, कटिहार, मुजफ्फरपुर, गया आदि तमाम जिलों से बलात्कार की घटनाओं की लगातार रिपोर्टें आ रही हैं.
मुर्हरम के मौके पर राज्य में जगह-जगह मुस्लिम समुदाय के युवकों को निशाना बनाया गया. कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है. अतः आज के प्रदर्शन के माध्यम से हम राज्य में अपराध और दलितों-महिलाओं व अल्पसंख्यक समुदाय पर हिंसा की लगातार बढ़ती घटनाओं पर अविलंब रोक लगाने की मांग करने आए हैं. प्रशासन मुस्तैदी से अपराधियों की तत्काल गिरफ्तारी करे ताकि भय व आतंक का माहौल खत्म हो.