वर्ष - 33
अंक - 11
09-03-2024

-- कुमार परवेज

इंडिया ने दिखाया दम - एनडीए बेदम

खराब मौसम और बेहद कम समय में की गई तैयारी के बावजूद पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान एक बार फिर तानाशाही व सत्ता के अहंकार के खिलाफ लोकतंत्र को बचाने के संघर्ष में एक इतिहास रच गया. इतिहास साक्षी है कि इस मैदान से जब-जब आवाज उठी है दिल्ली की सत्ता हिल गई है. महारैली में जुटी भारी भीड़ ने 50 साल के पुराने इतिहास को दुहराते हुए तानाशाह मोदी सरकार को अंदर से हिला दिया. एनडीए खेमा बेदम सा नजर आया. प्रधानमंत्री मोदी को बिहार में लगातार सभाएं करनी पड़ रही हैं. रैली के एक दिन पहले उन्होंने औरंगाबाद व बेगूसराय तथा 6 मार्च को बेतिया में सभा की. 9 मार्च को अमित शाह पालीगंज आने वाले हैं. भाजपा नेताओं की बेचैनी साफ नजर आ रही है. उनकी सभाओं की कुर्सियां खाली रह जा रही हैं. 3 मार्च की रैली की कोई काट उनके पास नहीं है.

पटना की सड़कों से लेकर गांधी मैदान लाल, हरे व तिरंगे झंडे चमक रहे थे. इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों के कार्यकर्ताओं का जबरदस्त उत्साह व उनकी असीम ऊर्जा तथा मजदूर-किसानों, महिलाओं, छात्र-युवाओं और समाज के वंचित समुदाय के जनसमुद्र ने भाजपा के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया. रैली पर पूरे देश की नजर थी. 2024 में देश की सत्ता से आतताई भाजपा की विदाई चाहने वाली वे तमाम शक्तियां जो पलटू राम के पलट जाने के बाद थोड़ी सशंकित हुई थी, आश्वस्त नजर आईं. बिहार ने भाजपा के खिलाफ जिस लड़ाई की शुरूआत की थी वह कमजोर नहीं पड़ी, बल्कि और भी चट्टानी एकता व नई ऊर्जा के साथ पूरा बिहार उठ खड़ा हुआ. इंडिया गठबंधन के बिखराब की तमाम गलतफहमियों को रैली ने पलक झपकते खत्म कर दिया. किसी एक नेता के पाला बदल लेने से लड़ाई कमजोर नहीं पड़ने वाली. 3 मार्च की रैली ने दिखाया कि भाजपा को देश व समाज से बेदखल करने तक लड़ाई चलती रहेगी और बिहार उसकी अगुवाई करता रहेगा.

मंच पर इंडिया गठबंधन के सभी बड़े नेता

महागठबंधन की रैली की खासियत यह थी कि इंडिया गठबंधन के सभी बड़े नेता जुटे. भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता राहुल गांधी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई के महासचिव डी. राजा आदि प्रमुख नेताओं ने विशाल जनसमूह को संबोधित किया. मुख्य मंच पर भाकपा-माले की ओर से राज्य सचिव का. कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य क्रमशः धीरेन्द्र झा, राजाराम सिंह, मीना तिवारी, शशि यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता का. केडी यादव भी उपस्थित थे. विधायकों-सांसदों के लिए समानान्तर मंच बनाया गया था. प्रमुख नेताओं के वक्तव्यों से पहले भाकपा-माले की ओर से का. मीना तिवारी, का. राजाराम सिंह, का. धीरेन्द्र झा और विधायक दल के उपनेता का. सत्यदेव राम ने भी महारैली को संबोधित किया.

पार्टी महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने ‘लोकतंत्र-संविधान, देश बचाने का नारा है – भावी इतिहास हमारा है’ पंक्ति से अपने वक्तव्य की शुरूआत करते हुए बीजेपी की जनता विरोधी व कारपोरेट परस्त नीतियों तथा किसान, महिलाओं, गाजा और इजराइल के मुद्दों तथा बीजेपी की तानाशाही पर जोरदार व युवा ऊर्जा से परिपूर्ण वक्तव्य रखा. उन्होंने 2024 की लड़ाई को आरपार की लड़ाई की संज्ञा दी. कहा कि जिस तरह से जांच एजेंसियों, ईडी, सीबीआई व इनकम टैक्स का राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा था अब भारत रत्न का इस्तेमाल राजनीति करने के लिए हो रहा है. उन्होंने बीजेपी को बुलडोजर की संज्ञा दी जो जनता को कुचलने का काम कर रही है. समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने भी बीजेपी को हराने के लिए उत्तर प्रदेश की 80 सीटों और बिहार की 40 सीटों पर विपक्षी पार्टियों की जीत का आह्वान किया. आरजेडी के तेजस्वी यादव और लालू यादव ने भी बीजेपी और जदयू के नीतीश कुमार पर टिप्पणी की. उनकी दलबदल नीति पर सवाल किया. आरजेडी द्वारा जाति उत्पीड़न व रोजगार के मुद्दों के साथ-साथ 17 महीनों की महागठबंधन सरकार की उपलब्धियों को भी बताया. कांग्रेस के राहुल गाँधी ने बिहार को राजनीति का नर्व सेंटर बताते हुए अपनी बात की शुरुआत की. उन्होंने वर्तमान की लड़ाई को विचारधारा की लड़ाई बताया. कहा कि एक तरफ नफरत, हिंसा, अहंकार है और दूसरी तरफ मोहब्बत, भाईचारा और एक-दूसरे की इज्जत है. गठबंधन को एक लाइन में समझाते हुए उन्होंने इसे नफरत की बाजार में मोहब्बत की दुकान की संज्ञा दी. साथ ही प्रधानमंत्री को चंद पूंजीपतियों का हितधारक बताया. उन्होंने पिछड़ी जाति, दलित, आदिवासी जनता के मुद्दों पर भी बातें रखीं. इन पार्टियों के अन्य नेताओं ने भी जनता के हितों की बातें की और जुमलों और तानाशाही पर कड़ी टिप्पणियां करते हुए जनता को आगाह किया. रैली के मंच से बीजेपी को तानाशाह सरकार बताते हुए उसे हराने और जनता की हितैषी सरकार बनाने का आह्वान किया। मंच से जितनी भी बातें की गईं, जनता ने तालियों से उसका स्वागत किया. तानाशाही से मुक्ति और एक बेहतर सरकार की उम्मीद उन तमाम लोगों के चेहरे पर साफ दिखलाई पड़ रही थी.

अखबारों की नजर में: एकजुटता का संदेश देने में कामयाब रैली

माहभर पहले नीतीश कुमार के पलट जाने के बाद यह कहा जा रहा था कि बिहार में महागठबंधन बिखर गया है. अखबारों के पन्ने इसी प्रकार के विश्लेषण से भरे रहते थे कि जदयू के अलग हो जाने के बाद एक अघोषित उदासी छाई हुई है. लेकिन रैली ने ऐसे सारी शंकाओं को खत्म कर दिया. बिहार के प्रतिष्ठित अखबार हिन्दुस्तान ने लिखा – महारैली से यह संदेश गया कि बिहार में एकसाथ काम कर रहे विपक्ष के सभी पांच दलों में बेहतर समन्वय है. रैली का बड़ा असर यह हुआ है कि महागठबंधन के दलों के कार्यकर्ताओं में आपस की कड़ी मजबूत हुई है. इनके समर्थकों के बीच मोदी सरकार के खिलाफ लड़ने का हौसला बढ़ा है. इससे लोकसभा चुनाव की तैयारियों में मदद मिलेगी. साथ ही समर्थकों के वोटों की गोलबंदी में भी अब ये उत्साह के साथ जुटेंगे. महागठबंधन भीड़ जुटाने और एकजुटता का संदेश देने में सफल रहा. वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश कहते हैं – 3 मार्च की रैली ने देश की राजनीति में चुनाव की रणभेरी बजा दी है. रैली में कितने लोग आए यह प्रश्न पूछना अप्रसांगिक है, बरसात थी-ठंड थी, बावजूद रैली में आए लोगों की गर्मजोशी हमें दिल्ली में बैठे-बैठे ऊर्जान्वित कर रही थी. रैली की विशिष्टता यह थी कि इसमें इंडिया गठबंधन के सभी बड़े नेता शामिल हुए और सब नेताओं के वक्तव्यों में एक तारातम्यता थी. इंडियन एक्सप्रेस के संतोष सिंह कहते हैं कि उन्होंने गांधी मैदान में अबतक जितनी रैलियां देखी हैं उसमें वन ऑफ द बेस्ट रैली थी. बारिश के बावजूद शाम 4 बजे तक रैली चलती रही. नीतीश जी के इंडिया गठबंधन छोड़ जाने के बावजूद इंडिया गठबंधन के सभी नेताओं ने जनता से अच्छे से कनेक्ट किया. लेफ्ट के तीनों बड़े नेता मंच पर मौजूद रहे. रैली ने लोकतंत्र बचाने और रोजगार के सवाल पर एक मजबूत संदेश दिया है. रैली की संरचना भी काफी अच्छी थी और पूरी रैली में महागठबंधन के कार्यकर्ताओं के बीच एक मजबूत एकता दिखाई पड़ी. रैली में एनडीए गठबंधन के खिलाफ चल रहे सारे नरेटिव एक साथ सामने आए. 50 साल पहले का इतिहास गांधी मैदान फिर से दुहरा गया. द वायर ने लिखा-ऐसे समय में जब मोदी की भाजपा  राम मंदिर व हिंदुत्व के मुद्दे पर आगे बढ़ रही है, हिंदी पट्टी को भारत की कमजोर एड़ी के रूप में पेश किया जा रहा है. इस आलोक में मुखर विचारों की अभिव्यक्ति, नौकरियों को प्राथमिकता देना, आर्थिक बेहतरी, मोदी के वादों और नए नारों से मोहभंग और विपक्ष की संगठित ताकत का जोयाीला इजहार – इसे इस साल भारत की पहली महत्वपूर्ण रैली बना देती है.

भाकपा-माले और लाल झंडे की उपस्थिति की जबरदस्त रही चर्चा

प्रभात खबर लिखता है – यूं तो रात में ही लाल झंडे और राजद के कार्यकर्ता शहर में आ चुके थे, लेकिन बादलों से ढकी सुबह होते ही खासतौर पर भाकपा-माले व वाम दलों के कार्यकर्ता प्लास्टिक की बरसाती ओढ़े गांधी मैदान में समा गए. सुबह नौ बजते-बजते समूचा गांधी मैदान लाल झंडों की झील में तब्दील हो गया. गांधी मैदान के चप्पे-चप्पे पर लाल और हरे झंडे लिए कार्यकर्ताओं का जोश चरम पर था. खास बात यह रही कि लाल झंडे के सिपाहियों की संख्या पूरी तरह अनुशासित रही. जोशीली आवाजों के साथ युवा कुछ ऐसे दिख रहे थे मानो किसी नदी में लहरें उमड़ा रही हों. भागीदारी, आक्रामक प्रचार और तानाशाही के खिलाफ बिहार की संघर्षशील जनता की आवाज बनने के भाकपा-माले के आह्वान को उसकी कतारों ने बेहद उत्साहवर्द्धक समर्थन दिया. रैली ने आने वाले भविष्य की भी एक झलक दिखला दी.

सभा में वाकई काफी भीड़ थी. एक दिन पहले से ही बड़ी संख्या में सभा के लिए निकल पड़े थे. ये देश के मजदूर-किसान वर्ग के लोग थे. दरभंगा, आरा, चंपारण, बलिया, भागलपुर, बेतिया, बांका व बिहार के जगह-जगह से लोग आए थे. ट्रेन से यात्रा करके और ठंड का सामना करते हुए. खराब मौसम होने के बावजूद मैदान में डटे रहे – अपने हाथों में लाल झंडा लिए हुए.

जन संवाद और जन विश्वास यात्रा ने बनाया माहौल

भाजपा द्वारा बिहार की सत्ता हड़प और राजद व कांग्रेस के कुछ विधायकों को तोड़ लेने की अलोकतांत्रिक प्रक्रियाओं ने जनता को और उद्वेलित किया. ठीक समय पर भाकपा-माले ने पूरे बिहार में जनसंवाद यात्रा का कार्यक्रम बनाया और उसके एक-एक कार्यकर्ता नीतीश कुमार के विश्वासघात के खिलाफ दूर-दराज के गांवों में गए. भाजपा की राजनीतिक साजिशों, माले नेताओं को झूठे मुकदमो में फंसाने, किसान आंदोलन पर बर्बर दमन, कर्पूरी जी के नाम पर अवसरवादी राजनीति और शिक्षा-रोजगार के मसले पर भाकपा-माले ने 21 से 27 फरवरी तक ‘बिहार की जनता लड़ेगी-तानाशाही हारेगी’ जनसंवाद अभियान चलाया और बिहार की जनता से 3 मार्च की रैली में पटना चलने का आह्वान किया था. जनता ने इस आह्वान का शानदार प्रत्युत्तर दिया.

दूसरी ओर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव ने भी पूरे बिहार का दौरा किया. उनकी सभाओं में युवा जोश देखते बनता था. इसी दौरान कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा भी बिहार में चल रही थी. भाकपा-माले के कार्यकर्ताओं ने अपने संवाद अभियान के अतिरिक्त श्री तेजस्वी जी की जन विश्वास यात्रा और कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. इन यात्राओं ने पूरे बिहार में रैली का माहौल बनाया और यही वजह रही कि रैली में समाज के प्रत्येक तबके की जबरदस्त भागीदारी दिखी.

अपनी पुरानी जन परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण व सीमांचल के इलाके से भाकपा-माले की जनता 2 मार्च को ही पटना पहुंच गई. जत्थे में महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी थी. देर रात तक भाकपा-माले के अधिकांश जत्थे गांधी मैदान पहुंच गए थे.भाकपा-माले ने रैली में आ रही जनता के ठहराव के लिए गांधी मैदान में ही व्यवस्था की थी. रात में वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

पटना शहर में पार्टी ने प्रचार पर विशेष जोर दिया. गांधी मैदान, रेडिया स्टेशन, वीरचंद पटेल पथ, जीपीओ गोलबंर, स्टेशन गोलबंर सहित शहर के सभी प्रमुख चौराहों को पार्टी झंडे व रैली के नारों की तख्तियों से पाट दिया गया था. पूरे पटना शहर में सघन प्रचार अभियान और नुक्कड़ सभाएं आयोजित की गईं. प्रचार वाहन से वीरचंद पटेल पथ, हड़ताली मोड़, अनीसाबाद, बेऊर जेल, फुलवारी थाना गोलंबर, खगौल लख, मोती चौक, सबरीनगर, बेली रोड, आशियाना मोड़, दीघा रोड, कुर्जी मोड़, राजापुल, दुजरा, बांस घाट से जीपीओ गोलंबर, स्टेशन, कंकड़बाग टेंपू स्टैंड, द्वारका कॉलेज, आर एम एस कॉलोनी, टेंपू स्टैंड, मलाही पकड़ी, 90 फीट, रामकृष्ण नगर, पुराना बस स्टैंड मीठापुर, जक्कनपुर, पुरंदरपर, चांदपुर बेला, सरिस्ताबाद, कच्ची तालाब, गर्दनीबाग थाना, चितकोहरा अनीसाबाद, दुजरा आदि जगहों पर नुक्कड़ सभाएं आयोजित की गईं.

घोटाला में धराइल बा मोदी – लड़ के लेब आपन हक-अधिकार

जन विश्वास रैली में दिल्ली की सत्ता को बेचैन करने वाली मजबूत आवाज गांधी मैदान में लगातार गूंज रही थी. मंच से नेताओं का ओजस्वीपूर्ण वक्तव्य था, तो जनता अपने तरीके से अपने दुख-दुर्द को साझा कर रही थी. पार्टी के पुराने कार्यकर्ता बच्चा पासवान कहते हैं – हम अपना खाना-पीना, सतू आदि लेकर रैली में आए हैं. माले की जनता खुद अपनी व्यवस्था से रैली में आती है. अपने संघर्ष के बल पर हम अपना अधिकार हासिल करते हैं. भाजपा को गांव-गांव से बेदखल करने के लिए हम यहां आए हैं. मोदी सरकार में कोई मुद्दा हल नहीं हुआ है. यह घातक सरकार है. पूछिए मत. कोई रोजगार नहीं है. बेरोजगार भटक रहे हैं रोड पर. जनता ने अपनी जरूरत से माले बनाया है.

रैली में ग्रामीण महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी थी. हाथों में लाल झंडा लिए हजारों की तादाद में महिलाएं पुरुषों के कंध से कंध मिलाकर रैली में होड़ कर रही थीं. भोजपुर के गड़हनी ब्लॉक से माले की महिला कार्यकर्ताओं का एक जत्था गांधी मैदान के मुख्य मंच के बगल में ही जमा हुआ था. उसने मीडिया के लोगों को बेबाक जवाब देते हुए कहा – अपना हक-खुराक मांगने आए हैं. ‘लइकन के नौकरी चाहीं, खाए कमाए के उपाय चाहीं. एक पचास वर्षीय महिला ने अपन लहजे में कहा – ‘ई मोदी त दलाल बाड़न, हमनी के लड़ के लेहब जा आपन अधिकार... उनकर गट्टा पकड़ के.’ आगे वे कहती हैं, ‘मोदी घोटाला नइखन कइले का.... ई का  जनता के का पेट भरिहें... ना इनकर मेहरारू बाड़ी, ना लइका, इ जनता के दुख दरद का समझिहें.... गैस देवे के नाम पर 1200 रु. टन्न से ले लेत बाड़न. वे नीतीश कुमार तो पलटूआ बताती हैं. ‘उ का करिहें... हमेशा एने से ओने बिछकुतिया जईसन पलटी मारत रहेलें. वे कहती हैं, ‘बाल-बच्चा पोसा जायेगा का 5 किलो अनाज में? बूढ़ा पेंशन हजार रुपया मिले के चाहीं... 400 रु. में का होई... बाल-बच्चा जी जाई? बिजली बिल काहे एतना आवत बा.... माफ काहे नइखे होत.....रोजगार रोटी खातिर सब जोड़ के देबे के बा..... लड़के लेहब रोजी मजदूरी अउर काम.. घोटाला में धराइल बा मोदिया..... सबके हड़प के रखले वा..... केतना जनता के मुआ दिहलस.... हमनी के त पांचो रोपेया नइखे देले.’

इतिहास की धारा मोड़ने वाली रैली : का. दीपंकर 

इतिहास की धारा मोड़ने और एक नया इतिहास बनाने के लिए गांधी मैदान में उमड़े इस विशाल जनसमूह को सबसे पहले जय भीम-लाल सलाम!

50 साल पहले इसी गांधी मैदान से ‘भावी इतिहास हमारा है’ के नारे को हमने बुलंद किया था. आज एक बार फिर कहने आए हैं – संविधान-लोकतंत्र व देश बचाने का नारा है, भावी इतिहास हमारा है – पटना-दिल्ली की सरकारों से कहने आए हैं – सिंहासन खाली करो, जनता आने लगी है. बिहार की जनता लड़ेगी, तानाशाही हारेगी.

पिछले 10 साल से भाजपा पूरे हिदुस्तान को तबाह व बर्बाद कर रही है. उसके नाम में तो जनता है, लेकिन जनता से कोई लेना-देना नहीं है. सत्ता का लालच और अहंकार उसके रग-रग में है. और काम है बुलडोजर से लोकतंत्र, विपक्ष, जनता और उनके सारे हक-अधिकार व अर्थव्यवस्था को रौंद देना. हमारा तो कहना है कि भाजपा को अपना चुनाव चिन्ह कमल की जगह बुलडोजर रख लेना चाहिए. हम आज इस मैदान से ऐलान करने आए हैं कि इस देश में बुलडोजर राज अब नहीं चलेगा.

दिल्ली की सीमा पर एमएसपी की मांग को लेकर किसान आना चाहते हैं. लेकिन अंबानी-अडानी के आगे कालीन बनकर बीछने वाली सरकार किसानों के लिए बैरिकेड लगा रही है और गोली चलाकर किसानों को शहीद कर रही है.

विश्वगुरू बनने की बात हो रही है. गजा के बच्चों के लिए तो एक शब्द नहीं निकला, लेकिन देश के पढ़े-लिखे नौजवानों को जिन्हें देश में ही नौकरी मिलनी चाहिए, उनकी जिंदगी जोखिम में डालकर सरकार इजरायल भेज रही है.

8 मार्च का दिन आने वाला है. महिला सशक्तीकरण की बड़ी-बड़ी बातें होंगी. लेकिन हमने कभी नहीं देखा कि कोई पार्टी बलात्कारियों को संरक्षण व सम्मानित करने का काम करेगी. बिलिकस बानो हो या मणिपुर की महिलाओं का सवाल, भाजपा ने बलात्कारियों को संरक्षण देने का ही काम किया है.

2024 का चुनाव आर-पार की लड़ाई है. यदि बिहार में 40 सीटों पर हम झंडा गाड़ दें तो निश्चित रूप से दिल्ली से मोदी सरकार का सफाया तय है.

बिहार में एक एजेंडा बन रहा था. 2020 के चुनाव में जब हमने कहा था कि बिहार के युवाओं को पक्की नौकरी मिलेगी तो उस समय नीतीश जी मजाक उड़ा रहे थे. लेकिन हम लोगों को जब मौका मिला, बिहार में जाति गणना, सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण, आरक्षण का विस्तार और पक्की नौकरी दी गई. नीतीश जी 20 साल से विकास-विकास की रट लगा रखे हैं, लेकिन जाति गणना ने बतलाया कि किस कदर चिराग तले गहरा अंधेरा है. दो तिहाई लोग भयानक गरीबी में जी रहे हैं. नीतीश जी ने कहा था कि 1 लाख गरीब परिवारों को प्रत्येक साल 2 लाख रु. देंगे. अब वे उधर चले गए हैं, लेकिन एक-एक पैसा का हिसाब लेना है. आय प्रमाण पत्र मांगकर पैसा नहीं देने की साजिश की जा रही है. इसे हमें रोकना होगा.

बिहार बदलने लगा था. लाल व हरे झंडे की एकता व दावेदारी से ही देश बदलेगा और लोकतंत्र व संविधान सुरिक्षत रहेगा. इसी रास्ते को रोकने के लिए नीतीश जी को उधर ले जाया गया.

ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स आदि का राजनीतिक इस्तेमाल तो हो ही रहा था, इस बार भारत रत्न सम्मान का भी इस्तेमाल राजनीतिक स्वार्थ साधने में किया गया. एमएसपी की लड़ाई लड़ने वाले स्वामीनाथन जी को भारत रत्न दे दिया गया लेकिन किसान आंदोलन का दमन हो रहा है. आरक्षण व शिक्षा का विस्तार करने वाले कर्पूरी जी के सम्मान की आड़ में विधायकों को तोड़ा - खरीदा जा रहा है और जिन विधायकों के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता उन्हें मनोज मंजिल की तरह झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल में डाला जा रहा है. इसलिए पूरा संघर्ष चाहिए. हमें विश्वास है कि यह जो आज का नजारा है, पूरे देश की तस्वीर बदलेगी. बिहार से बात चली थी, वह दूर तलक जाएगी. किसी एक नेता के इधर-उधर चले जाने या सरकार गिरा देने से काई फर्क नहीं पड़ता. बिहार की जनता लड़ेगी-तानाशाही हारेगी. तमाम कठिनाइयों और बारिश झेलते हुए का. जगदीश मास्टर, रामनरेश राम, बूटन मुसहर के लाल झंडे और कर्पूरी जी के हरे झंडे की यह एकता बिहार व देश की तस्वीर बदल देगी.

2024 में देश में बदलाव का आधार बनेगी रैली : मीना तिवारी

आज की रैली में उमड़ा यह जनसैलाब इस बात की गारंटी है कि देश की सत्ता से मोदी सरकार जाने वाली है. जुमलेबाजों का जुमला खत्म होने वाला है. ढकोसले व झूठ की राजनीति का अंत होने वाला है. नीतीश कुमार जब पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे उन्हें विकास पुरुष की संज्ञा दी गई थी. 18 वर्षों से सत्ता में हैं लेकिन आज बिहार की सच्चाई क्या है? इस विकास पुरुष की भी सारी जुमलेबाजी बेपर्द हो चुकी है. राज्य की दो तिहाई से अधिक आबादी भयावह गरीबी में जी रही है. महागठबंधन पूरी एकजुटता के साथ नई उम्मीद जगा रहा है. जुमलेबाजियों के खिलाफ आज पूरा बिहार उठ खड़ा हुआ है.

मोदी कहते हैं कि विश्व में भारत की अर्थव्यवस्था तीसरे नंबर पर है, लेकिन भूख सूचकांक में हम लगातार नीचे गिर रहे हैं. आधी से अधिक आबादी भूख से परेशान है. नौजवान अपनी पीट पर बैग बांधकर रोजगार की खोज में पूरे देश का चक्कर लगाते रहते हैं. यह मोदी सरकार केवल अडानी-अंबानी के लिए कालीन बिछाती है.

महिला पहलवानों से लेकर मणिपुर की महिलाओं, बीएचयू की लड़कियों के उत्पीड़कों को भाजपा के लोग संरक्षित करते रहे. महिला सम्मान की इनकी बात झूठी है. इस सरकार ने मेहनतकश अवाम व स्कीम वर्करों के लिए कुछ भी नहीं किया.

आज परिवर्तन का आगाज हुआ है. छात्र-नौजवानों और मजदूर-किसानों की आकांक्षाओं को भाकपा-माले ने दशकों से जिंदा रखा है. हम गरीबों की आवाज बनकर इन सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ हमेशा तनकर खड़े रहेंगे. लाल-हरे व तिरंगे झंडे की इस व्यापक एकता से पूरे देश में परिवर्तन की उम्मीद जग रही है. गांधी मैदान का आज का दृश्य 2024 में देश में बदलाव का आधार बनेगा.

मजदूर-किसान की बात करने वाला ही देश पर राज करेगा : राजाराम सिंह

भाजपा के दबाव, नीतीश कुमार के पलट जाने और विधायकों की खरीद-फरोख्त से उत्पन्न शंकाओं को दूर करते हुए आज की रैली व्यापक एकता व दृढ़ता का संदेश दे रही है.... हवाएं ही करेंगी रौशनी का फैसला, जिस दीए में लौ होगी वह दीया रह जाएगा! बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी कहते हैं कि महागठबंधन बिहार में रोजगार का श्रेय नहीं ले. क्यों न लें? भाजपा के लिए तो पकौड़ा तलना ही रोजगार है. मोदी राज में रोजगार के सारे अवसर खत्म किए जा रहे हैं. प्राइवेट सेक्टर में कोई आरक्षण नहीं है. किसान आंदोलन मोदी सरकार के विश्वासघात के खिलाफ आज अपने दूसरे चरण में पहुंच गया है. दिल्ली के बॉर्डर पर एक गीत बज रहा है – हम अपना हक छीन के लेंगे दिल्ली के दरबारों से, जाओ यह संदेशा कह दो अंबानी के यारों से! मांगने का समय अब खत्म हो गया है. एमएसपी, रोजगार, खेती, आदि तमाम मसलों पर अब आर-पार की लड़ाई है. जो मजदूर-किसान की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा. लोकतंत्र की जननी बिहार से यह संदेश आज एक बार फिर पूरे देश में गूंज रहा है.

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