पिछले वर्ष अपनी पार्टी भाकपा(माले) के पंजाब के वरिष्ठ नेता व राज्य प्रवक्ता कामरेड सुखदर्शन नत्त के साथ क्रांतिकारी लेखक कामरेड बारू सतवर्ग से मिलने मैं उनके घर गया था. उनके शरीर की जीर्ण हालात को देखकर हम लोगों ने तय किया कि कामरेड बारू सतबर्ग का जल्द ही उनके जीते जी एक सम्मान समारोह किया जाये.
कामरेड नत्त ने इस पर पंजाब के तमाम क्रांतिकारी व वामपंथी बुद्धिजीवियों व कार्यकर्ताओं से बात की. चूंकि कामरेड बारू सर्वप्रिय थे अतः सभी इसके लिए तैयार हो गए. पिछले वर्ष ही पंजाब के दर्जनों लेखकों साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों ने कामरेड बारू सतबर्ग का सम्मान समारोह हमारे पार्टी मुख्यालय, बाबा बूझा सिंह भवन, मानसा में आयोजित किया. पर दुख है कि इस बीच व्यस्तता के कारण मैं उनसे फिर नहीं मिल पाया.
उन्होंने बचपन में आजादी का आंदोलन देखा था. जब वे जवान हो रहे थे तो देश व पंजाब में नक्सलबाड़ी आंदोलन उठ खड़ा हुआ था. नक्सलबाड़ी आंदोलन के प्रभाव में आकर वे क्रांतिकारी कम्युनिस्ट बन गए. बेहद गरीब दलित मजदूर परिवार में जन्मे बारू सतवर्ग फिर शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी में लग गए. पर साथ ही क्रांतिकारी कम्युनिस्ट आंदोलन से प्रेरित साहित्य रचना में भी लगे रहे. पंजाब में नक्सलबाड़ी आंदोलन के प्रभाव में रचित साहित्य में उन्होंने महत्वपूर्ण स्थान बनाया. वृद्धावस्था में शरीर से अशक्त होने के बाद भी वे क्रांतिकारी साहित्य रचते रहे. पंजाब में नक्सलबाड़ी आंदोलन पर आधारित उनका एक शानदार उपन्यास ‘पन्ना एक इतिहास का’ नाम से प्रकाशित हुआ. इसकी समीक्षा ‘दस्तक’ में छप चुकी है.
कामरेड बारू सतवर्ग के निधन की खबर मिलते ही पंजाब किसान यूनियन के राज्य सम्मेलन में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. पार्टी राज्य प्रवक्ता कामरेड सुखदर्शन नत्त, अजायब सिंह पैनीभागा, सतपाल शर्मा ने उनके पार्थिव शरीर पर उनका प्रिय लाल झंडा चढ़ा कर सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी. उन्हें अंतिम विदाई देने कई डाॅ. दर्शन पाल, सुरजीत फूल सहित कई कम्युनिस्ट कार्यकर्ता भी पहुंचे थे का. बारू सतवर्ग को लाल सलाम!
– पुरुषोत्तम शर्मा