विगत 9 अगस्त को आदिवासी संघर्ष मोर्चा और किसान महासभा की एक विस्तारित बैठक सलूंबर (राजस्थान) स्थित मैमून वाटिका में हुई. बैठक को संबोधित करते हुए संघर्ष मोर्चा के संयोजक पूरणमल माल ने कहा कि सबसे पहले तो हम सलूंबर इलाके के आदिवासी समाज की तरफ से सलुंबर को जिला घोषित करने के लिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार का तहेदिल से धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि यह लंबे समय से मांग हमारी रही है और इसके लिए हमने लंबा संघर्ष किया है. अब आशा है कि जिले के विकास को नयी गति मिलेगी और खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, पेयजल और सम्मानजनक और सुनिश्चित रोजगार पर जोर बढ़ेगा.
उन्होंने विश्व आदिवासी दिवस पर अपने सार्वजनिक अवकाश की घोषणा पर कहा कि अगर यह आदिवासी समाज के प्रति वास्तविक साद्भावना की अभिव्यक्ति है तब तो ठीक लेकिन अगर यह केवल चुनाव पूर्व आदिवासी समाज को लुभाने और फिर आगे पाच साल तक उनकी लूट जारी रखने का पैंतरा है तो फिर आदिवासी सम्मान अब ऐसे झांसे में आनेवाला नहीं है.
मोर्चे के नेता गोतम मोरिला ने कहा कि आदिवासी समाज आज आजादी के 75 साल बाद भी भयानक गरीबी और शोषण का शिकार है. उनकी गरीबी के कारण दूसरे समाज के लारेग उनके साथ सम्मान का व्यवहार नहीं करते हैं. आदिवासी अपने को अलग-थलग पड़ा महसूस करतै हैं. बैठक को ओंकार माल, हरीश सालवी, वकील जितेंद्र वैष्णव, शंकर लाल भागल, पूर्व छात्र नेता शंकर लाल वेंन आदि ने भी संबोधित किया. तत्पश्चात निम्न मांगों का ज्ञापन उपखण्ड अधिकारी को सौंपा गया.
1. आदिवासी समाज के सम्मान की रक्षा के लिए सम्मान की रक्षा के लिए विशेष कानून बनाया जाये और आदिवासियों पर अत्याचार के प्रत्येक मामले में उच्च स्तर से जाच के उपरांत तीन महीने में विशेष अदालतों के माध्यम से न्याय दिलाने की व्यवस्था की जाये.
2. दक्षिण राजस्थान के उदयपुर-बांसवाड़ा संभाग सुर पड़ोस के सघन आदिएसी क्षेत्रा के समाज में स्वायत और अलग राज्य की मांग जन माग बनकर उभरीहै. अतः विधान सभा में विशेष प्रस्ताव पारित कर इस क्षेत्र को अन्य पड़ोसी राज्यों के ऐसे क्षेत्रों को शामिल कर अलग राज्य बनाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाये.
3. जल, जंगल व जमीन पर आदिवासी समाज का पहला हक है. इसमें किसी तरह का दखल बर्दाश्त नहीं होगा. केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा वन संरक्षण संशोधन अधिनियम, 2023 आदिवासियों के इस अधिकार पर हमला है, इसके खिलाफ विधान सभा में संकल्प पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा जाये.
4. केंद्र सरकार काॅमन सिविल कोड बनाने को उतावला दिखायी देती है. यह आदिवासी समाज की परंपराओं पर हमला है. इसलिए राजस्थान की विधान सभा में इसके खिलाफ़ संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को आदिवासी समाज की भावना से अवगत कराया जाये.
5. आरएसएस आदिवासी समाज को धर्म के आधार पर बांटने की फिराक में है. इसे रोका जाये.
6. आदिवासी किसानों को जंगल में कब्जे की समस्त जमीन का तुरत पट्टा दिया जाये.
7 फर्जी आवंटन कमेटियों को निर्देशित कर काबिज किसानों को आवंटन जारी किया जाये.