23 अगस्त 2023 को आदिवासी संघर्ष मोर्चा और भारत जगत मांझी परगना महाल के संयुक्त नेतृत्व में गोला प्रखंड के भुभुई गांव के बनजारा टोला में भू-माफिया, दलाल बिचैलिया और कंपनियों के द्वारा आदिवासियों की 107 एकड़ पर भूमि लूट के खिलाफ आदिवासियों का जुटान हुआ. इस सभा में आस-पास के कई गांवों से आदिवासी शामिल हुए. सबसे पहले अपने पुरखों व महापुरुषों की याद करते हुए अपनी प्राकृतिक सरना धर्म की पूजा गांव के पाहन एवं नागेश्वर मुंडा की देखरेख में की गई. नेताओं के हाथों सैैंकडों सखुआ, आम व अन्य पेड़-पौधों का रोपण किया गया. इसके बाद एक रैली निकाली गई जिसमें सैकड़ों महिला-पुरुष व नौजवान शामिल थे. वे अपने हाथों में तीर धनुष, झंडा-बैनर, मांदर व टमक लिए हुए अक्रोशपूर्ण नारा लगाते उस जमीन पर मार्च कर रहे थे. वे ‘जल-जंगल-जमीन की लड़ाई तेज करो’, ‘भू-माफिया दलाल-विचैलियें को मार भगाओ’, ‘आदिवासियों की भूमि पर कंपनियों की लूट नहीं चलेगी’, ‘जो जमीन सरकारी है वो जमीन हमारी है’, ‘सीएनटी-एसपीटी ऐक्ट लागू करो’, ‘न्यायालय द्वारा भू-वापसी आदेश की जमीनों पर दखल-दिहानी कराना होगा’, ‘एक तीर, एक कमान-सब आदिवासी एक समान’ आदि नारे लगाते हुए सभा मैदान में पहुंचे. जहां मंच के पास आदिवासी महापुरुषों तिलका मांझी, सिद्धू-कान्हू और बिरसा मुंडा की तस्वीरें लगी हुई थी. नेताओं ने उन तस्वीरों पर फूल-माला अर्पित किए.
सभा मंच पर मुख्य वक्ता और आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक देवकीनंदन बेदिया और भारत जगत मांझी परगना महल, हजारीबाग के अध्यक्ष सोहराय किस्कू, झारखंड ग्रामीण मजदूर सभा के जिला सचिव बिगेंद्र ठाकुर, सरना प्रार्थाना सभा, रामगढ़ के जिला अध्यक्ष नागेश्वर मुंडा, आदिवासी संघर्ष मोर्चा के नेता लाली बेदिया, रस्का मांझी, वनजारा गांव के प्रधान बाबुराम मांझी, दिनेश टुडू, जितेंद्र किस्कू, राधामनी देवी, जिराजी देवी, किशोर मुर्मू आदि मौजूद थे. सभा का संचालन मणेन्द्र हेम्ब्रम ने किया. नेताओं ने सभा संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासियों का जीवन जल-जंगल-जमीन के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है. जब से भाजपा की सरकार केंद्र में आई है, तब से आदिवासियों के ऊपर हमला तेज हो गया है. भाजपा अडानी व अंबानी जैसे बड़े कारपोरेट घरानों को जल, जंगल, जमीन और खनिज देेेने के लिए आदिवासी विरोधी नीतियां व काले कानून – एनआरसी, सीएए व यूसीसी आदि ला रही है.
रैली के पूर्व जमीन के चारों ओर झंडा गाड़ा गया और बोर्ड लगाया गया कि ये जमीन हमारी है. भू-माफिया, दलाल-विचैलिये एवं कंपनियों को गांव में प्रवेश निषेध है. सभा को वक्ताओं ने होड़ व हिंदी भाषा में संबोधित किया जो सभा में पूरी तरह से आत्मीय लग रहा था. आनेवाले दिनों में आदिवासियों की हड़पी गई जमीन को कब्जा करने एवं न्यायालय से दखल दिहानी आदेश के लिए पूरे रामगढ़ जिले में आंदोलन तेज करने का आह्वान किया गया.