केंद्र की मोदी सरकार को महिला, दलित, अल्पसंख्यक विरोधी बताते हुए और पंजाब की मान सरकार का बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास, नशा रोकने, महिलाओं व मजदूरों से किए वायदे में विफल रहने के खिलाफ विगत 11 अगस्त 2023 को हजारों मजदूरों व महिलाओं ने बरनाला की सड़कों पर विरोध मार्च किया. भाकपा(माले) और मजदूर मुक्ति मोर्चा, पंजाब के संयुक्त आह्वान पर बरनाला जिला मुख्यालय पहुंचे हजारों कामकाजी पुरुषों और महिलाओं ने जुझारू मार्च किया और डिप्टी कमिश्नर कार्यालय पर रैली की. बाद में मुख्यमंत्री के नाम एक मांग पत्र दिया गया. इस विरोध मार्च से पूर्व पिछले 20 दिनों से बरनाला जिले के लगभग 100 गांवों में मजदूरों-महिलाओं की बैठकें/नुक्कड़ सभाएं आयोजित की गईं.
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के राज्य नेता और मजदूर मुक्ति मोर्चा, पंजाब के महासचिव गुरप्रीत सिंह रूडके ने कहा कि केंद्र और राज्यों में मौजूद भाजपा सरकारें महिलाओं की इज्जत व सम्मान पर हो रहे हमलों को रोकने में बुरी साबित हुई हैं. मणिपुर और हरियाणा में अल्पसंख्यकों व महिलाओं के हितों की रक्षा करने में वे न केवल विफल रहे हैं, बल्कि हमलावरों व यौन उत्पीड़नकारियों के साथ निर्लज्जता के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ व ‘सबका साथ और सबका विकास’ का नारा देकर सत्ता में आई मोदी सरकार के संरक्षण में आज महिलाओं व अल्पसंख्यकों को भगवा गुंडा ब्रिगेड द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. मोदी राज में आज पूरे देश में दलितों और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर अत्याचार हो रहा है. भाजपा हमेशा उत्पीड़कों के पक्ष में खड़ी रही है.
मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष कामरेड विजय भीखी ने कहा कि मान सरकार पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए नाम मात्र का मुआवजा देकर उनकी पीड़ा का मजाक उड़ा रही है. मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी सरकार बाढ़ से तबाह भूमिहीन मजदूरों के घरों का पुनर्निर्माण करने में बुरी तरह विफल रही है. पंजाब के मजदूर व किसान अभी भी बाढ़ के विनाश का दर्द झेल रहे हैं.
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की नेता इकबाल कौर उदासी ने कहा कि मान सरकार ने पंजाब की महिलाओं को एक हजार रुपये प्रतिमाह देने का वादा 16 महीने बाद भी लागू नहीं किया गया है. मजदूर मुक्ति मोर्चा पंजाब की बरनाला जिला अध्यक्ष कामरेड सिंदर कौर हरिगढ़ ने कहा कि मनरेगा कानून अभी भी पिछली सरकारों की तरह सत्तारूढ़ दल और नौकरशाही की दया पर चल रहा है. मजदूरों को अब भी कम से कम समय पर भुगतान नहीं हो रहा है. 100 दिन के रोजगार और की गई मजदूरी का भुगतान मजदूरों के लिए अब भी दूर की कौड़ी बना हुआ है.
इस मौके पर मनरेगा मजदूरों के लिए 200 दिन का काम, प्रतिदिन 700 रुपये मजदूरी और प्रति दिन छह घंटे काम का कानून बनाए जाने की मांग की गई. 5 लाख रुपये मकान निर्माण, मरम्मत के लिए 3 लाख रुपये और बेरोजगार श्रमिकों को 20,000 रुपये सहायता देने की मांग की गई. नशे के काले कारोबार और उनके साथ मिले नेताओं और पुलिस पर कठोर कानूनी कार्यवाही की मांग जोरदार ढंग से उठायी गई. नशा कारोबारियों से मिले नेताओं-अधिकारियों की संपत्तियों को जब्त करने की मांग भी उठाई गई.
इस अवसर पर नशा विरोधी आंदोलन के कार्यकर्ता परविंदर झोटे की बिना शर्त रिहाई का भी प्रस्ताव पारित किया गया और जनता के अधिकारों के संघर्ष को तेज और व्यापक बनाने का आह्वान किया गया.
सभा को पंजाब जम्हूरी मोर्चा के प्रदेश संयोजक साथी जगराज सिंह टल्लेवाल, मजदूर मुक्ति मोर्चा पंजाब के जिला सचिव कामरेड स्वर्ण सिंह जंगियाना, हरचरण सिंह रूड़ेके, करनैल सिंह लखरीवाला, जग्गा सिंह संघेरा, युवा नेता हरमनदीप सिंह हिम्मतपुरा, राजिंदर कौर भट्टल, ज्ञान सिंह सोहियां, हैप्पी सिंह ब्राउन, सुखदेव सिंह महजूके, बूटा सिंह ढोला आदि ने संबोधित किया.