विगत 13 अगस्त 2023 को भाकपा(माले) और इंसाफ मंच की एक उच्चस्तरीय टीम ने पिछले दिनों हरियाणा के गुरुग्राम में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय पर हिंदुत्ववादी ताकतों द्वारा हिंसा के दौरान मस्जिद पर हुए हमले में मारे गए सीतामढ़ी जिले के नानपुर प्रखंड के मनियाडीह गांव के हाफिज मो. शाद और राजस्थान से मुंबई जा रही ट्रेन में आरपीएफ जवान की फायरिंग से मारे गए मधुबनी जिला के विस्फी प्रखंड के परबत्ता गांव वासी मो. असगर के परिजनों से मुलाकात की और इन हत्याओं पर गहरा दुख जताया.
टीम को पीड़ित परिवार ने बताया कि हाफिज मो. शाद, पिता मो. मुश्ताक 8-9 महीने से हरियाणा के गुरुग्राम सेक्टर 57 के अंजुमन मस्जिद में मुआजिन और नायब इमाम के बतौर काम कर रहे थे. मृतक के बड़े भाई शहदाब अनवर भी गुरुग्राम में ही सेक्टर 52 में रहते हैं.
शहदाब अनवर ने बताया कि नूंह की घटना के बाद हरियाणा में सभी लोग डर गए थे. 31 जुलाई की घटना के आधे घंटे पहले ही भाई से फोन पर उनकी बात हुई थी. वहां सबकुछ सामान्य था. मस्जिद के बाहर अच्छी संख्या में पुलिस भी मौजूद थी. लेकिन पुलिस मौजूदगी में ही रात करीब 12 से 1 बजे के बीच बिजली का कनेक्शन काटकर मस्जिद पर हमला किया गया और हाफिज मो. शाद की हत्या कर दी गई. वहीं अररिया के खुर्शीद आलम भी घायल हुए. नूंह में करीब 800 मुस्लिम घर जला देने के बाद गुरुग्राम में मस्जिद पर यह हमला हुआ. भाई के मुताबिक मस्जिद पर हमला बगल के तिगड़ा गांव के लोगों ने किया था.
मो. शाद की उम्र 22 साल थी. उनकी पढ़ाई-लिखाई दिल्ली के छतरपुर मेहरौली में हुई थी. मो. शाद के परिवार में चार बहनें, दो भाई और अम्मी-अब्बा हैं. अभी एक ही बहन की शादी हुई हैं. मृतक शाद और उनके बड़े भाई की कमाई से ही पूरा परिवार चलता था. घटना के बाद उनके बड़े भाई भी काम छोड़कर घर आ गए हैं. अब परिवार के सामने कई किस्म के संकट पैदा हो गए हैं.
उनके भाई ने बताया कि अंजुमन मस्जिद की जमीन को लेकर 2004 से ही कोर्ट में चल रहे मुकदमे का 2-3 महीने पहले ही मस्जिद के पक्ष में फैसला आया था. उन्होंने बताया कि सरकार अथवा प्रशासन की ओर से अब तक कोई भी सहायता नहीं मिल सकी है. यहां तक कि मो. शाद के शव को भी परिजनों ने अपने खर्चे से लाया. हरियाणा सरकार से तो कोई उम्मीद नहीं ही है, लेकिन बिहार सरकार की भूमिका भी बिल्कुल संवेदनहीन रही है. राज्य सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खां वहां गए लेकिन उन्होंने महज खानापूर्ति की. बिहार सरकार की तरफ से कोई भी मुआवजा अब तक नहीं मिला है. जांच टीम ने पीड़ित परिवार के लिए उचित मुआवजा और परिवार के एक सदस्य की नौकरी की मांग की है.
जांच दल ने राजस्थान से मुंबई जा रही ट्रेन में आरपीएफ जवान की फायरिंग से मारे गए मधुबनी जिला के विस्फी प्रखंड के परबत्ता गांव के मो. असगर के परिजनों – मृतक की मां, नाबालिग बहन और पीड़ित परिवार के अन्य सदस्यों से भी मुलाकात की.
मो. असगर के परिवार का फूस का टूटा हुआ घर है जिसमें उनकी मां, बहनें व अन्य भाई रहते हैं. वे 8-9 महीने से जयपुर के भत्ता बस्ती में रह रहे थे. वे चूड़ी का कारोबार करते थे. उनको एक बेटा और चार बेटियां है. उनके सभी बच्चे नाबालिग हैं. उन्हें मुबई में एक मस्जिद में मुअजिन के काम से बुलाया गया था. उसी काम के लिए वे ट्रेन से मुंबई जा रहे थे, लेकिन उसी यात्रा में आरपीएफ जवान ने उनके साथ तेलंगाना के दो अन्य मुस्लिमों व रोकने वाले अफसर की गोली मार कर हत्या कर दी. उनके परिवार को रेलवे की तरफ से 10 लाख रुपए का चेक राजस्थान में मिला है, लेकिन बिहार सरकार का कोई भी प्रतिनिधि अब तक मिलने नहीं आया है.
मृतक असगर अत्यंत ही मिलनसार थे. वे सभी समुदाय के लोगों के साथ प्रेमवत रहते थे. वे अपनी बूढ़ी मां और एक नाबालिग बहन की भी परवरिश करते थे जिनको देखने वाला अब कोई नहीं रहा.
इस जांच टीम में भाकपा(माले) राज्य कमिटी के सदस्य अभिषेक कुमार, इंसाफ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष नेयाज अहमद, भाकपा(माले) सीतामढ़ी जिला संयोजक नेयाज अहमद सिद्दकी, भाकपा(माले) मधुबनी जिला सचिव ध्रुव नारायण कर्ण, इंसाफ मंच के नेता मो. जमशेद और मकसूद आलम तथा स्थानीय भाकपा(माले) नेता रंजन प्रसाद सिंह, पूर्व मुखिया ललित कामत, श्याम मंडल, रामरतन मंडल, विशंभर कामत व मनीष मिश्रा शामिल थे.