9 अगस्त 2023 को पूरी दुनिया में धूमधाम से विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता रहा है. लेकिन आज हमारे देश में यह एक सरकारी प्रोजेक्ट और विज्ञापन के सिवाय और कुछ भी नहीं रह गया है. आज आदिवासी पिछड़ते जा रहे हैं और आदिवासी बहुल इलाकों में भी वे शोषण का शिकार हैं, चाहे वह झारखंड हो, उड़ीसा हो, छत्तीसगढ़ हो या मणिपुर. आदिवासी शुरू से ही प्रकृति पूजक रहे हैं और जंगल, पहाड़, नदी व जमीन को बचाए रखने में उनकी बड़ी भूमिका रही है. आज सरकार विकास के नाम पर काॅरपोरेट पूंजीपत्तियों के हित में आदिवासियों से जल, जंगल और जमीन छीन रही है. उन्हें आपस में ही लड़ाकर उनकी एकता को कमजोर कर देना चाहती है. लेकिन आदिवासी अपने जल, जंगल व जमीन की रक्षा और अपनी संस्कृति व भाषा बचाने के लिए संघर्षरत हैं.
जल, जंगल और जमीन की रक्षा और आदिवासियों पर कोई दूसरी पहचान थोपने के खिलाफ जारी संघर्ष में भाकपा(माले) और आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने इस बार विश्व आदिवासी दिवस पर झारखंड के कई जिलों; जिनमें रामगढ़, रांची, लातेहार, गिरिडीह व पलामू आदि मुख्य हैं; विविध् कार्यक्रम आयोजित किए.
रांची जिले के बजड़ा और बुंडू में आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया. इन कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में महिलाओं, बच्चों और पुरुषों ने जोशपूर्ण भागीदारी की और रांची जिले में आदिवासियों की जमीन लूट के खिलाफ आवाज बुलंद की.
रामगढ़ जिले के चपरी मोड़ (अरगड्डा चौक) में आदिवासी संघर्ष मोर्चा और अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर ‘वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 वापस लो’, ‘समान नागरिक संहिता कानून रद्द करो’, ‘आदिवासियों की जल-जंगल व जमीन पर काॅरपोरेट हमला बंद करो’ आदि नारों के साथ जुलूस निकाल कर सभा आयोजित की गई. सभा को देवकीनंदन बेदिया, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का. हीरा गोप, भुनेश्वर बेदिया, नीता बेदीया, कुलदीप बेदिया, करण बेदिया आदि लोगों ने संबोधित किया.
घुटुवा में आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले विचार गोष्ठी सह नुक्कड़ सभा का कार्यक्रम आयोजित हुआ. आरा कोलियरी के सारूबेड़ा कालोनी में आदिवासी संघर्ष मोर्चा और सरना समिति के संयुक्त पहलकदमी से आक्रोशपूर्ण व गगनभेदी नारों के साथ चार किलोमीटर लंबी यात्रा की गई और सभा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरूषों की भागीदारी रही.
गिरिडीह में भारत छोड़ो आंदोलन तथा विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर अखिल भारतीय किसान महासभा तथा भाकपा(माले) की ओर से एक दिवसीय धरना का आयोजन कर केंद्र सरकार की आदिवासी और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया गया.
लातेहार जिले के बरवाडीह में सैकड़ों लोगों ने आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले जुलूस निकाला और ‘मणिपुर में जारी हिंसा पर रोक लगाओ’, ‘पेशा कानून लागू करो’, ‘जल, जंगल, जमीन पर से आदिवासियों की बेदखली बंद करो’ और ‘लोकतंत्र पर हमला बंद करो’ का नारा बुलंद करते हुए प्रखंड कार्यालय पहुंचकर वहां सभा आयोजित की. सभा में परंपरागत आदिवासी गीत-संगीत व नृत्य की प्रस्तुति भी हुई. सभा को संबोधित करते हुए शिक्षक केदार सिंह ने कहा कि 9 अगस्त हमारे लिए गर्व का दिन है. हमें आज आदिवासी सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिये संकल्प लेना होगा भाकपा(माले) जिला सचिव बिरजू राम ने कहा कि देश के आदिवासी आज संकट के दौर से गुजर रहे हैं. आदिवासी विरोधी ताकतों के खिलाफ सबकी एकजुटता समय की पुकार है. सभा को जिला पार्षद कन्हाई सिंह, कमलेश सिंह, सुखलाल सिंह, कृष्णा सिंह, गणेश सिंह, सिलास गुड़िया आदि सहित दर्जनों ग्राम प्रधानों और आदिवासी नेताओं ने संबोधित किया.
पलामू के मेदनीनगर शहर में संयुक्त किसान मोर्चा और आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले शहर के विभिन्न मार्गाे से गुजरते हुए उपयुक्त, पलामू के समक्ष प्रदर्शन किया गया जिसकी अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता प्रदीप विश्वकर्मा ने किया. इस प्रदर्शन में अखिल भारतीय किसान महासभा के पलामू जिला सचिव कमेश सिंह चेरो, भाकपा(माले) के पलामू जिला सचिव रामराज पासवान व छतरपुर प्रखंड सचिव सरफराज आलम, झारखंड क्रांतिकारी किसान संगठन के बृजनंदन मेहता, हुल झारखंड क्रांति दल के चंद्रधन महतो आदि शामिल थे. शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद शुरू हुई सभा को संबोधित करते हुए नेताओं ने पलामू प्रमंडल को अकाल क्षेत्र घोषित कर बड़े पैमाने पर राहत कार्य चलाने, एमएसपी कानून बनाने व अनाज की समर्थन मूल्य पर खरीदकी मांग के नारे लगाये.
संयुक किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आह्वान का पालन करते हुए 9 अगस्त को ‘साम्राज्यवाद विरोध दिवस’ के रूप में मनाया गया और ‘कारपोरेट खेती छोड़ो’, ‘खेती बचाओ, किसान बचाओ, देश बचाओ’ नारे के साथ एमएसपी, खाद्य सुरक्षा, कर्ज मुक्ति, बिहार को सुखाड़ ग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग के साथ जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया. यह कार्यक्रम बिहार के सभी 38 जिलों में हुआ जिसमें से 33 जिलों में अखिल भारतीय किसान महासभा नेें अपनी भागीदारी की.
पटना में मूसलाधार बारिश की वजह से विरोध मार्च नही हो सका. फिर भी, संयुक्त किसान मोर्चा के एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने पटना उपसमाहर्ता को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधिमंडल में उमेश सिंह, सोनेलाल प्रसाद, नंदकिशोर सिंह, ट्टषि आनंद और उदयन राय शामिल थे. इसके अलावा भोजपुर, पूर्णियां व समस्तीपुर में भी विरोध प्रदर्शन नही हो सका और सिर्फ प्रतिनिधिमंडल द्वारा जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. बाकी सभी जिलों – बक्सर, रोहतास, कैमूर, औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, अरवल, नवादा, नालंदा, शेखपुरा, मुंगेर, जमुई, भागलपुर, बेगुसराय, खगड़िया, अररिया, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, वैशाली, सारण, सिवान, गोपालगंज, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए. प्रदर्शन के बाद केंद्रीय मांगों के अलावा स्थानीय मांगो को जोड़ कर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपा गया.
पटना में उमेश सिंह व कृपा नारायण सिंह, भोजपुर में चंद्रदीप सिंह और विनोद कुशवाहा, बक्सर में अलख नारायण चौधरी और रामदेव सिंह, कैमूर में बबन सिंह, रोहतास में अरुण सिंह (विधायक) और जवाहर सिंह, औरंगाबाद में कामता यादव और नरेंद्र सिंह, अरवल में महानंद सिंह (विधायक) और राजेश्वरी यादव, जहानाबाद में रामाधार सिंह और शौखिन यादव, गया में बालेश्वर प्रसाद यादव और उपेंद्र यादव, नवादा में किशोरी प्रसाद और प्रफुल्ल पटेल, नालंदा में मुनिलाल यादव और कामेश्वर प्रसाद, शेखपुरा में कमलेश कुमार मानव और विजय कुमार विजय, जमुई में मनोज पांडे, बेगूसराय में बैजू सिंह, खगड़िया में अभय वर्मा और शैलेंद्र, भागलपुर में महेश यादव और रणधीर यादव, पूर्णियां में अविनाश पासवान, दरभंगा में अभिषेक कुमार और शिवन यादव, मुजफ्फरपुर में जितेंद्र यादव, वैशाली में विशेश्वर प्रसाद यादव और सुमन कुमार, समस्तीपुर में ललन कुमार और महावीर पोद्दार, सिवान में जयनाथ यादव और शीतल पासवान, गोपालगंज में लालबहादुर सिंह, पश्चिम चंपारण में सुनील राव और इंद्रदेव कुशवाहा और पूर्वी चंपारण में रूपलाल शर्मा ने विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया.
9 अगस्त को साम्राज्यवाद विरोधी दिवस (ऐतिहासिक अगस्त क्रांति/भारत छोड़ो दिवस) पर भाकपा(माले), संयुक्त किसान मोर्चा और ट्रेड यूनियन महासंघ (ऐक्टू) की तरफ से प्रदेश भर में विरोध मार्च व प्रदर्शन आयोजित किये गये.
मिर्जापुर जिले में भाकपा(माले) राज्य सचिव सुधाकर यादव, जिला सचिव रामप्यारे राम और राज्य कमेटी सदस्य जीरा भारती के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकालकर कर सभा की गई. बलिया में ‘मणिपुर की घटना पर शर्म करो, पीएम मोदी गद्दी छोड़ो’ नारे के साथ सैकड़ों की जनभागीदारी के साथ रेलवे स्टेशन से जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाला गया. मार्च का नेतृत्व केंद्रीय कमेटी सदस्य व खेग्रामस के प्रदेश अध्यक्ष श्रीराम चौधरी, जिला सचिव लालसाहब और राज्य कमेटी सदस्य भागवत बिंद ने किया. रायबरेली में राज्य कमेटी सदस्य व एक्टू के प्रदेश अध्यक्ष का. विजय विद्रोही, जिला सचिव उदयभान पटेल व किसान महासभा के नेता फूलचंद मौर्य के नेतृत्व में विकास भवन से जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकालकर सभा की गई. बनारस में संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना व सभा हुई जिसे भाकपा(माले) जिला सचिव अमरनाथ, राज्य कमेटी सदस्य मिठाई लाल बिंद और किसान महासभा की नेता कृपा वर्मा ने संबोधित किया. चंदौली में वामदलों व संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले मार्च निकालकर सभा की गई. एक दिन पूर्व सोनभद्र जिले में राबट्र्सगंज कार्यालय से जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकालकर सभा की गई जिसे भाकपा(माले) राज्य सचिव सुधाकर यादव, जिला सचिव सुरेश कोल तथा राज्य कमेटी सदस्य शंकर कोल ने संबोधित किया. 9 अगस्त को दुद्धी तहसील पर जिला सचिव सुरेश कोल व राज्य कमेटी सदस्य वीगन गोंड के नेतृत्व में कनहर बांध विस्थापितों के मुद्दे पर धरना व सभा हुई. गोरखपुर जिले की खजनी तहसील पर इनौस के प्रदेश अध्यक्ष व पार्टी राज्य कमेटी सदस्य राकेश सिंह के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ. आजमगढ जिले में संयुक्त वामदलों के नेतृत्व में प्रतिवाद मार्च निकाला गया और सभा हुई जिसे भाकपा(माले) नेता विनोद सिंह व अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया.
देवरिया में भाकपा(माले) व संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में भाटपार रानी तहसील पर प्रदर्शन कर सभा हुई जिसे भाकपा(माले) जिला सचिव श्रीराम कुशवाहा ने संबोधित किया. मऊ जिले में मार्च निकालकर सभा की गई जिसे पार्टी जिला सचिव वसंत समेत अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया. भदोही जिले में संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जिला अधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर सभा हुई, जिसे भाकपा(माले) जिला सचिव बनारसी व अन्य नेताओं ने संबोधित किया. इलाहाबाद में उपश्रमायुक्त कार्यालय पर संयुक्त ट्रेड युनियनों की तरफ से महाधरना आयोजित किया गया. धरने को एक्टू राज्य सचिव अनिल वर्मा और पार्टी जिला प्रभारी व इंनौस के राज्य सचिव सुनील मौर्य ने संबोधित किया. गोंडा जिले में संयुक्त वामदलों व किसान संगठनों की तरफ से प्रदर्शन व सभा हुई जिसे पार्टी जिला प्रभारी जमाल खान, किसान महासभा के संयोजक राजू सिंह, सीताराम वर्मा, एड. रवींद्र श्रीवास्तव व एड. सुखसेन सिंह ने संबोधित किया. लखनउफ में भाकपा(माले) के नेतृत्व में परिवर्तन चौक से जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाला गया. मार्च का नेतृत्व पार्टी जिला प्रभारी रमेश सिंह सेंगर, ऐक्टू जिला अध्यक्ष मधुसूदन मगन और ऐपवा नेता कमला गौतम ने किया. सीतापुर में संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया. वहां हुई सभा को पार्टी जिला सचिव अर्जुन लाल ने संबोधित किया. लखीमपुर खीरी में भाकपा(माले) केंद्रीय समिति सदस्य कृष्णा अधिकारी के नेतृत्व में विलोबी भवन से जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाला गया. पलिया तहसील पर किसान महासभा के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन का नेतृत्व पार्टी राज्य कमेटी सदस्य आरती राय व किसान महासभा के नेता कमलेश राय ने किया. गोला गोकर्णनाथ व निघासन तहसील पर भी पार्टी व किसान महासभा के नेतृत्व में प्रदर्शन हुए. पीलीभीत जिले में भाकपा(माले) जिला सचिव देवाशीष राय तथा पूरनपुर तहसील में पार्टी राज्य स्थाई समिति सदस्य अफरोज आलम के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया. कानपुर में जिला प्रभारी विद्या रजवार तथा विजय कुमार के नेतृत्व में गोल चैराहे पर धरना दिया गया. जालौन में किसान महासभा व एक्टू के नेतृत्व में मार्च निकाला गया जिसका नेतृत्व किसान महासभा के नेता राजीव कुशवाहा तथा ऐक्टू के प्रदेश उपाध्यक्ष रामसिंह ने किया. मथुरा में किसान महासभा व भाकपा(माले) के नेतृत्व में सिविल लाइंस में आजादी के शहीदों को श्रद्धांजलि देकर सभा की गई. सभा को राज्य स्थाई समिति सदस्य एड. नशीर शाह, जिला सचिव जीएल चतुर्वेदी आदि लोगों ने संबोधित किया. बरेली में किसान महासभा ने प्रदर्शन किया. मुरादाबाद में मजदूर संगठनों की तरफ से प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन में भाकपा(माले) जिला प्रभारी रोहिताश्व राजपूत शामिल थे.
राजधानी रायपुर मे ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के बैनर तले महापड़ाव आयोजित हुआ. इसमे प्रदेशभर से आये हजारों मजदूरों व किसानों ने बूढ़ापारा धरना स्थल में पुरजोर प्रदर्शन कर सभा की. भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ एवं विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित इस महती सभा में मणिपुर सहित देश भर में आदिवासी समुदाय एवं महिलाओं पर जारी हिंसा की घटनाओं को शर्मनाक बताते हुए मणिपुर मे तुरंत शांति बहाल करने की मांग भी की गई. महापड़ाव के दौरान इप्टा के कलाकारों ने जनगीत प्रस्तुत किये.
केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर, किसान एवं जनविरोधी नीतियों का जोरदार विरोध करते हुए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों – इंटक, एचएमएस, ऐटक, सीटू, ऐक्टू के साथ ही बैंक, बीमा, बीएसएनएल, रक्षा, कोयला, इस्पात, ऊर्जा आदि में कार्यरत यूनियनों व केन्द्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों, श्रमिको के साथ ही असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों ने इसमें भागीदारी की और महगाई रोकने, निजीकरण की नीति बंद करने, 26000 रुपए न्यूनतम वेतन देने, श्रमिक विरोधी श्रम संहिता वापस लेने, सभी योजना कर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, किसानों के उपज की खरीदी की गारंटी के कानून बनाने सहित 14 सूत्रीय मांगों को बुलंद किया.
महापड़ाव को सीटू की ओर से धर्मराज महापात्र, एमके नंदी व एसएन बनर्जी, ऐटक से सीआर बख्शी, आरडीसीपी राव, हरीनाथ सिंग, राजेश संधु, लिंगराज नायक, दीपेश मिश्रा, कमलजीत सिंग मान व रामखिलावन राठौर, इंटक से राम अवतार अलगमकर, आशीष यादव, वंश बहादुर सिंह, आशीष दुबे, अभय सिंह, एके सिंह व जेके राठौर, ऐक्टू से बृजेन्द्र तिवारी, अशोक मिरी व नरोत्तम शर्मा, बीएसएनएल से एससी भट्टाचार्य, बैंक कर्मी नेता शिरीष नलगुंदवार, बीमा कर्मी नेता सुरेंद्र शर्मा व चंद्रशेखर तिवारी सहित अनेक नेताओं ने संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जारी अंधाधुंध निजीकरण व उदारीकरण की नीतियों ने देश को चौतरफा बदहाली के रास्ते मे धकेल दिया है. इसके चलते भारत के 10 फीसद शीर्ष लोगों के हाथों मे राष्ट्रीय संपत्ति का 72 फीसद हिस्सा पहुंच गया है जबकि नीचे के 50 प्रतिशत लोगों के हाथों मे मात्र 3 फीसद हिस्सा ही रह गया है. देश मे अरबपतियों की संख्या 100 से बढ़कर 166 हो गई है और केवल 21 अरबपतियों के पास देश की 70 फीसदी आबादी के बराबर की संपत्ति जमा है.
वक्ताओ ने कहा कि केंद्र सरकार की इन नीतियों के खिलाफ देश की मेहनतकश जनता अब निर्णायक रूप से आंदोलन के रास्ते पर है और आज का महापड़ाव आम जनता के इसी आक्रोश की अभिव्यक्ति है.
केंद्र सरकार की किसान मजदूर विरोधी व कार्पाेरेट परस्त नीतियों के खिलाफ ‘कार्पाेरेट दलालों भारत छोड़ो’ के नारे के साथ अखिल भारतीय किसान महासभा, अखिल भारतीय किसान सभा, एसएफआई, डीवाईएफआई, सीटू व इंकलाबी नौजवान सभा की तरफ से शहीद स्मारक से जिला कलेक्ट्रेट तक रैली निकाल कर कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया गया. संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से अतिरिक्त जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया.
ज्ञापन में केंद्र सरकार द्वारा जंगल, नदी और अन्य जल संसाधनों तथा कृषि भूमि पर कार्पाेरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण को बढाने की नीति पर विरोध जताया गया तथा अपने मित्र पूंजीपतियों के साथ साजिश रचकर किसानों को उनके जीवन और आजीविका से उखाड़ फेंकने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया. साथ ही यह भी कहा गया कि भाजपा सरकार जनता की मूलभूत समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए सांप्रदायिक उन्माद पैदा कर देश को दंगों की आग में झोंकने की कोशिश कर रही है.
ज्ञापन में गारंटीकृत फसल खरीद की व्यवस्था के साथ सभी फसलों के लिए सी2 $50 प्रतिशत की दर से लाभकारी एमएसपी के लिए कानून बनाने तथा स्पष्ट संदर्भ की शर्तों के साथ एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल कर उचित प्रतिनिधित्व के साथ एमएसपी का पुनर्गठन करने, सरकार की नीतियों और लापरवाही के कारण सभी प्रकार के कर्जां के जाल में फंसे किसानों को कर्ज से मुक्ति के लिए व्यापक कर्ज मुक्ति योजना बनाने, बिजली संशोधन विधेयक 2022 को वापस लेने समेत अन्य कई मांगें भी शामिल थीं.
विरोध प्रदर्शन को अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का. फूलचंद ढेवा, राष्ट्रीय सचिव का. रामचंद्र कुलहरि, जिला उपाध्यक्ष का. इंद्राज सिंह चारावास, अखिल भारतीय किसान सभा के वरिष्ठ नेता का. फूलचंद बर्वर, का. सुमेर सिंह बुडानिया, जिलाध्यक्ष का. गिरधारीलाल महला, जिला सचिव का. मदन सिंह यादव, आदि समेत दर्जनों नेताओं ने संबोधित किया .
पालघर में विश्व आदिवासी दिवस पर बहुत बड़ी संख्या में जुटे आदिवासियों ने हर साल की भांति धूमघाम से विश्व आदिवासी दिवस मनाया. एक ओर दिनभर नाच-गान का सांस्कृतिक कार्यक्रम चलता रहा, तो दूसरी ओर मणिपुर में आदिवासियों के हत्या के खिलाफ आक्रोश भी व्यक्त किया गया. कार्यक्रम में शामिल कई आदिवासियों ने अपने शरीर पर मणिपुर हिंसा के निषेध के स्लोगन छपवाये थे.
कार्यक्रम में आदिवासी संघर्ष मोर्चा के हमारे साथियों ने भी अच्छी संख्या में भाग लिया. सांस्कृतिक कार्यक्रम के पहले आयोजित रैली में आदिवासियों के कई संगठनों – आदिवासी एकता परिषद, भूमि सेना, आदिवासी संघर्ष मोर्चा, आदि के नेताओं के साथ ही भाकपा के आदिवासी नेता का. विनोद निकोले और कई अन्य आदिवासी नेताओं ने हिस्सा लिया. इस रैली के बाद आदिवासी संघर्ष मोर्चा के पालघर जिला सचिव का. अशोक तांडेल के नेतृत्व में का. विलास दुमाडा, का. रामु सातवी, का. अजय मेरे, का. प्रकाश पाटील, का. दिलीप घोघडे, का. कमलाकर बालशी और भाकपा(माले) के महाराष्ट्र सचिव का. श्याम गोहिल ने पालघर जिला कलेक्टर को मणिपुर में आदिवासी हत्यांकांड, राज्य प्रायोजित हिंसा, महिला अत्याचार और आदिवासियों को विविध तरीकों से जमीन से बेदखली के खिलाफ राष्ट्रपति के नाम 25 सुत्री मांग पत्रा दिया. बंबई के आरे काॅलोनी में आरे जंगल बचाओ और मणिपुर में आदिवासी हत्यांकांड के खिलाफ आदिवासी और कई स्वयंसेवी संगठनों द्वारा प्रदर्शन हुआ जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए.
ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्नान पर ऐक्टू व ऐटक द्वारा संयुक्त रूप से मानसा जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन आयोजित हुआ. चंडीगढ़ के सेक्टर 17 में आयोजित ट्रेड यूनियनों के साझा कार्यक्रम में भी सीटू व ऐटक के साथ ही ऐक्टू की प्रभावशाली भागीदारी रही और प्रतिनिधि मंडल में का. सुनीता भी शामिल रहीं. सभा को का. सतीश , ऊषा जी और का. कंवलजीत सिंह ने भी संबोधित किया.
ओडिशा के गुनुपुर में विश्व आदिवासी दिवस पर आकर्षक जुलूस निकाला गया.
कानपुर