वर्ष - 32
अंक - 27
02-07-2023

दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और कमजोर समुदाय के लोगों पर जारी सामंती, पितृसत्तत्मक और सांप्रदायिक हमलों और हर प्रकार के अन्याय-अत्याचार से उत्पीड़ित जनता के लिए इंसाफ की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए विगत 25 जून 2023 को पटना के गेट पब्लिक लाइब्रेरी में इंसाफ मंच, बिहार का तीसरा राज्य सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया.

भाकपा(माले) के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य इंसाफ मंच के इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के बतौर शामिल हुए. उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज से 10 साल पहले इंसाफ मंच की शुरूआत हुई थी. 2013 में मोदी की रैली के दौरान गांधी मैदान में एक तथाकथित बम ब्लास्ट हुआ था और पूरे बिहार में उसके नाम पर मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी का सिलसिला चल पड़ा था. तब इंसाफ मंच ने पूरी बहादुरी के साथ उसका प्रतिकार किया था और मोदी व भाजपा के झूठ का पर्दाफाश किया था.

उन्होंने कहा कि आज तो देश की बुनियाद पर ही हमला है. आरएसएस-भाजपा द्वारा हिंदू राष्ट्र का खुलेआम आह्वान किया जा रहा है और हर दिन व हर स्तर पर संविधान को कुचला जा रहा है. देश में अल्पसंख्यक, दलित व महिलाएं निशाने पर है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में जब एक पत्रकार ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि भारत में लोकतंत्र व संविधान सब कुछ खतरे में है, तो मोदी जी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि ऐसा नहीं है. लोकतंत्र हमारे रगों में है और किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता. लेकिन उसके दो दिन बाद ही उनकी ही पार्टी के असम के मुख्यमंत्री ने उनकी पोल खोलते हुए कहा कि भाजपा की प्राथमिकता देश के अंदर के बराक हुसैन ओबामाओं को पहले जेल में डालने की है, उसके बाद किसी के बारे में सोचा जाएगा. यही आज के भारत का सच है.

का. दीपंकर ने कहा कि आज हिंदुस्तान में उन्माद-उत्पात कोई अपवाद की घटना नहीं, बल्कि एक नियम बन गया है. पूरे देश में आतंक का शासन चल रहा है. इसलिए जरूरत इस बात की है कि संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के पक्ष में एक बड़ी एकता कायम की जाए, हम एक दूसरे का सुख-दुख समझें और एकताबद्ध होकर भाजपा को राज व समाज से बेदखल करें.

इसके पूर्व इंसाफ मंच के निवर्तमान सचिव कयामुद्दीन अंसारी ने सभी अतिथियों का मंच पर स्वागत किया. सम्मेलन में भाकपा(माले) के राज्य सचिव कुणाल, खेग्रामस महासचिव धीरेन्द्र झा, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, भाकपा(माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम व विधायक सत्येदव राम, मनोज मंजिल, सुदामा प्रसाद, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, केडी यादव सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे. 13 सदस्यों के अध्यक्षमंडल के नेतृत्व में सम्मेलन की शुरूआत हुई. अध्यक्षमंडल में आसमां खान, आफ्शा जबीं, शाह शाद, नेयाज अहमद, अनवर हुसैन सहित अन्य लोग शामिल थे.

प्रतिनिधियों ने विगत तीन सालों के कामकाज की रिपोर्ट की समीक्षा की और अपने-अपने विचार रखे. सबने यह महसूस किया कि फासीवाद का सबसे तीखा हमला दलितों, मुसलमानों और महिलाओं पर ही है. इसलिए वक्त का तकाजा है कि उत्पीड़ित समुदाय आज मिलकर चले और अपनी चट्टानी एकता बनाए.

का. महबूब आलम ने अपने संबोधन में कहा कि देश में फासीवाद के खतरे की एकदम ठीक समय पर पहचान करते हुए बिहार में दलितों, मुस्लिमों, महिलाओं और कमजोर समुदाय के हक व इंसाफ की आवाज को बुलंद करने के लिए इंसाफ मंच का गठन हुआ था. तीसरा बिहार राज्य सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब फासीवादी गिरोह का हमला अपने चरम पर पहुंच गया है.

सम्मेलन से 71 सदस्यों की नई राज्य परिषद का भी गठन किया गया. सम्मेलन से फुलवारी विधायक गोपाल रविदास अध्यक्ष और कयामुद्दीन अंसारी सचिव चुने गए. गया के वरिष्ठ अधिवक्ता फैयाज हाली को सम्मानित अध्यक्ष बनाया गया. सम्मेलन में मौजूदा फासीवादी हुकूमत द्वारा देश की बुनियाद पर जारी चौतरफा हमले के खिलाफ संविधान व लोकतंत्र की हिफाजत में चल रही देशव्यापी मुहिम के साथ अपनी एकजुटता जाहिर की गई; अन्याय, अत्याचार व सांप्रदायिक उन्माद से उत्पीड़ित जनता के हक में इंसाफ पाने के लिए दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गां के बीच व्यापक एकता स्थापित करने का संकल्प लिया गया तथा उनके हक-अधिकार के संघर्ष को नई गति प्रदान करने का आह्नान करते हुए दस सूत्री प्रस्ताव स्वीकार किए गया.

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