अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) का छठा मुजफ्फरपुर जिला सम्मेलन 9 जुलाई 2023 को मुशहरी प्रखंड के हाई स्कूल, बिंदा में आयोजित हुआ. जिले के सभी प्रखंडों से 300 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया जिसमें महिलाओं की संख्या लगभग एक तिहाई (सौ) थी. सम्मेलन की शुरूआत संगठन के वरिष्ठ नेता विश्वनाथ ठाकुर द्वारा झंडोत्तोलन तथा मजदूर-किसान आंदोलन में शहीद व दिवंगत हुए नेताओं-कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई.
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव व भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो सदस्य का. धीरेन्द्र झा ने कहा कि मुजफ्फरपुर जिला सम्मेलन मजदूर आंदोलन की ऐतिहासिक धरती मुशहरी में आयोजित है. मुशहरी में गरीबों, मजदूरों व आम लोगों के मान-सम्मान, सामाजिक बराबरी, रोजी-रोटी व अधिकार के लिए बड़ी-बड़ी लड़ाई लड़ी गई है. यह लड़ाई आज भी जारी है और इसे और भी तेज करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि केन्द्र की सत्ता पर काबिज मोदी सरकार मजदूरों-गरीबों-किसानों व आम लोगों की रोजी-रोटी और अधिकारों पर दिन-रात हमला करने में जुटी है. महंगाई की मार से चौतरफा त्राहिमाम मचा हुआ है. बेरोजगारी चरम पर है. ग्रामीण गरीबों के लिए जारी मनरेगा, जन वितरण प्रणाली, आवास योजना तथा कल्याणकारी योजनाओं को खत्म करने की साजिश की जा रही है. मजदूरों व गरीबों के हित में जो भी कानून बने थे उसको समाप्त कर अंग्रेजी राज की तरह सबकुछ अडाणी-अंबानी जैसे देश के लुटेरों व देशी-विदेशी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है.
आगे उन्होंने कहा कि भाजपा और मोदी सरकार आजादी के बाद मिले लोकतांत्रिक व संवैधानिक अधिकारों और तौर-तरीकों को कुचलने तथा सांप्रदायिक नफरत और उन्माद फैलाने में लगी है. मजदूरों, गरीबों, दलितों व कमजोर वर्ग के लोगों के बीच भी सांप्रदायिक जहर फैलाया जा रहा है. मोदी सरकार जनता का लोकतांत्रिक राज मजबूत करने की जगह हिन्दूराष्ट्र बनाने में भी लगी है. संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेदकर ने चेतावनी दी थी कि जिस दिन देश पर हिन्दू राष्ट्र थोपा जायेगा, वह दिन देश के लिए सबसे बड़ी विपत्ति का दिन होगा. उन्होंने कहा कि अपनी रोजी-रोटी तथा वास-आवास के अधिकार, सामाजिक बराबरी, भाईचारा तथा लोकतंत्र व संविधान की रक्षा के लिए एकजुट होकर लड़ने की आज सबसे ज्यादा जरूरत है.
उद्घाटन सत्र को संबोधित करती हुई ऐपवा की राज्य उपाध्यक्ष रानी प्रसाद ने कहा कि महिला मजदूरों को भी नियमित रोजगार, सामाजिक अधिकार तथा मान-सम्मान के लिए संघर्ष तेज करने की जरूरत है.
सात सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने सम्मेलन की अध्यक्षता की जिसमें रामनंदन पासवान, होरिल राय, वीरेंद्र मांझी, प्रेमलाल राय, कुसुमी देवी, मंजू देवी और सुरेश राम शामिल थे. सम्मेलन में राजनीतिक-सांगठनिक दस्तावेज खेग्रामस के पूर्व जिला सचिव शत्रुघ्न सहनी ने प्रस्तुत किया जिसपर दर्जनों प्रतिनिधियों ने बहस में हिस्सा लिया.
राज्य पर्यवेक्षक शिवनाथ राम की देखरेख में 21 सदस्यीय जिला कमिटी का चुनाव हुआ. होरिल राय को जिला अध्यक्ष, रामनंदन पासवान को जिला सचिव, बिरेन्द्र मांझी, प्रेमलाल राय, सुरेश राम और कुसुमी देवी को उपाध्यक्ष तथा वीरेन्द्र पासवान, मो.करीम, शंभू राम व मो. ईसराइल को सहसचिव चुना गया. नई कमिटी में चार महिलाएं शामिल हैं.
सम्मेलन में भाकपा(माले) के जिला सचिव कृष्णमोहन, और रामबालक सहनी, विमलेश मिश्र, राजेश रंजन, रामबली मेहता, विन्देश्वर साह तथा रामलखन दास, माकपा के दिनेश भगत, रसोइया संघ के जिला सचिव परशुराम पाठक, नौजवान सभा के विकास रंजन, छात्र संगठन आइसा के रौशन कुमार सहित अन्य संगठनों के नेता-कार्यकर्ता भी शामिल थे.
सम्मेलन के अंत में वास-आवास के लिए जमीन, मनरेगा में नियमित काम तथा 600 रुपये दैनिक मजदूरी, 3 हजार रुपये वृद्धावस्था पेंशन, महंगाई पर रोक तथा अन्य सवालों पर 1अगस्त को कृषि हड़ताल करने की घोषणा की गई.