- कुमार परवेज
23 जून को पटना में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक पर पूरे देश की निगाह थी. तमाम किस्म की आशंकाओं व अटकलों के बावजूद बैठक न केवल कामयाब रही बल्कि देश में नए विकल्प के स्पष्ट संकेत भी दिए. उसने अपनी सार्थकता तो सिद्ध की ही, यह भी दिखलाया कि केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ एक सशक्त चुनौती पेश की जा सकती है. यह बैठक आसान नहीं थी. अलग-अलग सोच वाले नेताओं को एक साथ लाना बेहद कठिन काम था, क्योंकि कई मसलों पर उनके बीच टकराव रहे हैं. बावजूद, भाजपा ने जिस प्रकार से देश की बुनियाद पर हमला किया है, उसने कांग्रेस और उससे निकली विभिन्न पार्टियों से लेकर समाजवादियों, कम्युनिस्टों और अन्य क्षेत्रीय दलों के नेताओं को एक मंच पर लाने का काम किया. बैठक में शामिल नेताओं ने शिद्दत से महसूस किया कि देश एक आफतकाल से गुजर रहा है और इसलिए भाजपा को देश की सत्ता से हटाना और संविधान व लोकतंत्र की हिफाजत करना सबकी साझा चुनौती है. 1977 के बाद यह बड़ी एकता हुई है. सच पूछिए तों पटना की बैठक ने 1977 को भी पीछे छोड़ दिया क्योंकि उसमें देश का दक्षिणी हिस्सा शामिल नहीं था. पटना बैठक में उत्तर से लेकर दक्षिण तक की पार्टियां शामिल हुईं और भाजपा के खिलाफ एक साथ संयुक्त रूप से एकजुट होकर लड़ने पर शुरूआती सहमति बनी.
पटना के मुख्यमंत्री आवास में यह बैठक तकरीबन 4 घंटे चली. बैठक के बाद विपक्षी नेताओं ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का संकल्प दिखाया. संवाददाता सम्मेलन को बैठक में शामिल अरविंद केजरीवाल और स्टालिन को छोड़कर सभी पार्टी के नेताओं ने संबोधित किया. हवाई यात्रा का समय पूरा होने के कारण ये दोनों नेता संवाददाता सम्मेलन को संबोधित नहीं कर सके.
बैठक में भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य शामिल सहित जदयू से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ललन सिंह व संजय झा; कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी व केसी वेणुगोपाल; राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव व राज्य सभा सांसद मनोज झा; एनसीपी से शरद पवार, सुप्रिया सुले, प्रफुल्ल पटेल; सीपीएम से सीताराम येचुरी, सपा से अखिलेश यादव, शिवसेना (बाला साहेब ठाकरे गुट) से उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे व संजय राउत; जेएमएम से हेमंत सोरेन; टीएमसी से ममता बनर्जी, अभिषेक बनर्जी व डेरेक ओ ब्रायन; डीएमके से एमके स्टालिन व टीआर बालू; आप से अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, संजय सिंह व राघव चड्ढ़ा; पीडीपी से महबूबा मुफ्ती; सीपीआई से डी राजा, उमर अब्दुला समेत 27 नेता शामिल हुए.
बैठक के उपरांत संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि पटना बैठक से विपक्षी एकता के एजेंडे को नई गति मिली है और एक सकारात्मक शुरूआत हुई है. पटना में फरवरी में आयोजित भाकपा(माले) के 11 वें महाधिवेशन से निकला विपक्ष की व्यापक एकता का सूत्र अब नया विस्तार पा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि देश आज जिस मुहाने पर खड़ा है, उसकी गंभीरता को बैठक में शामिल सभी दलों ने महसूस किया. भारतीय जनता पार्टी आज भारतीय सत्ता पार्टी हो गई है. उसने संवैधानिक संस्थाओं से लेकर जीवन के हर क्षेत्रा पर नियंत्रण कायम कर लिया है. लोकतंत्र-संविधान-देश का संघीय ढांचा सबकुछ खतरे में है. देश को बचाने के ऐसे निर्णायक मोड़ पर विपक्षी दलों की पटना बैठक एक मील का पत्थर साबित होगी. उन्होंने यह भी कहा कि देश में मोदी की तानाशाही को एक व्यापक आंदोलन के जरिए ही खत्म किया जा सकता है. आने वाले चुनाव को भी एक व्यापक जनांदोलन में तब्दील कर देना है. मोदी हटाओ अभियान को एक आंदोलनात्मक शेप देना है. विपक्षी दलों की सफल बैठक के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोशिशों की सराहना भी की.
ममता बनर्जी ने विपक्ष की एकजुटता पर जोर दिया. कहा कि बहुत सारे जन आंदोलन पटना से ही शुरू हुए थे. इस बार भी शुरूआत पटना से हो रही है. हम लोग एक हैं और साथ मिलकर लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि मणिपुर जलने से हमारा भी हाथ जलता है. भाजपा तानाशाही सरकार चला रही है. हमलोगों की निर्वाचित सरकार है लेकिन राजभवन हस्तक्षेप करते रहता है. जो भी खिलाफ में बोलता है, ईडी-सीबीआई लगा देता है. मीडिया को आज पूरी तरह नियंत्रित कर लिया है.
हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में सफलता और राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को मिले समर्थन से उत्साहित कांग्रेस ने 2024 के आम चुनाव में विपक्षी एकता की जरूरत पर बल दिया. राहुल गांधी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश की नींव पर हमला है. इसलिए हम सभी को देश बचाने के लिए एक मंच पर आना ही होगा. उन्होंने कहा कि आज सारे संवैधानिक संस्थानों पर भाजपा-आरएसएस आक्रमण कर रही है. आज विचारधारा की लड़ाई है तो हम सब एक साथ खड़े हैं. थोड़ा अलगाव है लेकिन हमने निर्णय लिया है कि हमलोग एक साथ काम करेंगे. कुछ ही समय में अगली मीटिंग होगी. आज जो हमने बातचीत की उसे और गहराई में ले जायेंगे.
लालू प्रसाद यादव ने कहा कि भाजपा को बढ़िया से ठीक कर देना है. एक होकर लड़ना है. देश की जनता बोलती थी कि वोट आपलोगों का है लेकिन बंट जाता है, इसलिए भाजपा सत्ता में आ जाती है. अभी नरेंद्र मोदी अमेरिका गए हैं. इसी नरेंद्र मोदी को अमेरिका ने वीजा देने से मना कर दिया था. देश टूट के कगार पर खड़ा है. आप लोगों को आटा-दाल-चावल का भाव मालूम होगा कि आज क्या दाम है.
बैठक में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने, दिल्ली अध्यादेश और अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आज हमलोग लोकतंत्र बचाने के लिए यहां बैठे हैं. आज कश्मीर में लोकतंत्र को कुचला जा रहा है. पांच साल से जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन है. महबूबा मुफ्ती भी इस मुद्दे पर आज हमारे साथ हैं. चार राज्यों में जो चुनाव होने जा रहे हैं, वह सेमी फाइनल है. इसके लिए तैयारी करनी है. अगली बैठक में और भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए जायेंगे.
बैठक में अरविंद केजरीवाल दिल्ली अध्यादेश को प्रमुख मुद्दा बनाने पर अड़ गए और फिर अलग से जाकर प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि इस मामले में कांग्रेस का रूख स्पष्ट नहीं है. बैठक में यही एक बिंदु रहा, जिसपर बाहर भी असहमतियां दिखी. भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने ‘आप’ के इस रूख की आलोचना की. लगभग सभी दलों ने इसकी आलोचना की. भाकपा(माले) महासचिव ने कहा कि मामला केवल दिल्ली का नहीं है बल्कि जम्मू-कश्मीर से लेकर महाराष्ट्र तक, आज यही हो रहा है. भाजपा कौन सी विपक्ष की सरकार को चलने दे रही है? बैठक राष्ट्रीय स्तर की थी, इसलिए उसमें इन मसलों को लेकर एक सामान्य समझदारी ही बनाई जा सकती थी. अरविंद केजरीवाल का बयान हड़बड़ी में दिया गया बयान था. इसपर उन्हें गंभीरता दिखलानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि यही केजरीवाल तो धारा 370 के समर्थन में थे. पूरा विपक्ष दिल्ली अध्यादेश के खिलाफ है. यह आने वाले दिनों में हल हो जाएगा.
22 जून से रही गहमागहमी : 23 जून की बहुप्रतीक्षित बैठक की गहमागहमी 2 दिन पहले से ही शुरू हो गई थी. नीतीश कुमार ने बैठक में शामिल होने वाले सभी नेताओं को राजकीय अतिथि का सम्मान दिया. 22 जून को अधिकांश नेता पटना पहुंच गए थे. बैठक की व्यापक तैयारी पटना शहर में की गई थी. सभी दलों के सुप्रीम नेताओं की तस्वीरों के साथ होर्डिंग लगाए गए थे. भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य 22 जून की शाम पटना पहुंचे. उनके स्वागत के लिए बिहार सरकार के वित्त मंत्री श्री विजय चौधरी को नियुक्त किया गया था. भाकपा(माले) के सैकड़ो कार्यकर्ता झंडा-बैनर के साथ पटना एयरपोर्ट पहुंचे. जिस समय का. दीपंकर को आना था, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी उसी वक्त उतरने वाले थे. का. दीपंकर के स्वागत में श्री विजय कुमार चौधरी के अलावा भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेताओं – राज्य सचिव कुणाल, धीरेन्द्र झा, महबूब आलम, राजाराम सिंह आदि नेता शामिल थे. सबने फूलों का गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया. वे पटना एयरपोर्ट से कदमकुआं स्थित पार्टी राज्य कार्यालय पहुंचे. कुछ ही देर बाद खबर आई कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनसे मिलने आ रहे हैं. मुख्यमंत्री पार्टी राज्य कार्यालय में पहुंचे. उन्होंने शाल ओढ़ाकर का. दीपंकर भट्टाचार्य का स्वागत किया. तकरीबन 15 मिनट तक दोनों नेताओं की बातचीत हुई.
बैठक के एक दिन बाद का. दीपंकर भट्टाचार्य के नेतृत्व में भाकपा(माले) नेताओं की एक टीम ने राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद जी से मुलाकात की और ताजा राजनीतिक परिस्थिति पर चर्चा की. टीम में माले राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, वरिष्ठ नेता केडी यादव, विधायक दल के नेता महबूब आलम और रामबलि सिंह यादव शामिल थे. श्री लालू प्रसाद ने देश में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए बिहार से विपक्षी एकता के हुए शंखनाद में भाकपा-माले की भूमिका की सराहना करते हुए भाकपा(माले) से विशेष उम्मीद जताई. भाकपा(माले) महासचिव ने कहा कि भाजपा के खिलाफ बिहार ने एक सकारात्मक संदेश दिया है. 23 जून की बैठक से विपक्षी एकता को नई गति मिलेगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में महागठबंधन और ज्यादा एकताबद्ध होकर भाजपा के खिलाफ चल रहे आंदोलनों को नया विस्तार और नई गति देगा. महागठबंधन सरकार को जनता की समस्याओं पर सकारात्मक विचार करना चाहिए और यथोचित कारवाई भी करनी चाहिए. शिक्षक नियमावली को लेकर शिक्षक आंदोलित हैं. गरीबों-दलितों को उजाड़ने की प्रक्रिया अब भी जारी है. आशा सहित अन्य स्कीम वर्कर न्यूनतम मानदेय को लेकर संघर्षरत हैं. ऐसे कई मुद्दे हैं जिन्हें बिहार सरकार को डील करना है. भाकपा-माले मांग करती है कि सरकार शिक्षक संगठनों से वार्ता कर जारी गतिरोध को खत्म करे. यदि सरकार उपयुक्त मुद्दों के प्रति सकारात्मक होती है तो महागठबंधन को और भी ताकत मिलेगी. उन्होंने लालू जी से इन मसलों पर हस्तक्षेप करने की अपील की.
अगली बैठक शिमला में : 12 राज्यों – बिहार, बंगाल, तमिलनाडु, झारखंड, यूपी, दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, हिमाचल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व कर्नाटक में अच्छी पकड़ के साथ भाजपा के मुकाबले में विपक्षी एकजुटता खड़ी हुई है. अगली बैठक शिमला में होने वाली है, जिसमें आगे की रणनीति और सीट शेयरिंग पर चर्चा होगी. बहरहाल, पटना बैठक ने विपक्षी एकता के आगे का रास्ता खोल दिया है. यह संदेश देने में कि यदि सभी दल मिलकर 2024 का चुनाव लड़े तो भाजपा को गद्दी से उखाड़ फेंकना असभंव नहीं, पटना बैठक कामयाब रही.