संयुक्त किसान मोर्चा एवं अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयुक्त तत्वावधान में बिहार के प्रमुख किसान संगठनों ने पटना के रविन्द्र भवन में 24 जून 2023 को एक विशाल ‘एमएसपी-खाद्य सुरक्षा-कर्जमुक्ति’ सम्मेलन का आयोजित किया. सम्मेलन में बिहार के सभी जिलों से 12 सौ से अधिक किसान प्रतिनिधियों सहित करीब दर्जन भर राष्ट्रीय किसान नेता और राज्य के 11 किसान संगठनों के नेता शमिल हुए.
सम्मेलन की शुरुआत किसान नेता राजेन्द्र पटेल द्वारा स्वागत भाषण देने और 11सदस्यीय अध्यक्ष मंडल के प्रस्ताव के साथ हुई, सम्मेलन के अध्यक्ष मंडल में सभी 11 किसान संगठनों से एक-एक नेता – उमेश सिंह, राजेंद्र प्रसाद सिंह, रामबृक्ष राम, ऋषि आनंद, बीबी सिंह, मणिकांत पाठक, नंद किशोर सिंह, उदयन राय, विजय कुमार चौधरी, मनोहर लाल कुशवाहा और पुकार – शामिल थे.
किसान नेता ऋषि आनंद ने राष्ट्रीय नेताओं का स्वागत किया और उन्हें मंच पर आमंत्रित किया. किसान आंदोलन में शहीद हुए 750 से अधिक किसानों, लखीमपुर खीरी हत्याकांड में मारे गए किसानों, उड़ीसा के बालासोर जिले में घटित भीषण ट्रेन दुर्घटना में मारे गए सैकड़ों यात्रियों, और त्रिपुरा व मणिपुर समेत कई राज्यों में हिंसा में मारे गए नागरिकों की स्मृति में एक शोक प्रस्ताव लाया गया जिसे किसान नेता उदयन राय ने पेश किया.
किसान नेता नन्द किशोर सिंह ने सम्मेलन में 24-सूत्रीय किसान मांगपत्र को पेश किया जिसमें एमएसपी की कानूनी गारंटी; संपूर्ण कर्जमुक्ति, खाद्य सुरक्षा की गारंटी; किसानों और खेत मजदूरों के लिए किसान पेंशन; फसल नुकसान की भरपाई के लिए सार्वभौमिक, व्यापक और प्रभावी फसल बीमा; बिहार में एपीएमसी की पुनः बहाली; बंद पड़े सभी चीनी मिलों को पुनः चालू करना; बटाईदार किसानों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ; वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023 की वापसी; दुग्ध उत्पादकों को 10 रूपये प्रति लीटर सरकारी अनुदान; बाढ़, सुखाड़ एवं जल-जमाव की समस्या का स्थायी समाधान; अधूरे और जर्जर सिंचाई परियोजनाओं का शीघ्रातिशीघ्र जीर्णाद्धार तथा आधुनिकीकरण; कृषि योग्य भूमि के जबरन अधिग्रहण पर रोक; मनरेगा मजदूरों को 200 दिन काम और 600 रूपये दैनिक मजदूरी की गारंटी, आदि समेत किसानों, खेतमजदूरों, श्रमिकों और आम नागरिकों के मुद्दे शामिल हैं.
सम्मेलन को राष्ट्रीय वक्ताओं में सबसे पहले अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि आज हम बढ़ते कृषि संकट व रोजगार संकट के मद्देनजर खेती को लाभकारी बनाने की फौरी आवश्यकता को शिद्दत से महसूस करते हैं और इसके लिए इस सम्मेलन के मंच से मांग करते हैं कि सरकार स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसा के अनुरूप सभी फसलों के कुल उत्पादन लागत का डेढ़ गुना (सी2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करे और इसकी खरीद की कानूनी गारंटी करे. जिस कृषि क्षेत्र ने कोरोना काल में भी अपने द्वारा उत्पादन में तीन प्रतिशत वृद्धि दर प्रदान किया वैसे कृषि क्षेत्र को सरकार द्वारा कारपोरेट के हाथों हस्तांतरण के हर प्रकार की कोशिशों या साजिशों का न सिर्फ हम विरोध करते हैं. किसानों ने उनके इसके लिए लाए गए तीन काले कृषि कानूनों को अपने संघर्ष के बल पर वापस लेने को बाध्य कर दिया.
उन्होंने ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ में 121 देशों की सूची में 107 नंबर पर भारत के होने के प्रति गंभीर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि 6 अनाजों – चावल, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा व जौ – से इथेनॉल बनाने के भारत सरकार का ‘निर्णय’ देश की खाद्य असुरक्षा एवं भूख के दायरे को बढ़ाने वाला है. सरकार को इसे वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा – ‘हम इस किसान सम्मेलन के माध्यम से मांग करते हैं कि सभी किसानों (बटाईदारों समेत) से सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद एवं जन वितरण प्रणाली को और मजबूत करते हुए सभी गरीबों व जरूरतमंदों को पर्याप्त राशन उपलब्ध कराई जाए.’
उन्होंने कहा कि घाटे की खेती की वजह से विगत वर्षों में कर्ज में डूबे लाखों किसानों की आत्महत्या और उसके प्रति मोदी सरकार की उत्तरोत्तर बढ़ती संवेदनहीनता एक रणनीति का रूप लेती जा रही है और कृषि संकट को और गहरा बना रही है. इसलिए सरकार एक बार बटाईदार समेत सभी किसानों को सभी तरह के कर्ज से मुक्त करे.
उन्होंने कहा कि हमारा देश भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन चुका है जिसकी जनसंख्या 143 करोड़ के आसपास है. देश में कृषि योग्य भूमि का अधिग्रहण व क्षरण तेजी के साथ जारी है जो कि देश में खाद्य असुरक्षा का एक अन्य कारक है. यह समय की मांग है कि 2007 में बनी भूमि नीति को सख्ती से लागू किया जाए जिसमें यह निर्देश जारी किया गया था कि अंतिम विकल्प के बतौर कृषि भूमि का स्थानांतरण गैर-कृषि कार्यों के लिए किया जाए. भूमि अधिग्रहण के किसी भी मामले में 2013 में बने भूमि अधिग्रहण व पुनर्वास कानून का सख्ती से पालन किया जाए. हम जल, जंगल, जमीन पर बढ़ते कारपोरेट हमलों का पुरजोर विरोध करते है और इस पर आदिवासियों के पारंपरिक अधिकार का पक्षपोषण करते है.
उन्होंने कहा – ‘हम मोदी सरकार द्वारा तीन कृषि कानून लाकर कारपोरेट के हाथों कृषि के हस्तांतरण, इसके खिलाफ उभरे किसान आंदोलन पर किये गये क्रूर दमन, सांप्रदायिक आधार पर फूट डालने व उसे आतंकवादी, देशद्रोही के रूप में बदनाम करने व आंदोलन की लम्बित मांगों को पूरा नहीं करने की कड़े शब्दों में निदा करते हैं. किसानों के बाद जवानों के सम्मानजनक रोजगार छीनने वाली व महिला पहलवानों के खिलाफ भाजपा सांसद के पक्ष में खड़ी मोदी सरकार का किसान, जवान व महिला विरोधी चेहरा खुलकर सामने आ गया है. हमे कारपोरेट-परस्त किसान विरोधी मोदी सरकार के खिलाफ निर्णायक संघर्ष का संकल्प लेना चाहिए जो यह सम्मेलन आज लेगा.’
जैसा कि आप सबों ने देखा कि 2022 तक मोदी सरकार द्वारा किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा भी एक जुमला साबित हुआ है. इतना ही नहीं डीजल, खाद, बिजली की बढ़ी कीमतों ने कृषि लागत को लगभग दोगुना कर दिया. इस सम्मेलन को बिजली बिल 2022 को वापस लेने, खेती के लिए सस्ती बिजली देने व खेती लागत खर्च को कम करने व समग्र रूप से महंगाई पर रोक लगाने की मांग के साथ खेती के लिए पर्याप्त सिंचाई सुविधा की मांग को प्रमुखता से उठाना चाहिए है.
उन्होंने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के बहाने मोदी सरकार ने धर्मनिरपेक्ष की जगह एक धर्म (हिन्दू) का और संविधान की जगह राजदण्ड (सेंगोल) से शासन चलाने का संदेश दिया है जो लोकशाही (लोकतंत्र) की जगह राजशाही का संकेत है. इतिहास गवाह है कि हमने अंग्रेजों के कम्पनी राज के साथ-साथ जमींदारी (सामंतशाही) के खिलाफ लड़ाई लड़ी और आजादी पाई. अंग्रेजों के जाने के साथ-साथ देश में जमींदारी उन्मूलन, भूमि सुधार, आदि के कानून भी बने. भाजपा की मोदी सरकार द्वारा लगातार कारपोरेट-परस्ती के साथ-साथ हिन्दू राष्ट्र निर्माण की कोशिशों, संविधान व लोकतंत्र को दरकिनार करने के प्रयासों का हमें जोरदार विरोध करना चाहिए और इसके खिलाफ किसान-मजदूर व समाज के अन्य तबकों के साथ एकता बनाकर संघर्ष का आह्वान करना चाहिए.
सम्मेलन को अखिल भारतीय किसान सभा (कैनिंग लेन) के राष्ट्रीय महासचिव विज्जु कृष्णन, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव आशीष मित्तल, क्रांतिकारी किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता अवतार सिंह महिमा, ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवान, अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा के राष्ट्रीय नेता अशोक बैठा, कीर्ति किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र सिंह तथा एनएपीएम के नेता आशीष रंजन ने भी संबोधित किया. इसके अलावा, सम्मेलन को संबोधित करने वाले बिहार के किसान नेताओं में बिहार राज्य किसान सभा (जमाल रोड) के नेता विनोद कुमार, अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता रामाधार सिंह, जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के नेता उदयन राय, क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता बिन्देश्वरी सिंह, जय किसान आंदोलन के नेता मुकेश कुमार मिश्रा, ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के नेता लालबाबू महतो, अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा के नेता उदय चौधरी, ऑल इंडिया किसान फेडरेशन के नेता विजय कुमार चौधरी, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के प्रांतीय नेता रूदल राम, बिहार किसान समिति के नेता बलदेव झा, जल्ला किसान संघर्ष समिति के नेता शंभुनाथ मेहता शामिल थे.
किसान नेता विनोद कुमार ने सम्मेलन में किसानों और खेत मजदूरों के राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रूपरेखा पेश की. इसके तहत 1 जुलाई से 15 अगस्त के बीच देश के किसानों और खेत मजदूरों को एकजुट करने के लिए सभी जिलों में जिला-स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन और अगस्त क्रांति दिवस के 80 वर्ष पूरे होने के अवसर पर ‘कॉरपोरेट हटाओ-भारत बचाओ’ नारे के साथ कारपोरेट बहिष्कार दिवस के रूप में मनाया जाएगा और जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा. 15 अगस्त को आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आरएसएस-भाजपा और केंद्र सरकार द्वारा संविधान, संघवाद और धर्मनिरपेक्षता पर हमले के खिलाफ ‘आजादी बचाओ दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा. इसके बाद 16 अगस्त से 30 सितंबर के बीच किसानों और खेत मजदूरों की मांगों को उठाते हुए और मोदी सरकार की कॉरपोरेट-समर्थक नीतियों को चुनौती देते हुए किसान यात्रा आयोजित किए जाएंगे. यात्रा देशव्यापी ‘किसान भारत यात्रा’, राज्यव्यापी ‘बिहार किसान यात्रा’ और जिला स्तरीय किसान यात्रा के रूप में आयोजित किया जाएगा. 26 नवंबर को ऐतिहासिक किसान आंदोलन के चार वर्ष पूरे होने पर पटना में 26 से 28 नवम्बर, 2023 को तीन दिवसीय महाधरना आयोजित किया जाएगा. अंत में उन्होंने मांगपत्र और भावी कार्यक्रम पर सम्मेलन में आए किसानों की स्वीकृति ली और उसे सर्वसम्मति से पारित किया गया. अध्यक्षीय भाषण किसान नेता रामवृक्ष राम ने किया. सम्मेलन का समापन एक धन्यवाद ज्ञापन से किया गया जिसे किसान नेता मणिकांत पाठक ने किया.
– उमेश सिंह