वर्ष - 32
अंक - 29
15-07-2023

संताल सामाजिक संगठन ’ओल चिकी हुल बैसी’ की झारखंड प्रदेश इकाई द्वारा संताली भाषा ओलचिकी को राज्य की प्रथम भाषा के रूप में मान्यता देने व ओलचिकी लिपी की पुस्तकों को पाठ्यक्रमों में शामिल करने की मांगों को लेकर आहूत झारखंड बंद को पुरजोर सक्रिय समर्थन देते हुए आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने 4 जुलाई 2023 को हजारों आदिवासियों गांलबंद करते हुए सड़कों पर उतरकर झारखंड बंद को सफल किया.

आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले रामगढ़-पतरातू रोड के भुरकुंडा चैक और राांची-गया पटना राष्ट्रीय उच्च पथ पर कुुुजू के समीप नया मोड़ में सुबह 8 बजे से 12 बजे दिन तक सड़क जाम लगाया गया. हजारों आदिवासियों ने अपने परंपरागत वेष-भूषा, हथियार (तीर-धनुष) व वाद्ययंत्रों (नगाड़ा व टमक) के साथ इसमें हिस्सा लिया और सड़क जाम के बीच आयोजित सभा में चल रहे जोशीले भाषणों के बीच-बीच में जमकर नारेबाजी करते रहे.

सभा को ओलचिकी हूल बैसी, झारखंड प्रदेश के नेता और आदिवासी संघर्ष मोर्चा के सोहराय किस्कू, महादेव मांझी, जयवीर हंसदा, रामसिंह मांझी, जोधन मांझी, मनाराम मांझी व मनोज मांझी ने संबोधित किया. सभा के जरिए झारखंड के आदिवासियों के संरक्षित नीति-नियम व कानूनों को भी लागू करने की मांग की गई.

आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक देवकीनंदन ने झारखंड बंद जाम की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड राज्य आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन, खनिज व पर्यावरण के साथ ही धर्म, संस्कृति, भाषा, व परंपराओं की भी रक्षा करने के लिए संघर्ष कर रहा है.

उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए रोजगार, विकास व पहचान का मुद्दा आज भी ज्वलंत है. राज्य बनने के बाद 22 वर्ष बीत गए हैं लेकिन आदिवासियों को आज भी अपनी पहचान बनाने के लिए लड़ना पड़ रहा है. 2000 में झारखंड राज्य बनने के बाद से अबतक बाबूलाल मरांडी से लेकर मधु कोड़ा, अर्जुन मुंडा, दहेंमत सोरेन तक आदिवासी मुख्यमंत्री ही बने रहे हैं, फिर भी सरकारें आदिवासियों के लिए नीति-नियम, कानून बनाने में हिचकती रही हैं. स्थानीयता की नीति आज तक नहीं बन पाई है और न ही सरना धर्म कोड लागू हो पाया है. दरअसल राज्य की सरकारें कारपोरेट घरानों के पक्ष में खड़ी रही हैं. उनको हमारी भाषा को मान्यता देने में आखिर हिचक क्यों है?

झारखंड बंद व सभा में नरेश बड़ाईक, कुलदीप बेदिया, लाली बेदिया, लालचंद बेदिया, नागेश्वर मुंडा, सुभाष बेदिया, योगेंद्र बेदिया, सरयू बेदिया, भुनेश्वर बेदिया, शैलेन्द्र बेदिया, रामबृक्ष बेदिया, बृजनारायण मुंडा, लाका बेदिया, लालदेव करमाली, तृतियाल बेदिया, राजू विश्वकर्मा, रंजीत बेदिया, लालकुमार बेदिया, महेंद्र गंझू, नरेश गंझू समेत अन्य कई लोग शामिल थे.

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